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उत्तराखंड राज्य की
निदेशिका अकादमिक शोध और ट्रैनिंग, श्रीमती
बंदना गबराल ने सभी शिक्षकों को अपने कार्यों के कार्यवृत्त परियोजनाओं को
प्रेजेंटेशन के माध्यम से समझाने का आह्वान किया।
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अपर निदेशक अकादमिक
शोध और ट्रैनिंग, डॉ एस बी जोशी ने एक प्रेजेंटेशन बनाने के लिए निम्नलिखित
आवश्यक टिप्स का ध्यान रखने का सुझाव दिया:
1.
प्रजेंटेशन की संरचना स्पष्ट रखें और विषय को आसानी
से समझाएं।
2.
संक्षेप में रहें और सुनने वालों की ध्यान आकर्षित
करने के लिए गतिविधियों और उदाहरणों का उपयोग करें।
3.
उपयोगकर्ता-मित्र भाषा का प्रयोग करें और जारी रखें
कि आपका उद्देश्य किस लक्ष्य को प्राप्त करना है।
4.
संग्रहीत डेटा और तस्वीरों का प्रयोग करें और संपर्क
साधारित करने के लिए ग्राफिक्स और चार्ट्स का उपयोग करें।
5.
अपने दर्शकों के सवालों और प्रश्नों का सामरिक जवाब
दें और उनकी सहायता के लिए संपलेत कार्यवृत्त प्रदान करें।
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रमेश प्रसाद बडोनी, प्रवक्ता, आईटी विभाग, एससीईआरटी, ने ऑनलाइन प्रेजेंटेशन बनाने के लिए निम्नलिखित टिप्स दिए:
1.
प्रजेंटेशन की तैयारी के लिए संग्रहीत डेटा, तस्वीरें और अद्यतित सामग्री का उपयोग करें।
2.
एक स्पष्ट और संरचित संरचना चुनें और यह सुनिश्चित
करें कि आपकी प्रेजेंटेशन स्वागत करने वालों के लिए सरल हो।
3.
वाद-विवाद करें और आपके दर्शकों के सवालों का समाधान
प्रदान करें।
4.
प्रजेंटेशन की प्रैक्टिस करें और अपने कार्य को
सुधारें।
5.
लाइव प्रेजेंटेशन, लाइव
स्ट्रीमिंग, प्रेजेंटेशन रिकॉर्डिंग और ऑनलाइन प्रेजेंटेशन के लिए
अपने कार्य को अनुकूलित करें और तैयार करें।
क्लिक यहाँ करें : टिप्स : प्रेज़न्टैशन निर्माण
· सभागार में मौजूद संयुक्त निदेशिका कंचन देवराडी ने आंतरिक फैकल्टी ट्रैनिंग के लिए कार्यक्रम और सेशन डिजाइन करने पर चर्चा की। उप निदेशक शैलेन्द्र अमोली द्वारा एन ई पी और पी एमई विद्या चैनल और वर्तमान स्थिति पर वार्ता की गयी। फैकल्टी और अन्य श्रोताओं ने प्रश्नों के माध्यम से प्रेजेंटेशन और क्लाउड पर कार्य करने का प्रभावी तरीका समझने का प्रयास किया।
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निदेशिका महोदया ने सभागार में मौजूद प्रवक्ताओं को यह समझाने के लिए
प्रेरित किया कि वे अपने कार्यों को प्रभावी ढंग से समझाएं और उन्हें एक ऑनलाइन
प्लेटफ़ॉर्म पर प्रस्तुत करें ताकि उनके कार्यों को आगे भी देखा जा सके।
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अपर निदेशक डॉ एस बी जोशी ने सभी कार्यों की समीक्षा
की और सभी फैकल्टी को एक स्कूल के साथ अग्रिम ट्रेनिंग लेने का सुझाव दिया ताकि
उनके द्वारा किए गए सभी निर्धारित कार्यों को समझा जा सके और उन्हें प्रभावी ढंग
से उपयोग किया जा सके।
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निदेशिका द्वारा
प्रवक्ताओं को सतत प्रयास करने के लिए प्रेरित किया गया कि वे भी अपने कार्यों को
प्रभावी ढंग से समझाएं और उन्हें एक प्लेटफ़ॉर्म पर ऑनलाइन करें ताकि उनके कार्यों
को लाइव ऑनलाइन देखा जा सके।
अंत में, निदेशिका ने सभी कार्यक्रमों को समाप्त करते हुए दिया धन्यवाद और
प्रवक्ताओं से यह सुनिश्चित करने के लिए जोर दिया कि वे भविष्य में अपने कार्यों
को प्रभावी ढंग से समझाएं और उन्हें एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर प्रस्तुत करें। इससे
उनके कार्यों को बढ़ावा मिलेगा और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर या कहीं और विकसित
किया जा सकेगा।