Friday, July 11, 2025

Strengthening Cyber Resilience in Uttarakhand: One-Day Workshop Brings Together Key Education and IT Officials


Dehradun, 11 July 2025 In a crucial step toward building cyber resilience within the education sector and strengthening digital hygiene across government systems, the Information Technology Development Agency (ITDA), under the guidance of Shri Nitesh Jha, Secretary (IT), Government of Uttarakhand, successfully hosted a one-day workshop on "Recent Trends in Cyber Crimes" at the CSI Auditorium, Dehradun. The workshop was also live-streamed via Zoom to ensure participation from across the state.

The workshop formed part of ITDA’s Cyber Awareness Program, aiming to sensitize key stakeholders in the government to the growing threats in cyberspace and equip them with practical strategies to enhance cybersecurity.



Among the notable participants were representatives from the Directorate of School Education, SCERT Uttarakhand, and the Directorate of Secondary Education. Key education officials included:

  • Pankaj Sharma, DD Representative, Directorate of School Education

  • Mukesh Bahuguna, CAO, Representative, DG School Education, Uttarakhand

  • Ramesh Prasad Badoni, ICT Lead, SCERT Uttarakhand

ThThese education leaders engaged deeply with cybersecurity experts to explore the implications of digital threats on educational institutions and to discuss collaborative strategies for securing school networks and online learning systems.

Arun Bisht, Assistant General Manager (AGM), ITDA, hosted and coordinated the workshop, ensuring smooth execution and cross-departmental collaboration through his proactive efforts.

The event commenced with a welcome address by Gaurav Kumar, Director, ITDA, followed by an insightful contextual overview by Tirth Pal Singh, Additional Director, ITDA. Both speakers emphasized the pressing need for government departments to fortify their IT infrastructure and promote a culture of cyber hygiene.

The keynote session, led by Rahul Mishra, Cybersecurity Advisor to the UP Police and an acclaimed expert in the field, shed light on the alarming rise in cybercrimes and the importance of proactive defense strategies. His presentation resonated strongly with participants from the education sector, highlighting vulnerabilities specific to educational platforms and data privacy.


Ashish Upadhyay, AGM Cyber Security, ITDA, led members of the CERT Uttarakhand team—Shivam, Rajat, and Rishab—in delivering further technical sessions. Members of the CERT Uttarakhand team, Shivam, Rajat, and Rishab, provided a detailed overview of state-level cybersecurity initiatives, along with actionable tips and tools for securing government data systems.

Over 125 officials participated in person, and more than 50 government offices joined virtually, reflecting widespread commitment to digital security across departments.


The workshop concluded with an engaging interactive Q&A session, facilitating direct dialogue between cybersecurity experts and attending officials.

This collaborative effort represents an important step in Uttarakhand’s journey toward creating a secure, aware, and digitally empowered governance framework, particularly within the education system. ITDA reaffirmed its commitment to providing continued support and capacity-building programs for all departments to counter evolving cyber threats effectively.


Thursday, July 10, 2025

डॉल्फिन इंस्टिट्यूट ऑफ बायोमेडिकल एवं प्राकृतिक विज्ञान और एससीईआरटी संयुक्त रूप से करेंगे उत्तराखंड के दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों में खगोल विज्ञान जागरूकता कार्यक्रम की शुरुआत

देहरादून, 10 जुलाई 2025:

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने और उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्रों के स्कूली छात्रों में वैज्ञानिक जिज्ञासा को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, डॉल्फिन (पीजी) इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल एंड नेचुरल साइंसेज़ (DIBNS), देहरादून और राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT), उत्तराखंड के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह समझौता "स्टार्स ओवर हिल्स"उत्तराखंड के दूरस्थ पर्वतीय विद्यालय समुदायों के लिए एक खगोल विज्ञान जागरूकता कार्यक्रम" नामक पहल के क्रियान्वयन के लिए हुआ है।

यह कार्यक्रम भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के NCSTC डिवीजन द्वारा वित्त पोषित है। इसका उद्देश्य खगोल विज्ञान और अंतरिक्ष विज्ञान की शिक्षा को लोकप्रिय बनाना है। इसके तहत विद्यार्थियों के लिए हाथों-हाथ कार्यशालाएं, वास्तविक आकाश दर्शन सत्र, दूरबीन निर्माण गतिविधियां और शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल आयोजित किए जाएंगे। कार्यक्रम का संचालन टिहरी गढ़वाल, उत्तरकाशी, चंपावत और पिथौरागढ़ जैसे दूरस्थ जिलों में किया जाएगा। इसका विशेष फोकस कक्षा 11वीं और 12वीं के छात्रों पर है, विशेषकर अटल उत्कर्ष विद्यालयों और पीएम-श्री स्कूलों के छात्रों पर।

समझौता ज्ञापन पर डॉ. (प्रो.) शैलजा पंत, प्राचार्य, DIBNS और पदमेंद्र सकलानी, अपर निदेशक, SCERT द्वारा हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर डॉ. आशीष रतूड़ी, एनईपी समन्वयक एवं परियोजना के प्रमुख अन्वेषक, तथा रमेश बडोनी, आईटी फैकल्टी, SCERT भी उपस्थित रहे, जिन्होंने इस कार्यक्रम  को आकार देने में अहम भूमिका निभाई है। उपनिदेशक अजीत भंडारी एवं सहायक निदेशक डॉ  के एन बिजलवाण ने  इस कार्यक्रम की शुरुआत के लिए डॉल्फिन इंस्टीट्यूट और एस सी ई आर टी को सफल बनाने मे जनपदों से सहयोग की अपेक्षा भी की । 

इस मौके पर  प्रो. शैलजा पंत ने अकादमिक  निदेशक बंदना गर्ब्याल से शैक्षणिक संवाद भी किया, जिसमें इस साझेदारी की व्यापक दृष्टि और इसे एनईपी 2020 के अनुभवात्मक व अनुसंधान-आधारित शिक्षा के दृष्टिकोण से जोड़ने की रणनीति पर चर्चा हुई।

यह सहयोग विज्ञान शिक्षा के विकेंद्रीकरण और ग्रामीण विद्यालय समुदायों को अत्याधुनिक STEM अनुभव प्रदान करने की दिशा में एक परिवर्तनकारी पहल है। यह साझेदारी वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने, शिक्षकों की क्षमता को सशक्त बनाने और उत्तराखंड के दूरस्थ पर्वतीय विद्यालयों से भविष्य के खगोल वैज्ञानिकों और वैज्ञानिकों को तैयार करने की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

Monday, July 07, 2025

एससीईआरटी परिसर में शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने किया आवासीय भवन का शिलान्यास, ‘एक पेड़ माँ के नाम’ कार्यक्रम का भी शुभारंभ"

 

देहरादून, 7 जुलाई 2025:

उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने आज राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) परिसर में प्रस्तावित आवासीय भवन निर्माण का भूमिपूजन और शिलान्यास किया। इस अवसर पर क्षेत्रीय विधायक उमेश चंद्र काऊ विशेष रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चार और विधिवत भूमि पूजन से हुई।

शिक्षा मंत्री का स्वागत निदेशक, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, बन्दना गर्ब्याल ने किया। मंच संचालन  भगवती मैदोली ने कुशलता से किया। भूमि पूजन में कई उच्च अधिकारी मौजूद रहे जिनमें डॉ. आनंद भारद्वाज (निदेशक, संस्कृत शिक्षा), कुलदीप गैरोला (अपर राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा), डॉ. मुकुल कुमार सती (निदेशक, माध्यमिक शिक्षा), अजय नौडियाल (निदेशक, प्रारम्भिक शिक्षा), पदमेन्द्र सकलानी (अपर निदेशक, एससीईआरटी), डॉ. के.एन. बिजलवाण, सहित अनेक विभागीय अधिकारी शामिल थे।

शिलान्यास कार्यक्रम के साथ ही सरकार द्वारा शुरू किए गए विशेष अभियान ‘जुलाई माह - एक पेड़ माँ के नाम’ के अंतर्गत शिक्षा मंत्री व विधायक ने एससीईआरटी परिसर में अपनी माताओं के नाम एक-एक पौधा रोपित किया। मंत्री ने सभी शिक्षण संस्थानों से इस अभियान को सफल बनाने का आह्वान किया और इसे व्यक्तिगत संकल्प से जोड़ने की प्रेरणा दी।

क्षेत्रीय विधायक काऊ ने बताया कि  यह पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सकारात्मक कदम है, बल्कि इसमें मातृभक्ति और भावनात्मक जुड़ाव का संदेश भी गहराई से निहित है। शिक्षा मंत्री ने बताया कि यह कार्यक्रम केवल एक औपचारिक वृक्षारोपण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अभियान प्रदेश भर के सभी शिक्षण संस्थानों – प्राथमिक विद्यालयों से लेकर इंटर कॉलेजों तक में संचालित किया जाएगा।

उन्होंने विद्यालयों, महाविद्यालयों और शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों से अपील की कि वे इस कार्यक्रम को केवल सरकारी आदेश मानकर न अपनाएं, बल्कि इसे एक व्यक्तिगत संकल्प, संवेदनात्मक जिम्मेदारी, और पर्यावरणीय कर्तव्य के रूप में लें। मंत्री ने यह भी कहा कि जब कोई पौधा हम अपनी माँ के नाम लगाते हैं, तो उस पौधे से केवल हरियाली ही नहीं जुड़ती, बल्कि उसमें हमारी भावनाएं, स्मृतियाँ और नैतिक ज़िम्मेदारियाँ भी जुड़ जाती हैं। यह एक ऐसा वृक्ष बनता है, जो सिर्फ ऑक्सीजन नहीं, अपितु संस्कार और संवेदना भी प्रदान करता है।

शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह ने निर्देश दिया कि इस अभियान के अंतर्गत प्रत्येक छात्र, शिक्षक, प्रधानाचार्य, बीआरसी, सीआरसी, और शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारी कम से कम एक पौधा अपनी माता या मातृ-तुल्य किसी व्यक्ति के नाम लगाएं, और उसकी देखरेख और संरक्षण की जिम्मेदारी भी स्वयं लें। इस अवसर पर यह भी घोषणा की गई कि विद्यालयों को इस वृक्षारोपण की प्रगति रिपोर्ट और फोटो दस्तावेज के रूप में प्रस्तुत करनी होगी।

डॉ. रावत ने मौके पर बताया कि सरकार द्वारा ₹1500 करोड़ के निर्माण कार्य प्रदेशभर में इस वर्ष तक पूर्ण किए जाएंगे। उन्होंने शिक्षकों, बीआरसी/सीआरसी समन्वयकों और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्तियों को शीघ्र जारी करने के आदेश देने की बात भी कही।

शिक्षा मंत्री ने निदेशक  बन्दना गर्ब्याल को निर्देशित किया कि स्कूली पाठ्यक्रम में मोबाइल के अत्यधिक प्रयोग से बच्चों पर पड़ने वाले प्रभाव, सड़क सुरक्षा, और नशा निवारण जैसे संवेदनशील विषयों को सम्मिलित कर प्रभावी क्रियान्वयन किया जाए। उन्होंने एससीईआरटी और समस्त डायट संस्थानों में रिक्त पदों की शीघ्र पूर्ति को भी प्राथमिकता देने पर बल दिया।

नव-निर्माण के तहत पहले चरण में लगभग 5 आवासीय इकाइयों का निर्माण किया जाएगा, जिनमें टाइप-5, टाइप-3, और टाइप-2 आवास शामिल होंगे। यह भवन वर्ष 2025 के अंत तक पूर्ण कर लिया जाएगा, जिससे निदेशकों, प्रवक्ताओं और अन्य कर्मचारियों को बेहतर आवास सुविधा मिल सकेगी। इस अवसर पर एससीईआरटी के समस्त संकाय सदस्य और कर्मचारीगण उपस्थित रहे और कार्यक्रम को सफल बनाने में सक्रिय भूमिका निभाई।

Saturday, July 05, 2025

नौले-धारे – उत्तराखंड की जीवन रेखा, घसाड़ के छात्रों का प्रेरणादायी प्रयास

 

विडिओ स्रोत : प्रिया गुसाईं , प्रवक्ता एस सी ई आर टी उत्तराखंड 

उत्तराखंड के पर्वतीय अंचल में बहने वाले नौले व धारे केवल जल के स्रोत नहीं, बल्कि वहां की संस्कृति, जीवनशैली और आत्मनिर्भरता के प्रतीक हैं। ये पारंपरिक जलस्रोत सदियों से पहाड़ों की बहुसंख्यक आबादी की प्यास बुझाते आए हैं। भूमिगत जल या वर्षा जल जब प्राकृतिक रूप से छनकर इन स्रोतों में आता है, तो यह जल न केवल शुद्ध और निर्दोष होता है, बल्कि इसमें औषधीय गुण भी पाए जाते हैं जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी होते हैं।

संकट में पारंपरिक जलस्रोत

लेकिन आज यह अमूल्य धरोहर संकट में है। भूमंडलीय तापवृद्धि, अनियंत्रित वनों की कटाई, अंधाधुंध निर्माण कार्य और मानवीय गतिविधियों के कारण नौले व धारे तेजी से सूख रहे हैं। जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय असंतुलन ने इन स्रोतों के अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। यह केवल जल संकट का संकेत नहीं, बल्कि एक पूरे जीवन तंत्र के टूटने की चेतावनी है।

घसाड़ के छात्रों की पर्यावरणीय चेतना

इसी संदर्भ में राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, घसाड़, जिला पिथौरागढ़ के छात्र-छात्राओं द्वारा पर्यावरण दिवस के अवसर पर किए गए प्रयास अत्यंत सराहनीय हैं। सीमांत क्षेत्र के इन बच्चों ने न केवल इन पारंपरिक जल स्रोतों की सफाई और मरम्मत का कार्य किया, बल्कि स्थानीय समुदाय को भी इनके संरक्षण के प्रति जागरूक किया।

उनका यह कार्य केवल एक सफाई अभियान नहीं, बल्कि एक संदेश है – “हम अपनी परंपराओं, प्रकृति और भविष्य को बचाने के लिए सजग हैं।” यह पर्यावरणीय चेतना का जीवंत उदाहरण है जो यह बताता है कि जब युवा जागरूक होते हैं, तो वे बड़े परिवर्तन की नींव रख सकते हैं।

आज जरूरत है कि हम सभी इस चेतना को आत्मसात करें और अपने-अपने स्तर पर पारंपरिक जलस्रोतों के संरक्षण का संकल्प लें। नौले और धारे केवल जल नहीं देते, वे हमें हमारी जड़ों से जोड़ते हैं। घसाड़ के छात्र-छात्राओं का यह प्रयास हम सभी के लिए प्रेरणा है कि कैसे छोटी पहल भी बड़े बदलाव की ओर ले जा सकती है।

आइए, मिलकर संकल्प लें – जल स्रोतों की रक्षा करेंगे, ताकि पर्वतों की आत्मा सदैव जीवित रहे।

Monday, June 30, 2025

एससीईआरटी उत्तराखंड की उपनिदेशक किरण बहुखंडी को दी गई भावभीनी विदाई – एक प्रेरणास्पद यात्रा का सम्मान

दिनांक 30 जून 2025 को एससीईआरटी उत्तराखंड के ऑडिटोरियम में एक विशेष और भावनात्मक अवसर पर सभी संकाय सदस्यों एवं अधिकारियों की उपस्थिति में किरण  बहुखंडी उपनिदेशक एससीईआरटी को उनके सेवानिवृत्त होने पर भावभीनी विदाई दी गई। यह क्षण न केवल एक औपचारिक आयोजन था, बल्कि उनके जीवन के संघर्षों, सेवाओं और प्रेरक कार्यशैली को सम्मानित करने का भी अवसर था।

अपर निदेशक पदमेन्द्र सकलानी ने किरण बहुखंडी उपनिदेशक के कार्यकाल की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे विगत वर्षों से शारीरिक रूप से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझती रही हैं, फिर भी उन्होंने अपनी इच्छा शक्ति से जीवन को नए मायनों में गढ़ा और कभी भी अपने कर्तव्यों से पीछे नहीं हटीं। उन्होंने कहा कि ऐसी कर्मठ अधिकारी विरले ही मिलती हैं, जिन्होंने अपनी सेवा को निष्ठा से निभाया और आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा बन गईं।

डॉ. के. एन. बिजल्वान, सहायक निदेशक, ने उनके साहस और बीमारियों के विरुद्ध संघर्ष को याद करते हुए कहा कि उनकी असीम इच्छा शक्ति और कार्यों के प्रति समर्पण सचमुच प्रेरणादायक रहा है। उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी भी स्वास्थ्य को अपने कार्य की बाधा नहीं बनने दिया और अपने उत्तरदायित्वों को पूरी क्षमता से निभाया।

एससीईआरटी के सभी संकाय सदस्यों एवं कार्मिकों ने उन्हें और उनके परिवार को स्वस्थ, शांतिपूर्ण और सशक्त जीवन के लिए शुभकामनाएं दीं। सभी ने एक सुर में उनके कार्यों, मार्गदर्शन और योगदान को सराहा और उनके भविष्य की मंगलकामनाएं कीं।

निदेशक अकादमिक की शुभकामनाएं

बन्दना गर्ब्याल, निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, ने इस अवसर पर उपनिदेशक को उनके भावी जीवन के लिए हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने विशेष रूप से उनके आत्मबल और धैर्य की सराहना की और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना भी की।

यह विदाई समारोह केवल एक सेवानिवृत्ति का अवसर नहीं था, बल्कि नारी शक्ति, सेवा निष्ठा और व्यक्तिगत साहस का उत्सव था। किरण बहुखंडी उपनिदेशक  ने अपनी सेवा यात्रा में जो मूल्यमान स्थापित किए, वे सभी शैक्षिक कर्मियों के लिए एक आदर्श हैं।

इस विदाई समारोह ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि सच्ची सेवा भावना और संकल्प शक्ति से व्यक्ति किसी भी परिस्थिति को मात दे सकता है। उनके योगदानों की स्मृति हमेशा एससीईआरटी उत्तराखंड के इतिहास में आदरपूर्वक संजोई जाएगी।

हम सभी की ओर से उन्हें एक सुखद, स्वस्थ और संतुलित जीवन की शुभकामनाएं।

Friday, June 27, 2025

विद्यालयी शिक्षा मंत्री को सौंपी गई अध्ययन रिपोर्ट — नामांकन में कमी के कारण और समाधान के सुझाव

तिथि: 26 जून 2025

आज माननीय विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत को राजकीय एवं राजकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों में घटते नामांकन के कारणों और नामांकन बढ़ाने के सुझावों से संबंधित अध्ययन आख्या सौंपी गई। यह रिपोर्ट समग्र शिक्षा अभियान द्वारा प्रदेश के 4500 से अधिक व्यक्तियों से विभिन्न माध्यमों (गूगल फ़ॉर्म, साक्षात्कार, टेलीफोन, ईमेल आदि) से विचार प्राप्त कर तैयार की गई है।

इस रिपोर्ट का उद्देश्य उत्तराखंड के विद्यालयों में घटते नामांकन के पीछे के कारणों की वैज्ञानिक पड़ताल कर समुचित समाधान प्रस्तुत करना रहा। अध्ययन समिति का गठन माननीय मंत्री  के निर्देश पर किया गया था।

अध्ययन रिपोर्ट के निर्माण में कई महत्वपूर्ण शैक्षिक अधिकारियों एवं विशेषज्ञों का सक्रिय सहयोग प्राप्त हुआ। इस समिति का नेतृत्व महानिदेशक दीप्ति सिंह, अपर सचिव रंजना राजगुरु के निर्देशन मे कुलदीप गैरोला गैरोला, राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा, उत्तराखंड ने किया, जिन्होंने प्रमुख  के रूप में मार्गदर्शन प्रदान किया। उनके साथ समिति में प्रमेंद्र विष्ट, मुख्य शिक्षा अधिकारी, रुद्रप्रयाग,  जे.पी. काला, उप निदेशक, माध्यमिक शिक्षा, श्रीमती कमला बड़वाल, उप निदेशक, प्रारंभिक शिक्षा, डॉ. के.एन. बिजलवाण, सहायक निदेशक, SCERT उत्तराखंड , निदेशक माध्यमिक डॉ मुकुल कुमार सती आदि  शामिल रहे। इन सभी अधिकारियों ने अपने अनुभव, दृष्टिकोण और सतत सहयोग से इस अध्ययन को प्रभावी एवं उपयोगी रूप देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

रिपोर्ट में यह पाया गया कि सरकारी विद्यालयों में नामांकन कम होने के तीन प्रमुख कारण हैं:

  1. निजी विद्यालयों की तुलना में बेहतर शिक्षण गुणवत्ता का अभाव
    लगभग 59.7% प्रतिभागियों ने निजी विद्यालयों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को प्राथमिक कारण माना।

  2. प्रत्येक विषय और कक्षा के लिए शिक्षकों की उपलब्धता का अभाव
    50% से अधिक ने माना कि एक शिक्षक कई कक्षाओं को पढ़ा रहा है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होती है।

  3. अंग्रेज़ी माध्यम की प्राथमिकता
    55.2% लोगों ने अंग्रेज़ी माध्यम में शिक्षा के प्रति बढ़ती रुचि को सरकारी विद्यालयों से दूरी का कारण बताया।

साथ ही, रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि यदि सरकारी विद्यालयों में शिक्षण गुणवत्ता को निजी स्कूलों के समकक्ष लाया जाए, तो 93.5% लोग अपने बच्चों को पुनः इन विद्यालयों में भेजने के इच्छुक हैं।

प्रमुख सुझाव

  • प्रत्येक कक्षा व विषय हेतु पर्याप्त संख्या में योग्य शिक्षक उपलब्ध कराना

  • विद्यालय भवनों की अवस्थिति एवं मूलभूत सुविधाओं का उन्नयन

  • अंग्रेज़ी माध्यम की शिक्षा की वैकल्पिक व्यवस्था

  • स्थानीय समुदाय की सक्रिय भागीदारी और विश्वास बहाली

  • डिजिटल शिक्षण सामग्री और तकनीकी उपकरणों की उपलब्धता बढ़ाना

रिपोर्ट विद्यालयी शिक्षा विभाग को प्रस्तुत कर दी गई है। यह आशा की जा रही है कि इस अध्ययन के निष्कर्षों और सुझावों से शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी, जन विश्वास बहाल होगा और उत्तराखंड में नामांकन की स्थिति सुदृढ़ होगी।

इस अवसर पर सभी सदस्यों, अभिभावकों और अधिकारियों को उनके बहुमूल्य योगदान के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने विश्वास जताया कि यह रिपोर्ट प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर सिद्ध होगी।

Thursday, June 26, 2025

Strengthening Teaching Practices – A Successful State-Level Teaching Plan Initiative in Uttarakhand


In a remarkable step towards enhancing teacher training in the state, SCERT Uttarakhand, in collaboration with Sterlite EdIndia Foundation, successfully conducted Phase 1 of the State-Level Teaching Plan from 12th to 18th June 2025 across all DIETs of Uttarakhand (with the exception of DIET Champawat).

Director of Academics Bandana Garbyal gracefully appreciated the initiative. This joint initiative was thoughtfully designed to build strong lesson planning capabilities among Pre-Service Teachers (PSTs), equipping them with the necessary skills to implement student-centric and structured teaching practices in their future classrooms. Recognising that effective lesson planning is the backbone of quality education, the program aimed to standardise and elevate teaching methodologies in teacher education institutions.

Coordinated Statewide Effort

The entire program was smoothly coordinated by the D.El.Ed Department of SCERT Uttarakhand, under the guidance and leadership of three dedicated academic faculty members — Dinesh Chauhan, Arun Thapliyal, and Praveen Chandra. Their continuous support ensured the seamless implementation of the initiative across districts and maintained alignment with the objectives laid out by SCERT and Sterlite EdIndia Foundation.

Each DIET became a hub of reflective academic activity during the training week, where PSTs actively engaged in planning, peer-reviewing, and refining their lesson designs based on feedback. Sessions also emphasized classroom contextualisation, inclusivity, and the integration of NEP 2020 recommendations into everyday teaching.

The success of Phase 1 has empowered PSTs with essential planning skills and laid the foundation for future phases that will focus on classroom execution and observation. With continued collaboration between SCERT Uttarakhand and the Sterlite EdIndia Foundation, the initiative is poised to bring about a transformative shift in teacher preparation and educational quality across the state.

This initiative reflects the state’s unfailing dedication to nurturing professional competence among future educators and stands as a testimony to what focused partnerships and visionary planning can achieve in the realm of education.

SCERT Uttarakhand Reviews NAS 2024 Outcomes – A Call to Strategic Action from Director ART Uttarakhand


A crucial meeting was convened at the State Council of Educational Research and Training (SCERT), Uttarakhand, under the chairpersonship of Bandana Garbyal, Director, Academic Research and Training. The meeting was organised to critically examine and reflect upon the PARAKH Rashtriya Sarvekshan (NAS) 2024 report. Joining her were Padmendra Saklani, Additional Director;  Ajeet Bhandari and Pallavi Nain, Deputy Directors; and Dr. K. N. Bijalwan, Assistant Director. The meeting witnessed the active participation of all SCERT faculty members, field experts, and key members from the Assessment Cell.

The session began with a detailed presentation by Dr. Deepak Pratap Singh, a faculty member of the Assessment Cell, who outlined Uttarakhand’s performance in NAS 2024 across Classes 3, 6, and 9. The report revealed a concerning decline in student achievement in comparison to previous years and national averages across core subjects, such as Language, Mathematics, Science, and Social Science. Particularly worrying was the dip in foundational numeracy and literacy skills and middle-grade competency.


The following are the key highlights from the feedback and discussion:

  • Director Bandana Garbyal emphasized the need for teamwork and a visionary action plan, highlighting that the current trajectory necessitates an urgent shift in educational strategies. She stressed that technology-enabled assessment systems must be developed to ensure timely feedback and data-driven teaching interventions.

  • Deputy Director Ajeet Bhandari suggested a robust enhancement of the assessment framework and recommended the use of Vidya Samiksha Kendra (VSK) to institutionalise regular and real-time assessments in schools.

  • Pallavi Nain underscored the absence of a strong monitoring mechanism and proposed systematic school-level monitoring to ensure that learning outcomes are achieved as per the benchmarks.

  • Dr. K. N. Bijalwan offered insight into aligning assessments with NCERT’s Learning Outcomes (LOs) and stressed the importance of planning assessments that are competency-based, focused, and learner-centric.

  • Bhuwnesh Pant provided a ground-level view of the prevailing conditions in schools that are likely contributing to the declining performance, including pedagogical and infrastructural gaps.

  • Dr. Ajay Chaurasiya added that field-level monitoring by SCERT must be more regular and outcome-focused to enable effective instructional reform.

  • From the IT department, R.P. Badoni expressed complete agreement with the Director’s vision of integrating digital assessment tools, and discussions began on piloting technology-led initiatives for the same.

The meeting concluded with a clear directive: Uttarakhand must reimagine its assessment ecosystem, strengthen data analytics, provide timely teacher training, and foster inclusive, skill-integrated, and safe learning environments.

SCERT Uttarakhand will soon formulate a multi-phase action plan based on these discussions, in line with the post-survey intervention framework outlined in the NAS 2024 report, which includes:

  • Immediate training of district-level master trainers

  • Gap analysis and dissemination of findings

  • Medium-term item bank creation and planning

  • Long-term curriculum reform

This meeting was not just a review but a resolute call to action with all faculties. With focused collaboration and forward-thinking strategies, SCERT Uttarakhand is determined to uplift educational outcomes and ensure no learner is left behind.

Reference: NAS 2024 Report, SCERT Uttarakhand

Monday, June 23, 2025

शिक्षा मे स्थानीय संस्कृति पर आधारित पाठ्यपुस्तक समर्पित ऑनलाइन बैठक : "हमारी विरासत एवं विभूतियां" पुस्तक का राज्य स्तरीय प्रस्तुतीकरण


आज का दिन उत्तराखण्ड की शैक्षिक प्रगति के विशेष पलों में अंकित किया जाएगा, जब बन्दना गर्ब्याल, निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, की अध्यक्षता में तथा अपर निदेशक पदमेन्द्र सकलानी, SCERT उत्तराखण्ड के निर्देशन में, सत्र 2025–26 से संचालित होने वाली सामाजिक विज्ञान की पुस्तक “हमारी विरासत एवं विभूतियां” का राज्य स्तरीय प्रस्तुतीकरण आयोजित किया गया।

इस महत्वपूर्ण आयोजन में राज्य के समस्त मुख्य शिक्षा अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी (बेसिक एवं माध्यमिक), उप शिक्षा अधिकारी, खंड शिक्षा अधिकारी, DIET प्राचार्यगण एवं अन्य उच्च शिक्षा अधिकारीगण की गरिमामयी उपस्थिति रही। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य था – पुस्तक के विकास की यात्रा, उसके शैक्षिक महत्व, विद्यालय स्तर पर उसके प्रभावी संचालन एवं कक्षा कक्ष में उसके शिक्षण-पद्धति संबंधी पहलुओं पर विस्तृत चर्चा।

प्रस्तुतीकरण के दौरान न केवल पुस्तक के आवरण पृष्ठ की परिकल्पना को साझा किया गया, बल्कि उसमें समाहित पाठ्य-सामग्री की विविधता, भारतीय संस्कृति, परंपरा एवं विभूतियों से जुड़े संदर्भ, और छात्रों के जीवन-मूल्यों से जुड़ाव को भी उजागर किया गया। यह पुस्तक न केवल सामाजिक विज्ञान की विषयवस्तु को रोचक तरीके से प्रस्तुत करती है, बल्कि उत्तराखण्ड की गौरवशाली विरासत और विभूतियों के माध्यम से छात्रों को भारतीयता और जड़ों से जोड़ने का कार्य करती है।

प्रस्तुतीकरण के दौरान 24 मार्च 2025 को निर्गत शासनादेश के अनुसार विद्यालय स्तर पर पुस्तक के संचालन, शिक्षण अवधि निर्धारण, आकलन की मुख्य रूपरेखा, तथा अधिकारियों द्वारा अनुसरण की जाने वाली प्रक्रियाओं पर भी गहन चर्चा हुई।

निदेशक बन्दना गर्ब्याल ने सभी अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे अपने अधीनस्थ स्तर पर इस पुस्तक का विधिवत क्रियान्वयन सुनिश्चित करें, विद्यालयों में निर्धारित समयानुसार इसका संचालन हो और शासनादेश के अनुरूप अग्रेतर कार्यवाहियाँ समयबद्ध रूप से संपन्न हों। उन्होंने इस पुस्तक की महत्ता पर बल देते हुए इसे छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए एक अनूठा प्रयास बताया।

अपर निदेशक पदमेन्द्र सकलानी ने SCERT की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि यह पुस्तक बच्चों को भारतीय ज्ञान परंपरा से जोड़ने, उनमें गर्व की भावना विकसित करने, एवं स्वदेशी दृष्टिकोण को अपनाने की दिशा में एक प्रभावशाली माध्यम बनेगी।


इस पुस्तक के विकास समन्वयक श्री सुनील भट्ट एवं सह-समन्वयक श्री गोपाल सिंह घुघत्याल द्वारा प्रस्तुतीकरण के माध्यम से पुस्तक के विकास की पृष्ठभूमि, विद्यालय स्तर पर इसकी आवश्यकता, औचित्य, आकलन की पद्धति एवं कक्षा कक्ष में विषयवस्तु के प्रभावशाली अंतरण पर विस्तृत विवरण साझा किया गया।

यह आयोजन न केवल एक पुस्तक का प्रस्तुतीकरण था, बल्कि यह उत्तराखण्ड के शैक्षिक परिदृश्य में एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण की शुरुआत भी है, जहां शिक्षा के माध्यम से भावी पीढ़ी को अपनी विरासत और विभूतियों से जोड़ने का एक ठोस प्रयास किया गया है।

Saturday, June 21, 2025

A Journey Beyond Textbooks – Anisha Singh's Enriching Internship at IIT Kanpur (SEP2025@IITK)

“From the classroom to cutting-edge laboratories, Anisha Singh's story is a true inspiration for every budding scientist.”

Anisha Singh, a bright student of P.M. Shri G.I.C. Garur (Bageshwar), recently completed a prestigious one-month internship at IIT Kanpur as a participant of the Science Enrichment Program SEP2025@IITK, an initiative driven by Agastya International Foundation in collaboration with SCERT Uttarakhand and supported by the Education Department of Uttarakhand.

Research at IIT Kanpur

Arriving at IIT Kanpur on 11th May, Anisha embarked on an extraordinary learning journey from day one. Her experience was a blend of advanced lectures, hands-on experiments, lab visits, and meaningful interactions with PhD scholars and faculty members.

Under the mentorship of Prof. Nilesh Prakash Gurao, Anisha explored interdisciplinary insights in material science, with a research focus on data analytics in material science, XRD analysis, SEM techniques, and microstructure simulation.


She learned how to:
  • Predict corrosion rates in alloys

  • Analyze XRD patterns for phase identification

  • Simulate microstructure evolution under stress

  • Observe grain boundaries and crystalline defects in steel samples through SEM

  • Study crystallinity, intermetallic phases, and fine grain identification via X-Ray Diffraction (XRD)

All of Her Favorite Lectures—A Glimpse into Innovation

Anisha enthusiastically participated in sessions such as-

  • Stargazing Night at the Astronomy Club—Observing the Moon's craters and discussing dark matter, black holes, and cosmic mysteries

  • Drone Technology—UAV design, flight stabilization, and real-time mapping for disaster monitoring

  • The Universe—From Atoms to Galaxies—Learning how stars shape life and the universe

  • 3D Modelling, Electrical Engineering Labs, Anechoic Chambers, and Bio Science Labs

She also visited Frontier Alloy Steel in Kanpur Dehat and PTCIL in Lucknow, learning about real-world steel manufacturing and metallurgy.


Anisha extended her gratitude to-

  • Nitin Desai, CEO of Navam Innovation Foundation, a partner of Agastya International Foundation   

  • Director Academic Research & Training, Bandana Garbyal, for her tireless efforts in promoting science education

  • Additional Director  Padmendra Saklani, for facilitating such unique opportunities

  • Assistant Director Dr. K. N. Bijalwan, for encouraging student innovation and research

  • And most importantly, my guide and mentor Shri R. P. Badoni, who initiated and nurtured this enriching program in Uttarakhand.


Messages of Congratulations

 Bandana Garbyal, Director (Academic), expressed:
"Anisha's achievement is a symbol of Uttarakhand’s rising scientific talent. Her success at IITK makes us proud. May her curiosity always lead her to greater heights."

 Padmendra Saklani, Additional Director, added:
"This is a proud moment not only for Anisha and her school but for the entire state. She exemplifies the outcomes of innovative and inclusive science programs.”

Dr. K. N. Bijalwan, Assistant Director, said:
"Anisha’s dedication and brilliance are commendable. We wish her and her parents heartfelt congratulations for this remarkable journey at IIT Kanpur."

A Future Innovator is Born

In her words, Anisha reflected:


“I walked into IIT Kanpur with excitement, but I leave with direction, passion, and purpose. Science is not just a subject—it's a way of seeing the world. And I’m ready to conquer it.”

This journey mirrors the achievements of students like Kartikey, who last year shined at IISc Bangalore. Anisha’s story is proof that with the right guidance, rural talents can shine on the national stage.


Let her story be an inspiration for many more students from Uttarakhand. Anisha Singh, your state is proud of you! R. P. Badoni (SCERT, IT)

Friday, June 20, 2025

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 : माध्यमिक शिक्षा निदेशालय प्रांगण में एक प्रेरणादायक आयोजन

 

दिनांक: 21 जून 2025
स्थान: माध्यमिक शिक्षा निदेशक कार्यालय प्रांगण, उत्तराखंड

योग: स्वास्थ्य, समरसता और शांति की ओर एक कदम

21 जून 2025 को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर माध्यमिक शिक्षा निदेशक कार्यालय, उत्तराखंड में एक भव्य और प्रेरणादायक योग आयोजन का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। इस विशेष अवसर पर निदेशालय के समस्त अधिकारी, कर्मचारी, और विभागीय प्रमुखों ने प्रातः 6:30 बजे से 7:30 बजे तक योग और प्राणायाम के माध्यम से शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य की ओर कदम बढ़ाया।

कार्यक्रम का उद्देश्य केवल शारीरिक सौंदर्य या शक्ति नहीं, अपितु समूहिक एकता, सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह और वैश्विक शांति की कामना भी था। सभी उपस्थितजनों ने एकजुट होकर शांति पाठ के माध्यम से विश्व कल्याण की प्रार्थना की और योग के लाभों को आत्मसात करते हुए एक-दूसरे से अनुभव साझा किए।


इस भव्य आयोजन में माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती की सक्रिय भागीदारी और नेतृत्व ने प्रमुख भूमिका निभाई। उनके निर्देशन में प्रशिक्षित योग निर्देशकों द्वारा प्रतिभागियों को विभिन्न योग क्रियाओं की तकनीकें सिखाई गईं। दैनिक जीवन में योग के समावेश से किस प्रकार तनाव को कम कर स्वास्थ्य लाभ लिया जा सकता है, इस पर विस्तार से चर्चा की गई।

कार्यक्रम में कई सम्माननीय अधिकारियों की गरिमामयी उपस्थिति इस आयोजन की शोभा बनी। निदेशक, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण बंदना गर्ब्याल ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम को मार्गदर्शन प्रदान किया। "बन्दना गर्ब्याल ने सभी को शुभकामनाएँ दीं और इस विशेष दिवस पर स्वयं योगाभ्यास से दिन की शुरुआत कर एक प्रेरणादायक संदेश भी दिया कि स्वस्थ शरीर और सकारात्मक मन से ही हम बेहतर समाज की ओर अग्रसर हो सकते हैं।" एससीईआरटी के अपर निदेशक पद्मेन्द्र सकलानी , संस्कृत शिक्षा निदेशक डॉ. आनंद भारद्वाज ,डॉ. के. एन. बिजलवान, सहायक निदेशक, एससीईआरटी, आदि ने ने योग की वैज्ञानिकता और दैनिक जीवन में उसके उपयोग पर जानकारी साझा की। इसके अतिरिक्त, एससीईआरटी एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग के अन्य प्रवक्ता और अधिकारीगण भी इस अवसर पर उपस्थित रहे और कार्यक्रम की इस यात्रा मे योगनुदान किया । 


अंत में, समापन सत्र में डॉ. आनंद भारद्वाज ने उपस्थित सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को धन्यवाद ज्ञापित किया और उन्हें कार्यालय समय पर लौटने हेतु निर्देशित किया।

यह आयोजन योग की महत्ता को दर्शाता है – एक ऐसी प्राचीन परंपरा, जो आज के जीवन की जटिलताओं में सरलता, संतुलन और शांति लाने का माध्यम बन रही है।

अंतिम शांति पाठ मे "योग करें, निरोग रहें" – इस संदेश के साथ यह कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।

राष्ट्रीय फूड सेफ्टी ऑफिसर् रिफ़्रेशर प्रशिक्षण का सफल समापन: एससीईआरटी उत्तराखण्ड परिसर मे समापन समारोह

 राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी), उत्तराखण्ड के ऑडिटोरियम में आयोजित राष्ट्रीय  फूड रेफ़्रेशर ऑफिसर प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतिम दिवस पर अकादमिक निदेशक बन्दना गर्ब्याल ने गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज की।

समापन सत्र में कई विशिष्ट अतिथियों ने मंच की शोभा बढ़ाई, जिनमें शामिल थे – कमांडर शरद अग्रवाल, निदेशक, FSSAI; ताजबर सिंह, अपर आयुक्त, खाद्य एवं औषधि प्रशासन, उत्तराखंड;  गणेश चंद्र कंडवाल, उप आयुक्त (खाद्य), उत्तराखंड; इस  कार्यक्रम का संचालन डॉ. अनुराग गुप्ता, सहायक प्रबंधक, FSSAI, नई दिल्ली द्वारा किया गया।

यह पाँच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम फूड सप्लाई ऑफिसर, जिला आपूर्ति अधिकारी (DSO) एवं अन्य खाद्य प्रबंधन अधिकारियों के लिए आयोजित किया गया था, जो देश के विभिन्न राज्यों में खाद्य सुरक्षा एवं गुणवत्ता की दिशा में कार्यरत हैं। इस विशेष कार्यक्रम के लिए एससीईआरटी उत्तराखण्ड ने प्रशिक्षण स्थल (Venue) एवं गेस्ट हाउस की सुविधा राष्ट्रीय फूड अथॉरिटी को प्रदान की, जिसे प्रतिभागियों एवं आयोजकों द्वारा अत्यधिक सराहा गया। अपर राज्य परियोजना निदेशक कुलदीप गैरोला को भी प्रशिक्षण एवं कार्यक्रम अधिकारी द्वारा सम्मानित किया गया। 

कार्यक्रम के सफल संचालन में परिषद के सहायक निदेशक डॉ. के.एन. बिजल्वान की सक्रिय समन्वय की भूमिका उल्लेखनीय रही, जिससे न केवल कार्यक्रम की गुणवत्ता बनी रही, बल्कि एससीईआरटी को राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रभावशाली मंच के रूप में प्रस्तुत करने का अवसर भी मिला।

कार्यक्रम उद्घाटन 16 जून 2025 को  एससीईआरटी के अपर निदेशक पदमेन्द्र सकलानी द्वारा किया गया,  फूड सिक्योरिटी एवं गुणवत्ता सुनिश्चित करने वाले अधिकारियों ने  इस प्रशिक्षण को राष्ट्रहित में भारत सरकार का  एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

अपने संबोधन में अकादमिक निदेशक बन्दना गर्ब्याल ने खाद्य क्षेत्र में हो रहे नवाचारों एवं गुणवत्ता प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि "खाद्य सुरक्षा केवल प्रशासनिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि नागरिक चेतना और सतत प्रयास का विषय है।" उन्होंने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को भारत में खाद्य चेतना को और गहराई से समझने की दिशा में एक प्रभावशाली कदम बताया।

एससीईआरटी परिसर की उत्कृष्ट व्यवस्थाओं, तकनीकी संसाधनों और प्रशिक्षण के लिए उपयुक्त वातावरण की सभी प्रतिभागियों द्वारा सराहना की गई। परिषद द्वारा किए गए इस सहयोगात्मक आयोजन से जहां राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ एक सशक्त संबंध स्थापित हुआ, वहीं उत्तराखण्ड की शैक्षिक संस्था के रूप में एससीईआरटी की पहचान और भी व्यापक हुई।

यह कार्यक्रम न केवल एक प्रशासनिक पहल थी, बल्कि शिक्षा, जागरूकता और गुणवत्ता की दिशा में मिलकर कार्य करने का एक प्रेरणादायक उदाहरण भी बना।

समग्र शिक्षा और एससीईआरटी उत्तराखण्ड के समन्वय से गुणवत्ता शिक्षा की नई योजनाओ पर कार्य होगा आसान

 

राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी), उत्तराखण्ड और समग्र शिक्षा उत्तराखण्ड के संयुक्त तत्वावधान में शैक्षिक सत्र 2025-26 के लिए भारत सरकार द्वारा स्वीकृत योजनाओं की समीक्षा और क्रियान्वयन को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक का नेतृत्व अकादमिक निदेशक बन्दना गर्ब्याल और अपर राज्य परियोजना निदेशक कुलदीप गैरोला ने किया।

बैठक में एससीईआरटी के माध्यम से क्रियान्वयन की जानी वाली योजनाओं पर गहन चर्चा की गई। अपर परियोजना निदेशक कुलदीप गैरोला ने इस अवसर पर सभी विभागों से समयबद्ध क्रियान्वयन के लिए योजनाओं की स्पष्ट टाइमलाइन प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि हर माह की 16 तारीख को समग्र शिक्षा और एससीईआरटी के मध्य नियमित बैठक आयोजित की जाए ताकि कार्यों में तीव्रता और पारदर्शिता बनी रहे। इस प्रस्ताव को निदेशक  द्वारा सहर्ष स्वीकार किया गया।

एससीईआरटी के सहायक निदेशक डॉ. के.एन. बिजलवान ने विभिन्न योजनाओं के रोडमैप और क्रियान्वयन के चरणों को विस्तारपूर्वक समझाया, जिससे योजनाओं को धरातल पर उतारने की स्पष्ट दिशा मिल सकी। इस दौरान समग्र से उप परियोजना निदेशक अजीत भण्डारी ने भी योजनाओं की बारीकियों पर प्रकाश डाला और उनके प्रभावी क्रियान्वयन की रणनीति साझा की।

बैठक में कई योजनाओं पर सक्रिय चर्चा-परिचर्चा हुई, जिनमें से कुछ को तत्काल सहमति मिल गई। एससीईआरटी के विभिन्न विभागों ने अपने-अपने स्वीकृत प्रस्तावों पर विचार साझा किए और समन्वय से कार्य योजना को अंतिम रूप दिया गया।


अकादमिक निदेशक बन्दना गर्ब्याल ने एससीईआरटी और समग्र शिक्षा के मध्य मजबूत संवाद एवं समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया और सभी को मिलकर उत्तराखण्ड में गुणवत्ता शिक्षा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने का आह्वान किया।

यह बैठक भविष्य की योजनाओं के प्रभावी संचालन हेतु एक कारगर कदम सिद्ध होगी, जिससे उत्तराखण्ड के स्कूली शिक्षा तंत्र में ठोस सुधार की अपेक्षा की जा सकती है।