इस कार्यक्रम में महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी, निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण वंदना गर्ब्याल, अपर निदेशक एससीईआरटी अजय नौडियाल, संयुक्त निदेशक आशा रानी पैन्यूली, कंचन देवराड़ी, सहायक निदेशक कृष्णानंद बिजलवाण और कार्यक्रम समन्वयक सुनील भट्ट एवं गोपाल घुघत्याल भी रहे मौजूद ।
पुस्तकों को बाल मनोविज्ञान को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है, जहां कथावस्तु को रंगीन चित्रों और रोचक भाषा शैली द्वारा प्रस्तुत किया गया है। प्रत्येक कक्षा की पुस्तक के आवरण पृष्ठ पर उत्तराखंड की भौगोलिक विरासत को दर्शाया गया है, जिसमें कक्षा 6 के आवरण पर पंचाचुली, कक्षा 7 पर नंदा एवं त्रिशूल और कक्षा 8 पर चौखंभा चोटियां शामिल हैं। उत्तराखंड की आध्यात्मिकता का प्रतीक ओम पर्वत भी पुस्तक के आवरण पर अंकित किया गया है। पुस्तकों में उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाने के लिए प्रत्येक पृष्ठ के निचले भाग पर उत्तराखंड की संस्कृति के प्रतीक एपण को भी विकसित किया गया है।
विद्यार्थियों को वृक्षों और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए प्रत्येक पाठ के अंत में वृक्षों को भी चित्रित किया गया है। इन पुस्तकों में नवीनता और रोचक कहानियों के साथ उत्तराखंड की विरासत एवं विभूतियों पर विशेष ध्यान दिया गया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पुस्तक के अनावरण के दौरान कहा, "हम सभी को अपनी संस्कृति का दुनिया में खूब प्रचार-प्रसार करना चाहिए और समय-समय पर अपने इतिहास को उजागर करना चाहिए ताकि हम उत्तराखंड की संस्कृति पर गर्व कर सकें।"
माननीय मुख्यमंत्री ने अपने बहुत हार्दिक बधाई और शुभकामना संदेश मे कहा एससीईआरटी उत्तराखंड, देहरादून द्वारा ने 'हमारी विरासत एवं विभूतियां' पुस्तकों का लेखन और संपादन जिस तत्परता से किया गया, वह निश्चित रूप से सराहनीय है। समन्वयक श्री सुनील भट्ट और गोपाल घुघत्याल प्रशंसा के पात्र हैं। इस महत्वपूर्ण कार्य को सफलतापूर्वक अंजाम तक पहुंचाने में निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण श्रीमती वंदना गर्ब्याल, अपर निदेशक श्री अजय नौडियाल और संयुक्त निदेशक श्रीमती आशा रानी पैन्यूली का निर्देशन भी अत्यंत सराहनीय है।