एससीईआरटी (राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) उत्तराखंड ने अपने नए कैंपस और अत्याधुनिक ऑडिटोरियम में 78वां स्वतंत्रता दिवस बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया। इस महत्वपूर्ण अवसर पर अपर निदेशक आशा पैन्यूली और संयुक्त निदेशक कंचन देवराडी की गरिमामयी उपस्थिति पर्व का शुभारंभ हुआ। पूरे प्रदेश से संकाय सदस्य, कर्मचारी, अधिकारी, बाहर से आए अतिथि और शिक्षक इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए एकत्रित हुए और स्वतंत्रता दिवस का उत्सव मनाया। इस कार्यक्रम का संचालन सुनील भट्ट द्वारा किया गया, जिन्होंने अपने कुशल संचालन एवं बुलंद आवाज से कार्यक्रम को और भी यादगार बना दिया।
मंत्री जी ने यह भी उल्लेख किया कि शिक्षा विभाग ने पाठ्यक्रम निर्माण को आम जनमानस के सुझावों के लिए ओपन फोरम में रखा है, ताकि शिक्षा और इससे जुड़े अन्य अभिभावक गण अपनी राय सरकार तक पहुंचा सकें। उन्होंने सभी शिक्षकों से आग्रह किया कि वे अपने सतत कौशल विकास पर ध्यान दें और पेडागोजी में ऐसे परिवर्तन लाएं जो छात्रों के हित में हो, जिससे कक्षा का शिक्षण रोचक और प्रभावी बन सके।
शिक्षा सचिव रविनाथ रमन का संदेश
इसके पश्चात संयुक्त निदेशक कंचन देवराडी ने विद्यालय शिक्षा सचिव रविनाथ रमन का संदेश पढ़कर सुनाया। शिक्षा सचिव ने प्रदेश में गुणवत्ता शिक्षा के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की और कहा कि सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जैसे आनंदम, कौशलम, तकनीकी शिक्षा, और डिजिटल टेक्नोलॉजी से निर्मित पाठ्यक्रम। उन्होंने इन सभी प्रयासों को प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था के लिए मील का पत्थर बताया और कहा कि इन्हीं प्रयासों की बदौलत शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आ रहा है।
निदेशक माध्यमिक, शिक्षा अजय नौडियाल का संदेश
कार्यक्रम के अगले चरण में डॉ के एन बिजलवाण ने निदेशक माध्यमिक शिक्षा अजय नौडियाल का संदेश सभी संकाय सदस्यों और अधिकारियों के बीच पढ़ा। इस संदेश में निदेशक ने शिक्षकों को छात्र केंद्रित शिक्षा प्रदान करने और गुणवत्ता शिक्षा के विकास के लिए सतत प्रयासरत रहने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के साथ मिलकर काम करना जरूरी है ताकि प्रदेश में शिक्षा का स्तर और ऊंचा उठ सके।
निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण बंदना गर्ब्याल का संदेश
निदेशक, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण बंदना गर्ब्याल ने अपने संदेश में डिजिटल तकनीकी शिक्षा के महत्व और नैतिक मूल्यों के विकास पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यदि हम किसी भी कर्मचारी या अधिकारी की बातों को ध्यान से सुनते और समझते हैं, तो हम सही निर्णय लेने में सक्षम होते हैं। इसलिए, नैतिक मूल्यों का विकास अत्यंत आवश्यक है। निदेशक का संदेश वाचन एस सी ई आर टी प्रवक्ता,डॉ साधना डिमरी ने किया ।
बंदना गर्ब्याल ने एस सी ईआर टी की संपूर्ण फैकल्टी से ट्रेनिंग और कोलैबोरेशन मोड में सीखने का आह्वान किया, ताकि तकनीकी में संवर्धन कर अपने कार्यक्रमों को सुचारू रूप से नियोजित किया जा सके। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि हमें डिजिटल तकनीकी शिक्षा के द्वारा शिक्षकों और छात्रों को निरंतर अभिमुखीकरण करने की आवश्यकता है, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें और अपने कार्य स्वयं कर सकें।
अंतिम सत्र और समापन
इसके साथ ही, कार्यक्रम में कई शिक्षाविदों, अधिकारियों, और संकाय सदस्यों ने भी अपनी प्रस्तुति दी। प्रवक्ता डॉ संजीव चेतन और सुधा पैन्यूली ने देश प्रेम के गीत गाकर सभी को भाव विभोर किया । डॉ अविनाश उनियाल ने अपनी ग़ज़ल से और रविदर्शन तोपवाल ने आजादी और शिक्षा में हो रहे बदलाव पर अपने विचार व्यक्त किए। प्रवक्ता मनोज बहुगुणा ने कविता और गीत के माध्यम से सभी को प्रेरित किया। प्रवक्ता शुभ्रा सिंगल और उषा कटियार ने भी अपनी गीत एवं कविताओं से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। प्रवक्ता सोहन सिंह नेगी द्वारा उत्तराखण्ड आंदोलन के फाउन्डर मेम्बर होने से लेकर उनका आंदोलन मे रहकर प्रदेश के लिए समाज मे आरक्षण और अपने प्रदेश के लिए संपर्पण और त्याग के प्रतीक इस प्रदेश की स्वाधीनता के लिए मार मिटने वालों पर बड़े जोशीले अंदाज मे अपनी बात रखकर सबगर को अभिप्रेत किया।
कार्यक्रम का समापन अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण निदेशक के अभिभाषण से हुआ, जिसमें उन्होंने सभी शिक्षकों और छात्रों से आने वाले समय में डिज़ाइन थिंकिंग, टेक्नो मेला, साइंस फेयर, और इंस्पायर अवार्ड मानक जैसे कार्यक्रमों की तैयारी के लिए आह्वान किया। उन्होंने यह भी कहा कि नया भवन एससीईआरटी की जिम्मेदारी है, और हमें इसके रखरखाव का विशेष ध्यान रखना चाहिए ताकि भविष्य में किसी भी कार्यक्रम के संचालन में कोई व्यवधान न हो।
अंत में, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण निदेशक ने सभी अधिकारियों, संकाय सदस्यों, और उपस्थित अतिथियों को धन्यवाद दिया और कार्यक्रम की सफलता के लिए शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि हमें अपने कार्यों को ईमानदारी और समर्पण के साथ पूरा करना चाहिए, ताकि प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ और प्रभावी बनाया जा सके।