प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं की दृष्टि से उत्तराखंड एक अति संवेदनशील क्षेत्र है, जहां भूस्खलन, बादल फटना, और भूकंप जैसी आपदाओं से जन-धन की भारी क्षति होती है। इन आपदाओं के प्रति जागरूकता और निपटने की जानकारी देने के उद्देश्य से एससीईआरटी, उत्तराखंड ने कक्षा 9 के छात्रों के लिए एक विशेष पाठ्य पुस्तक तैयार करने का निर्णय लिया है। इसके लिए 5 जुलाई 2024 से अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के सभागार में पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है। इस कार्यशाला का संचालन एससीईआरटी के पाठ्यक्रम विकास और शोध विभाग द्वारा किया जा रहा है।
प्रमुख दिशानिर्देश और योगदान
कार्यशाला का नेतृत्व निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, उत्तराखंड, बंदना गर्ब्याल और निदेशक माध्यमिक शिक्षा एवं अपर निदेशक एससीईआरटी, अजय कुमार नौडियाल के निर्देशन में किया जा रहा है। इनके मार्गदर्शन में राज्य में आपदाओं के स्वरूप को ध्यान में रखते हुए पाठ्य पुस्तक का विकास किया जा रहा है।
संयुक्त निदेशक एससीईआरटी, आशा रानी पैन्यूली ने कार्यशाला के उद्घाटन पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, “वर्तमान समय में वैश्विक स्तर पर आपदा से बचाव के तरीकों पर व्यापक रूप से विचार-विमर्श किया जा रहा है। सहायक निदेशक, डॉ के एन बिजलवान ने इस पहल को व्यापक बनाने के लिए सभी लेखकों को एस महत्वपूर्ण कार्यशाला अपना योगदान देने की अपील की । इस दिशा में सर्वोच्च न्यायालय ने भी दिशा निर्देश जारी किए हैं। पाठ्य पुस्तक ऐसा माध्यम है, जिसके द्वारा बच्चे ज्ञान प्राप्त कर समाज में आपदा के प्रति जागरूकता का प्रसार कर सकते हैं।”
पाठ्य पुस्तक की रूपरेखा और सामग्री
कार्यशाला समन्वयक सोहन नेगी और सहसमन्वयक डॉ. शक्ति प्रसाद सेमल्टी ने कहा कि कक्षा 9 की पाठ्य पुस्तक में विभिन्न चयनित विषयों पर पावर पॉइंट के माध्यम से प्रस्तुति दी गई है। इसमें आपदा, आपदा प्रबंधन के घटक, इससे बचाव के तरीके, सड़क सुरक्षा, और आपदा प्रबंधन में समुदाय की भूमिका आदि को शामिल किया गया है।
विषय विशेषज्ञ डॉ. दिनेश रतूड़ी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिशों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पुस्तक की सामग्री को राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2023 में वर्णित निर्देशों के आधार पर संगठित किया जाना चाहिए। डॉ. उमेश चमोला ने कहा कि आपदा प्रबंधन के अंतर्गत प्राचीन काल से प्रचलित आपदा निवारण संबंधी उपायों को भी सम्मिलित किया जाएगा, और इसके मूल्यांकन में तार्किक चिंतन और सृजनात्मकता को महत्व दिया जाना चाहिए।
पाठ्य पुस्तक के लेखक मंडल में सुरेंद्र आर्यन, गिरीश सुंद्रियाल, डॉ. उमेश चमोला, अरुण थपलियाल, प्रदीप बहुगुणा, रविंद्र रौतेला, डॉ. राकेश गैरोला, डॉ. बुद्धि प्रसाद भट्ट, डॉ. अवनीश उनियाल, विनय थपलियाल, अखिलेश डोभाल, डॉ. दिनेश रतूड़ी, सुशील गैरोला, और रविदर्शन तोपाल शामिल हैं। चित्रांकन के लिए अवनीश सिंह, संजय रावत, और हेमलता बिष्ट का सहयोग लिया जा रहा है। प्रदीप बहुगुणा ने अपने विचार रखते हुए कहा, “पाठ की शुरुआत विविधतापूर्ण और रोचक तरीके से की जानी चाहिए, ताकि यह छात्रों को आकर्षित कर सके और उनकी जिज्ञासा को उत्तेजित कर सके।”
आने वाले कदम
इस कार्यशाला के अंतर्गत तैयार की गई सामग्री को छात्रों तक पहुंचाने के लिए एससीईआरटी द्वारा एक रोडमैप तैयार किया जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य छात्रों को आपदा प्रबंधन के बारे में जागरूक करना और उन्हें व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करना है, जिससे वे भविष्य में आपदाओं का सामना करने में सक्षम हो सकें।
इस कार्यशाला के सफल समापन के बाद, एससीईआरटी उत्तराखंड द्वारा आगामी महीनों में इस परियोजना के लिए आगे की योजनाएं बनाई जाएंगी, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि छात्र समाज के लिए एक जागरूक और जिम्मेदार नागरिक बन सकें।