भोपाल, मध्य प्रदेश के मानव संग्रहालय में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय बालरंग महोत्सव का समापन हर्षोल्लास के साथ हुआ। इस महोत्सव में देशभर के 22 राज्यों के बाल कलाकारों ने अपने-अपने राज्यों की लोक संस्कृति और परंपरा को लोकनृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया।
उत्तराखंड का गौरवपूर्ण प्रदर्शन
उत्तराखंड की टीम का नेतृत्व डॉ. शक्ति प्रसाद सेमल्टी और सोहन नेगी, प्रवक्ता, एससीईआरटी उत्तराखंड ने किया। उनके साथ कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय की 15 प्रतिभाशाली छात्राओं ने अपनी लोक संस्कृति को जीवंत किया। मार्गदर्शन में दीपमाला, ज्योति चौहान, और श्याम लाल ने भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
महोत्सव के पहले दिन उत्तराखंड टीम ने मुख्य अतिथि डॉ. संजय गोयल, सचिव, विद्यालयी शिक्षा, मध्य प्रदेश को जौनसारी टोपी भेंट कर राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का सम्मान किया। इस अवसर पर डॉ. गोयल ने कहा, “22 राज्यों की टीमों द्वारा प्रस्तुत लोकनृत्य भारत की सांस्कृतिक विविधता और एकता का अद्भुत उदाहरण है। इससे बच्चों में अपनी संस्कृति के प्रति गर्व की भावना जागृत होगी।”
उत्तराखंड को मिला विशेष सम्मान
महोत्सव में उत्तराखंड की टीम ने अपने बेहतरीन प्रदर्शन से दर्शकों और निर्णायक मंडल का दिल जीत लिया। पंजाब, मणिपुर, मध्य प्रदेश और चंडीगढ़ की टीमों के साथ उत्तराखंड को पाँच उत्कृष्ट टीमों में स्थान मिला।
निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण उत्तराखण्ड बंदना गर्ब्याल और अपर निदेशक डॉ मुकुल कुमार सती ने विजयी समूह को बधाई देते हुए प्रदेश को सम्मानित होने पर खुशी जताई है ।
लोक संस्कृति के रंगों का संगम
डॉ. शक्ति प्रसाद सेमल्टी और सोहन नेगी ने बताया, “इस महोत्सव में लोक संस्कृति के विविध रंगों को देखना एक अनोखा अनुभव था। यह बच्चों के लिए न केवल मनोरंजन, बल्कि सीखने का भी एक बेहतरीन अवसर था।”
बाल कलाकारों के लिए प्रेरणा का मंच
राष्ट्रीय बालरंग महोत्सव ने देश के भविष्य निर्माताओं को अपनी संस्कृति से जुड़ने और उसे जीवंत रखने का अवसर प्रदान किया। उत्तराखंड की टीम ने न केवल अपनी प्रस्तुति से राज्य का मान बढ़ाया, बल्कि एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना को भी सशक्त किया।
ऐसे आयोजनों से न केवल बाल कलाकारों को अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का मंच मिलता है, बल्कि देश की सांस्कृतिक धरोहर को भी संरक्षित और प्रोत्साहित किया जाता है। उत्तराखंड की टीम ने इस महोत्सव में अपनी छाप छोड़कर प्रदेश का गौरव बढ़ाया है।
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