जोश और उत्साह से भरा कार्यक्रम:
भुवनेश पंत ने "जय भारत, जय उत्तराखंड" और "वंदे मातरम" जैसे नारों के साथ कार्यक्रम का जोश बढ़ाया। इसके बाद, सुधा पैन्यूली ने एक सुमधुर देशभक्ति गीत प्रस्तुत किया, जिसमें सभी संकाय सदस्यों ने पूरे उत्साह के साथ सहभागिता की।
महत्वपूर्ण संदेशों का वाचन
कार्यक्रम के अगले चरण में, सचिव विद्यालयी शिक्षा रविनाथ रामन के शिक्षा और गुणवत्ता पर कार्य किए जाने पर दिया गया संदेश का वाचन किया गया । इसके बाद, महानिदेशक झरना कमठान और निदेशक अकादमी शोध एवं प्रशिक्षण बन्दना गर्ब्याल के संदेशों का वाचन किया गया। इन संदेशों में गुणवत्ता शिक्षा के प्रसार और इसे सुदूर क्षेत्रों तक पहुंचाने के लिए तकनीकी का अधिकतम उपयोग करने पर जोर दिया गया।
अपर निदेशक का प्रेरक संबोधन
अपर निदेशक प्रदीप रावत ने अपने संबोधन में न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व पर जोर दिया और भारतीय संविधान की प्रस्तावना हमारे देश के मूल आदर्शों का सार प्रस्तुत करती है – न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व, ये चार स्तंभ भारतीय लोकतंत्र की धुरी हैं और इनसे ही नागरिकों के मौलिक अधिकार और कर्तव्यों की परिभाषा होती है, की महत्ता पर प्रकाश डाला गया । उन्होंने शिक्षकों और छात्रों को संविधान की शक्तियों को समझने और अपने जीवन में उन्हें आत्मसात करने की प्रेरणा दी।
संवाद और विचार-विमर्श
झंडारोहण के बाद, सभी संकाय सदस्यों और अधिकारियों ने कॉन्फ्रेंस रूम में विचार-विमर्श किया। इस चर्चा का संचालन डॉ. मनोज शुक्ला ने किया। सोहन सिंह नेगी ने संविधान की ऐतिहासिक समीक्षा प्रस्तुत की, जबकि संकाय सदस्य रविदर्शन तोपवाल ने शिक्षकों और छात्रों के अधिकारों और कर्तव्यों पर अपने विचार रखे। प्रशासनिक अधिकारी बौडाई ने स्कूल मे शिक्षा निरीक्षण के बजाय प्रबंधन का विषय होना चाहिए पर जोरदार भाषण दिया जिसने सदन मे एक नया वातावरण बना दिया उनकी सोच और प्रस्तुति पर अपर निदेशक ने उन्हे अपने पास बुलाकर सम्मान दिया और अभिवादन किया।
विशेष प्रस्तुतियां
कार्यक्रम में अनुज्ञा पैन्यूली द्वारा तमिल भाषा में भगवान वेंकटेश पर प्रस्तुति दी गई, जिसे सभी ने सराहा। इसके अलावा, खंडुरी ने अपनी विशेष मधुर शैली में शिव स्तुति प्रस्तुत की। हाल ही में सिंगापुर से लौटे डॉ. दीपक प्रताप ने वहां की उन्नत शिक्षा प्रणाली और उसके प्रभावशाली पहलुओं पर अपने अनुभव साझा किए।
भविष्य की योजनाओं पर चर्चा
कार्यक्रम के अंतिम सत्र में, डॉ. सेमल्टी ने एससीईआरटी द्वारा पिछले वर्षों में किए गए कार्यों पर प्रकाश डाला और आने वाले समय में प्राथमिकता देने वाली योजनाओं पर चर्चा की। विनय थपलियाल ने नैतिक मूल्यों और संविधान के प्रति प्रतिबद्धता पर अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम का समापन
अपर निदेशक प्रदीप रावत ने कार्यक्रम के समापन पर सभी संकाय सदस्यों को धन्यवाद दिया और उनसे अपने कर्तव्यों के प्रति निष्ठावान रहने की अपील की। उन्होंने कहा कि एससीईआरटी को शिक्षा के क्षेत्र में एक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में स्थापित करने के लिए सभी को अपने कार्यों में पूर्ण समर्पण दिखाना होगा।
यह समारोह न केवल गणतंत्र दिवस की महत्ता को रेखांकित करता है, बल्कि शिक्षकों और छात्रों को उनके कर्तव्यों के प्रति प्रेरित करता है। एससीईआरटी उत्तराखंड का यह प्रयास शिक्षा के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।