कार्यक्रम का उद्देश्य और महत्व
इस कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों में सकारात्मक मानसिकता, भावनात्मक स्थिरता और आत्म-अनुभूति का विकास करना है। कार्यक्रम का दार्शनिक आधार दिल्ली में चल रहे हैप्पीनेस करिकुलम से प्रेरित है, जिसमें बच्चों को शैक्षिक ज्ञान के साथ-साथ आत्मचिंतन, सहानुभूति और सामाजिक कौशल विकसित करने का अवसर मिलता है। इस प्रोग्राम के लिए प्रवक्ता सुधा पैन्यूली ने मंच संचालन किया ।
मुख्य सत्र और गतिविधियां
कार्यक्रम की शुरुआत में SCERT के अपर निदेशक प्रदीप कुमार रावत ने आनंदम कार्यक्रम के उद्देश्यों, इसके दार्शनिक पहलुओं और इसके शिक्षण प्रक्रिया में महत्व को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम छात्रों में सकारात्मक दृष्टिकोण, आत्मबोध और सामाजिक मूल्यों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
इस मौके पर विशेषज्ञ के रूप मे आनंद बी सिंह फाउंडेशन फॉर वैदिक साइंस एंड टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली के निदेशक द्वारा प्रतिभाग किया गया । यह फाउंडेशन महर्षि वैदिक विश्वविद्यालय, हॉलैंड के कार्यक्रमों का संचालन करता है। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से विभिन्न विषयों में स्नातकोत्तर (मास्टर डिग्री) प्राप्त की है। आनंद को सिद्धि ध्यान (ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन) के अभ्यास, शिक्षण और प्रशिक्षण में गहरा अनुभव है। इस अनुभव को प्राप्त करने के लिए उन्होंने कई वर्षों तक उत्तरकाशी, हिमालय में साधना की है। वर्तमान में वे स्कूलों, विश्वविद्यालयों, अनाथालयों और सैन्य एवं अर्धसैन्य बलों के समूहों में इस ध्यान तकनीक का प्रशिक्षण दे रहे हैं।
आनंदम कार्यक्रम की प्रमुख गतिविधियां
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ध्यान देने की प्रक्रिया:
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विद्यार्थियों को ध्यान एवं आत्मचिंतन के अभ्यास कराए गए, जिससे वे अपने विचारों, भावनाओं और संवेदनाओं के प्रति सजग हो सके।
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यह प्रक्रिया विद्यार्थियों को भावनात्मक रूप से स्थिर, तनावमुक्त और शैक्षिक रूप से अधिक सक्षम बनने में मदद करती है।
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कहानी सत्र:
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आनंदम कार्यक्रम की कहानियां बच्चों के वास्तविक जीवन अनुभवों और मानवीय मूल्यों पर आधारित होती हैं।
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इन कहानियों के माध्यम से विद्यार्थियों में सामाजिक, तार्किक और सृजनात्मक कौशल का विकास किया जाता है।
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गतिविधि सत्र:
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विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से विद्यार्थियों को मनोरंजन के साथ-साथ नैतिक शिक्षा दी गई।
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इन गतिविधियों के जरिए उन्हें समाज, परिवार और प्रकृति में अपनी भूमिका को समझने में सहायता मिली।
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अभिव्यक्ति सत्र:
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विद्यार्थियों को अपने भावनाओं, विचारों और अनुभवों को साझा करने का अवसर दिया गया।
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इस सत्र के माध्यम से वे अपने अंतर्मन के भावों को व्यक्त करने में सक्षम हुए, जिससे आत्मविश्वास और अभिव्यक्ति कौशल का विकास हुआ।
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कार्यक्रम का संचालन और प्रतिभागिता
निष्कर्ष
यह अभिमुखीकरण कार्यक्रम शिक्षकों और अधिकारियों को आनंदम कार्यक्रम की अवधारणा और क्रियान्वयन के लिए तैयार करने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। इस पहल के माध्यम से उत्तराखंड के विद्यालयों में सकारात्मक शिक्षा और नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देने की दिशा में सार्थक प्रयास किया जा रहा है।