Monday, March 24, 2025

SCERT प्रशिक्षण 2025-26: फाउंडेशन ऑफ़ आईसीटी इन एजुकेशन और दीक्षा पोर्टल (18 मार्च 2025)

उत्तराखंड एनसीईआरटी के ट्रेनिंग हॉल में 18 मार्च 2025 को SCERT द्वारा आयोजित 'फाउंडेशन ऑफ़ आईसीटी इन एजुकेशन और दीक्षा पोर्टल' प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में राज्यभर के शिक्षक प्रतिभागी बने, जिनका उद्देश्य शिक्षण में आईसीटी (सूचना और संचार प्रौद्योगिकी) और दीक्षा पोर्टल का प्रभावी उपयोग सीखना था।

प्रशिक्षण का उद्घाटन और मुख्य अतिथि: कार्यक्रम का उद्घाटन अपर निदेशक प्रदीप कुमार रावत द्वारा किया गया। उन्होंने अपने संबोधन में शिक्षकों को तकनीकी सशक्तिकरण की आवश्यकता पर बल दिया और बताया कि दीक्षा पोर्टल जैसे प्लेटफॉर्म के माध्यम से शिक्षक डिजिटल कंटेंट का निर्माण और साझा करने में सक्षम हो सकते हैं। इस अवसर पर आईटीडीए के संजीवन सोता, शिल्पी नेगी, आईटी विभाग के रमेश बडोनी और एसपी वर्मा विशेष रूप से उपस्थित रहे।

प्रशिक्षण सत्र की प्रमुख झलकियां:

  1. आईसीटी की भूमिका: शिक्षकों को आईसीटी के शैक्षिक उपयोग, ऑनलाइन संसाधनों, और शिक्षण को अधिक आकर्षक बनाने के तरीकों पर प्रशिक्षण दिया गया।

  2. दीक्षा पोर्टल का परिचय: दीक्षा पोर्टल के उपयोग, लॉगिन प्रक्रिया, कंटेंट अपलोडिंग, ई-बुक्स, वीडियो, और क्विज निर्माण के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।

  3. प्रैक्टिकल अभ्यास: प्रतिभागियों ने लैब में हैंड्स-ऑन अभ्यास किया, जिसमें उन्होंने गूगल फॉर्म, क्विज़, ईमेल और गूगल स्लाइड्स का निर्माण कर उसका प्रभावी उपयोग सीखा।

  4. साइबर सुरक्षा: साइबर सुरक्षा से जुड़ी आवश्यक जानकारियां दी गईं, जैसे मजबूत पासवर्ड प्रबंधन, डेटा गोपनीयता और ऑनलाइन सुरक्षा के उपाय।

प्रतिभागियों के अनुभव: प्रशिक्षण के अंत में प्रतिभागियों को फीडबैक देने का अवसर मिला। मनोज सिंह ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि यह प्रशिक्षण उनके लिए अत्यंत उपयोगी रहा, जिससे वे अपने स्कूल में छात्रों के लिए अधिक प्रभावी डिजिटल कंटेंट तैयार कर सकेंगे। भावना भंडारी ने कहा कि उन्होंने पहली बार दीक्षा पोर्टल का व्यावहारिक उपयोग सीखा, जिससे उनकी तकनीकी दक्षता में वृद्धि हुई।

समापन समारोह में सहायक निदेशक ने सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए और उन्हें भविष्य में भी डिजिटल तकनीक का उपयोग अपने शिक्षण में शामिल करने के लिए प्रेरित किया। प्रतिभागियों ने इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम को भविष्य में भी जारी रखने का आग्रह किया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस तरह की तकनीकी प्रशिक्षण कार्यशालाएं शिक्षकों को नवीन डिजिटल तकनीकों से अवगत कराते हुए उनकी शिक्षण गुणवत्ता को और अधिक सशक्त बनाएंगी।

यह प्रशिक्षण कार्यक्रम उत्तराखंड के शिक्षकों के लिए डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास साबित हुआ।