राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 तथा राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा – माध्यमिक स्तर 2023 की अनुशंसाओं के अनुरूप, मध्य स्तर (कक्षा 6 से 8) पर व्यावसायिक शिक्षा को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से एनसीईआरटी, नई दिल्ली द्वारा “कौशल बोध” नामक गतिविधि पुस्तिकाओं का विकास किया गया है।
इसी क्रम में, हमारे राज्य में इस शैक्षिक सत्र से कक्षा-6 में “कौशल बोध” पुस्तिका का संचालन प्रारम्भ किया जा चुका है। इस विषय के अंतर्गत यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि –
- कक्षा-वार शिक्षण की प्रक्रिया कैसे संचालित होगी,
- शिक्षक की भूमिका क्या होगी,
- आकलन एवं मूल्यांकन किस प्रकार किया जाएगा,
- प्रोजेक्ट कार्यों का निर्माण किस ढंग से होगा,
- और बच्चों में 21वीं सदी के कौशल व उद्यमशील मानसिकता को मिडिल स्टेज से ही किस रूप में विकसित किया जाएगा।
इन सभी बिंदुओं पर शिक्षकों का अभिमुखीकरण आवश्यक है।
ऑनलाइन बैठक का आयोजन
दिनांक 06 सितम्बर 2025 को बंदना गर्ब्याल निदेशक, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण की अध्यक्षता में एक ऑनलाइन बैठक आयोजित की गई। इसमें –
- समस्त जनपदीय अधिकारी,
- जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (DIET) के प्राचार्य,
- तथा संस्थान के संकाय सदस्य उपस्थित रहे।
बैठक में “कौशल बोध” विषय के संचालन की रूपरेखा पर विस्तार से चर्चा की गई।
अभिमुखीकरण कार्यक्रम
जनपद स्तर पर जिन विद्यालयों में वर्चुअल कक्षाएं संचालित हो रही हैं, उन विद्यालयों के प्रधानाचार्य/प्रधानाध्यापक तथा कक्षा 6, 7 एवं 8 में “कौशल बोध” विषय पढ़ाने वाले शिक्षकों को अभिमुखीकरण प्रदान किया गया।
-
बैठक की शुरुआत सहायक निदेशक डॉ. कृष्णानंद बिजल्वाण ने की। उन्होंने व्यावसायिक शिक्षा के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।
-
इसके पश्चात् अभिमुखीकरण सत्र में डॉ. राकेश गैरोला (प्रवक्ता) तथा गोपाल सिंह घुघत्याल (प्रवक्ता) भी उपस्थित रहे और अपने विचार साझा किए।
‘कौशल बोध’ पुस्तिका का अवलोकन एवं संचालन
- पुस्तिका का उद्देश्य
- प्रमुख विशेषताएँ
- कार्य के तीन रूप
- परियोजना आधारित दृष्टिकोण
- प्रोजेक्ट का फोकस
- विषय शिक्षण एवं मूल्यांकन
- शिक्षकों और प्रधानाचार्यों की
भूमिका
- व्यावसायिक शिक्षा के लिए एक संरचित
दृष्टिकोण प्रदान करना।
- व्यावहारिक कौशल, आलोचनात्मक सोच और समस्या-समाधान
क्षमताओं का विकास।
- छात्रों को “करके सीखने” (Learning by Doing) की प्रक्रिया से जोड़ना।
- कक्षा 6, 7 और 8 के लिए अलग-अलग गतिविधि पुस्तिकाएं।
- NEP-2020 और NCF-SE 2023 के सिद्धांतों पर आधारित।
- पाठ्यचर्या लक्ष्यों और दक्षताओं का
अनुपालन।
- सीखने के परिणामों के आधार पर प्राथमिक से
माध्यमिक स्तर तक सहज संक्रमण।
- जीवन रूपों के साथ काम – पौधों और जानवरों के साथ (जैसे
स्कूल गार्डन)।
- मशीनों और सामग्रियों के साथ काम – उपकरण/मशीनें, कागज, लकड़ी, मिट्टी।
- मानव सेवाओं में काम – सामाजिक सेवा और समुदाय की मदद।
- कुल 9 परियोजनाएँ (प्रति कक्षा 3), जो सभी कार्यरूपों को कवर करती हैं।
उदाहरणात्मक
परियोजनाएँ:
- स्कूल किचन गार्डन
- जैव विविधता रजिस्टर
- निर्माता कौशल
- एनीमेशन और खेल
- स्कूल संग्रहालय
- बिना आग के खाना पकाना
- परियोजनाओं में भारतीय ज्ञान
प्रणालियाँ, मूल्य, विरासत और लैंगिक संवेदनशीलता का
समावेश।
- प्रामाणिक कार्य अनुभव, उपकरणों का सुरक्षित उपयोग।
- कार्य को छोटे-छोटे चरणों में
बाँटकर पूरा करना।
- विद्यालय गतिविधियों को वास्तविक
जीवन से जोड़ना।
- गुणवत्ता और परिणाम पर ध्यान।
- समूहों में सहयोगात्मक कार्य और
व्यक्तिगत भागीदारी।
- ‘कौशल बोध’ पूर्ण रूप से गतिविधि आधारित विषय
है।
- शिक्षक सुगमकर्ता के रूप में कार्य करेंगे।
- संसाधन व्यक्ति (किसान, कारीगर, विशेषज्ञ) से जुड़ाव।
- परियोजनाओं का मूल्यांकन सतत् रूप
से किया जाएगा।
मूल्यांकन
- छात्रों को प्रेरित करना, नए प्रयोगों और स्वतंत्र चिंतन की
ओर बढ़ाना।
- समावेशी भागीदारी सुनिश्चित करना
(दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए विशेष अनुकूलन)।
- रूब्रिक और चेकलिस्ट के माध्यम से
मूल्यांकन।
- पुस्तिका को तीन प्रमुख कार्यरूपों पर आधारित किया गया है:
- – 80% व्यावहारिक, 20% सैद्धांतिक।
- लिखित परीक्षा – 10% मौखिक प्रस्तुति – 30% गतिविधि पुस्तिका – 30% पोर्टफोलियो – 10% अवलोकन – 20%
शिक्षक मार्गदर्शक और संरक्षक के रूप में।
पदमेन्द्र सकलानी अपर निदेशक ने कहा कि “कौशल बोध” पुस्तिका का संचालन, मध्य स्तर पर व्यावसायिक शिक्षा के समेकन
की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। यह न केवल विद्यार्थियों को व्यावहारिक ज्ञान
प्रदान करेगी बल्कि उन्हें 21वीं सदी के कौशल, नवाचार और उद्यमशीलता के लिए तैयार करेगी।