Thursday, February 15, 2024

विद्यालयी शिक्षा, उत्तराखण्ड के लिए Logo डिजाइन के लिए एस सी ई आर टी ने ऑनलाइन मांगे आवेदन




निदेशक अकादमिक शोध एवं मूल्यांकन , बंदना गर्ब्याल ने की पहल  पर सभी LOGO निर्माताओं के लिए प्रतिभा और कौशल प्रदर्शन का मौका -

अपर निदेशक, अजय नौडियाल एस सी ई आर टी ने जारी किए आदेश : राज्य स्तर के छात्र – छात्राओं, शिक्षकों, और अभिभावकों के लिए दिया अवसर 

LOGO आवेदन आधरपत्रक 

परिचय:

उतराखण्ड सरकार, राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता संवर्धन के लिए प्रतिबद्ध है। उतराखण्ड निर्माण के लगभग 23 वर्ष हो चुके हैं जबकि आज भी विद्यालयी शिक्षा, उतराखण्ड का कोई ऑफिसियल Logo लोगो नहीं है। इसलिए आज के डिजिटल युग में ऑनलाइन माध्यम से रचनात्मकता और सामुदायिक जुड़ाव को बढ़ावा देने के लिए, एस सी आर टी, उतराखण्ड, स्कूल शिक्षा विभाग के लिए एक ऑनलाइन Logo डिजाइन प्रतियोगिता आयोजित करने का प्रस्ताव करते हैं। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य छात्रों, कलाकारों और डिजाइन के प्रति उत्साही लोगों को एक नया लोगों बनाने में शामिल्र करना है जो डिजिटल युग में उतराखण्ड की स्कूली शिक्षा प्रणाली के सार और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करेगा और विद्यालयी शिक्षा, उतराखण्ड सरकार को एक आकर्षक Logo डिजाइन भी प्राप्त होगा ।

उद्देश्य:

यह Logo डिज़ाइन प्रतियोगिता विद्यालयी शिक्षा प्रणाली के विकास में योगदान देने का एक अनूठा अवसर प्रदान करने का अवसर देगी। यह प्रतियोगिता रचनात्मकता और समावेशिता को बढ़ावा देते हुए स्वामित्व और भागीदारी की भावना को बढ़ावा देता है। हम उत्कृष्ट प्रस्तुतियाँ प्राप्त करने के लिए उत्सुक हैं जो डिजिटल युग में उत्तराखण्ड विद्यालयी शिक्षा प्रणाली के सार का प्रतिनिधित्व करेंगे।

इस Logo डिज़ाइन प्रतियोगिता के प्राथमिक उद्देश्य इस प्रकार हैं:

1.     रचनात्मकता को बढ़ावा: उतराखण्ड में छात्रों,शिक्षकों और कलाकारों की रचनात्मक अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित करना।

2.     समावेशिता को बढ़ावा देना: हमारे राज्य के विविध दृष्टिकोणों का प्रतिनिधित्व करने के लिए व्यापक स्तर के लोगों की भागीदारी को आमंत्रित करना

3.     आधुनिक शिक्षा का प्रतीक: एक आधुनिक, गतिशील और यादगार प्रतीक बनाकर जो ऑनलाइन शिक्षा के लिए उतराखण्ड सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाएगा।

4.     सामुदायिक जुड़ाव को मजबूत करना: राज्य की शिक्षा प्रणाली से जुड़े होने की भावना को बढ़ाते हुए, शैक्षिक पहल के विकास मे नागरिकों को शामिल करना।

आवेदन कैसे करें:

·       प्रतियोगिता राज्य स्तर के छात्र – छात्राओं, शिक्षकों, कलाकारों और डिज़ाइनर के लिए ओपन होगी

·       आवेदक अपने Logo डिज़ाइन, आधिकारिक प्रतियोगिता वेबसाइट या निर्दिष्ट मंच के माध्यम से ऑनलाइन जमा कर सकते हैं। 

·       प्रत्येक आवेदक केवल एक प्रविष्टि जमा कर सकता है।

·       अनलाइन फॉर्म के फ़ाइल प्रारूप और सबमिशन दिशानिर्देश ईमेल: logorpb@gmail.com  के माध्यम से जमा होंगे।

नियम और शर्तें:

·       प्रस्तुत Logo का डिज़ाइन मौलिक होना चाहिए और किसी भी कॉपीराइट उल्लंघन से मुक्त होना चाहिए।

·       Logo डिज़ाइन के साथ Logo की अवधारणा का संक्षिप्त विवरण होना चाहिए।

·       अपना डिज़ाइन प्रस्तुत करके, प्रतिभागी विद्यालयी शिक्षा को आधिकारिक उद्देश्यों के लिए Logo का उपयोग करने, संशोधित करने या पुन: पेश करने का स्वामित्व और अधिकार देंगे ।

·       किसी भी आपत्तिजनक या अनुचित सामग्री को अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा।

Logo डिज़ाइन बनाने के लिए प्लेटफ़ॉर्म का नाम: Logo डिजाइन सबमिशन के लिए प्रतियोगिता मंच का नाम "उत्तराखण्ड विद्यालयी शिक्षा लोगो आर्ट" होगा।

Logo डिज़ाइन चयन शर्तें:

जूरी का एक पैनल निम्नलिखित मानदंडों के आधार पर Logo डिजाइन प्रस्तुतियों का मूल्यांकन करेगा:

·       मौलिकता और रचनात्मकता.

·       ऑनलाइन शिक्षा और उत्तराखण्ड विद्यालयी शिक्षा की प्रासंगिकता।

·       सौन्दर्यपरक अपील और दृश्य प्रभाव।

·       विभिन्‍न प्रारुपों और आकारों में स्पष्टता और अनुकूलनता।

विजेता चयन:

जूरी पैनल में डिज़ाइन मैकिंग एक्सपर्ट , आई टी विशेषज्ञ, शिक्षा अधिकारी आदि शामिल्र होंगे। उनका निर्णय अंतिम होगा और किसी भी अपील पर विचार नहीं किया जाएगा।

पुरस्कार:

विजेता Logo डिज़ाइन को आधिकारिक तौर पर उत्तराखण्ड विद्यालयी शिक्षा विभाग के Logo के रूप में अपनाते हुए पुरस्कृत जाएगा।

प्रविष्टियाँ जमा करने की तिथि:

यह प्रतियोगिता 25 फरवरी से 31 मार्च 2024 तक, प्रविष्टियों को जमा करने के लिए खुली रहेगी। विजेताओं की घोषणा 10 अप्रैल 2024 तक की जा सकती है ।

Logo डिजाइन प्रतियोगिता विवरण:

Logo का आकार:

डिजिटल और प्रिंट दोनों ही प्लेटफार्मों पर अनुकूलनशीलता सुनिश्चित करने के लिए Logo के आयाम सबमिशन निम्नलिखित आकार दिशानिर्देशों का पालन करेंगे :

·       न्यूनतम रिज़ॉल्यूशन: 300 डीपीआई

·       न्यूनतम आयाम: 3200x5200 पिक्सेल

·       फ़ाइल प्रारूप: उच्च-रिज़ॉल्यूशन वेक्टर प्रारूप (एसवीजी, एआई, ईपीएस) और एक उच्च-रिज़ॉल्यूशन, रेखापुंज प्रारूप (पीएनजी या जेपीईजी)

इसके अतिरिक्त वैक्टर प्रारूप प्रदान करके, हमारा लक्ष्य डिजिटल अनुप्रयोगों से लेकर बड़े पैमाने पर प्रिंट सामग्री तक विभिन्‍न मीडिया में उपयोग के लिए विजेता Logo की स्केलेबिलिटी सुनिश्चित करना है।

लोगो बनाने का प्लेटफॉर्म :

प्रतिभागियों को अपने Logo को प्रभावी ढंग से बनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए, हम Adobe Illustrator, Coral DRAW या अन्य लोकप्रिय और उपयोगकर्ता-अनुकूल डिज़ाइन टूल या (CANVA जैसे मुफ़्त ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म) का उपयोग करने की सलाह देते हैं। इसके अलावा, प्रतिभागी किसी भी अन्य डिज़ाइन सॉफ़्टवेयर या टूल का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र हैं जिनके साथ वे सहज हैं। हालाँकि, सबमिशन दिशानिर्देशों और उच्च-रिज़ॉल्यूशन प्रारूपों की आवश्यकता पर जोर देना महत्वपूर्ण होगा।

प्रतिभागी अपनी प्रविष्टियाँ अपलोड करने और सबमिट करने के लिए " उत्तराखण्ड विद्यालयी शिक्षा Logo आर्ट" प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन वास्तविक Logo डिज़ाइन प्रक्रिया उनकी पसंद के प्लेटफ़ॉर्म पर भी हो सकती है।

कॉपीराइट के संबंध मे :

सभी प्रतिभागियों को मूल डिज़ाइन प्रस्तुत करना आवश्यक है, और किसी भी प्रकार की साहित्यिक नकल या कॉपीराइट का उल्लंघन वर्जित है। प्रतिभागी अपनी प्रविष्टियाँ जमा करके, स्वयं के डिज़ाइन और उसके सभी तत्व स्वनिर्मित हैं जो किसी तीसरे पक्ष के अधिकारों का उल्लंघन नहीं करते हैं की पुष्टि करने के लिए घोषणा पत्र भी देंगे। उत्तराखंड सरकार कॉपीराइट या बौद्धिक संपदा उल्लंघन के बारे में संशय पैदा करने वाले किसी भी डिज़ाइन को अयोग्य घोषित करने का अधिकार सुरक्षित रखती है। 

स्वामित्व और उपयोग अधिकार:

प्रस्तुत किए गए सभी Logo डिज़ाइन उत्तराखंड सरकार की संपत्ति होंगे । विजेता प्रतिभागी सरकार को आधिकारिक उददेश्यों के लिए Logo का उपयोग करने, संशोधित करने और पुन: पेश करने के लिए एक  परिवर्तनशील , रॉयल्टी-मुक्त लाइसेंस प्रदान करेंगे। इसमें Logo का डिजिटल प्रिंट और 3D प्रिन्ट, प्रचार - प्रसार, आधिकारिक दस्तावेज़ उपयोग शामिल है।

पारदर्शिता और संवाद:

प्रतिभागियों के साथ पारदर्शिता और स्वतंत्र रूप से संवाद बनाए रखने के लिए, आधिकारिक विभागीय वेबसाईट https://scert.uk.gov.in/ या ईमेल के माध्यम से नियमित अपडेट और सूचनाएं प्रदान की जाएंगी। इसमें महत्वपूर्ण तिथियों की घोषणा, चयन प्रक्रिया पर अपडेट और जूरी पैनल के बारे में जानकारी शामिल होगी।

प्रतियोगिता के संबंध में किसी भी जानकारी पर स्पष्टीकरण और सहायता के लिए प्रतिभागी आई टी विभाग एस सी आर टी उत्तराखण्ड की निर्दिष्ट टीम से भी संपर्क कर सकते हैं।

ई मेल- logorpb@gmail.com

मोबाईल नंबर: 7906411210 / 9411511768

*सामान्य नियम और शर्तें

       प्रतियोगिता की मेजबानी एस सी आर टी और विद्यालयी शिक्षा उत्तराखंड के सहयोग से आयोजित की जाएगी।

       प्रस्तुत Logo डिज़ाइन मूल होना चाहिए, भारतीय कॉपीराइट अधिनियम, 1957 के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं करना चाहिए और किसी तीसरे पक्ष के बौद्धिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करना चाहिए।

       Logo डिजाइन द्विभाषी (हिन्दी और अंग्रेजी) होना चाहिए।

       प्रतिभागी विभागीय वेबसाईट पर आनलाइन फॉर्म पर पंजीकरण करके प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं।        https://scert.uk.gov.in/ 

       एक प्रवेशकर्ता को केवल एक ही प्रविष्टि जमा करनी होगी।

       प्रतिभागी प्रोफाइल मे नाम, ई-मेल आईडी, फोटो और मोबाइल नंबर जैसे विवरण स्पष्ट भरेंगे। अपूर्ण प्रोफ़ाइल वाली प्रविष्टियों पर विचार नहीं किया जाएगा।

·        Logo एक बार प्रतियोगिता के लिए प्रस्तुत करने के बाद, कॉपीराइट पूरी तरह से शिक्षा विभाग उत्तराखण्ड का होगा ।

       प्रविष्टि पहले किसी प्रिंट या डिजिटल मीडिया में प्रकाशित नहीं होनी चाहिए।

       प्रविष्टि में कोई भी आपत्तिजनक या अनुचित सामग्री नहीं होनी चाहिए।

       विजेताओं की घोषणा ईमेल से प्रेषित या  https://scert.uk.gov.in/ पर पब्लिश की जाएगी।

       विजेताओं के रूप में चयनित नहीं की गई प्रविष्टियों के प्रतिभागियों को कोई सूचना नहीं दी जाएगी।

       उत्तराखण्ड शिक्षा विभाग के पास किसी भी प्रविष्टि को अस्वीकार करने का अधिकार सुरक्षित है, जो उसे उपयुक्त या उपयुक्त नहीं लगती या जो ऊपर सूचीबद्ध किसी भी शर्त के अनुरूप नहीं है।

       सभी विवाद/कानूनी शिकायतें केवल उत्तराखंड के क्षेत्राधिकार के अधीन हैं। इस प्रयोजन के लिए किया गया व्यय प्रतिभागी द्वारा स्वयं वहन किया जाएगा।

       उत्तराखण्ड शिक्षा विभाग के पास प्रतियोगिता और/या नियम और शर्तों/तकनीकी पैरामीटर/मूल्यांकन मानदंड के सभी या किसी हिस्से को रद्द करने या संशोधित करने और किसी भी समय गतिविधि को वापस लेने का अधिकार सुरक्षित है। नियम और शर्तों/तकनीकी मापदंडों/मूल्यांकन मानदंड में कोई भी बदलाव, या प्रतियोगिता को रद्द करना, https://scert.uk.gov.in/ पर अपडेट/पोस्ट किया जाएगा।

       प्रतियोगिता में भाग लेने वाले किसी भी प्रतिभागी को हुई किसी भी प्रकार की क्षति, हानि या चोट के लिए कोई ज़िम्मेदारी स्वीकार नहीं करते हैं, जिसमें किसी भी प्रतिभागी के पुरस्कार जीतने या न जीतने का परिणाम भी शामिल है।

       विजेता को Logo डिज़ाइन की मूल प्रति ओपन-सोर्स फ़ाइल मे देना आवश्यक होगा।

       प्राप्त सभी प्रविष्टियों का प्रारंभिक मूल्यांकन के लिए स्क्रीनिंग समिति द्वारा किया जाएगा। स्क्रीनिंग के बाद, सभी अनुमोदित प्रविष्टियों का अंतिम मूल्यांकन के लिए चयन जूरी समिति द्वारा किया जाएगा।

      प्रविष्टियों का मूल्यांकन रचनात्मकता, मौलिकता, रचना, तकनीकी उत्कृष्टता, सरलता, कलात्मक योग्यता और दृश्य प्रभाव के तत्वों और शिक्षा के विषय को कितनी अच्छी तरह से संप्रेषित किया गया है, के आधार पर किया जाएगा। चयन समिति का निर्णय अंतिम और सभी प्रतियोगियों के लिए बाध्यकारी होगा और किसी भी प्रतिभागी या चयन समिति के किसी भी निर्णय पर कोई स्पष्टीकरण जारी नहीं किया जाएगा।

 

आवेदन के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- https://forms.gle/hTFxKjDcdCJaqFsx9

स्कैन QR Code                                     






Tuesday, February 13, 2024

एस सी ई आर टी, उत्तराखंड शिक्षा विभाग, ने शिक्षकों के कौशल संवर्धन के लिए शुरू करेगा MOOCs प्रोग्राम

 


एस सी ई आर टी, उत्तराखंड ने अपने शिक्षकों के कौशलों को बढ़ाने और उन्हें नवाचारी शिक्षा तकनीकों के साथ अवगत कराने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए, MOOCs (मासिव ऑनलाइन ओपन कोर्स) कार्यक्रम शुरू करने जा रहा है।



इस प्रोग्राम का मुख्य उद्देश्य है कक्षा शिक्षण में आईसीटी टूल्स के अनुप्रयोग को बढ़ावा देना। इसके माध्यम सेशिक्षक नवीनतम तकनीकी उपकरणों और सूचना-संचार प्रौद्योगिकियों का उपयोग कैसे कर सकते हैंउसकी प्राथमिकता देने के लिए प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे।

मूक्स कार्यशाला के शुभारंभ पर उत्तराखंड की अकादमिक,शोध  एवं प्रशिक्षण निदेशक ,बंदना गर्ब्याल ने कहा यह राज्य के लिए पहला मौका होगा जब आनलाइन कोर्स विकास मे विशेष योग्यता रखने  शिक्षक और संदर्भदाता राज्य के शिक्षकों के लिए एक शॉर्ट टर्म कोर्स विकसित कर रहे हैं तो अपेक्षा होगी की उच्च गुणवत्ता युक्त मूक्स तैयार हो। 


संयुक्त निदेशक कंचन देवराडी ने अपने सुझाव मे कहा कि प्रथम चरण मे यह कोर्स उन शिक्षकों तक अपनी पहुँच बनाएगा जो किसी कारण से तकनीकी युक्त पाठ्य सामग्री कक्षा शिक्षण मे विकसित नहीं कर पाते हैं। कार्यशाला के प्रथम सत्र पर अपर निदेशक अजय नौडियाल ने  मूक्स कार्यशाला के संचालन का निरीक्षण करते हुए अपने सुझाव मे कहा कि लक्ष्य पर कार्ययोजनाए पूर्ण करना सभी का उद्देश्य होना चाहिए । 

 

इस पाठ्यक्रम में शिक्षकों को आईसीटी टूल्स जैसे कि डिजिटल बोर्डऑडियो-वीडियो संवाद उपकरणवेब कॉन्फ्रेंसिंग उपकरणऑनलाइन शिक्षा प्लेटफ़ॉर्मइंटरनेट संसाधनों का प्रभावी उपयोग सिखाया जाएगा।


इस पाठ्यक्रम को संचालित करने के लिए शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालयों और आई सी टी दक्ष विशेषज्ञों को भी शामिल किया हैंजो इस क्षेत्र में विशेषज्ञता रखते हैं। 

कोर्स विकास के लिए डॉ अजय सेमल्टी, प्रो केन्द्रीय विश्वविद्यालय एच एन बी श्रीनगर, एसो प्रो इस्तेयाक अहमद , उत्तरांचल विश्वविद्यालय और एस प्रो आशीष रतूड़ी,डॉल्फिन इंस्टिट्यूट सहयोग दे रहे हैं। 

इसके अतिरिक्त तकनीकी और पोर्टल स्पेस सी आई ई टी -एन सी आर टी न्यू देहली से प्रो डॉ अमरेन्द्र बेहरा ,जॉइन्ट डायरेक्टर ने स्वीकृति दी है। 

निदेशक्,बंदना गर्ब्याल ने कहा, "यह प्रोग्राम हमारे लिए बहुत ही उपयोगी हैक्योंकि यह हमें नई तकनीकों के साथ अवगत कराने और उन्हें कक्षा में उपयोग करने का तरीका सिखाता है।" उन्होंने सभी से डिजिटल तकनीकी से रोचक ई कंटेन्ट निर्माण करने के साथ- साथ तकनीकी का समावेशी अनुप्रयोग किए जाने पर विशेष ध्यान दिए जाने पर सभी कोर्स निर्माणकर्ताओं को प्रेरित किया । 

इस MOOCs प्रोग्राम के माध्यम सेउत्तराखंड शिक्षा विभाग ने न केवल अपने शिक्षकों के दक्षता को बढ़ाने में मदद करेगाबल्कि नए शिक्षा के संभावित दौर की शुरुआत के रूप में साबित हो सकता है।



"Fundamentals of ICT Tools for School Teachers Work plan

 Work plan for the development of MOOCs
 (One-week course-10 Hrs.)



Sunday, February 11, 2024

Coming Soon : MOOCs for Teachers on Fundamental of ICT Tools

 Dehradun: Uttarakhand, Program Coordinator- Ramesh Badoni IT faculty SCERT


Coming Soon: 

SCERT Uttarakhand Announces MOOCs for Teachers on Fundamentals of ICT Tools

Introduction:

In a bid to enhance the digital literacy and pedagogical skills of educators, the State Council of Educational Research and Training (SCERT) Uttarakhand has unveiled an innovative initiative. Soon to be launched, Massive Open Online Courses (MOOCs) will be offered to teachers across Uttarakhand, focusing on the fundamentals of Information and Communication Technology (ICT) tools. This groundbreaking endeavor aims to empower educators with the necessary skills to integrate technology effectively into their teaching methodologies, fostering enriched learning experiences for students.

Background:

With the rapid advancement of technology, the role of educators has evolved significantly. Today, teachers are not only facilitators of knowledge but also orchestrators of digital learning environments. Recognizing this paradigm shift, SCERT Uttarakhand has embarked on a mission to equip teachers with essential ICT skills through MOOCs. These courses will cover a wide array of topics, ranging from basic computer operations to advanced digital tools, catering to the diverse needs of educators at different proficiency levels.

Key Objectives:

Enhancing Digital Literacy: The primary objective of these MOOCs is to enhance the digital literacy of teachers, ensuring they possess the requisite knowledge to leverage ICT tools effectively.

Promoting Pedagogical Innovation: By familiarizing teachers with various digital resources and platforms, the initiative aims to encourage pedagogical innovation and creativity in classroom practices.

Empowering Educators: Through comprehensive training modules, educators will be empowered to harness the power of technology to cater to individual learning styles and foster inclusive education.

Facilitating Lifelong Learning: SCERT Uttarakhand envisions these MOOCs as a cornerstone of lifelong learning for teachers, enabling them to stay updated with emerging technologies and pedagogical trends.

Course Structure:

The MOOCs on fundamentals of ICT tools will be structured to accommodate the diverse needs and schedules of teachers. Participants can expect a blend of self-paced modules, interactive webinars, and hands-on assignments. The curriculum will cover essential topics such as:

  1. Introduction to ICT in Education
  2. Internet and Web Applications
  3. Multimedia Tools for Teaching and Learning
  4. Digital Collaboration and Communication Platforms
  5. Educational Software and Applications
  6. Integrating ICT into Subject-specific Pedagogy

Benefits for Teachers:

Participating teachers stand to gain immensely from these MOOCs:

Skill Enhancement: Teachers will acquire practical skills and strategies to effectively integrate ICT tools into their teaching practices, enhancing student engagement and learning outcomes.

Professional Development: Completion of these courses will contribute to the professional development of educators, bolstering their credentials and career advancement opportunities.

Networking and Collaboration: The MOOCs will foster a vibrant online community of educators, facilitating peer learning, collaboration, and the exchange of best practices.

Adaptability and Resilience: Equipped with ICT skills, teachers will be better prepared to adapt to the evolving educational landscape and overcome challenges posed by remote or hybrid learning environments.

Conclusion:

As education embraces the digital age, equipping teachers with ICT skills is imperative for driving meaningful educational transformation. The MOOCs announced by SCERT Uttarakhand signify a proactive step towards empowering educators with the tools and knowledge needed to navigate this digital frontier effectively. By investing in the professional development of teachers, the initiative holds the promise of not only enriching classroom experiences but also shaping a future-ready generation of learners equipped with essential digital competencies.

 

Saturday, February 10, 2024

Launching Soon a Mobile App Initiative in Uttarakhand

Empowering Sanskrit Education: Launching Soon a Mobile App Initiative in Uttarakhand

It's great to hear about the development of a Sanskrit mobile app in Uttarakhand, spearheaded by SCERT Uttarakhand and its collaboration with the IT and teacher departments. This initiative signifies a significant step towards modernizing education and promoting Sanskrit learning in the state.


The involvement of renowned figures like App Guru Imran Khan and Alpa Nigam, both National and Fulbright scholars, in the support and development team underscores the seriousness and expertise behind this endeavor. 

Imran Khan's reputation as an Indian App guru, known for his generous contribution of over 100 mobile educational apps to the Government of India, adds credibility to the project. Moreover, being honored by PM Modi and the President of India highlights the significance of his contributions to education.

The collaboration with international teachers and content writers and experts, including IT experts further enhances the project's potential for success. Dr. Alok Prabha Pandey's leadership in coordinating the content development team and teacher educator department ensures a comprehensive and effective approach to app development.

Under the guidance of Director Academic Research and Training, Bandana Garbyal, the development team receives continuous support and encouragement to progress with the app development. The additional director, Ajay Naudiyal, and the Head of the department, Joint Director Asha Rani Painuliy, play crucial roles in updating the management and providing support throughout the process.


The opening ceremony, hosted by Bandana Garbyal, reflects the enthusiasm and dedication of the team towards this project. Facilitating the momentum and welcoming the developer team demonstrates the commitment of SCERT Uttarakhand towards promoting Sanskrit education through modern technological means. This initiative holds the potential to revolutionize Sanskrit learning and enhance educational opportunities for students in Uttarakhand.


Content and subject matter Experts:

  • Dr Nilesh Kumar Upadhyay
  • Dr Deepak Nawani
  • Dr Deshbandhu Bhatt
  • Vinod Kumar Dobriyal
  • Dr. Devendra Prasad
  • Madhusudan Sati
  • Seema Sharma
  • Jitendra Nawani
  • Dr archana Gupta 
  • All respected faculty and departments 

उत्तराखंड: स्थानीय भाषा और बोली में पाठ्य पुस्तकों का विकास

 उत्तराखंड में स्थानीय भाषा और बोली में पाठ्य पुस्तकें: शिक्षा को समृद्धि की दिशा में अग्रसर करने का प्रयास

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आलोक में, भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में मातृभाषा में शिक्षा को बढ़ावा देने का प्रस्ताव किया गया है। यह नीति उत्तराखंड राज्य को अपनी स्थानीय भाषा और बोली में पाठ्य पुस्तकों के विकास के लिए नई दिशा सूचित करती है। शिक्षा नीति 2022 के अनुशंसा के अनुसार, उत्तराखंड ने पांच दिवसीय कार्यशालाओं का आयोजन किया, जिसमें गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी, और रं भाषा पर आधारित पाठ्य पुस्तकों का विकास हुआ। इन कार्यशालाओं में, शिक्षकों और शैक्षणिक संस्थानों ने अपने स्थानीय क्षेत्र की भाषा और बोली को समझने और उसे पाठ्य पुस्तकों में समाहित करने के लिए काम किया। उन्होंने इन पुस्तकों में स्थानीय लोककथाओं, पौराणिक कथाओं, मुहावरों, और उपयोगी कार्यशैलियों को भी शामिल किया है।


शिक्षा निदेशक अकादमिक ,शोध एवं प्रशिक्षण बन्दना गर्व्याल ने निर्माण समिति के अधिकारियों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि इस प्रकार की पाठ्य पुस्तकों के विकास से बच्चों को अपनी मातृभाषा में पढ़ाई करने का मौका मिलेगा, जिससे उनकी भाषा और सांस्कृतिक पहचान को समर्थन मिलेगा। उन्होंने शिक्षकों से अपने स्थानीय पाठ्यक्रम को संस्कृति और भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप बनाने का अनुरोध किया।


राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने शिक्षा के क्षेत्र में एक नई दिशा स्थापित की है, जिसमें मातृभाषा में शिक्षा को महत्वपूर्ण माना गया है। इसके प्रमुख उद्देश्यों में से एक है बच्चों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा देना, ताकि उनका अधिक संपन्न और स्वतंत्र विकास हो सके। उत्तराखंड भी इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए स्थानीय भाषा और बोली में पाठ्य पुस्तकों के विकास की दिशा में आगे बढ़ रहा है।


उत्तराखंड के बच्चों के लिए मातृभाषा में शिक्षा का महत्व अत्यंत उच्च है। इसके साथ ही, राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2022 की अनुशंसाएं भी मातृभाषा में शिक्षा को प्रोत्साहित करती हैं। इसी के समृद्ध आधार पर, उत्तराखंड ने शिक्षकों के लिए स्थानीय भाषा में पाठ्यपुस्तकों का विकास किया है। इन पाठ्यपुस्तकों में स्थानीय बोली भाषा को कक्षा एक से पांच तक तैयार किया गया है। इसके लिए विभिन्न स्तरों पर कार्यशालाएं आयोजित की गईं हैं। इन कार्यशालाओं में गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी, और रं जैसी स्थानीय भाषाओं पर आधारित पुस्तकों का विकास, परिशोधन, डिजाइनिंग, और चित्रण किया गया है।


बन्दना गर्व्याल शिक्षा निदेशक ने शिक्षकों के साथ इस कार्यशाला को साझा किया है। उन्होंने उन्हें स्थानीय पाठ्यक्रम को स्थानीय संस्कृति और भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप बनाने के लिए प्रोत्साहित किया है। इसके साथ ही, वे खेल, पौराणिक परंपराएं, लोकोक्तियां, मुहावरे, और कार्यशैलियों को भी पुस्तकों में शामिल करने का सुझाव दिया है। इस प्रकार की कार्यशालाएं न केवल बच्चों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करती हैं, बल्कि यह उन्हें उनकी स्थानीय संस्कृति और विरासत से भी परिचित कराती हैं। इसके अलावा, यह उत्तराखंड के भविष्य के लिए भाषा और सांस्कृतिक संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान करती है।


इस उत्तराखंड की पहल मे मार्गदर्शक संयुक्त निदेशक आशा रानी पैन्यूली , सहायक निदेशक, कृष्णानन्द बिजलवांण और कार्यक्रम संयोजक सुनील भट्ट आदि के सहयोग ने इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने इन पाठ्य पुस्तकों को इस तरह से डिज़ाइन किया है कि वे बच्चों के लिए रोचक, आकर्षक, और संवेदनाशील हों, ताकि उनका रुझान और रुचि बनाए रहे।इस प्रकार, उत्तराखंड के इस पहल का मकसद नहीं सिर्फ स्थानीय भाषाओं को समृद्ध करना है, बल्कि इससे उन सभी बोलियों और संस्कृतियों को एकत्र करने का भी प्रयास किया जा रहा है, जो उत्तराखंड के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, और भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह शैक्षिक पहल उत्तराखंड को नए ऊंचाइयों की ओर अग्रसर करने में मदद करेगी, जहाँ सभी बच्चे अपनी भाषा और संस्कृति के प्रति समर्पित होंगे।


इस प्रकार, यह कार्यशाला न केवल बच्चों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाने के लिए एक माध्यम प्रदान करती है, बल्कि उन्हें अपनी स्थानीय सांस्कृतिक विरासत को भी समर्थन करती है। इस प्रकार, उत्तराखंड राज्य अपनी भाषा और संस्कृति को संरक्षित रखने के लिए नई पीढ़ियों को समर्थन प्रदान करता है और उन्हें अपनी विरासत के प्रति अभिमानी बनाता है।