देहरादून:
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने शिक्षकों के लिए सड़क
सुरक्षा के मामले में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस
प्रयास के तहत, "पथ प्रदर्शिका" नामक प्रशिक्षण साहित्य
का प्रकाशन किया गया है। इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों के माध्यम से
विद्यालयी छात्र-छात्राओं के अंदर सड़क सुरक्षा से संबंधित जानकारी और यातायात
नियमों का पालन कराना है।
यह प्रशिक्षण संदेश को समाज में फैलाने का भी उद्देश्य रखता है। प्रदेश के समस्त 30 हजार शिक्षकों के साथ ही बच्चों को भी वर्ष 2030 तक जागरूक किया जाना है। इस कार्य में प्रदेश स्तर पर 40 मास्टर ट्रेनर्स तैयार किए गए हैं, जो शिक्षकों को सड़क सुरक्षा नियमों पर आधारित प्रशिक्षण दे रहे हैं।
विभिन्न चरणों
में आयोजित हो रहे प्रशिक्षणों की इसी कड़ी में दिनांक 20 फरवरी से 22 फरवरी 2024 तक टिहरी डायट में आयोजित कार्यशाला का समापन हुआ। कार्यशाला में समापन
सत्र से पहले 40 शिक्षकों के साथ साथ 50 डी एल एड के छात्रों एवं डायट फैकल्टी ने शहर के विभिन्न मार्गो से ढोल
दमाऊ के साथ जनजागरुकता रैली निकाली।
डायट न्यू टिहरी में आयोजित कार्यशाला में एआरटीओ टिहरी विनोद कुमार, वाहन प्रवर्तन अधिकारी संजय तिवारी, एससीईआरटी के राज्य समन्वयक विनय थपलियाल, अखिलेश डोभाल के साथ ही मुख्य संदर्भ दाता डा वीर सिंह रावत, राजेन्द्र प्रसाद बडोनी, राजेन्द्र सिंह रुक्मणी ने भी माड्यूल आधारित जानकारी प्रदान की।
विनय
थपलियाल ने बताया कि विद्यालयों/ शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं
और शिक्षक समाज में सड़क सुरक्षा नियमों पर आधारित जानकारी को प्रसारित करने में
महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने छात्र-छात्राओं को सड़क सुरक्षा संबंधी
जानकारी और नियमों का मूल्यांकन कराने की भी जरूरत बताई। इससे आने वाले वर्षों में
छात्र-छात्राएं सड़क सुरक्षा के प्रति जिम्मेदार नागरिक के रूप में विकसित होंगे।
सड़क सुरक्षा
के महत्व को ध्यान में रखते हुए राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ने
उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित सड़क सुरक्षा समिति के निर्देशों के अनुसार पढ़ाई के
लिए "पथ प्रदर्शिका" नामक प्रशिक्षण साहित्य को विकसित किया है। इसमें
विभिन्न आयुवर्ग के विद्यार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी जानकारियां हैं।
आखिरकार, यह प्रयास सड़क सुरक्षा को लेकर समाज में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक
महत्वपूर्ण कदम है। इससे आने वाले वर्षों में हमें सुरक्षित और जिम्मेदार यातायाती
नागरिक बनाने में मदद मिलेगी।