देहरादून: अजीम प्रेमजी फाउंडेशन परिसर में आयोजित गृह विज्ञान पाठ्यपुस्तक निर्माण कार्यशाला का शुभारंभ अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण उत्तराखण्ड की निदेशक बन्दना गर्ब्याल द्वारा किया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला राज्य के छात्रों के लिए एक प्रभावी और उपयोगी पाठ्यपुस्तक निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। अपर निदेशक अजय नौडियाल ने अपने सम्बोधन मे, पुस्तक लेखन किसी भी प्रकार के कॉपीराइट एवं त्रुटियाँ से मुक्त रखने के निर्देश दिए।
कार्यशाला में सहायक निदेशक डॉ. के. एन. बिजल्वाण ने मार्गदर्शन प्रदान किया, जो सभी लेखकों के लिए अत्यंत उपयोगी साबित हुआ। उन्होंने पुस्तक निर्माण के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला और आवश्यक सुझाव दिए।
डॉ. राकेश गैरोला और कार्यशाला समन्वयक सोहन सिंह नेगी ने सभी लेखकों को पुस्तक के लेखन के दौरान दिए गए सुझावों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया। सुझावों में विशेष रूप से निम्नलिखित बातों पर जोर दिया गया:
- पुस्तक की भाषा सरल और स्पष्ट होनी चाहिए ताकि छात्र आसानी से समझ सकें।
- चित्रों और चार्ट्स का उपयोग करते हुए पुस्तक को आकर्षक और छात्र-हितैषी बनाया जाए।
- अध्यायों का क्रम तार्किक हो और एक अध्याय से दूसरे अध्याय में आसानी से जुड़ाव हो।
- पाठ्य सामग्री को व्यावहारिक उदाहरणों के साथ प्रस्तुत किया जाए, ताकि छात्रों को विषय की गहरी समझ हो सके।
- मूल्यांकन के लिए प्रत्येक अध्याय के अंत में अभ्यास प्रश्न जोड़े जाएं, जिससे छात्रों का आत्म-मूल्यांकन संभव हो।