कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए निदेशक अकादमी शोध एवं प्रशिक्षण श्रीमती बन्दना गर्ब्याल ने कहा कि गृह विज्ञान एक महत्वपूर्ण विषय है जो स्वयं में एक विज्ञान है। आज के समय में यह बालक और बालिकाओं दोनों के लिए महत्वपूर्ण और कैरियर निर्माण का विषय है। अतः पाठ्य पुस्तक का निर्माण बच्चों के करियर के दृष्टिकोण से किया जाना चाहिए। पाठ्यपुस्तक में अद्यतन सामग्री को अनिवार्यता समाहित किया जाय।
अपर निदेशक एन.सी.ई.आर.टी. श्री अजय कुमार नौडियाल ने कहा कि गृह विज्ञान की पाठ्य पुस्तक का निर्माण राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 तथा राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा के दिशा-निर्देशों के क्रम में किया जाएगा। उन्होंने पाठ्य पुस्तक में विषय से संबंधित नवीनतम जानकारी समाहित करने के निर्देश दिए।
अपर निदेशक श्रीमती आशा रानी पैन्यूली ने कहा कि पुस्तक में प्राथमिक चिकित्सा, घरेलू दुर्घटनाएं, पर्यावरण मुद्दे आदि विषयों को शामिल किया जाना चाहिए। पाठ्यपुस्तक विकास में बच्चों की रुचियाँ और योग्यताओं को भी ध्यान में रखा जाना आवश्यक है।
सहायक निदेशक डॉ. के एन. बिजलवान ने कहा कि पुस्तक लेखन के समय भारतीय ज्ञान परंपरा और संस्कृति को आवश्यक रूप से समाहित किया जाना चाहिए। विषय समन्वयक श्रीमती शुभ्रा सिंघल ने गृह विज्ञान विषय की पाठ्यचर्या पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पाठ्यपुस्तक को बाल मनोविज्ञान के सिद्धांतों के आधार पर विकसित किया जाएगा।
कार्यक्रम सह समन्वयक (पाठ्यक्रम) श्री सोहन सिंह नेगी ने कहा कि पाठ्यपुस्तक विकास के लिए राज्य के इस विषय में लंबे समय से कार्य करने वाले शिक्षकों एवं विशेषज्ञों का सहयोग लिया जा रहा है।
डॉ. राकेश चन्द्र गैरोला ने पाठ्य पुस्तक लेखन की बारीकियों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। उन्होंने पाठ्य पुस्तक लेखन हेतु अपनाई जाने वाली सावधानियों पर चर्चा की।
विशेषज्ञ डॉ. उमेश चमोला ने पाठ्य पुस्तक के विषय में चर्चा की। उन्होंने कहा कि प्रकरण के लेखन के दौरान सतत् मूल्यांकन का भी ध्यान रखा जाना चाहिए।
विशेषज्ञ डॉ. दिनेश प्रसाद रतूड़ी ने कहा कि पाठ्यपुस्तक में गतिविधियाँ और अभ्यास प्रश्न इस प्रकार तैयार किये जाएँ कि वे सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में सहायक हों।
विषय समन्वयक शुभ्रा सिंघल ने कहा कि इस पाठ्य पुस्तक के परिशोधन के लिए आगे भी कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी। पाठ्य पुस्तक लेखन के द्वितीय चरण में कक्षा 10 की गृह विज्ञान की पाठ्यपुस्तक विकसित की जाएगी। कार्यशाला में पुस्तक लेखन के कार्य में शालिनी भैंसोड़ा, संतोष रावत, अंजनी डिमरी, अंजू कोठारी, मीना गैरोला, विजयलक्ष्मी रावत, मीनाक्षी पंत, सुमन भट्ट, रुचि श्रीवास्तव, डॉ. वंदना कोठारी, उज्मा प्रवीन, संध्या कठैत, एम.पी. उनियाल, नरेन्द्र सिंह, हेमलता बिष्ट, अवनीश सिंह, डॉ. उमेश चमोला, रिचा जयाल, शमा बानो, संजय रावत आदि प्रतिभाग कर रहे हैं। पुस्तक की टाइपिंग एवं सज्जा में श्रीमती रेणु कुकरेती तथा श्री सिद्धार्थ कुमार सहयोग कर रहे हैं।