Wednesday, September 25, 2024

हिंदी विषय की सहायक पुस्तक 'प्रबोधिनी' निर्माण के लिए लेखन कार्यशाला का आयोजन


महानिदेशक विद्यालय शिक्षा द्वारा प्रदत्त निर्देशों के तहत, कक्षा 11 के लिए अनिवार्य संस्कृत पाठ्यपुस्तक 'प्रबोधिनी' भाग 1 का विकास तेजी से हो रहा है। इस क्रम में, निदेशक अकादमिक  शोध एवं प्रशिक्षण द्वारा यह निर्देश दिए गए हैं कि इस पुस्तक को सत्र 2025-26 हेतु अनिवार्य रूप से पूर्ण किया जाए।

अब तक यह पुस्तक एक निजी प्रकाशक द्वारा प्रकाशित की जाती थी, लेकिन इस बार इसे विद्यालय शिक्षा परिषद रामनगर द्वारा विकसित किया जा रहा है। विशेष रूप से, संस्कृत प्रबोधिनी कक्षा 11 को 24 अंकों में निर्धारित किया गया है। इस पुस्तक के विकसित हो जाने के बाद, इसे निदेशक पाठ्यपुस्तक अनुभाग के निर्देशानुसार विद्यार्थियों को निशुल्क वितरित किया जाएगा।

गौरतलब है कि कई बार सूचना का अधिकार (RTI) के तहत शासन से यह जानकारी मांगी गई थी कि निशुल्क पाठ्यपुस्तकें अब तक क्यों उपलब्ध नहीं हो पाई हैं। इस बार, पाठ्यपुस्तक के विकसित हो जाने से इस समस्या का समाधान होने की उम्मीद है, और विद्यार्थियों को समय पर गुणवत्तापूर्ण सामग्री मिल सकेगी।

इस पहल का उद्देश्य छात्रों को बेहतर शैक्षिक सामग्री प्रदान करना और उन्हें निशुल्क पाठ्यपुस्तकों की सुविधा देना है, जिससे उनकी शैक्षणिक यात्रा में किसी भी प्रकार की कठिनाई न हो।

कक्षा 11 के लिए अनिवार्य संस्कृत पाठ्यपुस्तक 'प्रबोधिनी' के विकास हेतु आयोजित कार्यशाला का आज अंतिम सत्र अत्यंत सफल रहा। अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण निदेशक, बंदना गर्ब्याल ने इस सत्र का जायजा लिया और कार्य की प्रगति की सराहना की।


इस कार्यशाला में प्रमुख रूप से डॉ. एसपी सेमल्टी , मुख्य समन्वयक, और डॉ. आलोक प्रभा पांडे, कार्यशाला समन्वयक, ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लेखक मंडल के सदस्य, जिनमें डॉ. दीपक नवानी, विनोद कुमार डोबरियाल, डॉ. हेमचंद तिवारी, डॉ. महेश चंद्र मासीवाल, डॉ. हरिशंकर डिमरी, डॉ. देवेंद्र प्रसाद, सुनील अमोली, डॉ. अर्चना गुप्ता, डॉ. मधुसूदन सती, डॉ. अरुण किशोर भट्ट, डॉ. देशबंधु भट्ट, डॉ. कपिल देव सेमवाल, जितेंद्र नवानी, और  सोहन सिंह रावत उपस्थित रहे।

यह कार्यशाला राज्य में विद्यार्थियों के लिए संस्कृत शिक्षा के सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सभी प्रतिभागियों ने निष्ठापूर्वक काम किया और यह सुनिश्चित किया कि पुस्तक का निर्माण समयबद्ध तरीके से पूर्ण हो सके, जिससे सत्र 2025-26 में छात्रों को निशुल्क सामग्री प्रदान की जा सके।