Saturday, November 16, 2024

बाल चौपाल: एक नवाचारी पहल कार्यक्रम: पीएम श्री स्कूल, राजकीय इंटर कॉलेज हरबर्टपुर में बाल सशक्तिकरण का महोत्सव


दिनांक 16 नवंबर 2024 को पीएम श्री स्कूल, राजकीय इंटर कॉलेज हरबर्टपुर में राज्य स्तरीय बाल चौपाल कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जो विद्यालय  में एक स्मरणीय दिन बन गया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालयी शिक्षा महानिदेशक झरना कमठान ने किया।


महानिदेशक का स्वागत अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण निदेशक बंदना गर्ब्याल ने किया और देहरादून के मुख्य शिक्षा अधिकारी प्रदीप रावत ने उनका पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया और अपनी हार्दिक शुभकामनाएँ व्यक्त कीं। साथ ही, इस अवसर पर अपर निदेशक अजय नौडियाल, सीमेट, ने  पूरे कार्यक्रम के संचालन और व्यवस्थाओं के लिए सभी अधिकारीयों का स्वागत किया। देहरादून जनपद के मुख्य शिक्षा अधिकारी प्रदीप रावत, द्वारा अन्य अधिकारियों का भी स्वागत  किया गया। विद्यालय के प्रधानाचार्य अविंद्र बर्थवाल ने बन्दना गर्ब्याल को पुष्पगूछः देकर सम्मानित किया ओर  सभी अतिथियों का स्वागत किया।


कार्यक्रम का संचालन प्रवक्ता  कांता प्रसाद सती द्वारा किया गया और शुरुआत स्वागत गीत से हुई, जिसने पूरे माहौल को उल्लासपूर्ण बना दिया। इस पूरे बाल चौपाल मे 40 अन्य स्कूलों के 600 से अधिक छात्रों ने प्रतिभाग किया जबकि रा ई का हर्बटपुर के सभी छात्रों ने चौपाल मे प्रतिभाग किया। यहाँ के NCC  छात्रों की यूनिट ने विशेष बैंड और परेड  अथितियों का स्वागत किया । 

बाल चौपाल का उद्देश्य

निदेशक बंदना गर्ब्याल ने कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बच्चों को सशक्त और जागरूक बनाना है ताकि वे भविष्य के कुशल नेतृत्वकर्ता बन सकें। उन्होंने इस कार्यक्रम को पहली बार निदेशालय से बाहर आयोजित कर इसकी पहुँच व्यापक बनाने का एक अद्भुत प्रयास किया। इस चौपाल मे सहयोग और निरंतर योगदान के लिए अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के प्रयासों के लिए आभार व्यक्त किया । 


बाल चौपाल: बच्चों के कौशल और सृजनात्मकता का मंच

सीमेट के विभागाध्यक्ष दिनेश गौड़ ने ब्लॉक प्रमुख का स्वागत किया और बताया कि यह चौपाल बच्चों को खेल-खेल में सीखने और अपने कौशल को प्रदर्शित करने का अनोखा अवसर प्रदान करता है। विभिन्न एनजीओ और संस्थाओं ने स्टॉल लगाए, जिनमें शिक्षा और नवाचार से जुड़ी गतिविधियाँ शामिल थीं। 


प्रमुख आकर्षण

1. STEM गतिविधियाँ

विज्ञान, तकनीकी, इंजीनियरिंग, और गणित पर आधारित कार्यशालाओं और प्रायोगिक गतिविधियों ने बच्चों में जिज्ञासा और आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा दिया।

2. कला एवं शिल्प

पेंटिंग, पॉटरी, ओरिगेमी, और पुनर्चक्रण जैसे क्रियाकलापों ने बच्चों की रचनात्मकता को प्रोत्साहन दिया।

3. अबेकस प्रशिक्षण

डॉ. अवनीश उनियाल और उनकी टीम ने विशेष अबेकस सत्र आयोजित किए, जिससे बच्चों में मानसिक गणना और संज्ञानात्मक विकास हुआ।  डॉ अवनीश ने अबेकस पर लिखी पुस्तक महानिदेशक को भेंट की  । 

4. स्काउट और खेल-कूद

माउंट क्लाइम्बिंग एवं  परंपरागत भारतीय खेलों ने बच्चों में टीम वर्क और प्रतिस्पर्धा की भावना को मजबूत किया।

5. क्लैप वैन और डिजिटल तकनीकी

स्टाम्प लैब और SARD-HP के सहयोग से क्लैप वैन के माध्यम से 120 क्रोमबुक का उपयोग कर डिजिटल तकनीकी और ई-कंटेंट का व्यावहारिक ज्ञान दिया गया।

6. स्वास्थ्य जांच

ग्राफिक एरा मेडिकल कॉलेज के प्रोफेशनल मेडिकल स्टाफ ने बच्चों के स्वास्थ्य जांच की, जिसमें विशेष रूप से "सुनैना " नेत्र , दंत और अन्य परीक्षंण भी किए ।

7. आनंदम गतिविधियाँ

योग, ध्यान, और हास्य योग के माध्यम से बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ किया गया।

8. गीत, संगीत, और अभिनय

बच्चों ने अपने कौशल का प्रदर्शन गीत, नाटक, और संवादों के माध्यम से किया।

9. रूम टू रीड :   पुस्तकों से प्रेम और सहजता से जुड़ना एक खास स्टॉल लगाया गया .


कार्यक्रम में विशेष योगदान

इस कार्यक्रम में राज्य हेड अजीम प्रेमजी फाउंडेशन और विकासनगर से अजीम प्रेमजी के अन्य सदस्यों , एचपी सार्ड, आसरा फाउंडेशन, अमेरिकन इंडियन फेडरेशन, और आनंदम समूह ने अपना सहयोग दिया। सीमेट के डॉ मोहन बिष्ट, डॉ जगमोहन बिष्ट डॉ विनोद  ध्यानी, मदन मोहन उनियाल , रघुबीर सिंह बिष्ट और अन्य सदस्यों ने आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


महानिदेशक का सम्बोधन

झरना कमठान ने अपने सम्बोधन में कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम बच्चों को सहयोग, टीम भावना, और सृजनात्मकता के साथ भविष्य के लिए तैयार करते हैं।

निदेशक बंदना गर्ब्याल का संदेश

बंदना गर्ब्याल ने बच्चों द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रमों की सराहना करते हुए कहा कि यह छात्रों, अभिभावकों, और शिक्षकों के लिए एक विशेष अवसर है जो उन्हें समाज और संस्कृति से जोड़ता है।


कार्यक्रम की सफलता

पीएम श्री राजकीय इंटर कॉलेज हरबर्टपुर ने इस आयोजन में अपनी उत्कृष्ट मेजबानी से मिसाल कायम की। यह कार्यक्रम न केवल बच्चों के कौशल विकास के लिए प्रेरणास्रोत बना, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने का माध्यम भी सिद्ध हुआ।


बाल चौपाल बच्चों के भविष्य निर्माण की दिशा में एक सशक्त पहल के रूप में उभरकर सामने आया।