"स्कूल नेतृत्व में नवाचार: प्रभावी विद्यालय प्रबंधन" विषय पर आधारित तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आज एससीईआरटी उत्तराखंड के सभागार में भव्य समापन हुआ। इस सेमिनार का आयोजन स्कूल लीडरशिप एकेडमी सीमैट, उत्तराखंड द्वारा नेशनल सेंटर फॉर स्कूल एजुकेशन, नीपा, भारत सरकार, नई दिल्ली के सहयोग से किया गया। सेमिनार में हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और उत्तराखंड के प्रतिनिधियों सहित कुल 45 विद्यालय प्रमुखों ने भाग लिया। प्रतिभागियों ने अपने प्रदेश और विद्यालय में किए गए नवाचारों का प्रस्तुतीकरण किया।
- विद्यालय प्रमुखों की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि वही विद्यालय की शैक्षिक गुणवत्ता, अनुशासन, और प्रबंधन का नेतृत्व करते हैं।
- अंतर-राज्यीय अनुभव साझा करने के अवसर न केवल हमारी दृष्टिकोण को विस्तारित करते हैं, बल्कि हमें नवीनतम नवाचारों और प्रथाओं को अपने राज्यों में लागू करने की प्रेरणा देते हैं।
- पैनलिस्टों और प्रतिभागियों द्वारा सुझाए गए नवाचारी सुझाव धरातल पर उतारने के लिए विशेष प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा सुधार के प्रयास केवल नीति निर्माण तक सीमित नहीं होने चाहिए, बल्कि इन्हें वास्तविकता में लागू करने पर जोर दिया जाना चाहिए।
- अन्य राज्यों के विशेष अनुभवों को उत्तराखंड के संदर्भ में उपयोगी बनाना और स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार कार्ययोजना तैयार करना आवश्यक है।
- उन्होंने विशेष रूप से कहा कि इस तरह के सेमिनार आपसी सहयोग, संवाद, और समन्वय को बढ़ावा देने के लिए अति आवश्यक हैं।
समापन सत्र में बंदना गर्ब्याल, निदेशक अकादमिक, शोध एवं प्रशिक्षण, उत्तराखंड ने अपने विचार साझा करते हुए तीन दिवसीय सेमिनार की सफलता पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि "स्कूल नेतृत्व में नवाचार" जैसे विषय पर यह राष्ट्रीय सेमिनार शिक्षा जगत के लिए अत्यंत उपयोगी और प्रेरणादायक साबित होगा। उन्होंने विद्यालय नेतृत्व और नवाचारी पहल को शिक्षण-प्रशिक्षण में प्रभावी प्रबंधन के लिए अनिवार्य बताया।
- शिक्षा में नवाचार और अनुभवों को साझा करने की प्रक्रिया न केवल शिक्षकों और विद्यालय प्रमुखों को नई दृष्टि प्रदान करती है, बल्कि शैक्षिक प्रबंधन की जटिलताओं को हल करने में भी सहायक होती है।
- विद्यालयी स्तर पर प्रभावी प्रबंधन के लिए अनुभव आधारित शिक्षण और नवाचारी दृष्टिकोण अत्यंत आवश्यक हैं। यह न केवल छात्रों की शिक्षा गुणवत्ता को सुधारता है बल्कि उनके व्यक्तिगत विकास में भी सहायक होता है।
- उत्तराखंड जैसे हिमालयी राज्य में शैक्षिक नवाचार चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं, लेकिन यह हमारे लिए नए अवसर भी प्रदान करते हैं। विशेष रूप से उच्च हिमालय क्षेत्रों में हाइकिंग और ट्रैकिंग जैसे वास्तविक अनुभवों से शिक्षकों और छात्रों को जीवन की कठिनाइयों से रूबरू कराना बेहद महत्वपूर्ण है।
- उन्होंने सभी प्रतिभागियों और अन्य राज्यों से आए प्रतिनिधियों के नवाचारी प्रयासों और प्रस्तुतियों की सराहना की।
नवाचारी शिक्षा के क्षेत्र में योगदान को प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने कहा कि सीमैट और नीपा के संयुक्त प्रयास इस दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे।
अंत में, उन्होंने कार्यक्रम की सफलता के लिए मुख्य अतिथि, पैनलिस्ट, प्रतिभागियों, आयोजन समिति के सदस्यों और डायट रुड़की की टीम का आभार व्यक्त किया और इस प्रकार के आयोजनों को आगे भी जारी रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। इसी क्रम मे
- आर.के. उनियाल, निदेशक प्रारंभिक शिक्षा ने कहा कि शिक्षा में त्याग और समर्पण से ही वास्तविक परिवर्तन लाया जा सकता है।
- अनिल यादव, हरियाणा स्कूल लीडरशिप अकादमी ने शिक्षकों की जिम्मेदारी पर प्रकाश डालते हुए प्रारंभिक शिक्षा स्तर पर नवाचार को बढ़ावा देने की बात कही।
- कांचो फांडे, लद्दाख ने सोनम वांचुक के प्रयासों का उदाहरण देते हुए दूरस्थ क्षेत्रों में शिक्षा सुधार के लिए उनके नवाचारों पर चर्चा की।
- अजय नौडियाल , अपर निदेशक सीमैट ने कहा कि ऐसे सेमिनार आपसी ज्ञान साझा करने और नई दिशा में कार्य करने के प्रेरणा स्रोत बनते हैं।
- जम्मू और कश्मीर एस सी ई आर टी से श्री पुरुषोत्तम, ने इस सेमीनार को एक नवाचारी पहल और शिक्षा मे पारस्परिक सहयोग के लिए सराहनीय कदम और अच्छी शुरुवात बताया।
प्रमुख प्रतिभागी और उनके नवाचार
सेमिनार के दौरान मीनाक्षी उनियाल, कुंवर सिंह गढ़िया, रुचि पुंडीर, गब्बर सिंह बिष्ट, कर्मवीर सिंह, बलवंत सिंह, सुनीता भटनागर, रेनू पांडे, रेखा बोरा, कल्पना तिवारी, अनिल कुमार यादव (हरियाणा) आदि ने अपने नवाचारों का प्रस्तुतीकरण किया।
सेमिनार का संचालन और प्रबंधन
सेमिनार का कुशल संचालन डा. मोहन बिष्ट ने किया। डॉ. विनोद ध्यानी, डॉ. जगमोहन सिंह बिष्ट, रघुवीर बिष्ट और उनकी टीम ने पूरे सेमिनार के प्रबंधन में उत्कृष्ट योगदान दिया।
डी.एल.एड. इंटर्न और डायट रुड़की : डी. एल. एड. इंटर्न्स (डायट रुड़की) आकाश और अभिनव ममगाईं व अन्य सहयोगी टीम ने भी कार्यक्रम को सफल बनाने में तकनीकी सहायता और फोटोग्राफी के कार्य में सराहनीय भूमिका निभाई।
विशेष अतिथियों की उपस्थिति
इस अवसर पर आनंद भारद्वाज, निदेशक संस्कृत शिक्षा, आशा रानी पैन्यूली, दिनेश चंद्र गौड़, प्रदीप रावत, के.एन. बिजल्वाण, अंबरीष विष्ट, विपिन चौहान, डा. मदन मोहन उनियाल, चतर सिंह नेगी, और सुनील पुरोहित सहित कई विशिष्ट जन उपस्थित रहे।
तीन दिवसीय सेमिनार का समापन इस आशा और विश्वास के साथ हुआ कि स्कूल नेतृत्व के नवाचारी प्रयास राज्य और देश में प्रभावी विद्यालय प्रबंधन की दिशा में नई प्रेरणा देंगे। नीपा और सीमैट की संयुक्त पहल ने शिक्षकों और विद्यालय प्रमुखों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया है, जो भविष्य में शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव के लिए सहायक सिद्ध होगा।