Thursday, November 07, 2024

SCERT: तृतीय दिवस की KRP एवं एम टी प्रशिक्षण में आचरण के सिद्धांत और जेंडर संवेदनशीलता पर सत्र

 

उत्तराखण्ड में आयोजित KRP (कक्षा शिक्षण एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम) के तृतीय दिवस पर एक महत्वपूर्ण सत्र आयोजित किया गया, जिसमें आचरण के सिद्धांत और जेंडर संवेदनशीलता पर विस्तृत चर्चा की गई। इस सत्र में शिक्षा क्षेत्र में जेंडर पर समझ को बढ़ाने और आचरण के सिद्धांतों को सही तरीके से लागू करने के महत्व पर जोर दिया गया।

सत्र का उद्घाटन और दिशा-निर्देश:

सत्र की शुरुआत में, निदेशक अकादमिक और शोध एवं प्रशिक्षण उत्तराखण्ड, बन्दना गर्ब्याल ने प्रशिक्षण के संबंध में दिशा-निर्देश दिए और सभी प्रशिक्षकों से जनपद स्तर पर प्रशिक्षण को कुशलतापूर्वक संचालित करने की अपेक्षाएँ जताईं। उन्होंने विशेष रूप से यह भी कहा कि प्रशिक्षण के दौरान अनुशासन का पालन करना और अनुश्रवण के साथ -साथ Active Listening की प्रक्रिया को बढ़ावा देना आवश्यक समझा है। यह सुनिश्चित करना कि प्रशिक्षु पूरी तरह से सत्र में भाग लें और चर्चा के विषय पर गहराई से विचार करें, प्रशिक्षण की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है।


मुख्य संदर्भदाता के साथ परिचर्चा :

मुख्य संदर्भदाता के रूप में मौजूद विशेषज्ञों ने जेंडर संवेदनशीलता पर विशेष ध्यान देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि जेंडर से जुड़े मुद्दों को समझने और सुलझाने के लिए एक संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है। उनका मानना था कि यदि शिक्षक और शिक्षकाएं अपने आचरण और दृष्टिकोण को जेंडर-संवेदनशील बनाते हैं, तो वे न केवल कक्षा में एक समान अवसर प्रदान कर सकते हैं, बल्कि समाज में भी सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।

जेंडर संवेदनशीलता के सिद्धांतों के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए, संदर्भदाताओं ने बताया कि यह केवल कक्षा में ही नहीं, बल्कि समाज के हर क्षेत्र में समानता की ओर एक कदम बढ़ाने के लिए आवश्यक है। उदाहरण स्वरूप, अगर हम बच्चों को बचपन से ही समान अधिकार, अवसर और सम्मान की भावना देते हैं, तो यह उनके मानसिक विकास में सहायक होता है और एक निष्पक्ष समाज के निर्माण में योगदान करता है।


सत्र का उद्देश्य और प्रभाव:

इस सत्र का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों को न केवल जेंडर-संवेदनशील बनाने का था, बल्कि उन्हें आचरण के उन सिद्धांतों से भी अवगत कराना था जो उनके व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में समानता और न्याय की भावना को बढ़ावा देते हैं। जेंडर संवेदनशीलता से संबंधित मामलों में प्रशिक्षकों की भूमिका को प्रभावी ढंग से समझाया गया और यह बताया गया कि शिक्षा में जेंडर से जुड़े भेदभाव को समाप्त करने के लिए शिक्षक अहम भूमिका निभाते हैं।

निष्कर्ष:

आज के सत्र ने शिक्षकों को यह समझने में मदद की कि कैसे वे कक्षा में, समाज में और व्यक्तिगत जीवन में जेंडर संवेदनशीलता और आचरण के सिद्धांतों को प्रभावी रूप से लागू कर सकते हैं। यह न केवल शिक्षा प्रणाली में सुधार लाएगा, बल्कि आने वाले समय में यह बच्चों में समानता, सम्मान और आपसी समझ का एक मजबूत आधार भी तैयार करेगा।


यह प्रशिक्षण कार्यक्रम उत्तराखण्ड के शिक्षा क्षेत्र में एक नए दृष्टिकोण को जन्म देगा, जिसमें शिक्षक और शिक्षकाएं जेंडर-सम्बंधी समस्याओं से निपटने के लिए अधिक सक्षम और जागरूक होंगे। आज के सत्र संचालन मे योगदान देने वाले रिसोर्स पर्सन  डॉ प्रेम सिंह, निशा जोशी, डॉ दीपक प्रताप, डॉक्टर मदन मोहन उनियाल और डॉ रमेश पंत , डॉ राकेश गैरोला, श्री प्रवीण चंद पोखरियाल एवं नितिन कुमार प्रमुख रहे ।