Thursday, December 05, 2024

एस.सी.ई.आर.टी उत्तराखण्ड में तीन दिवसीय शोध पत्र लेखन की कार्यशाला का शुभारम्भ


राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एस.सी.ई.आर.टी), देहरादून में डायट एवं एस.सी.ई.आर.टी के संकाय सदस्यों को शोध पत्र लेखन की कौशलों और तकनीकी बारीकियों से सिखाने हेतु दिनांक 05 दिसम्बर 2024 से 07 दिसम्बर 2024 तक चलने वाली तीन दिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भ निदेशक, एस.सी.ई.आर.टी उत्तराखण्ड,  बंदना गर्ब्याल के द्वारा किया गया।

कार्यशाला के शुभारम्भ पर निदेशक ने कहा कि यह कार्यशाला शिक्षकों और शोधकर्ताओं को शोध पत्र लेखन के नवीनतम तरीकों और वैश्विक मानकों से परिचित कराने में सहायक होगी। 

अपर निदेशक एस सी ई आर टी. डॉ मुकुल सती ने अपने वर्चुअल संदेश मे  कहा कि यह पहल न केवल शिक्षकों के ज्ञान को समृद्ध करेगी, बल्कि राज्य के शोध और शैक्षिक परिदृश्य को नई दिशा भी प्रदान करेगी।

कार्यशाला में डॉ. के.एन. बिज्लवाण, सहायक निदेशक, एस.सी.ई.आर.टी, ने बताया कि शोध संस्कृति को बढ़ावा देने और संकाय सदस्यों की प्रतिभा को मंच प्रदान करने के लिए परिषद नवीनतम प्रयास  शुरू करेगा।

श्रीमती कंचन देवराड़ी, संयुक्त निदेशक, कार्यक्रम एवं अनुश्रवण विभाग, ने कहा कि यह कार्यशाला शोध कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

प्रदीप रावत संयुक्त निदेशक, एस सी ई आर टी , ने कहा कि यह कार्यशाला शोध कार्यों की नई पहुँच को  सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम  है।

कार्यशाला के राज्य समन्वयक डॉ. अजय कुमार चौरसिया ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्रतिभागियों को शोध पत्र लेखन की मूलभूत विधियों, शोध डिजाइन, डेटा संग्रह और विश्लेषण के तरीकों पर कुशल बनाना है।

कार्यशाला के विशेषज्ञ वक्ता और चर्चाएँ

कार्यशाला में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों ने व्याख्यान दिए। प्रमुख वक्ताओं और उनकी चर्चाओं में शामिल हैं:

प्रो. राजेन्द्र पी. ममगाईं, डीन, स्कूल ऑफ सोशल साइंस, दून विश्वविद्यालय:

  • "शोध पत्र लेखन के लिए संरचना और भाषा की भूमिका।"
  • उन्होंने एक प्रभावी शोध पत्र की संरचना, विषय चयन, और समीक्षा प्रक्रिया पर प्रकाश डाला।
प्रो. गौरव राव, शिक्षा विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय:
  • "डिजिटल टूल्स का उपयोग कर डेटा संग्रहण और विश्लेषण।"
  • उन्होंने बताया कि शोध कार्य को व्यवस्थित और वैज्ञानिक बनाने में तकनीकी उपकरणों का उपयोग कैसे किया जा सकता है।
डॉ. मो. मामूर अली, जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय:
  • "सफल शोध प्रस्ताव कैसे तैयार करें।"
  • उन्होंने शोध प्रस्ताव की संरचना, साहित्य समीक्षा, और शोध के उद्देश्यों को स्पष्ट करने के तरीकों पर चर्चा की।

प्रतिभागी संकाय सदस्य

इस कार्यशाला में एस.सी.ई.आर.टी और डायट के कई संकाय सदस्य सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। डॉ. राकेश गैरोला, डॉ. रंजन भट्ट डॉ. उषा कटियार डॉ. अवनीश उनियाल श्रीमती शुभ्रा सिंघल भुवनेश पंत नमिता भंडारी विजय रावत अरविंद चौहान कैलाश चंदोला दीपिका पंवार पारूल शर्मा डॉ. एस.पी. वर्मा मनोज बहुगुणा आदि । सभी प्रतिभागी शोध लेखन की तकनीकी बारीकियों, डेटा प्रबंधन, और रिपोर्ट प्रस्तुति के तरीकों पर प्रशिक्षण ले रहे हैं।

कार्यशाला की चर्चाएँ और प्रभाव

कार्यशाला में शोध की योजना बनाने, डेटा को व्यवस्थित तरीके से प्रस्तुत करने और शोधपत्रों को प्रतिष्ठित जर्नल्स में प्रकाशित करने की प्रक्रिया पर विस्तार से चर्चा की गई।

पहला सत्र:

  • "कैसे करें शोध की योजना?"
  • इसमें शोध के उद्देश्य, समस्या का चयन, और शोध प्रश्नों को तैयार करने पर जोर दिया गया।

दूसरा सत्र:
  • "डिजिटल युग में शोधपत्र लेखन।"
  • इसमें ई-लर्निंग टूल्स और ऑनलाइन शोध डेटाबेस के उपयोग पर चर्चा की गई।
तीसरा सत्र:
  • "डेटा विश्लेषण और प्रस्तुति।"
  • इसमें डेटा का विश्लेषण करने और उसे ग्राफ, चार्ट और रिपोर्ट में प्रस्तुत करने के व्यावहारिक टिप्स दिए गए।

यह कार्यशाला न केवल प्रतिभागियों को शोध पत्र लेखन में कुशल बनाएगी, बल्कि उत्तराखण्ड में शैक्षिक अनुसंधान की गुणवत्ता को नई ऊंचाई प्रदान करेगी।