Thursday, December 05, 2024

दून स्कूल में आयोजित 'केमिस्ट्री इज़ फन' पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन: राजकीय स्कूलों को भी प्रतिभाग करने


आज देहरादून के प्रतिष्ठित दून स्कूल में चल रही अंतर्राष्ट्रीय कान्फ्रेन्स के  लिए निदेशक, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, बंदना गर्ब्याल के निर्देशन मे देहरादून के समीपस्थ स्कूलों के द्वारा प्रतिभाग किया गया । इस सम्मेलन का मुख्य आकर्षण "केमिस्ट्री इज़ फन" टॉक शो और लैब सेशन रहा, जिसे अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिकों डॉ. उदय मैत्रा और डॉ. समीता मैत्रा ने संचालित किया। इस कार्यक्रम में उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों के लगभग 130 छात्र-छात्राओं ने भाग लिया, जिनमें पीएम श्री स्कूल, बालिका इंटर कॉलेज (राजपुर रोड और लक्खीबाग), हाई स्कूल कंडोली और अन्य स्कूल शामिल थे।


सम्मेलन की मुख्य बातें:


   
1. केमिस्ट्री इज़ फन टॉक शो और लैब सेशन:
  • टॉक शो और लैब सेशन को डॉ. उदय मैत्रा और डॉ. समीता मैत्रा ने रोचक और व्यावहारिक तरीके से प्रस्तुत किया।
  • सत्र में केमिकल बॉन्डिंग, रिएक्शन, पीरियोडिक टेबल सॉन्ग, लाइट ट्रांसमिशन, और आकाशीय घटनाओं पर प्रयोगात्मक प्रदर्शन किए गए।
  • छात्रों को रसायन विज्ञान के महत्व को भौतिकी और खगोल विज्ञान से जोड़कर समझाया गया।


2. सत्र का उद्देश्य:

  • रसायन विज्ञान को जटिल विषय के बजाय रोमांचक और मजेदार तरीके से प्रस्तुत करना।
  • छात्रों को विज्ञान के प्रति रुचि और समझ बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना।


3. अन्य प्रस्तुतियां और चर्चाएं:

  • सत्र के उपरांत डाइट प्रवक्ता देहरादून से राखी पांडेय ने रसायन विज्ञान के पाठ्यक्रम को स्कूलों में अधिक प्रासंगिक और रोचक बनाने के इस शो के लिए डॉ आनंद को धन्यबाद दिया और उनके सुझावों को राज्य के सभी स्कूलों मे जोड़ने का आग्रह और सुझाव भी  दिए।
  • दून स्कूल के प्रधानाचार्य, जगप्रीत सिंह, ने सरकारी स्कूलों के साथ सहयोग और संसाधन साझा करने की प्रतिबद्धता जताई।
  • आई टी प्रवक्ता एस सी ई आर टी से रमेश बडोनी ने विज्ञान और शिक्षा के समन्वय की सराहना की-


सम्मेलन के दौरान, रमेश बडोनी ने "केमिस्ट्री इज़ फन" कार्यक्रम और उसके उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए आनंद कुमार के सफल प्रयासों की विशेष रूप से प्रशंसा की। उन्होंने कहा, "आनंद कुमार ने विज्ञान और शिक्षा के माध्यम से छात्रों में वैज्ञानिक चेतना जागृत करने और इसे स्कूल शिक्षा के स्तर पर लागू करने में सराहनीय कार्य किया है। उनका यह प्रयास न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर के छात्रों को एक मंच पर लाने में महत्वपूर्ण साबित हो रहा है।" 

ऐसे कार्यक्रम स्कूलों के पारंपरिक शिक्षा ढांचे को वैज्ञानिक दृष्टिकोण और नवाचार से जोड़ने में मदद करते हैं। रमेश बडोनी ने विज्ञान की इस यात्रा को छात्रों के लिए प्रेरणादायक बताते हुए इसके दीर्घकालिक प्रभाव की उम्मीद जताई। इस विचारशील दृष्टिकोण ने सम्मेलन के उद्देश्य और इसके प्रभाव को और भी स्पष्ट रूप से रेखांकित किया।

डॉ. उदय मैत्रा और डॉ. समीता मैत्रा का परिचय:

                     
डॉ. उदय मैत्रा:
  • भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु में प्रोफेसर
  • कोलंबिया विश्वविद्यालय से पीएचडी और यूसी बर्कले से पोस्टडॉक्टरल अनुसंधान।
  • उनके शोध क्षेत्र में सुप्रामॉलिक्यूलर केमिस्ट्री, बाइल एसिड्स, और फंक्शनल सॉफ्ट मटेरियल्स शामिल हैं।
  • उन्हें प्रतिष्ठित शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार और भारतीय विज्ञान अकादमी की फेलोशिप से सम्मानित किया गया है।

डॉ. समीता मैत्रा:

  • बीएमएस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, बेंगलुरु में रसायन अभियंत्रण की प्रोफेसर।
  • IISc, बेंगलुरु से पीएचडी।
  • उनके शोध क्षेत्र में फोम सेपरेशन, मास ट्रांसफर, वैकल्पिक ईंधन, और लिक्विड क्रिस्टल रियोलॉजी शामिल हैं।
  • उन्होंने शिक्षा और अनुसंधान में उत्कृष्टता के लिए कई पुरस्कार प्राप्त किए हैं।

सम्मेलन का समापन:

कार्यक्रम का समापन हाई-टी सत्र के साथ हुआ, जहां प्रतिभागियों ने अनुभव साझा किए।
कार्यक्रम के समन्वयक और दून स्कूल के विज्ञान विभाग के डीन, आनंद कुमार, ने इसके प्रबंधन और सफलता को सुनिश्चित किया। आनंद कुमार ने अपने सम्बोधन मे कहा कि उनका प्रथम उद्देश्य विज्ञान और खास करके रसायन  विज्ञान को जीवन की दिनचर्या बनाना है। यह पहल उत्तराखण्ड के सभी सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों को जोड़कर करनी होगी। 
दून स्कूल के हेडमास्टर, जगप्रीत सिंह, ने इस शानदार आयोजन के लिए सभी को धन्यवाद दिया और प्रतिभागियों को उनके उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं।

सम्मेलन की उपलब्धियां:

यह कार्यक्रम छात्रों में रसायन विज्ञान के प्रति रुचि बढ़ाने और इसे मजेदार तरीके से सीखने के लिए प्रेरित करने में सफल रहा। 400 से अधिक प्रतिभागियों की उपस्थिति इस सम्मेलन की व्यापकता और प्रभाव को दर्शाती है।

यह कार्यक्रम शिक्षा और विज्ञान के समन्वय का एक आदर्श उदाहरण बनकर उभरा।