Wednesday, December 25, 2024

दूरदर्शन से प्रसारित प्रौद्योगिकी जनित विज्ञान प्रबोध एवं शिक्षण:Technology Based Science Education and Learning


रमेश प्रसाद बड़ोनी (लेक्चरर आई.टी. विभाग, एस.सी.ई.आर.टी, उत्तराखण्ड) द्वारा प्रस्तुत और अनिल कुमार भारती द्वारा संचालित दूरदर्शन का यह विशेष प्रसारण "विज्ञान प्रभा" शिक्षकों और छात्रों के लिए विज्ञान शिक्षा में प्रौद्योगिकी के महत्व को रेखांकित करता है। कार्यक्रम के निर्माता और निर्देशक हेमन्त सिंह राणा ने इसे इस प्रकार तैयार किया कि यह विज्ञान की जटिल अवधारणाओं को सरल और रुचिकर बनाता है।

क्लिक करें : https://youtu.be/wCWiJnUC-MI?si=qRYKKUqaV_JlMAJn

कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं:

  1. विज्ञान शिक्षा में प्रौद्योगिकी का समावेश: यह प्रसारण डिजिटल उपकरणों, सिमुलेशन, और ऑगमेंटेड रियलिटी जैसे नवाचारों को विज्ञान की शिक्षा में उपयोग करने के तरीकों पर केंद्रित है।

  2. शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण: शिक्षकों को नई तकनीकों का उपयोग करना सिखाने के साथ-साथ स्मार्ट क्लासरूम के महत्व को समझाया गया।

  3. छात्रों की रुचि बढ़ाना: छात्रों को प्रौद्योगिकी आधारित शिक्षण विधियों से जोड़ने के फायदे और उनके सीखने के अनुभव को रुचिकर बनाने के उपाय साझा किए गए।

आईसीटी आधारित शिक्षण के लाभ:

आईसीटी (सूचना और संचार प्रौद्योगिकी) आज के युग में शिक्षा के हर क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इस कार्यक्रम ने स्पष्ट किया कि आईसीटी का उपयोग कैसे शिक्षकों और छात्रों दोनों के लिए फायदेमंद हो सकता है:

शिक्षकों के लिए लाभ:

  1. शिक्षा में नवाचार: शिक्षक नई तकनीकों का उपयोग करके कठिन विषयों को सरल बना सकते हैं। जैसे कि सिमुलेशन और मल्टीमीडिया प्रस्तुतियां छात्रों के समझने के स्तर को बढ़ाती हैं।

  2. शिक्षण सामग्री की पहुंच: ऑनलाइन टूल्स और संसाधनों के माध्यम से शिक्षक अधिक समृद्ध और प्रभावशाली शिक्षण सामग्री तैयार कर सकते हैं।

  3. कक्षा प्रबंधन में सुधार: आईसीटी आधारित शिक्षण स्मार्ट क्लासरूम के माध्यम से शिक्षकों को बेहतर तरीके से कक्षा प्रबंधन में सहायता करता है।

छात्रों के लिए लाभ:

  1. व्यक्तिगत शिक्षण: प्रौद्योगिकी छात्रों को उनके अपने सीखने की गति से पढ़ने की सुविधा प्रदान करती है।

  2. रुचिकर शिक्षा: इंटरैक्टिव उपकरण और डिजिटल गेम आधारित शिक्षण से छात्रों की रुचि और सृजनात्मकता बढ़ती है।

  3. वैश्विक ज्ञान की पहुंच: छात्रों को इंटरनेट और डिजिटल उपकरणों के माध्यम से वैश्विक स्तर पर उपलब्ध जानकारी तक पहुंचने का मौका मिलता है।

"विज्ञान प्रभा" कार्यक्रम का प्रभाव:

रमेश प्रसाद बड़ोनी द्वारा साझा किए गए अनुभवों और विज्ञान शिक्षा में तकनीकी दृष्टिकोण ने दर्शकों के बीच नई सोच और ऊर्जा का संचार किया। अनिल कुमार भारती के प्रभावशाली संचालन ने कार्यक्रम को प्रभावशाली और दर्शनीय बनाया। इस प्रोग्राम के लिए बडोनी और दूरदर्शन के अधिकारियों ने शुभकामनाएं और भविष्य के लिए सहयोग के लिए भी अपेक्षा की है । 

इस प्रकार के प्रसारण न केवल छात्रों को बल्कि शिक्षकों को भी प्रौद्योगिकी के प्रति जागरूक और प्रेरित करते हैं। इस प्रयास से शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा मिलता है और छात्रों को भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार किया जा सकता है।

"विज्ञान प्रभा" जैसे कार्यक्रम विज्ञान और प्रौद्योगिकी के संयोजन को शिक्षा में लागू करने के लिए एक आदर्श उदाहरण हैं। इसने यह सिद्ध कर दिया कि प्रौद्योगिकी आधारित शिक्षण न केवल अधिक प्रभावशाली है बल्कि छात्रों और शिक्षकों के लिए समान रूप से उपयोगी है।

इस पहल से प्रेरित होकर, अन्य राज्य भी अपने शिक्षकों और छात्रों को प्रौद्योगिकी के माध्यम से सशक्त बना सकते हैं।