Thursday, April 03, 2025

उत्तराखंड सरकार ने ‘हमारी विरासत एवं विभूतियां’ पुस्तक को लागू करने का शासनादेश जारी किया


देहरादून, 03 अप्रैल 2025 – उत्तराखंड सरकार ने राज्य के स्कूली पाठ्यक्रम में ‘हमारी विरासत एवं विभूतियां’ पुस्तक को आधिकारिक रूप से लागू करने का शासनादेश जारी कर दिया है। सचिव विद्यालयी शिक्षा रविनाथ रामन ने बताया कि यह पुस्तक कक्षा 6 से 8 तक के विद्यार्थियों के लिए होगी और इसका मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, ऐतिहासिक घटनाओं और महापुरुषों के योगदान को नई पीढ़ी तक पहुँचाना है।

शासनादेश की मुख्य बातें:

राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) द्वारा तैयार की गई यह पुस्तक अब उत्तराखंड के सभी सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में अनिवार्य रूप से इसी सत्र से पढ़ाई जाएगी। सचिव शिक्षा विभाग ने शासनादेश जारी करते हुए सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे सुनिश्चित करें कि यह पुस्तक इस  शैक्षणिक सत्र से विद्यालयों में लागू हो।

शासनादेश के अनुसार:

1. अनिवार्य पाठ्यक्रम – ‘हमारी विरासत एवं विभूतियां’ पुस्तक को कक्षा 6, 7 और 8 के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।

2. राज्यभर में क्रियान्वयन – उत्तराखंड के सभी सरकारी और सहायता प्राप्त विद्यालयों में इसे लागू किया जाएगा।

3. शिक्षकों का प्रशिक्षण – शिक्षकों को इस पुस्तक की विषयवस्तु को प्रभावी ढंग से पढ़ाने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा।

4. सांस्कृतिक जागरूकता – इस पुस्तक का उद्देश्य छात्रों में अपने राज्य की संस्कृति, परंपराओं और इतिहास के प्रति गर्व और जागरूकता विकसित करना है।

पुस्तक का संक्षिप्त विवरण

‘हमारी विरासत एवं विभूतियां’ पुस्तक उत्तराखंड की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को रोचक अंदाज में प्रस्तुत करती है। इसमें राज्य के विभिन्न लोकनायक, स्वतंत्रता सेनानी, वीरांगनाएं, कारगिल के शहीदों के अलावा उत्तराखंड आंदोलन और धार्मिक स्थलों की जानकारी दी गई है। पुस्तक में उत्तराखंड की लोक कथाएँ, पारंपरिक वेशभूषा, व्यंजन, मेले और त्योहारों का भी वर्णन किया गया है।

निदेशक बन्दना गर्ब्याल ने एस सी ई आर टी को दिया बधाई संदेश और कहा , “हमारी सांस्कृतिक धरोहर हमारी पहचान है। यह पुस्तक नई पीढ़ी को अपने गौरवशाली इतिहास और परंपराओं से परिचित कराएगी। उत्तराखंड की संस्कृति और विरासत का प्रचार-प्रसार करना हम सबकी जिम्मेदारी है।”

अपर निदेशक पदमेन्द्र सकलानी ने कहा कि शासनादेश जारी होने के साथ ही यह पुस्तक उत्तराखंड के विद्यालयों में प्रभावी रूप से लागू हो जाएगी। सरकार का मानना है कि इससे राज्य के युवा अपने इतिहास और परंपराओं से अधिक जुड़ाव महसूस करेंगे और अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखने की दिशा में कार्य करेंगे। इस पुस्तक लेखन के समन्वयक और सम्पूर्ण टीम को भी उन्होंने बधाई दी ।