Tuesday, May 27, 2025

शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 पर राज्य स्तरीय कार्यशाला: उत्तराखंड में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा में एक कदम

 

प्रेक्षा गृह, संस्कृति विभाग, हरिद्वार बाईपास रोड, उत्तराखंड: दिनांक: 27 मई 2025 उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग (SCPCR) के अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना और डॉ. शिव कुमार बर्णवाल के संरक्षण में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) 2009 पर एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। महानिदेशक, विद्यालयी शिक्षा, अभिषेक रोहिला के निर्देशन में समग्र शिक्षा उत्तराखंड और एससीईआरटी ने संयुक्त रूप से RTE एक्ट 2009 के प्रावधानों पर विस्तृत चर्चा की।

कार्यशाला का उद्देश्य

इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य RTE एक्ट 2009 के प्रावधानों के प्रति शिक्षा अधिकारियों, डाइट एवं एससीईआरटी के संकाय सदस्यों और शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत अन्य हितधारकों को जागरूक करना था। साथ ही, राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदमों पर विचार-विमर्श किया गया।

मुख्य अतिथि का सम्बोधन

शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने अपने संबोधन में कहा कि "शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 बच्चों के मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करता है। सभी शिक्षा अधिकारियों को इसके प्रावधानों का कड़ाई से पालन करना चाहिए।" उन्होंने विशेष रूप से निजी स्कूलों द्वारा अचानक फीस बढ़ाने और बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन करने की घटनाओं पर गंभीर चिंता व्यक्त की।

RTE अधिनियम पर गहन चर्चा

कार्यशाला में समग्र शिक्षा उत्तराखंड और एससीईआरटी (SCERT) द्वारा संयुक्त रूप से RTE 2009 के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की गई। उप राज्य परियोजना निदेशक (RTE), मदन मोहन जोशी ने विशेषज्ञ संदर्भदाता के रूप में अधिनियम के सभी प्रावधानों पर प्रकाश डाला और शिक्षा अधिकारियों को इसके क्रियान्वयन के लिए प्रेरित किया।

डॉ. गीता  खन्ना, अध्यक्ष, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, ने बाल अधिकारों और RTE के बीच संबंध को रेखांकित करते हुए कहा कि "शिक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करना बाल संरक्षण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और हमें इसके प्रति संवेदनशील होना चाहिए।"
  • डॉ. गीत खन्ना (अध्यक्ष, बाल अधिकार संरक्षण आयोग) ने कहा कि "बच्चों के अधिकारों के प्रति हम सभी को संवेदनशील होना चाहिए। RTE एक्ट के तहत 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलनी चाहिए।"

  • महानिदेशक, शिक्षा, अभिषेक रोहिला ने RTE एक्ट के अनुपालन की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि "राज्य सरकार इस दिशा में पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है।"

  • डॉ. मदन मोहन जोशी (उप राज्य परियोजना निदेशक) ने RTE एक्ट के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत प्रस्तुति दी और बताया कि "राज्य में 97% विद्यालय 1 किमी के दायरे में स्थित हैं, जिससे बच्चों की शिक्षा सुलभ हो सके।"

  • डॉ. के.एन. बिजलवान (सहायक निदेशक) ने विद्यालय प्रबंधन समिति (SMC) की भूमिका पर प्रकाश डाला और कहा कि "SMC को विद्यालय के विकास में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।"

  • निदेशक, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, बंदना गर्ब्याल ने कहा कि "आंगनबाड़ी केंद्रों को प्राथमिक विद्यालयों से जोड़कर बच्चों की शिक्षा को मजबूत किया जाएगा।"

महानिदेशक, विद्यालयी शिक्षा, अभिषेक रोहिला ने अपने संबोधन में कहा कि "RTE अधिनियम का पूर्ण अनुपालन राज्य के शैक्षणिक ढाँचे को मजबूत करेगा और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाएगा।"


निदेशक, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण (SCERT), बंदना गर्ब्याल ने प्रेक्षा हॉल में अपना वक्तव्य देते हुए शिक्षकों और अधिकारियों से RTE के विभिन्न आयामों पर सजगता से काम करने का आह्वान किया।

सहायक निदेशक, डॉ. के.एन. बिजलवान ने विद्यालय प्रबंधन समिति (SMC) की भूमिका पर विस्तृत प्रस्तुति दी और इसके गठन व कार्यप्रणाली को स्पष्ट किया।

कार्यशाला का संचालन एवं समापन

इस कार्यशाला का कुशल संचालन सुनील  भट्ट, प्रवक्ता एवं पूर्व RTE समन्वयक, SCERT द्वारा किया गया। कार्यक्रम में अपर निदेशक, एस सी ई आर टी पदमेन्द्र सकलानी , अपर राज्य परियोजना निदेशक,समग्र शिक्षा, कुलदीप गैरोला सहित राज्य के सभी जनपदों के शिक्षा अधिकारी, DIET व SCERT के संकाय सदस्य तथा अन्य 200 से अधिक शिक्षाविद् और हितधारक उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत डॉ उषा कटियार की टीम द्वारा सरस्वती वंदना से हुई। 

यह कार्यशाला उत्तराखंड में शिक्षा के अधिकार को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम थी। सभी हितधारकों ने RTE एक्ट 2009 के प्रावधानों को प्रभावी ढंग से लागू करने का संकल्प लिया। डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि "शिक्षा हर बच्चे का मौलिक अधिकार है और हम सभी को मिलकर इसे सुनिश्चित करना होगा।"

इस कार्यशाला में समग्र शिक्षा उत्तराखंड, एससीईआरटी, बाल अधिकार संरक्षण आयोग और अन्य शिक्षा विभागों के प्रतिनिधियों ने सक्रिय भागीदारी की। यह आयोजन राज्य में शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने की दिशा में एक सार्थक प्रयास साबित हुआ।


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