नई शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत विद्यालयी शिक्षा हेतु राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा (SCF) का दस्तावेज दिनांक 2 मई 2025 को शिक्षाविदों, पूर्व निदेशकों, एवं एन.ई.पी. सेल द्वारा गठित राज्य स्तरीय टीम के समक्ष प्रस्तुत किया गया। बैठक का संचालन निदेशक अजय नौडियाल के निर्देशन में किया गया।
सहायक निदेशक डॉ. के.एन. बीजल्वान ने बैठक में उपस्थित सभी पूर्व निदेशकों, शिक्षाविदों एवं अधिकारियों का हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित किया और उनके सुझावों को राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा को समृद्ध करने में उपयोगी बताया। बैठक की गरिमा बढ़ाने हेतु निदेशक अजय नौडियाल एवं अपर निदेशक पदमेन्द्र सकलानी ने सभी अतिथियों का आत्मीय स्वागत पौधा भेंट कर किया, जो पर्यावरण चेतना और सत्कार भावना का सुंदर प्रतीक रहा।
मुख्य शिक्षा विद एवं अतिथि – पूर्व निदेशक विद्यालयी शिक्षा
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पुष्पा मानस
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सीमा जौनसारी
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महावीर सिंह बिष्ट
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एस.पी. खाली
बैठक में रखे गए प्रमुख प्रस्ताव और अनुशंसाएं
यह दस्तावेज पूर्व में शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत और शिक्षा सचिव रविनाथ रामन के समक्ष भी प्रस्तुत किया गया था। मंत्री महोदय ने स्पष्ट किया था कि पूर्व निदेशकों व अधिकारियों की समीक्षा के पश्चात ही इसे शासन के समक्ष अनुमोदन के लिए प्रस्तुत किया जाएगा ताकि आगामी शैक्षणिक सत्र से यह लागू किया जा सके।
प्रस्तुत पाठ्यक्रम की प्रमुख बातें:
कक्षा 3 से 5 (प्राथमिक स्तर):
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7 विषय: तीन भाषाएँ, गणित, हमारे चारों ओर का संसार, कला शिक्षा, शारीरिक शिक्षा
कक्षा 6 से 8 (उच्च प्राथमिक स्तर):
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9 विषय: तीन भाषाएँ, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला, शारीरिक शिक्षा व स्वास्थ्य, व्यवसायिक शिक्षा
कक्षा 9 और 10:
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गणित अनिवार्य, दो स्तरों पर मूल्यांकन (सामान्य और उच्च)।
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10 विषय: तीन भाषाएँ, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला, शारीरिक शिक्षा व स्वास्थ्य, व्यवसायिक शिक्षा, अन्त: विषय क्षेत्र की शिक्षा
कक्षा 11 और 12:
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छात्र पढ़ेंगे 6 अनिवार्य विषय + 1 ऐच्छिक
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भाषा के दो विषय अनिवार्य, जिनमें से एक भारतीय भाषा अनिवार्य
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विषय चयन राष्ट्रीय शिक्षा नीति की संगति के अनुसार
विशेष अनुशंसाएँ:
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विद्यालयी समय प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार निर्धारित होगा।
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स्थानीय सन्दर्भ वाली विषयवस्तु का समावेश किया जाएगा।
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पाठ्यपुस्तकों में विषयवस्तु कम कर गतिविधि आधारित शिक्षण पर बल
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कला शिक्षा, शारीरिक शिक्षा, और व्यवसायिक शिक्षा को मुख्य विषयों के समकक्ष महत्व
व्यवसायिक शिक्षा के अंतर्गत संभावित स्थानीय विषय:
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मधुमक्खी पालन, डेयरी फार्मिंग, कुटीर उद्योग, टूर गाइड, ब्यूटी थेरपिस्ट, जल-मिट्टी परीक्षण, रंगकर्म, पारंपरिक वस्त्र, बागवानी, घरेलू स्वास्थ्य सहायक, योग शिक्षक आदि।
तकनीकी समावेशन:
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ऑनलाइन शिक्षण की व्यवस्था – अनुपस्थित छात्रों को शिक्षा से जोड़े रखने हेतु
पूर्व निदेशकों के सुझाव:
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कक्षा 11-12 के विषय संयोजन हेतु विद्यालयों से विषय सूची मांगी जाए।
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स्थानीय पर्यावरणीय विशेषताओं को ध्यान में रखकर Local Experts की सलाह ली जाए।
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सामाजिक विज्ञान की जगह "मानवीय" शब्द का उपयोग किया जाए।
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पुष्पा मानस: बच्चों में श्रम का सम्मान – "मानक श्रम" जैसे उदाहरण जोड़े जाएं।
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महावीर सिंह बिष्ट: कक्षा 6-8 के पाठ्यक्रम में सांस्कृतिक, धार्मिक, सामाजिक पक्षों को शामिल किया जाए। जैसे: Forest Fire का अध्ययन।
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सीमा जौनसारी:
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जीवन कौशल में डिजिटल और मोबाइल उपयोग शामिल किया जाए।
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जनजातीय जीवन, रहन-सहन, खान-पान को रोचक ढंग से प्रस्तुत किया जाए।
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रतन सिंह जौनसारी और वीर केसरी चंद को शामिल किया जाए।
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शोध आधारित कार्य विद्यार्थियों से कराए जाएं।
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एस.पी. खाली:
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जीवन के कौशल SCF में स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए।
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मानव श्रम के विविध योगदान (शिक्षा, साहित्य, सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक) को जनरल नॉलेज स्तर पर पढ़ाया जाए।
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संकुल सुविधाओं का भी उल्लेख हो।
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कक्षा 1-2 में संस्कृत शिक्षकों की उपलब्धता की योजना बनाई जाए।
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बैठक समिति के सदस्य :
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समन्वयक: मनोज किशोर बहुगुणा
समन्वयक कामाक्षा मिश्रा
सचिन नौटियाल
आईटी विभाग से रमेश बडोनी
पूर्व निदेशकों और विशेषज्ञों के बहुमूल्य सुझावों से यह स्पष्ट है कि राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा एक स्थानीयता-संवेदनशील, व्यावसायिक रूप से लाभप्रद, जीवनोपयोगी शिक्षा प्रदान करने वाली होगी। यह भारतीय परंपरा, संस्कृति, और 21वीं सदी के कौशलों का संतुलित समावेश करते हुए विद्यार्थियों को संवेदनशील वैश्विक नागरिक बनाने की दिशा में सशक्त कदम है।