Saturday, May 17, 2025

कौशलम कार्यक्रम: शिक्षा में नवाचार और आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम

"कौशलम कार्यक्रम" उत्तराखंड राज्य के विद्यालयी शिक्षा में एक क्रांतिकारी पहल है, जो कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों को उद्यमशील मानसिकता और 21वीं सदी के कौशलों से सुसज्जित करने के उद्देश्य से संचालित किया जा रहा है। यह कार्यक्रम न केवल छात्रों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करता है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और नवाचारी बनने की प्रेरणा भी देता है।

कार्यक्रम का संचालन: नेतृत्व में समर्पण

कार्यक्रम समन्वयक सुनील भट्ट और उनकी प्रतिबद्ध टीम द्वारा इस कार्यक्रम का संचालन पूरे उत्तराखंड राज्य में प्रभावशाली रूप से किया जा रहा है। उनके नेतृत्व में राज्य स्तरीय प्रशिक्षण और अभिमुखिकरण सत्रों का आयोजन निरंतर किया जा रहा है, जिनका उद्देश्य शिक्षकों को इस कार्यक्रम की मूल भावना और क्रियान्वयन प्रक्रिया से सशक्त रूप से जोड़ना है।

सुनील भट्ट की टीम न केवल प्रशिक्षण की तकनीकी दक्षता पर ध्यान दे रही है, बल्कि विद्यालयों में इस कार्यक्रम के जमीनी स्तर पर प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए भी लगातार कार्य कर रही है।

अनुश्रवन और मार्गदर्शन: वंदना गर्ब्याल का योगदान

इस कार्यक्रम की गुणवत्ता और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने हेतु निदेशक, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण – वंदना गर्ब्याल ने गहराई से अनुश्रवण किया। उन्होंने न केवल प्रशिक्षण सत्रों में भाग लिया, बल्कि प्रत्येक पहलू का सूक्ष्म विश्लेषण कर सार्थक सुझाव भी प्रदान किए।
उनके शब्दों में:

"कौशलम कार्यक्रम न केवल विद्यार्थियों को शिक्षा से जोड़ता है, बल्कि उन्हें सृजनात्मकता, आत्मनिर्भरता और नेतृत्व के पथ पर भी अग्रसर करता है। यह 21वीं सदी के लिए एक मील का पत्थर है।"

निदेशक वंदना द्वारा दिए गए  सुझाव आधारित दृष्टि ने कार्यक्रम को और अधिक व्यावहारिक, छात्र-केंद्रित और अनुभवात्मक बनाने की दिशा में बल दिया है।

21वीं सदी के कौशल: बदलते युग की मांग

इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों को निम्नलिखित आवश्यक कौशलों से परिचित कराया जाता है:

  • संचार कौशल

  • सहयोग और टीम वर्क

  • तार्किक चिंतन एवं समस्या समाधान

  • नवाचार और रचनात्मकता

  • आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता और स्वजागरूकता

इन कौशलों के माध्यम से छात्र न केवल शैक्षणिक रूप से सशक्त बनते हैं, बल्कि सामाजिक और व्यावसायिक जीवन में भी उनका आत्मबल दृढ़ होता है।

कक्षा अनुसार गतिविधियाँ

  • कक्षा 9: समस्या का चिन्हांकन और समाधान

  • कक्षा 10: करियर की खोज और योजना

  • कक्षा 11: व्यवसाय आधारित परियोजना

  • कक्षा 12: रुचि आधारित नवाचारी प्रोजेक्ट

अपर निदेशक परिषद पदमेन्द्र सकलानी और सहायक निदेशक डॉ के एन बिजलवान ने कहा कि यह प्रोग्राम  विद्यार्थियों को चिंतनशील, निर्णयात्मक और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित करता है।

साझेदारी और सहभागिता

कार्यक्रम में अजीम प्रेमजी फाउंडेशन, उद्यम लर्निंग फाउंडेशन तथा अन्य संदर्भदाताओं ने भी तकनीकी सहयोग प्रदान किया। रोहित गुप्ता, दिव्या जोशी और दिनेश सिंह जैसे विशेषज्ञों ने प्रशिक्षण में सशक्त भागीदारी निभाई।

निष्कर्ष: कौशलम – विद्यार्थियों के भविष्य की नींव

"कौशलम कार्यक्रम" उत्तराखंड राज्य के शिक्षा क्षेत्र में नवाचार, आत्मनिर्भरता और कौशल विकास का प्रतीक बन चुका है।
सुनील भट्ट और उनकी टीम का समर्पण, निदेशक वंदना गर्ब्याल की दृष्टि और शिक्षकों की भागीदारी इस कार्यक्रम को एक सार्थक आंदोलन की दिशा में ले जा रही है।