Saturday, May 31, 2025

विदाई समारोह विशेष : एससीईआरटी उत्तराखंड ने दी दो महान शिक्षाविदों को भावभीनी विदाई

देहरादून, 31 मई 2025उत्तराखंड राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) के सभागार में आज का दिन भावनाओं और कृतज्ञता से ओतप्रोत रहा, जब संस्था ने दो वरिष्ठ और समर्पित शिक्षाविदों — श्री मदन मोहन जोशी और डॉ. शक्ति प्रसाद सेमल्टी — को सेवानिवृत्ति के उपलक्ष्य में भावभीनी विदाई दी। इन दोनों महानुभावों ने शिक्षा के क्षेत्र में चार दशकों तक अपनी अमूल्य सेवाएं दीं और आज उनके योगदान का सम्मान करते हुए समस्त संकाय एवं अधिकारीगण भावविभोर हो उठे।



समारोह की गरिमामयी शुरुआत

कार्यक्रम का शुभारंभ निदेशक अकादमिक, शोध एवं प्रशिक्षण बंदना गर्ब्याल, अपर निदेशक पद्मेंद्र सकलानी, सहायक निदेशक डॉ. के.एन. बिजलवाण, उपनिदेशक नेगी तथा मुख्य प्रशासनिक अधिकारी रावत द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसे  जोशी और डॉ. सेमल्टी ने सम्मिलित रूप से संपन्न किया। इस शुभारंभ के साथ ही डॉ. उषा कटिहार ने "गुरुर्ब्रह्मा..." मंत्र का सस्वर उच्चारण करते हुए वातावरण को आध्यात्मिकता से भर दिया।


संचालन और स्मृतियों का सिलसिला

समारोह का सफल मंच संचालन  सुनील भट्ट ने अपनी प्रभावशाली शैली में किया। दोनों सेवानिवृत्त शिक्षाविदों के जीवनवृत्त और उनके योगदान को विस्तार से प्रस्तुत किया गया। आईटी विभाग द्वारा निर्मित एक शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री फिल्म के माध्यम से जोशी और डॉ. सेमल्टी के जीवन के कार्यों की झलकियां प्रस्तुत की गईं, जिन्होंने उपस्थितजनों को भावुक कर दिया।


मदन मोहन जोशी : शिक्षा के इन्साइक्लोपीडीया 

मदन मोहन जोशी उत्तराखंड की समग्र शिक्षा व्यवस्था के एक ऐसे आधार स्तंभ रहे हैं जिन्होंने शिक्षा के प्रत्येक स्तर पर अपने दायित्वों का निर्वहन पूरी निष्ठा और ईमानदारी से किया। SCERT, समग्र शिक्षा अभियान, सर्व शिक्षा अभियान सहित अनेक परियोजनाओं में उनकी भूमिका नेतृत्वकारी और दूरदर्शी रही। मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री , शिक्षा सचिव से लेकर केंद्रीय स्तर तक उनके द्वारा प्रस्तुत योजनाओं को न केवल सराहा गया बल्कि उन्हें अनुकरणीय भी माना गया। जोशी की कार्यशैली में गहराई, स्पष्टता और योजनागत सोच की झलक हमेशा दिखाई देती थी। उन्होंने शिक्षा को केवल एक प्रशासनिक उत्तरदायित्व नहीं, बल्कि सामाजिक उत्तरदायित्व समझा और उसी समर्पण भाव से सेवा की। उनके कार्यों की छाप आने वाले वर्षों तक उत्तराखंड की शिक्षा प्रणाली पर बनी रहेगी।


डॉ. शक्ति प्रसाद सेमल्टी : पाठ्यक्रम निर्माण के धरोहर

डॉ. शक्ति प्रसाद सेमल्टी एक शांत, विचारशील और गंभीर व्यक्तित्व के धनी शिक्षक रहे हैं जिन्होंने SCERT के पाठ्यक्रम विभाग में अपनी विद्वता और लगन से शिक्षा सामग्री निर्माण को नई दिशा दी। 18 से अधिक पाठ्यपुस्तकों के निर्माण में उनका योगदान न केवल प्रशंसनीय है, बल्कि यह एक शिक्षा मनीषी के रूप में उनकी पहचान को पुष्ट करता है। वे अपने साथियों के लिए मार्गदर्शक, प्रेरणास्रोत और एक बड़े भाई जैसे थे, जिन्होंने न केवल शिक्षाविदों को प्रशिक्षित किया बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता को भी समृद्ध किया। उनका अनुशासन, कार्य के प्रति निष्ठा और सहज व्यवहार उन्हें विद्यार्थियों और सहकर्मियों के बीच सदैव प्रिय बनाए रखेगा। उनके कार्य और विचार भावी पीढ़ी के लिए एक अमूल्य धरोहर हैं।


निदेशक का भावुक संबोधन
"आज हम न केवल दो व्यक्तित्वों को विदाई दे रहे हैं, बल्कि शिक्षा विभाग की दो जीवंत पुस्तकों को समेट रहे हैं, जिनके हर पृष्ठ पर अनुभव, समर्पण और सेवा की अमिट छाप है। श्री मदन मोहन जोशी और डॉ. शक्ति प्रसाद सेमल्टी का योगदान केवल विभाग की दीवारों तक सीमित नहीं रहा, उन्होंने उत्तराखंड की पीढ़ियों को शिक्षित करने की नींव रखी है। इनकी कमी कभी पूरी नहीं हो सकेगी, लेकिन इनका मार्गदर्शन हमें हमेशा दिशा दिखाता रहेगा।"
वंदना गर्ब्याल, निदेशक, अकादमिक, शोध एवं प्रशिक्षण, SCERT उत्तराखंड

निदेशक बंदना गर्ब्याल ने अपने भावुक संबोधन में कहा कि “आज हम दो ऐसे स्तंभों को विदाई दे रहे हैं, जिन्होंने न केवल विभाग को दिशा दी, बल्कि पूरे राज्य के शैक्षिक परिदृश्य को प्रभावित किया। इनके योगदान की भरपाई करना संभव नहीं है।” उन्होंने डॉ. सेमल्टी द्वारा पाठ्यक्रम विकास में 18 से अधिक पाठ्यपुस्तकों के निर्माण और जोशी द्वारा समग्र शिक्षा अभियान, सर्व शिक्षा अभियान और अन्य योजनाओं में दिए गए योगदान की विशेष सराहना की।


संस्मरणों और काव्य की प्रस्तुति

डॉ. अवनीश उनियाल ने अपनी कविताओं के माध्यम से दोनों विभूतियों के कार्यों का भावपूर्ण चित्रण किया। डॉ. के.एन. बिजलवाण ने  जोशी को प्रोजेक्ट मे कार्य करने पर सहयोग के लिए अपना मार्गदर्शक गुरु बताया  और उनके  प्रेरक अनुभव भी साझा किए और डॉ. सेमल्टी को बड़े भाई के रूप में संबोधित किया।


अधिकारियों की ओर से शुभकामनाएं

"इन दोनों शिक्षाविदों ने शिक्षा विभाग की नींव को सिर्फ मज़बूत ही नहीं किया, बल्कि उसे नई दिशा भी दी। इनका योगदान पत्थर पर लिखी इबारत की तरह है—अमिट, अडिग और प्रेरणादायी। आज हम भले ही इन्हें औपचारिक रूप से विदा कर रहे हैं, लेकिन इनका प्रभाव और मार्गदर्शन सदैव हमारे साथ रहेगा।"
पद्मेंद्र सकलानी, अपर निदेशक, SCERT उत्तराखंड

अपर निदेशक पद्मेंद्र सकलानी ने कहा, “आज हम दो ऐसे व्यक्तित्वों को सम्मानित कर रहे हैं जिनका स्थान लेना असंभव प्रतीत होता है।” उन्होंने कहा कि जोशी और डॉ. सेमल्टी जैसे कर्मठ, स्वाभिमानी और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी मिलना दुर्लभ है। उन्होंने दोनों शिक्षकों को विभाग में परामर्शदाता के रूप में बनाए रखने की भी सिफारिश की।


आईटी विभाग के प्रवक्ता  रमेश बडोनी ने  जोशी को प्रेरणा का प्रतीक बताते हुए कहा कि “इन्होंने शिक्षा विभाग में जो मानक स्थापित किए हैं, वे आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक बनेंगे।”


शुभकामनाओं और विदाई का क्षण

डॉ. अजय चौरसिया और विनय थपलियाल हित कई संकाय सदस्यों ने दोनों सेवानिवृत्त शिक्षकों को शुभकामनाएं देते हुए उनके साथ बिताए गए अनमोल क्षणों को साझा किया। समारोह के अंत में अपर निदेशक  सकलानी द्वारा दोनों संकाय सदस्यों को वित्तीय सम्मान राशि के चेक प्रदान किए गए। जलपान के साथ सभी संकाय सदस्यों ने एक परिवार के रूप में मिलकर इस विदाई समारोह को स्मरणीय बना दिया।


यह समारोह केवल एक विदाई नहीं, बल्कि दो महान संकाय सदस्यों के कार्यों, मूल्यों और समर्पण के प्रति सम्मान समारोह के रूप मे अमूल्य क्षण थे। मदन मोहन जोशी और डॉ. शक्ति प्रसाद सेमल्टी ने शिक्षा विभाग को जो प्रेरणा, अनुभव और सेवा दी, वह सदैव अमिट रहेगी। उत्तराखंड की शिक्षा प्रणाली में उनका नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित रहेगा।