चम्पावत/देहरादून। शिक्षक दिवस के अवसर पर उत्तराखंड के लिए गर्व का क्षण रहा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने नई दिल्ली में आयोजित विशेष समारोह में उत्तराखंड के दो शिक्षकों – NSTI देहरादून के ट्रेनिंग ऑफिसर मनीष ममगाई और चंपावत जिले के प्राथमिक विद्यालय च्यूरानी की प्रधानाध्यापिका डॉ. मंजूबाला – को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया।
इस प्रतिष्ठित सम्मान के अंतर्गत चयनित शिक्षकों को सम्मान-पत्र, मेडल और 50,000 रुपये की नकद राशि प्रदान की जाती है।
राष्ट्रपति का संदेश
डॉ. मंजूबाला: शिक्षा में नवाचार और त्रिभाषा पद्धति
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वे केवल प्राथमिक स्तर तक सीमित नहीं हैं, बल्कि हाईस्कूल और इंटरमीडिएट विद्यार्थियों को भी अंग्रेजी पढ़ाती हैं।
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विद्यालय समय के बाद इवनिंग क्लासेस चलाकर कमजोर बच्चों को अतिरिक्त सहयोग देती हैं।
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स्काउट एवं गाइड गतिविधियों में भी सक्रिय योगदान देती हैं।
नई शिक्षा नीति (NEP 2020) में जिस त्रिभाषा पद्धति को प्रोत्साहित किया जा रहा है, उसका जीवंत उदाहरण डॉ. मंजूबाला का कार्य है।
मनीष ममगाई: युवाओं को कौशल और रोजगार से जोड़ने का कार्य
NSTI देहरादून में ट्रेनिंग ऑफिसर मनीष ममगाई ने शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
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उन्होंने युवाओं को रोजगारपरक कौशल से जोड़ने के लिए कई नवाचारी पहलें कीं।
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कौशल प्रशिक्षण के जरिए नई पीढ़ी को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में उनका काम सराहनीय है।
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वे इंडस्ट्री और शिक्षा जगत के बीच सेतु का कार्य कर रहे हैं, ताकि छात्र केवल पढ़ाई तक सीमित न रहें बल्कि बेहतर रोजगार के अवसर भी प्राप्त कर सकें।
उत्तराखंड के लिए गौरव का क्षण
डॉ. मंजूबाला और मनीष ममगाई की उपलब्धि उत्तराखंड की शिक्षा और कौशल विकास व्यवस्था के लिए एक प्रेरणादायी उदाहरण है। यह सम्मान न केवल इन दोनों शिक्षकों के व्यक्तिगत समर्पण का परिणाम है, बल्कि प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में लगातार हो रहे सकारात्मक बदलावों का भी प्रतीक है। यह सम्मान इस बात का संदेश देता है कि शिक्षा और कौशल विकास में नवाचार, समर्पण और सेवा भाव से कार्य करने वाले शिक्षक ही राष्ट्र निर्माण की सच्ची नींव हैं।