Thursday, September 04, 2025

उत्तराखंड में शिक्षा विभाग के माध्यमिक शिक्षा की नई राज्य पाठ्यचर्या रूपरेखा को मिली मंज़ूरी

 
उत्तराखंड राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में आज ऐतिहासिक कदम उठाया गया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP)–2020 को प्रभावी ढंग से लागू करने तथा गुणवत्तापरक शिक्षा तक सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से माननीय शिक्षा मंत्री डॉ. धनसिंह रावत जी की अध्यक्षता में गठित ‘टास्क फोर्स’ की बैठक में ‘विद्यालयी शिक्षा हेतु राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा (SCF-SE)’ को औपचारिक अनुमोदन प्रदान किया गया।


सचिवालय स्थित सभाकक्ष में आयोजित इस महत्वपूर्ण बैठक में मुख्य सचिव आनंद वर्धन, सचिव विद्यालयी शिक्षा रविनाथ रमन, उच्च शिक्षा सचिव, तकनीकी शिक्षा सचिव, उद्यान सचिव, संस्कृत शिक्षा सचिव, वित्त विभाग के अधिकारीगण तथा अन्य उच्च पदाधिकारी उपस्थित रहे।


निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण बंदना गर्ब्याल, अपर निदेशक पद्मेन्द्र सकलानी, सहायक निदेशक डॉ  के. एन. विजलवान और रविदर्शन तोपाल सहित शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर मौजूद रहे।

नई पाठ्यचर्या की मुख्य विशेषताएँ

निदेशक अकादमिक बन्दना गर्ब्याल ने बहुत ही सहजता के साथ बैठक में राज्य पाठ्यचर्या रूपरेखा (SCF–SE, 2025) को विस्तार से समझाया। यह रूपरेखा राष्ट्रीय शिक्षा नीति–2020 के दिशा-निर्देशों के अनुरूप है और विद्यालयी शिक्षा को अधिक प्रासंगिक, व्यवहारिक और समावेशी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

मुख्य विशेषताएँ –

  • समान अवसर आधारित शिक्षा : प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापरक शिक्षा उपलब्ध कराना।

  • व्यावसायिक शिक्षा : बच्चों को मुख्यधारा की शिक्षा के साथ व्यावसायिक कौशल सीखने का अवसर।

  • शारीरिक व कला शिक्षा : खेल, स्वास्थ्य और कला को अन्य विषयों के समान महत्व।

  • भारतीय जड़ों से जुड़ाव : पाठ्यचर्या में भारतीय संस्कृति, परंपरा और ज्ञान का समावेश।

  • विषय चयन का विकल्प : कक्षा 11 से छात्रों को अपनी पसंद के विषय संयोजन चुनने की स्वतंत्रता।

  • स्थानीय संदर्भों पर जोर : कृषि, उद्यान, लोककला, हस्तशिल्प, पर्यटन, पर्यावरण और संगीत जैसे विषयों को भी पाठ्यक्रम में सम्मिलित करना।

  • मूल्य आधारित शिक्षा : पर्यावरणीय चेतना, सामाजिक समरसता, नैतिकता और जीवन-कौशल पर विशेष बल।

  • बहुभाषी शिक्षा : प्रारंभिक कक्षाओं में तीन भाषाओं के साथ स्थानीय भाषाओं और बोलियों का संरक्षण।

राज्य की शिक्षा में नए आयाम

इस नई रूपरेखा के लागू होने के बाद –

  • विद्यालयी शिक्षा अधिक लचीली और छात्र-केंद्रित होगी।

  • बच्चों को स्थानीय संसाधनों व सांस्कृतिक विरासत से जोड़ते हुए रोजगारपरक शिक्षा दी जाएगी।

  • हर विद्यालय में साप्ताहिक/वार्षिक गतिविधि दिवस तय होंगे, ताकि शिक्षा केवल कक्षा तक सीमित न रहकर जीवन से जुड़ सके।

  • मूल्यांकन प्रक्रिया को प्रोजेक्ट आधारित, प्रायोगिक और सतत् बनाया जाएगा।

यह अनुमोदन न केवल उत्तराखंड राज्य बल्कि पूरे देश के लिए एक अनुकरणीय पहल है। इससे शिक्षा व्यवस्था में गुणवत्ता, समानता और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। राज्य सरकार का यह संकल्प है कि आने वाले समय में प्रत्येक बच्चा न केवल ज्ञान प्राप्त करे बल्कि अपनी संस्कृति, कौशल और जीवन मूल्यों से भी गहराई से जुड़ा रहे। निस्संदेह, यह दिन उत्तराखंड की शिक्षा यात्रा में मील का पत्थर सिद्ध होगा।