देहरादून, 13 अक्टूबर 2025।
कार्यक्रम का शुभारंभ प्रातः 10 बजे मुख्य अतिथि विधायक उमेश शर्मा ‘काऊ’ द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। इस अवसर पर निदेशक, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, वंदना गर्ब्याल ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया । उन्होंने अपने संबोधन में इस आयोजन की आवश्यकता एवं नई शिक्षा नीति (NEP 2020) के साथ इसकी प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।
निदेशक, माध्यमिक शिक्षा डॉ. मुकुल कुमार सती ने अपने संदेश में प्रदेश के युवाओं से अपनी संस्कृति, लोककला और परंपराओं से गहराई से जुड़ने का आह्वान किया।
कार्यक्रम में निर्णायक मण्डल के रूप में डॉ. माधुरी बर्थवाल, श्रीमती रेखा धस्माना, श्रीमती संगीता ढोंडियाल, श्री गिरीश सुनेरियाल एवं श्री अरुण जोशी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डायट देहरादून के प्रवक्ता राम सिंह और सुरेश चन्द्र पोखरियाल ने कुशलतापूर्वक किया। डायट प्राचार्य हेमलता गौड़ ने सभी आगंतुकों एवं अतिथियों का हार्दिक स्वागत किया।
कार्यक्रम के उद्देश्य और गतिविधियाँ
कार्यक्रम संयोजक राखी पांडेय ने बताया कि इस सांस्कृतिक समागम का उद्देश्य प्रदेश के भावी शिक्षकों को उत्तराखंड की गौरवशाली लोक परंपराओं से जोड़ना है, ताकि वे आने वाली पीढ़ियों तक लोककथाओं, लोककलाओं और सांस्कृतिक मूल्यों को पहुंचा सकें।
दो दिवसीय यह कार्यक्रम प्रदेश के सभी डायट्स के डी.एल.एड. प्रशिक्षुओं की सक्रिय भागीदारी से संपन्न हो रहा है। प्रशिक्षु पांच प्रमुख गतिविधियों — नृत्य नाटिका, पारंपरिक लोक नृत्य, बाल कविता, नाटक एवं वाद्य वादन में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं।
उद्घाटन सत्र में सरस्वती वंदना एवं स्वागत गीत के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। विभिन्न डायट्स की टीमों ने रामी बौराणी, जीतू बगड़वाल, माधव सिंह भंडारी और गंगा जैसी प्रसिद्ध लोकगाथाओं पर आधारित मनमोहक नृत्य-नाटिकाएँ प्रस्तुत कीं।
भोजनावकाश के उपरांत कक्षा 3 से 8 तक की पाठ्यपुस्तकों पर आधारित नाट्य प्रस्तुतियाँ मंचित की गईं, जिनका उद्देश्य विद्यार्थियों में नैतिक मूल्यों और सांस्कृतिक चेतना का प्रसार करना रहा। इस वर्ष डायट देहरादून को इस राज्य स्तरीय आयोजन की मेजबानी का गौरव प्राप्त हुआ है। अपर निदेशक परिषद पदमेन्द्र सकलानी ने सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाए प्रेषित की ।