Wednesday, October 15, 2025

DIET Bhimtal Nainital — “बिना अनुभव के सीखना असम्भव” : आशुतोष

 

शिक्षण केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक सतत अनुभव की प्रक्रिया है। “सिखाना अनुभव से ही सम्भव है, बिना अनुभव के सीखना सरल नहीं है,” यह प्रेरक विचार ख्यातिप्राप्त शिक्षाविद् एवं विज्ञान खोजशाला के संस्थापक आशुतोष उपाध्याय ने जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (DIET) भीमताल, नैनीताल में आयोजित चार दिवसीय कार्यशाला के दौरान व्यक्त किए।

आशुतोष उपाध्याय ने कहा कि विषय में रुचि पैदा करना शिक्षक का मुख्य कार्य है। जब तक विद्यार्थी विषय में आनंद और जिज्ञासा महसूस नहीं करेंगे, तब तक शिक्षण प्रभावी नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि हर कक्षा में शिक्षक को विद्यार्थियों के अनुभवों से जुड़कर सीखने का अवसर देना चाहिए, जिससे शिक्षा जीवन से सार्थक रूप से जुड़ सके।


कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. शैलेन्द्र सिंह धपोला ने बताया कि शिक्षण में रुचि जागृत करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत “बस्ता रहित दिवसों” (Bagless Days) की अवधारणा विकसित की गई है। इन 10 दिवसीय गतिविधियों को अब PARAKH राष्ट्रीय सर्वेक्षण की अनुशंसाओं के साथ जोड़ा जा रहा है, जिससे विद्यार्थियों की सीखने की न्यून उपलब्धियों (Learning Outcomes) को सुधारा जा सके।

कार्यशाला संयोजक डॉ. प्रेम सिंह मावड़ी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्पष्ट रूप से गतिविधि आधारित शिक्षण (Activity-Based Learning) और दक्षता विकास (Competency Development) पर बल दिया गया है। इसी क्रम में चार दिवसीय इस कार्यशाला में शिक्षकों और डी.एल.एड. प्रशिक्षुओं द्वारा विविध शिक्षण मॉडल तैयार किए जा रहे हैं।

इन मॉडलों में “जादुई हाथ”, “सौरमंडल”, “रंगबिरंगे गिरगिट”, “कछुए का गणित” जैसी रचनात्मक गतिविधियाँ शामिल हैं, जिनसे विद्यार्थियों में जिज्ञासा, रचनात्मकता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास हो सके।


कार्यशाला में डॉ. विमल किशोर, ललित प्रसाद तिवारी, डॉ. सुमित पांडे, डॉ. पूरन सिंह बंगला सहित जनपद के 40 शिक्षक एवं डी.एल.एड. प्रशिक्षु सक्रिय रूप से प्रतिभाग कर रहे हैं।

यह कार्यशाला इस बात का सशक्त उदाहरण है कि जब शिक्षण में अनुभव और गतिविधि का समन्वय होता है, तब शिक्षा केवल सिखाने का माध्यम नहीं रह जाती, बल्कि जीवन जीने की कला बन जाती है।