Saturday, November 29, 2025

राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्राप्त शिक्षिका सुधा पैन्यूली का सम्मानित सेवा-निवृत्ति समारोह – एक अविस्मरणीय विदाई

 

अवसर: अधिवर्षता पूर्ण होने पर सेवा-निवृत्ति सम्मान समारोह : विशेष अतिथि एवं प्रतिभाग: SCERT संकाय सदस्य, अधिकारी, कर्मचारी, पूर्व छात्र, परिजन

SCERT उत्तराखण्ड के सभागार में आज का दिन अत्यंत भावनात्मक, प्रेरक और ऐतिहासिक रहा, जब राष्ट्र द्वारा सम्मानित राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार -2020 प्राप्त शिक्षिका  सुधा पैन्यूली के सेवा-निवृत्ति समारोह का आयोजन पूरे उत्साह, गरिमा और सौहार्द के साथ किया गया। यह केवल एक विदाई नहीं थी, बल्कि एक महान शिक्षिका के योगदान, उनके तप, अनुशासन, नवाचार और अमिट पहचान का उत्सव था।

दीप प्रज्वलन और शुभकामनाओं के साथ हुआ शुभारंभ

समारोह की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई। मंच संचालन करते हुए डॉ. अवनीश उनियाल ने बड़ी गंभीरता और सहजता से कार्यक्रम को संजोया और एक–एक कर सभी अतिथियों को आमंत्रित किया कि वे अपने-अपने अनुभवों, गीतों, शुभकामनाओं और संदेशों के माध्यम से सुधा पैन्यूली के प्रति सम्मान प्रकट करें।


SCERT के संकाय सदस्यों ने अपने-अपने अनूठे तरीकों से उनका सम्मान किया। डॉ. संदीप चेतन ने अपने मधुर गायन से समारोह में नया उत्साह भरा। शिव-स्तुति के साथ कई शिक्षकों ने अपना भावपूर्ण सम्मान व्यक्त किया। सुधा पैन्यूली के बड़े भाई ने भी एक गीत के माध्यम से अपनी शुभकामनाएँ दीं, जिसमें बहन के प्रति गर्व और आत्मीयता स्पष्ट झलक रही थी। 

  • पदमेन्द्र सकलानी अपर निदेशक, SCERT द्वारा पुष्प–गुच्छ भेंट कर सम्मानित किया गया और उनके आगामी जीवन के लिए शुभकामनाएँ प्रदान की गईं।
  • निदेशक माध्यमिक शिक्षा, डॉ. मुकुल कुमार सती ने भी उन्हें सम्मानित करते हुए उनके कार्यों की प्रशंसा की।
  • इसके उपरांत सहायक निदेशक  डॉ. के. एन. बिजलवान ने पुष्पगुच्छ एवं माल्यार्पण कर आदर प्रकट किया। परिवार और पूर्व छात्रों की भावुक प्रतिक्रियाएँ


सुधा पैन्यूली की छोटी बहन ने उनके व्यक्तित्व पर बोलते हुए कहा कि—

“अनुशासन, समयपालन और दृढ़ निश्चय की प्रेरणा मुझे अपनी बड़ी बहन से ही मिली। आज मैं जो भी हूँ, उन्हीं की वजह से हूँ।”

उनके पूर्व छात्र, जो एकलव्य विद्यालय में उनके निर्देशन में पढ़े थे, भावुक होते हुए बोले—
“सुधा मैम सिर्फ एक शिक्षक नहीं, बल्कि एक जागृत इंसान बनाने वाली मार्गदर्शक रहीं। उन्होंने हमें कौशल, चरित्र और जीवन-मूल्यों के साथ खड़ा होना सिखाया।” 

सुधा पैन्यूली की जीवन-यात्रा पर बनाई गई विशेष डॉक्यूमेंट्री

IT विभाग द्वारा तैयार की गई उनकी यात्रा पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी प्रदर्शित की गई।
इसमें—

  • उनके नवाचार, समुदाय कार्य, एकलव्य विद्यालय में किए गए परिवर्तन, राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के पीछे की उनकी तपस्या, का सुंदर चित्रण किया गया। डॉक्यूमेंट्री ने पूरे सभागार को भावुक और गौरवान्वित कर दिया।

दो वर्षों में SCERT में उल्लेखनीय योगदान

SCERT में पिछले दो वर्षों में उन्होंने- नवाचार एवं पाठ्यक्रम विकास विभाग  में कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं को आगे बढ़ाया और संस्थान की पहचान को ऊँचा उठाया। उनकी मेहनत, समयपालन, लीडरशिप और कार्य के प्रति गहन निष्ठा को सभी वरिष्ठ अधिकारियों ने विशेष रूप से रेखांकित किया। 


बन्दना गर्ब्याल (निदेशक, अकादमी शोध एवं प्रशिक्षण) का  संदेश 

सुधा पैन्यूली एक दृढ़ निश्चयी, अनुशासित, सृजनशील और अत्यंत कर्मठ शिक्षिका हैं। उन्होंने जहां भी कार्य किया, उस स्थान को अपनी कार्यशैली से समृद्ध किया।” 

सभी वक्ताओं का एक स्वर — “अनुशासन और तार्किक सोच उनकी पहचान”

सभी वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि उनकी बातों में हमेशा स्पष्टता, निर्णय लेने की मजबूत क्षमता, और हर मुद्दे पर तार्किक दृष्टिकोण दिखाई देता था।

विभागीय कारणों से सेवा विस्तार न मिल पाने के बावजूद भी उन्होंने अपनी सादगी, विनम्रता और सकारात्मकता बनाए रखी—जो एक सच्चे शिक्षक की पहचान है। 

सुधा पैन्यूली का स्वयं का संदेश — “शिक्षा मेरा मिशन है”

अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा—

  • “मैंने जो भी कार्य किया, पूरी निष्ठा और अपनी इच्छा से किया।”

  • “विद्यालय शिक्षा और समुदाय के लिए मैं जीवन पर्यंत समर्पित रहूँगी।”

  • अपने गुरु और मार्गदर्शक डॉ. जी. सी. बडोनी का भी विशेष उल्लेख किया, जिनके मार्गदर्शन ने उन्हें नई ऊँचाइयाँ छूने की प्रेरणा दी। उनकी वाणी में विनम्रता, कृतज्ञता और मिशन भाव साफ झलक रहा था। 

पुत्री सौम्या का भावुक संबोधन

सुधा पैन्यूली की पुत्री ने   सौम्या  कहा— “मैं आज जो भी हूँ, अपनी मां के अनुशासन, मूल्य और उनके मार्गदर्शन की वजह से हूँ।” समारोह में उनकी पुत्री, दामाद, भाई और बहनोई की उपस्थिति ने कार्यक्रम को पारिवारिक ऊष्मा से भर दिया। 

समापन – एक अमिट छाप और प्रेरणा

समारोह का अंत इस मंत्रवत संदेश के साथ हुआ— “जहां रहो, वहां अग्रिम रहो। अपनी छाप ऐसी छोड़ो कि वह आने वाली पीढ़ियों को दिशा दे।” निस्संदेह, सुधा पैन्यूली द्वारा बनाए गए फुटप्रिंट्स SCERT, उत्तराखण्ड और शिक्षा-जगत में सदैव मार्गदर्शक और प्रेरणास्रोत बने रहेंगे। उनकी अनुशासित कार्यशैली, नवाचारी सोच, समुदाय के प्रति समर्पित दृष्टि और शिक्षा को जीवन-मिशन की तरह जीने का तरीका-  आगामी पीढ़ियों के शिक्षकों के लिए मील का पत्थर है। 

SCERT उत्तराखण्ड परिवार की ओर से

सादर नमन एवं शुभकामनाएँ
शुभ भविष्योदय, स्वास्थ्य, ऊर्जा और निरंतर प्रेरणा के लिए।