दिनांक 2 से 6 दिसंबर 2025
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उत्तराखंड के तत्वावधान में परिषद के भवन में सम्पन्न हुआ। प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ परिषद के सहायक निदेशक डाॅ0 के0 एन0 बिजल्वान की अध्यक्षता में किया गया। कार्यक्रम के समन्वयक एवं प्रशिक्षक डॉ0 संजीव चेतन ने कला शिक्षा तथा समेकित शिक्षा में लोक चित्रकला की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए पूरे कार्यक्रम की रूपरेखा को सविस्तार स्पष्ट किया, साथ ही आईसीटी की बुनियादी बातों का भी उल्लेख किया।
डाॅ0 बिजल्वान ने समस्त प्रतिभागियों को नई शिक्षा नीति 2020 के आलोक में उत्तराखंड राज्य के परिप्रेक्ष्य में कला शिक्षा को किस रूप में देखने आगे ले जाना है, इस बात को स्पष्ट करते हुए कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर सबका ध्यान केंद्रित किया। कला शिक्षा में मूल्यांकन और भारतीय प्राचीन परम्परा पर भी सबका ध्यान आकृष्ट किया। इसी क्रम में श्री मनोज बहुगुणा ने नई शिक्षा निति 2020 के बारे में विस्तार बताया और नयी नीति में कला विषय के महत्व को बताया।
इस दूसरे प्रशिक्षण में राज्य के छः जनपद (देहरादून, अल्मोड़ा, पौड़ी, टिहरी, रुद्रप्रयाग तथा चमोली) के कला शिक्षकों ने प्रतिभाग किया। शिक्षकों ने कैनवास पर चित्रण कर लोककला के माध्यम से कला में 'फ्यूजन' को समझा तथा बदलते समय के साथ कलारूपों के बदलते आयाम को समझने का प्रयास किया।
सभी कला शिक्षकों ने वर्तमान शिक्षा निति की मूल भावना के परिदृश्य कला शिक्षा के शिक्षण के साथ समेकित शिक्षा में लोक कला की महत्ता को भी गहराई से महसूस किया साथ ही इस कला की सरलता और सहजता को विद्यार्थियों में संचारित करने की प्रतिबद्धता दोहराई। साथ ही ये भी समझ पाये कि कला शिक्षण में 'प्राॅसेस' कितना महत्वपूर्ण पहलू है।