अभिमुखीकरण कार्यशाला का प्रारम्भ श्रीमती बंदना गर्ब्याल,
निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान उत्तराखण्ड द्वारा किया गया। उन्होंने
कहा कि समाज में जेण्डर सम्बन्धी संवेदनशीलता के विकास के लिए इस कार्य को
विद्यालय स्तर से शुरू किया जाना आवश्यक है। उत्तराखण्ड राज्य ने राष्ट्रीय शिक्षा
नीति 2020 की संस्तुतियों के आधार पर इस कार्य को एस.सी.ई.आर.टी. उत्तराखण्ड के
माध्यम से आगे बढ़ाया है। उन्होंने कक्षा-शिक्षण को समावेशी तरीके से किये जाने पर
जोर दिया तथा कहा कि समाज में सभी वर्गों के बच्चों के विकास के लिए समानता के
साथ-साथ समता की विचारधारा पर बल दिया जाना आवश्यक है।
एस.सी.ई.आर.टी. की संयुक्त निदेशक श्रीमती कंचन देवराड़ी ने बालिकाओं की शिक्षा के लिए समता की विचारधारा के अनुसरण पर बल दिया। उन्होंने कहा कि जेण्डर सेल के माध्यम से राज्य में जेण्डर सम्बन्धी मुद्दों पर गम्भीरता से कार्य किया जायेगा। इस सेल के माध्यम से शिक्षकों के प्रशिक्षण हेतु सामग्री का विकास भी किया जायेगा।
संयुक्त निदेशक श्रीमती आशा पैन्यूली ने कहा कि मनुष्य जन्म
से लिंग के आधार पर स्त्री और पुरुष के रूप में अलग-अलग होते हैं किन्तु सामाजिक
रूढ़ियाँ एवं मान्यताएं जेण्डर सम्बन्धी भेदभाव पैदा करती हैं। इस समस्या को दूर
करने के लिए सामुदायिक जागरूकता आवश्यक है। जेण्डर के कारण बालक और बालिकाओं में
शिक्षण एवं कार्यों का विभाजन उचित नहीं है।
सहायक निदेशक डॉ. कृष्णानन्द बिजल्वाण ने कहा कि जेण्डर सेल के द्वारा जब शिक्षकों एवं छात्रों के लिए सामग्री के विकास के लिए इससे सम्बन्धित विभागों तथा संस्थाओं का सहयोग लिया जायेगा। जेण्डर संवेदनशीलता को शिक्षकों के प्रशिक्षण में शामिल किया जायेगा ताकि समाज में इससे सम्बन्धित भेदभाव को रोका जा सके।
राज्य स्तरीय जेन्डर एवं समता प्रकोष्ठ (Cell) की समन्वयक श्रीमती शुभ्रा सिंघल ने प्रथम सत्र में जेण्डर शिक्षा के उद्देश्यों पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, राष्ट्रीय तथा राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा तथा बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के आधार पर इस शिक्षा के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला तथा समाज में प्रचलित जेण्डर आधारित भेदभावों पर चर्चा की।
डॉ. राकेश चन्द्र गैरोला, प्रवक्ता एस.सी.ई.आर.टी. ने राज्य स्तरीय जेन्डर एवं समता प्रकोष्ठ (Cell) की स्थापना के औचित्य, प्रक्रिया तथा उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के टास्क संख्या 172 में शिक्षा में निष्पक्षता, समानता और समावेशिता को
बढ़ावा देने के लिए जेण्डर और समता प्रकोष्ठ के गठन का सुझाव दिया गया है। इस नीति
के अनुसार जेण्डर सेल, यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केन्द्रित करेगा कि शिक्षा प्रणाली
में सभी के साथ उचित और समान व्यवहार किया जाए और सभी छात्रों को, उनकी पृष्ठभूमि या क्षमताओं की परवाह किए बिना, निर्बाध तरीके से
शिक्षा प्रदान की जाय। इस प्रकोष्ठ के माध्यम से उत्तराखण्ड की विद्यालयी शिक्षा
प्रणाली में अधिक न्यायसंगत और समावेशी शैक्षणिक माहौल का विकास किया जायेगा।
जेण्डर एवं समता प्रकोष्ठ में इस क्षेत्र में सक्रिया प्राथमिक, माध्यमिक
विद्यालयों के शिक्षकों, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के शिक्षक प्रशिक्षकों
तथा स्वयंसेवी संस्थाओं के 22 सदस्यों को शामिल किया गया है।
रूम टु रीड के अरबिन्द सिंह
ने गतिविधि के माध्यम से पाठ्यपुस्तकों में जेण्डर सम्बन्धी भेदभाव पर चर्चा की
तथा बताया कि किस प्रकार पाठ्यपुस्तकों से इस प्रकार के प्रकरणों तथा उदाहरणों को
दूर किया जाय। उन्होंने पाठ्यपुस्तकों को जेण्डर संवेदनशील बनाने के तरीकों पर भी
चर्चा की।
रूम टु रीड की श्रीमती निशा
जोशी ने जेण्डर रिस्पंसिव एजूकेशन पर प्रकाश डाला तथा इससे सम्बन्धित गतिविधियाँ
करवाई। प्रतिभागियों ने इस पर समूह कार्य कर प्रस्तुतीकरण दिया।
कार्यशाला में डॉ. रंजन
कुमार भट्ट, प्रवक्ता तथा डॉ. अजय कुमार चौरसिया ने भी विचार व्यक्त किये।
राज्य स्तरीय जेन्डर एवं समता प्रकोष्ठ (Cell) की स्थापना के उद्देश्य
1.
जागरूकता बढ़ाना-
इसमें सहानुभूति और समझ को बढ़ावा देने के लिए शिक्षकों को उनके अचेतन
पूर्वाग्रहों, रूढ़ियों और अपने
छात्रों की विविध सामाजिक पृष्ठभूमि के बारे में शिक्षित करना शामिल है।
2.
समावेशी शिक्षण
प्रथाएं- शिक्षकों को उन रणनीतियों को लागू करने
के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा जो सभी छात्रों की जरूरतों को पूरा करती हैं। यह कक्षा का ऐसा
अकादमिक माहौल बनाती हैं जहां हर कोई मूल्यवान और सम्मानित महसूस करता है।
3.
शिक्षकों का व्यावसायिक
विकास- शिक्षकों को निरंतर प्रशिक्षण सत्र प्रदान किए जाएंगे, जिसमें उनके शिक्षण प्रथाओं और छात्रों
के साथ बातचीत में लैंगिक समानता और समावेशिता को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित
किया जाएगा।
4.
समावेशिता की
स्वीकृति और रोल मॉडलिंग - शिक्षकों को अपने
स्कूल समुदायों के भीतर समावेशिता की वकालत करने और विविधता और स्वीकृति को बढ़ावा
देने वाले सकारात्मक व्यवहार और दृष्टिकोण प्रदर्शित करने के लिए प्रोत्साहित किया
जाएगा।
5. छात्रों को जीवन कौशल की शिक्षा- छात्रों को दूसरों के साथ बातचीत में विविधता के लिए समावेशिता और सम्मान को बढ़ावा देने के लिए सहानुभूति, संचार और टीम वर्क जैसे आवश्यक कौशल से लैस किया जाएगा।
वर्ष 2024-25 में राज्य स्तरीय
जेन्डर एवं समता प्रकोष्ठ (Cell) में निम्नलिखित गतिविधियाँ प्रस्तावित हैं-
1.
जेण्डर सेल गठन-
जेण्डर सेल शिक्षा में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नीतियां
विकसित करने और प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करने के लिए लिंग मुद्दों में
विशेषज्ञ पेशेवरों की नियुक्ति की निगरानी करेगा।
2.
लैंडस्केप अध्ययन-
लिंग सेल शैक्षिक संदर्भ का गहन विश्लेषण करेगा, जिसमें
लिंग संबंधी मुद्दों जैसे नामांकन दर, प्रतिधारण
और लिंग के बीच शैक्षणिक प्रदर्शन असमानताओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
3.
क्षमता निर्माण
कार्यशालाएँ- लिंग सेल लिंग मुद्दों पर अपने
सदस्यों और प्रमुख सन्दर्भ व्यक्तियों (के.आर.पी.) के दृष्टिकोण को बनाने के लिए
कार्यशालाओं का आयोजन करेगा, ताकि
यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके पास जेण्डर संबंधी चुनौतियों को प्रभावी ढंग से
संबोधित करने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल हैं।
4.
हैंडबुक का विकास-
जेंडर सेल शिक्षकों और छात्रों के लिए व्यापक हैंडबुक बनाने के लिए विशेषज्ञों के
साथ सहयोग करेगा जो जेण्डर समता को बढ़ावा देने, पूर्वाग्रहों
को संबोधित करने और समावेशी शिक्षण वातावरण बनाने पर मार्गदर्शन प्रदान करेगा।
5.
मास्टर प्रशिक्षण
मैनुअल- जेंडर सेल एक विस्तृत मास्टर प्रशिक्षण
मैनुअल के विकास का नेतृत्व करेगा, जो
शिक्षकों और छात्रों को लैंगिक मुद्दों के प्रति संवेदनशील बनाने और अधिक समावेशी
शैक्षिक वातावरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से परिवर्तनकारी प्रशिक्षण
कार्यक्रमों के लिए मॉड्यूल और दिशा-निर्देश प्रदान करेगा।
(रिपोर्ट- डॉ. राकेश
चन्द्र गैरोला, प्रवक्ता, एस.सी.ई.आर.टी. उत्तराखण्ड, देहरादून)