अपर निदेशक एस सी ई आर टी श्रीमती आशारानी पैन्यूली ने इस अवसर पर कहा कि कार्यशाला में प्रतिभाग कर रहे सभी प्रतिभागियों द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का गहन अध्ययन करते हुए बस्ता रहित दिवसों के संचालन की अवधारणा को समझ कर गतिविधियों का विकास किया जाना चाहिए। श्रीमती पैन्यूली द्वारा शिक्षकों को अपने आचरण, व्यवहार एवं क्रियाकलापों के माध्यम से छात्रों के सम्मुख आदर्श प्रस्तुत करने हेतु कहा गया।
प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए संयुक्त निदेशक श्रीमती कंचन देवराडी द्वारा प्रतिभागियों को विद्यालयी शिक्षा विभाग के अंतर्गत महानिदेशालय सहित तीनों निदेशालयों तथा उनके क्रियाकलापों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की गई। श्रीमती देवराडी ने बताया कि एस सी ई आर टी द्वारा राज्य स्तर पर शैक्षिक शोध संबंधी कार्य, पाठ्यक्रम निर्माण एवं विभिन्न सहायक पुस्तकों के निर्माण के साथ साथ शिक्षक प्रशिक्षणों से संबंधित कार्य संपादित किए जाते हैं तथा राज्य स्तर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी भी एस सी ई आर टी को सौंपी गई है। इसी क्रम में बस्ता रहित दिवसों के संचालन हेतु गतिविधि पुस्तिका का निर्माण किया जा रहा है। इस अवसर पर सहायक निदेशक डॉ. के.एन.बिजल्वाण द्वारा कहा गया कि शिक्षक छात्रों के साथ धरातलीय रूप से जुड़े होते हैं, तथा कक्षा की वास्तविक परिस्थितियों से परिचित होते हैं। अतः शिक्षकों द्वारा वास्तविक एवं विभिन्न मुख्य विषयों की पाठ्यवस्तु से संबंधित उच्च स्तरीय गतिविधियां विकसित की जा सकती हैं।
कार्यशाला के समन्वयक श्री मनोज किशोर बहुगुणा द्वारा बताया गया कि राज्य में बस्ता रहित दिवसों के संचालन हेतु शासनादेश जारी किया जा चुका है तथा इसी क्रम में गतिविधि पुस्तिका विकसित की जा रही है। गतिविधि पुस्तिका के लिए गतिविधियों का निर्माण तीन क्षेत्रों जैव रूप, मशीन तथा सामग्री एवं मानवीय सेवाओं के अंतर्गत किया जाएगा। प्रत्येक क्षेत्र के लिए 12 गतिविधियां निर्मित की जाएंगी। इस प्रकार कार्यशाला में गतिविधि पुस्तिका के लिए कुल 36 गतिविधियां विकसित की जाएंगी। कुछ सुझावात्मक गतिविधियों की सूची भी गतिविधि पुस्तिका में दी जाएगी। इसके अतिरिक्त विद्यालय स्तर पर मार्गदर्शक शिक्षक स्थानीयता के आधार पर स्वयं से भी गतिविधियां विकसित कर संचालित कर सकेंगे। श्री बहुगुणा द्वारा प्रस्तुतीकरण के माध्यम से बस्ता रहित दिवसों के संचालन की अवधारणा, उद्देश्य, कार्यप्रणाली तथा सीखने के प्रतिफलों पर विस्तार से प्रकाश डाला गया। उनके द्वारा बस्ता रहित दिवसों के संचालन हेतु संस्थाध्यक्षों, मार्गदर्शक शिक्षकों, छात्रों, अभिभावकों तथा समुदाय की जिम्मेदारियों को भी विस्तृत रूप से प्रस्तुत किया गया। उनके द्वारा गतिविधियों के लिए निर्धारित प्रारूप भी प्रतिभागियों के सम्मुख प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम समन्वयक एन ई पी प्रकोष्ठ श्री रविदर्शन तोपाल द्वारा बताया गया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्रकोष्ठ द्वारा विद्यालयी शिक्षा हेतु राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2023 की तर्ज पर राज्य आधारित राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा तैयार किए जाने का कार्य अंतिम चरण में है, तथा बस्ता रहित दिवसों के संचालन हेतु गतिविधियों का निर्माण इसी से संबद्ध करते हुए किया जाना है।
कार्यशाला में एन ई पी प्रकोष्ठ से सचिन नौटियाल सहित डॉ वीर सिंह रावत, डॉ जगमोहन पुंडीर, श्रीमती सुमन भट्ट, राजेंद्र बडोनी, जितेंद्र राणा, दिलवर सिंह रावत, नरेश कुमाईं, मनोज भाकुनी, विनोद मल्ल, बलवंत असवाल, मंजू बहुगुणा, दिव्या नौटियाल, विजय बडोनी, विनीता रतूड़ी, विजय कुमार, याचना भंडारी, विपुल सकलानी, जसदेव सिंह राणा सहित डायट्स, उच्च प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों के 40 शिक्षकों द्वारा प्रतिभाग किया जा रहा है।
रिपोर्ट : मनोज किशोर बहुगुणा, एन ई पी सेल,एस सी ई आर टी उत्तराखण्ड