कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री बंशीधर तिवारी ने कहा कि भारतीय परम्परा में जिस प्रकार योग शरीर को स्वस्थ रखता है वैसे ही संगीत हमारे मन स्वस्थ रखता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी लोक संस्कृति एवं लोक भाषाओं एवं मातृभाषा के संरक्षण को महत्व दिया गया है। वर्तमान समय में समय के साथ परम्पराओं का लोप होता जा रहा है। इस प्रकार के कार्यक्रम इनके संरक्षण में सहायक हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड की नई फिल्म नीति तैयार की गयी है जिसमें फिल्म निर्माण में सब्सिडी 25 लाख से बढ़ाकर 2 करोड़ कर दी गयी है। कार्यक्रम में प्रतिभाग कर रहे बच्चों को कहा कि वे अपनी भाषा में जरूर बातचीत करें और उन्हें प्रोत्साहित करें।
कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों का स्वागत करते हुए निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण उत्तराखण्ड श्रीमती बन्दना गर्ब्याल ने कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों एवं अध्ययनरत विद्यार्थियों को गायन एवं वादन के क्षेत्र में मंच प्रदान करना है। ऐसे कार्यक्रम बच्चों के चहुमुखी विकास में सहायक होते हैं जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का प्रमुख उद्देश्य है। ऐसे कार्यक्रमों में प्रतिभाग करने से ग्रामीण क्षेत्र की प्रतिभाओं को राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिभाग करने के लिए आत्मविश्वास पैदा होता है।
अपर निदेशक एस.सी.ई.आर.टी. उत्तराखण्ड श्रीमती आशा पैन्यूली ने प्रतिभागियों का स्वागत एवं धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि राज्य स्तरीय संगीत प्रतिभा सम्मान समारोह एस.सी.ई.आर.टी. की एक पहल है जो राज्य के प्रतिभाशाली शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं को मंच प्रदान कर रहा है।
अपर राज्य परियोजना निदेशक समग्र शिक्षा डॉ कुलदीप गैरोला ने कहा कि लोक संस्कृति एवं लोकगीतों के संरक्षण के लिए ऐसे कार्यक्रम सहायक सिद्ध होते हैं तथा शिक्षकों और छात्रों को संस्कृति संरक्षण के लिए प्रेरित करते हैं। कार्यक्रम समन्वयक डॉ. उषा कटियार ने कार्यक्रम के उद्देश्यों एवं रूपरेखा पर प्रकाश डाला।
राज्य स्तरीय संगीत प्रतिभा सम्मान समारोह में शिक्षकों के लिए सुगम संगीत के अन्तर्गत शास्त्रीय संगीत पर आधारित गीत, गजल, भजन, संगीत वादन के अन्तर्गत शास्त्रीय तबला, सितार, वायलन, वीणा, वाँसुरी, पखावज, सरोद, हारमोनियम प्रतियोगिता आयोजित की जायेगी। विद्यार्थियों हेतु प्रतियोगिता संगीत की दो विधाओं में- शास्त्रीय गायन पाठ्यक्रम के समस्त राग में से कोई एक राग, छोटा ख्याल, तराना, ध्रुपद, धमार, दादरा, ठुमरी तथा लोक नृत्य उत्तराखण्ड राज्य एवं अन्य राज्यों के लोक नृत्य पर प्रतियोगिता आयोजित की जायेगी।कार्यक्रम में संयुक्त निदेशक कंचन देवराड़ी, सीमेट विभागाध्यक्ष श्री दिनेश गौड़, डॉ. आनन्द भारद्वाज आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम में निर्णायक के रूप में अनूप गुरूजी, सोहिनी और सुभोजीत भट्टाचार्य हैं।