Tuesday, May 06, 2025

“कौशलम” कार्यशाला: उत्तराखंड में कौशल आधारित शिक्षा की नई पहल

 

देहरादून, 6 मई 2025 अब उत्तराखंड की शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं, बल्कि जीवन-कौशलों की ओर तेज़ी से अग्रसर हो रही है। इसी सोच को साकार रूप देने के लिए SCERT उत्तराखंड और उद्यम लर्निंग फाउंडेशन के सहयोग से तीन दिवसीय ‘कौशलम राज्य संदर्भ समूह कार्यशाला’ का शुभारंभ देहरादून में हुआ।

इस कार्यशाला में राज्यभर के डाइट समन्वयक, SCERT प्रतिनिधि, और मास्टर ट्रेनर्स ने भाग लिया, जिन्हें कक्षा 9 से 12 तक के कौशल-आधारित पाठ्यक्रमों पर गहन प्रशिक्षण प्रदान किया गया। उद्देश्य स्पष्ट था — ज्ञान नहीं, कौशल का प्रसार। 

चारों कक्षाओं के लिए पाठ्यक्रमों की दिशा स्पष्ट और सार्थक रही:

  • कक्षा 9: समस्या समाधान — सोचने, समझने और समाधान निकालने की क्षमता पर ज़ोर।

  • कक्षा 10: करियर अन्वेषण — छात्र अपनी रुचियों और क्षमताओं के आधार पर संभावनाओं की पहचान करें।

  • कक्षा 11: प्रोडक्ट डिज़ाइन — नवाचार और रचनात्मकता की ओर पहला कदम।

  • कक्षा 12: प्रोजेक्ट निर्माण और प्रस्तुतीकरण — विचारों को व्यवहार में लाने की कला।

SCERT के अपर निदेशक  पदमेन्द्र सकलानी ने कार्यशाला के शुरुवाती सत्र मे कहा कि प्रशिक्षण केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि हर शिक्षक की जिम्मेदारी है कि वह इन कौशलों को गहराई से समझे और छात्रों तक पहुँचाए। उन्होंने इस कार्यक्रम को शिक्षा में सार्थक परिवर्तन की दिशा में एक अहम कदम बताया।

सहायक निदेशक डॉ. के. एन. बिजल्वाण ने कार्यशाला की उपयोगिता को विस्तार से समझाया। उन्होंने उद्यमशील शिक्षक, उद्यमशील विद्यालय, और उद्यमशील जनपद की अवधारणा को सामने रखते हुए कहा कि यह पहल केवल छात्रों की सोच नहीं, बल्कि शिक्षकों और शैक्षिक व्यवस्था की सोच को भी बदलने का प्रयास है। साथ ही, उन्होंने कौशल शिक्षा को स्थानीय व्यवसायों और अन्य विभागों से जोड़ने पर भी बल दिया।


कार्यक्रम के राज्य समन्वयक सुनील भट्ट ने बताया कि यह कार्यशाला एक प्रशिक्षण ही नहीं, बल्कि राज्य में शिक्षा की दिशा बदलने वाला मंच है। हर कक्षा की विशिष्ट दिशा को उन्होंने व्याख्यायित किया और कहा कि यह कार्यक्रम शिक्षकों को खुद को नए नज़रिए से देखने की प्रेरणा देता है।

अगले दो दिनों में मास्टर ट्रेनर्स को और गहराई से प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि वे राज्यभर में संवादात्मक और प्रेरणादायी सत्रों का संचालन कर सकें। यह प्रक्रिया केवल ज्ञान के आदान-प्रदान तक सीमित नहीं है, बल्कि एक व्यवस्थित बदलाव की शुरुआत है — जहाँ शिक्षक स्वयं परिवर्तन के वाहक बनेंगे।

“कौशलम” कार्यशाला उत्तराखंड में स्कूल शिक्षा के परिदृश्य को व्यवहारिक, नवाचार-समर्थ और जीवन-केंद्रित बनाने की दिशा में एक साहसिक और अभिनव पहल है। जब शिक्षक बदलते हैं, तब शिक्षा बदलती है — और जब शिक्षा बदलती है, तो भविष्य बदलता है।