देहरादून: राज्य शैक्षिक
अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) उत्तराखंड द्वारा
संचालित 'कौशलम' कार्यक्रम छात्रों को रोजमर्रा की पारंपरिक पढ़ाई से आगे बढ़ाकर व्यावसायिक शिक्षा और स्वरोजगार
के लिए तैयार कर रहा है। डाइट प्राचार्य
के माध्यम से दूरदर्शन पर प्रसारित एक कार्यक्रम में छात्रों ने बताया कि कैसे इस
पहल ने उन्हें रोजगारपरक
कौशल सीखने और भविष्य के लिए स्वावलंबी बनने
की प्रेरणा दी है।
वीडियो लिंक: SCERT Uttarakhand Kaushalam Program
व्यावसायिक शिक्षा पर केंद्रित है 'कौशलम'
'कौशलम'
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छात्रों को किताबी ज्ञान से आगे बढ़ाकर
व्यावहारिक और रोजगारोन्मुखी शिक्षा प्रदान
करना है। इसके तहत विद्यार्थियों को हस्तशिल्प, कंप्यूटर अनुप्रयोग,
बागवानी, खाद्य प्रसंस्करण, इलेक्ट्रिकल वर्क और अन्य व्यावसायिक कौशल सिखाए जाते हैं, ताकि वे भविष्य में स्वरोजगार के
अवसर तलाश सकें।
छात्रों ने साझा किए अपने अनुभव
दूरदर्शन
पर छात्रों ने बताया कि 'कौशलम' ने उन्हें न केवल तकनीकी ज्ञान दिया, बल्कि आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भी प्रेरित किया। कुछ प्रमुख बदलावों में शामिल हैं:
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हुनर
विकास: छात्रों ने बेसिक इलेक्ट्रिकल वर्क, कंप्यूटर
बेसिक्स और छोटे उद्योगों से जुड़े कौशल सीखे।
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स्वरोजगार
की सोच: कार्यक्रम ने उन्हें नौकरी खोजने वालों की बजाय नौकरी देने वालों के रूप में सोचने को प्रेरित किया।
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स्थानीय
संसाधनों का उपयोग: उत्तराखंड के प्राकृतिक संसाधनों (जैसे हर्बल उत्पाद, पर्यटन) से जुड़े रोजगार के अवसरों की जानकारी मिली।
एक
छात्र ने कहा, "मैंने
कौशलम के तहत मोमबत्ती निर्माण सीखा। अब मैं इसे घर पर बनाकर बेचने की योजना बना
रहा हूँ।"
शिक्षकों और अभिभावकों की प्रतिक्रिया
शिक्षकों
ने बताया कि यह कार्यक्रम "स्किल-बेस्ड
लर्निंग" को बढ़ावा देकर शिक्षा
को रोजगार से जोड़ रहा है। अभिभावकों ने भी छात्रों में आत्मविश्वास और आर्थिक सोच विकसित होते देखी है।