Friday, June 27, 2025

विद्यालयी शिक्षा मंत्री को सौंपी गई अध्ययन रिपोर्ट — नामांकन में कमी के कारण और समाधान के सुझाव

तिथि: 26 जून 2025

आज माननीय विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत को राजकीय एवं राजकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों में घटते नामांकन के कारणों और नामांकन बढ़ाने के सुझावों से संबंधित अध्ययन आख्या सौंपी गई। यह रिपोर्ट समग्र शिक्षा अभियान द्वारा प्रदेश के 4500 से अधिक व्यक्तियों से विभिन्न माध्यमों (गूगल फ़ॉर्म, साक्षात्कार, टेलीफोन, ईमेल आदि) से विचार प्राप्त कर तैयार की गई है।

इस रिपोर्ट का उद्देश्य उत्तराखंड के विद्यालयों में घटते नामांकन के पीछे के कारणों की वैज्ञानिक पड़ताल कर समुचित समाधान प्रस्तुत करना रहा। अध्ययन समिति का गठन माननीय मंत्री  के निर्देश पर किया गया था।

अध्ययन रिपोर्ट के निर्माण में कई महत्वपूर्ण शैक्षिक अधिकारियों एवं विशेषज्ञों का सक्रिय सहयोग प्राप्त हुआ। इस समिति का नेतृत्व महानिदेशक दीप्ति सिंह, अपर सचिव रंजना राजगुरु के निर्देशन मे कुलदीप गैरोला गैरोला, राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा, उत्तराखंड ने किया, जिन्होंने प्रमुख  के रूप में मार्गदर्शन प्रदान किया। उनके साथ समिति में प्रमेंद्र विष्ट, मुख्य शिक्षा अधिकारी, रुद्रप्रयाग,  जे.पी. काला, उप निदेशक, माध्यमिक शिक्षा, श्रीमती कमला बड़वाल, उप निदेशक, प्रारंभिक शिक्षा, डॉ. के.एन. बिजलवाण, सहायक निदेशक, SCERT उत्तराखंड , निदेशक माध्यमिक डॉ मुकुल कुमार सती आदि  शामिल रहे। इन सभी अधिकारियों ने अपने अनुभव, दृष्टिकोण और सतत सहयोग से इस अध्ययन को प्रभावी एवं उपयोगी रूप देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

रिपोर्ट में यह पाया गया कि सरकारी विद्यालयों में नामांकन कम होने के तीन प्रमुख कारण हैं:

  1. निजी विद्यालयों की तुलना में बेहतर शिक्षण गुणवत्ता का अभाव
    लगभग 59.7% प्रतिभागियों ने निजी विद्यालयों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को प्राथमिक कारण माना।

  2. प्रत्येक विषय और कक्षा के लिए शिक्षकों की उपलब्धता का अभाव
    50% से अधिक ने माना कि एक शिक्षक कई कक्षाओं को पढ़ा रहा है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होती है।

  3. अंग्रेज़ी माध्यम की प्राथमिकता
    55.2% लोगों ने अंग्रेज़ी माध्यम में शिक्षा के प्रति बढ़ती रुचि को सरकारी विद्यालयों से दूरी का कारण बताया।

साथ ही, रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि यदि सरकारी विद्यालयों में शिक्षण गुणवत्ता को निजी स्कूलों के समकक्ष लाया जाए, तो 93.5% लोग अपने बच्चों को पुनः इन विद्यालयों में भेजने के इच्छुक हैं।

प्रमुख सुझाव

  • प्रत्येक कक्षा व विषय हेतु पर्याप्त संख्या में योग्य शिक्षक उपलब्ध कराना

  • विद्यालय भवनों की अवस्थिति एवं मूलभूत सुविधाओं का उन्नयन

  • अंग्रेज़ी माध्यम की शिक्षा की वैकल्पिक व्यवस्था

  • स्थानीय समुदाय की सक्रिय भागीदारी और विश्वास बहाली

  • डिजिटल शिक्षण सामग्री और तकनीकी उपकरणों की उपलब्धता बढ़ाना

रिपोर्ट विद्यालयी शिक्षा विभाग को प्रस्तुत कर दी गई है। यह आशा की जा रही है कि इस अध्ययन के निष्कर्षों और सुझावों से शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी, जन विश्वास बहाल होगा और उत्तराखंड में नामांकन की स्थिति सुदृढ़ होगी।

इस अवसर पर सभी सदस्यों, अभिभावकों और अधिकारियों को उनके बहुमूल्य योगदान के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने विश्वास जताया कि यह रिपोर्ट प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर सिद्ध होगी।