देहरादून, उत्तराखंड:
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप विद्यालयी मूल्यांकन प्रणाली को अधिक समग्र, विद्यार्थी-केंद्रित एवं विकासोन्मुख बनाने के उद्देश्य से उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद, रामनगर द्वारा समग्र प्रगति कार्ड (Holistic Progress Card) पर आधारित दो दिवसीय शिक्षक उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT), उत्तराखंड के सभागार में किया गया।
कार्यशाला की अध्यक्षता एवं शुभारंभ
कार्यशाला का उद्देश्य
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों को समग्र प्रगति कार्ड (HPC) की अवधारणा, इसकी संरचना तथा कक्षा स्तर पर इसके प्रभावी क्रियान्वयन की प्रक्रिया से अवगत कराना था। समग्र प्रगति कार्ड के माध्यम से विद्यार्थियों के केवल शैक्षणिक प्रदर्शन ही नहीं, बल्कि उनके:
- सामाजिक एवं भावनात्मक विकास
- रचनात्मकता एवं आलोचनात्मक चिंतन
- व्यवहारिक कौशल एवं जीवन मूल्यों का भी समुचित मूल्यांकन किया जा सकेगा।
प्रशिक्षण सत्रों की प्रमुख विषयवस्तु
दोनों दिनों में आयोजित सत्रों के दौरान विशेषज्ञों द्वारा निम्न बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की गई:
- पारंपरिक अंकों आधारित मूल्यांकन से आगे बढ़कर योग्यता आधारित मूल्यांकन
- समग्र प्रगति कार्ड की आवश्यकता और उपयोगिता
- शिक्षक, विद्यार्थी एवं अभिभावक की भूमिका
- कक्षा शिक्षण से जुड़े व्यावहारिक उदाहरण
- सतत एवं व्यापक मूल्यांकन की प्रक्रिया
कार्यशाला को संवादात्मक सत्रों, प्रस्तुतीकरण एवं प्रश्नोत्तर के माध्यम से प्रभावी बनाया गया।
शिक्षकों की सक्रिय सहभागिता
राज्य के विभिन्न जनपदों से आए शिक्षकों ने कार्यशाला में सक्रिय भागीदारी की। शिक्षकों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि समग्र प्रगति कार्ड से विद्यार्थियों की व्यक्तिगत क्षमताओं की पहचान, सीखने की प्रगति को समझने तथा सकारात्मक फीडबैक देने में सहायता मिलेगी।
शिक्षा सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण पहल
समापन सत्र में यह रेखांकित किया गया कि समग्र प्रगति कार्ड का सफल क्रियान्वयन तभी संभव है जब शिक्षक इसे केवल एक औपचारिक दस्तावेज न मानकर, शिक्षण–अधिगम प्रक्रिया का अभिन्न अंग बनाएं। यह पहल निश्चित रूप से उत्तराखंड में गुणवत्ता आधारित और समावेशी शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने में सहायक सिद्ध होगी।