Wednesday, April 30, 2025

एससीईआरटी उत्तराखंड में बजट एवं वार्षिक योजना 2025-26 को लेकर महत्वपूर्ण बैठक : अपर निदेशक पदमेन्द्र सकलानी के नेतृत्व में

अपर निदेशक, एससीईआरटी उत्तराखंड,  पदमेन्द्र सकलानी की अध्यक्षता में एससीईआरटी के समस्त विभागों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य मद संख्या 10 के अंतर्गत आवंटित बजट, वार्षिक कार्य योजना (AWP) 2025-26 और स्वीकृत धनराशि की सुचारु रूप से योजना और कार्यान्वयन सुनिश्चित करना रहा।

बजट विवरण और प्रस्ताव:

बैठक में मद संख्या 10 के तहत स्वीकृत बजट का विवरण सहायक निदेशक  डॉ. के. एन. बिजलवान द्वारा प्रस्तुत किया गया। उन्होंने सभी विभागों को उपलब्ध बजट की जानकारी देते हुए स्पष्ट किया कि इस धनराशि का उपयोग सुनियोजित और पारदर्शी तरीके से किया जाना आवश्यक है।

अपर निदेशक सकलानी ने निर्देशित किया कि सभी विभाग अपनी आवश्यकताओं के अनुसार सूचीबद्ध मांग पत्र जल्द से जल्द प्रस्तुत करें, ताकि समय रहते भंडारण प्रभारी ककड़ियाल द्वारा उनकी पूर्ति की जा सके। उन्होंने कहा कि विभागों को उनकी प्रस्तावित परियोजनाओं और कार्य योजनाओं के अनुरूप बजट का सदुपयोग करना होगा।

वार्षिक कार्य योजना (AWP) की दिशा:

बैठक में यह भी साझा किया गया कि AWP के अंतर्गत स्वीकृत ₹1.71 करोड़ की धनराशि उपलब्ध हो चुकी है। सभी विभागों को निर्देशित किया गया कि वे अपने कार्यों का लेआउट बनाकर शीघ्र ही स्वीकृति पत्र प्राप्त करें और निर्धारित समय सीमा में कार्य संपन्न करें, ताकि कोई प्रबंधनात्मक चूक न हो।

पाठ्यक्रम विकास हेतु विशेष निर्देश:

पाठ्यक्रम विभाग द्वारा विकसित की जानी वाली पुस्तकों के लिए एक निश्चित प्रारूप में मांग पत्र तैयार करने हेतु डॉ. के. एन. बिजलवान और डॉ. शक्ति प्रसाद सेमल्टी की संयुक्त बैठक संपन्न हुई। पाठ्यक्रम विभाग को निर्देशित किया गया कि वे समयबद्ध तरीके से कार्य करें और पुस्तक विकास का कार्य सुनिश्चित करें।

विभागीय सहभागिता और उत्तरदायित्व:

अपर निदेशक ने स्पष्ट किया कि जिन विभागों को मद संख्या 10 के अंतर्गत ₹10 लाख तक की धनराशि स्वीकृत की गई है, वे तत्काल अपने मांग पत्र जमा करें। साथ ही, अन्य विभागों को भी सप्ताह भर में अपनी मांग सूची बनाकर अनुमोदन प्राप्त करने का निर्देश दिया गया।

इस बैठक में पाठ्यक्रम विभाग, आकलन विभाग, आईटी विभाग, कार्यक्रम और मॉनिटरिंग विभाग सहित सभी विभागों के प्रभारी संकाय सदस्य उपस्थित रहे।

अंत में,  पदमेन्द्र सकलानी ने सभी को संदेश दिया कि एससीईआरटी को एक "सेंटर ऑफ एक्सीलेंस" के रूप में विकसित करने का सामूहिक प्रयास करें। सभी संकाय सदस्य समूह में कार्य करें, एक-दूसरे पर दोषारोपण करने से बचें, और परिषद के नव निर्मित भवन की सुरक्षा व प्रबंधन में सहयोग करें। उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी संकाय सदस्य, जहां आवश्यक हो, सीधे अपर निदेशक से संपर्क करते हुए कार्यों की प्रगति में पूर्ण ईमानदारी बरते और छात्र-हित व राज्य-हित में समर्पित होकर कार्य करें।

Tuesday, April 29, 2025

Third Round of E-Content Development Workshop at SCERT Uttarakhand for DIKSHA Portal

 

Dehradun, 29/04/2025

The State Council of Educational Research and Training (SCERT), Uttarakhand, is hosting its third round of the E-Content Development Workshop, aimed at empowering teachers with ICT-enabled content writing skills for the DIKSHA Portal. The workshop, attended by 35 educators from across the state, focuses on creating high-quality digital learning resources in line with the National Education Policy (NEP) 2020.

Workshop Highlights: Expert-Led Sessions on Digital Content Creation

1. ICT-Enabled Content Writing by  Ramesh Badoni

The workshop commenced with an interactive session by Ramesh Badoni, ICT faculty and resource person, who provided hands-on training on

Presentation Live

  • Scripting engaging and pedagogically sound e-content

  • DIKSHA content guidelines and formatting standards

  • Integrating multimedia (videos, quizzes, interactive elements)

  • Best practices for digital lesson planning

2. Overcoming Content Writing Challenges by S.P. Verma

S.P. Verma, the workshop coordinator, shared valuable insights on

  • Common hurdles in e-content development

  • Ensuring clarity and learner engagement

  • Understanding Creative Commons (CC) licenses for open educational resources (OER)

  • Copyright compliance and ethical use of digital resources

3. Evening Session: The Need for Tech-Based Content by Dr. K.N. Bijalwan

The day concluded with a thought-provoking session by Dr. K.N. Bijalwan, who emphasized:

  • The growing importance of digital content in modern education

  • Adapting to AI and emerging EdTech trends

  • Bridging the digital divide in Uttarakhand’s remote schools

  • Encouraging teachers to become content creators, not just consumers

The ITDA (Information Technology Development Agency) team, led by Shilpi, provided on-ground technical assistance to participants, ensuring smooth hands-on practice in:

With the DIKSHA Portal becoming a central hub for digital learning, this workshop ensures that Uttarakhand’s teachers are well-equipped to:

✔ Develop high-quality, curriculum-aligned e-content
✔ Enhance student engagement through interactive resources
✔ Contribute to the national digital education ecosystem

Teachers from various districts expressed excitement about applying their new skills in classrooms. Many highlighted how the workshop demystified digital content creation and encouraged them to innovate beyond traditional teaching methods.

SCERT Uttarakhand plans to expand such capacity-building initiatives, ensuring that every teacher in the state becomes a confident digital educator. The next phase will focus on AI-assisted content creation and gamified learning modules.

#DIKSHA #SCERT #UttarakhandEducation #DigitalLearning #EdTech #CreativeCommons #ICTinEducation #NEP2020

Saturday, April 26, 2025

दीक्षा प्लेटफॉर्म के लिए ई-कंटेन्ट निर्माण पर द्वितीय कार्यशाला का सफल समापन

देहरादून, 25 अप्रैल 2025 — उत्तराखंड राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) में आज दीक्षा प्लेटफॉर्म के लिए आयोजित ई-कंटेन्ट निर्माण कार्यशाला के दूसरे चरण का सफलतापूर्वक समापन हुआ। कार्यशाला का आयोजन 21 अप्रैल से 25 अप्रैल 2025 तक किया गया था, जिसमें विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ शिक्षकों ने प्रतिभाग किया।

समापन सत्र में अपर निदेशक  पदमेन्द्र सकलानी ने सभी प्रतिभागियों से ई-कंटेन्ट निर्माण की गुणवत्ता पर चर्चा करते हुए आवश्यक सुझाव आमंत्रित किए। उन्होंने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि गुणवत्ता युक्त डिजिटल सामग्री तैयार करने के साथ-साथ शिक्षकों को संवेदनशील और नवाचारी सोच को भी अपनाना चाहिए ताकि छात्रों को समृद्ध शैक्षिक अनुभव मिल सके।

कार्यशाला में संदर्भदाता सु्प्रिया बहुखंडी ने गणित, विज्ञान, अर्थशास्त्र आदि विषयों के विशेषज्ञों को आमंत्रित कर टेक्स्ट स्क्रिप्ट प्रस्तुति सत्र का आयोजन कराया। प्रतिभागियों ने विषयवस्तु निर्माण पर गहन मंथन किया और स्क्रिप्ट विकास की प्रक्रियाओं को समझा।

आईटी प्रवक्ता रमेश बडोनी ने कार्यशाला के दौरान कई सत्रों में उदाहरणों (Exemplars) के माध्यम से गुणवत्ता परक स्क्रिप्ट निर्माण की रणनीतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्रतिभागियों को डिजिटल शिक्षा के आधुनिक मानकों और दीक्षा प्लेटफॉर्म की आवश्यकताओं के अनुरूप स्क्रिप्ट तैयार करने के लिए प्रेरित किया।

कार्यशाला में समन्वयक शिव प्रकाश वर्मा और पुष्पा असवाल ने लगातार तकनीकी और अकादमिक सहयोग प्रदान किया।
सहायक निदेशक डॉ. के.एन. बिजलवान ने भी सतत रूप से सत्रों के माध्यम से कंटेन्ट निर्माण में गुणवत्ता सुधार हेतु महत्वपूर्ण सुझाव दिए।

प्रतिभागियों ने ई-कंटेन्ट निर्माण के लिए आवश्यक संसाधनों और तकनीकी सहयोग पर चर्चा करते हुए अपने विचार साझा किए। इस कार्यशाला में आईटीडीए की तकनीकी टीम ने भी साझेदारी में सहयोग प्रदान कर प्रतिभागियों को प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता उपलब्ध कराई।

इस कार्यशाला ने ई-कंटेन्ट निर्माण के क्षेत्र में उत्तराखंड के शिक्षकों को एक नई दिशा दी है। गुणवत्ता आधारित डिजिटल सामग्री तैयार कर, राज्य के छात्रों के लिए आधुनिक और सुलभ शिक्षा संसाधनों को मजबूत किया जाएगा।इस कार्यशाला मे AI के अनुप्रयोगों से भी लर्निंग लॅाग प्रस्तुत किए गए । 

Thursday, April 24, 2025

Textbook Development for Classes 1 & 2 in Light of NEP 2020

SCERT Conference Hall, 24th April 2025

A one-day intensive workshop on Textbook Development for Classes 1 and 2, aligned with the National Education Policy (NEP) 2020, was conducted at the SCERT Conference Hall on 24th April 2025.

The event brought together content developers, educators, and experts from across districts to discuss and refine textbook frameworks in line with NEP’s vision of holistic, competency-based, and inclusive education. Additional Director Padmendra Saklani extended a warm welcome and set high expectations for the participants. In addition to the same workshop, Incharge Director Ajay Naudiyal expressed the way development work is proceeding, which will mark new footprints in education.

The workshop was graced by Eminent resource persons from NCERT, New Delhi, including

  • Professor Anup Rajput (NCERT)

  • As Professor Meenakshi Khar (RIE Ajmer)

  • Dr K.N. Bijlwan (Assistant Director, SCERT Uttarakhand)

The event was coordinated by  Ganga Ghugthyal (Lecturer, SCERT).

Workshop Agenda & Key Sessions

 Inaugural Session

  • Welcome address by Assistant Director Dr. K. N. Bijalwan, emphasizing the importance of NEP-aligned textbooks in foundational learning.

  • Professor Anup Rajput's keynote speech highlights the shift from rote learning to competency-based, activity-orientated textbooks.

NEP 2020 & Foundational Literacy & Numeracy (FLN)

  • Importance of play-based and experiential learning for Classes 1 & 2.
  • Integration of local culture, multilingualism, and inclusivity in textbooks.
  • Focus on critical thinking, creativity, and socio-emotional learning (SEL).
Key Discussion Points:

  • Pedagogical Structure: Moving from heavy text to visually rich, interactive content.
  • Assessment Reforms: Incorporating formative assessments rather than exams.
  • Digital Integration: Using QR codes, augmented reality (AR), and digital supplements for enhanced learning.

 Content Review & Hands-on Activity

  • Facilitator: Dr K.N. Bijlwan

Activities:

  • Group Work: Participants reviewed existing textbooks and suggested modifications.

  • Case Studies: The discussion included examples of best practices from other states.
  • Drafting Prototypes: Educators worked in teams to design sample textbook pages.
  • Feedback & Action Plan: Participants shared insights and challenges.

The workshop was a significant step toward reimagining early-grade textbooks in line with NEP 2020’s vision. With inputs from NCERT experts and active participation from educators, the new textbooks for Classes 1 & 2 will be more child-friendly, engaging, and competency-driven.

#NEP2020 #TextbookDevelopment #FoundationalLearning #SCERT #NCERT #EducationReforms

उत्तराखण्ड में शिक्षा व स्वास्थ्य मंत्री ने बस्तारहित दिवस पर पुस्तिका का किया लोकार्पण, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की वेबसाइट व डैशबोर्ड भी हुआ प्रस्तुत


उत्तराखण्ड में शिक्षा व स्वास्थ्य मंत्री ने बस्तारहित दिवस पर पुस्तिका का किया लोकार्पण

आज देहरादून में उत्तराखण्ड सरकार के शिक्षा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने दीप प्रज्वलन कर बस्तारहित दिवस पर आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत की। इस अवसर पर उन्होंने प्रत्येक माह के अंतिम शनिवार को सभी विद्यालयों में आयोजित की जाने वाली शैक्षिक गतिविधियों पर आधारित संदर्शिका का विमोचन किया, जिसे एससीईआरटी की एनईपी सेल द्वारा विकसित किया गया है।


मंत्री जी ने कहा कि यह पुस्तिका राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप अनुभवात्मक और विद्यार्थी-केंद्रित शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु एक महत्वपूर्ण पहल है।


इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में रविनाथ रमन (सचिव, विद्यालयी शिक्षा), झरना कमठान (महानिदेशक, विद्यालयी शिक्षा), सीबीएसई के क्षेत्रीय निदेशक, संस्कृत शिक्षा सचिव, अजय नौडियाल (निदेशक, प्रारंभिक शिक्षा), मुकुल सती (निदेशक, माध्यमिक शिक्षा), आनंद भारद्वाज (निदेशक, संस्कृत शिक्षा), कुलदीप गैरोला (अपर परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा), पद्मेन्द्र सकलानी (अपर निदेशक, विद्यालयी शिक्षा), सभी जनपदों के मुख्य शिक्षा अधिकारी, खंड शिक्षा अधिकारी, डाइट प्राचार्य, विद्यालयों के प्रधानाचार्य, आईसीएसई स्कूलों के प्रतिनिधि एवं प्रेम कश्यप (पब्लिक स्कूल प्रतिनिधि) मौजूद रहे।

प्रदर्शनी और पुस्तिका विमोचन

कार्यक्रम की शुरुआत में महानिदेशक झरना कमठान ने मंत्री डॉ. धन सिंह रावत का पुष्पगुच्छ से स्वागत किया। इसके उपरांत बस्तारहित दिवस पर प्रदेशभर के विद्यालयों में किए गए नवाचारों पर आधारित एक सुंदर प्रदर्शनी आयोजित की गई, जिसमें विद्यार्थियों द्वारा बनाए गए मॉडल्स, गतिविधियाँ और रचनात्मक कृतियाँ शामिल थीं। मंत्री महोदय एवं उपस्थित अधिकारियों ने इस प्रदर्शनी का अवलोकन किया और छात्रों की सोच व नवाचार की सराहना की।

मंत्री जी का संदेश: बस्तारहित शिक्षा की ओर बढ़ते कदम

शिक्षा मंत्री डॉ. रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यह पुस्तिका केवल एक संदर्शिका नहीं, बल्कि एक व्यापक योजना का हिस्सा है जिसके माध्यम से हर सप्ताह एक दिन बस्तारहित दिवस मनाया जाना चाहिए। उन्होंने सभी सरकारी एवं निजी विद्यालयों से इस दिवस को नियमित रूप से मनाने और इसमें उल्लिखित गतिविधियों को अपनाने का आग्रह किया। साथ ही, उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार विद्यार्थियों की आयु के आधार पर बस्ते के भार को सीमित करने के निर्देशों के अनुपालन पर बल दिया।


महानिदेशक डॉ. झरना कमठान ने बस्तारहित दिवस के आयोजन पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह पहल बच्चों की समग्र शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि यह दिवस केवल स्कूल बैग के भार को कम करने का प्रयास नहीं है, बल्कि यह बच्चों की रचनात्मकता, सामाजिक सहभागिता, और अनुभव आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने का एक सुनियोजित माध्यम है। उन्होंने इस अवसर पर एससीईआरटी और एनईपी सेल द्वारा विकसित संदर्शिका की सराहना की और कहा कि इसमें उल्लिखित गतिविधियाँ छात्रों की रुचियों और क्षमताओं के अनुकूल हैं, जिससे उनके व्यक्तित्व का बहुमुखी विकास संभव हो सकेगा। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि शासन द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार अब यह आवश्यक होगा कि सभी विद्यालय इस अवधारणा को नियमित रूप से अपनाएं और बच्चों के सर्वांगीण विकास में योगदान दें।


माध्यमिक शिक्षा निदेशक श्री मुकुल सती ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि —
“नई शैक्षिक पहलों के माध्यम से हमें विद्यार्थियों की रुचियों, क्षमताओं और भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए उन्हें सीखने के अधिक सशक्त अवसर प्रदान करने चाहिए। हमारा उद्देश्य ऐसी शिक्षण प्रणाली विकसित करना है जो केवल ज्ञान न दे, बल्कि विद्यार्थियों में जिज्ञासा, नवाचार और उत्तरदायित्व की भावना भी उत्पन्न करे।”

एनईपी सेल का योगदान और मंच संचालन

कार्यक्रम का संचालन मनोज किशोर बहुगुणा, एनईपी समन्वयक, ने अत्यंत सहज और प्रभावशाली ढंग से किया। उन्होंने बस्तारहित दिवस की संकल्पना, इसके उद्देश्यों और विद्यालयों में इसके क्रियान्वयन की विस्तृत प्रक्रिया पर प्रकाश डाला। अपने संबोधन में उन्होंने बताया कि किस प्रकार यह दिवस विद्यार्थियों के मानसिक, शारीरिक और सामाजिक विकास के लिए एक सशक्त मंच प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि एनईपी 2020 के अनुरूप यह प्रयास बच्चों को रटने के बजाय समझने, सोचने और करने की ओर प्रेरित करता है। मनोज बहुगुणा ने पुस्तिका में समाहित गतिविधियों की रचना प्रक्रिया, शिक्षकों और विशेषज्ञों की भूमिका, और विद्यालयों में उनके क्रियान्वयन के सुझावों को भी साझा किया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बस्तारहित दिवस केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक सतत शैक्षिक दृष्टिकोण है, जिसे प्रत्येक विद्यालय को अपनी वार्षिक योजना का हिस्सा बनाना चाहिए। उनके वक्तव्य ने उपस्थित सभी अधिकारियों, शिक्षकों और प्रतिभागियों को इस अवधारणा की गहराई और इसकी संभावनाओं को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


समग्र शिक्षा के अपर निदेशक कुलदीप गैरोला ने भी अपने विचार रखे एवं सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। “शिक्षा में गुणवत्ता और समावेशिता को सुनिश्चित करने के लिए हमें विद्यालय स्तर पर नवाचार और सहभागिता को प्रोत्साहित करना होगा। राज्य में चल रही योजनाओं और कार्यक्रमों का प्रभाव तभी सार्थक होगा जब हम जमीनी स्तर पर बच्चों की सीखने की प्रक्रिया को केंद्र में रखकर काम करें।”

आरबीएसके की वेबसाइट व डैशबोर्ड का अवलोकन 

इस अवसर पर महानिदेशक झरना कमठान ने  सचिव शिक्षा रविनाथ रामन का स्वागत पुष्पगुच्छ भेंट कर किया।


तत्पश्चात राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) की निदेशक स्वाती एस भदौरिया ने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत स्कूलों में स्वास्थ्य परीक्षण की जानकारी दी। बाल आरोग्य पोर्टल पर प्रत्येक छात्र का हेल्थ रिकॉर्ड दर्ज होगा। 148 स्वास्थ्य टीमें स्कूलों में जाकर छात्रों का स्वास्थ्य परीक्षण करेंगी। 

नई वेबसाइट और डैशबोर्ड का भी अवलोकन किया गया। यह पहल भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत संचालित की जा रही है। इसके अंतर्गत 0 से 18 वर्ष के बच्चों में जन्मजात दोष, रोग, कुपोषण और विकास संबंधी विलंब की पहचान की जाती है तथा नि:शुल्क उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित की जाती है। अधिकारियों ने इस मंच को बच्चों के समग्र स्वास्थ्य सुधार की दिशा में एक सराहनीय पहल बताया।

सम्मान समारोह व उच्च स्तरीय बैठक

कार्यक्रम के अंतिम चरण में अपर निदेशक पद्मेन्द्र सकलानी ने शिक्षा मंत्री डॉ. रावत एवं सचिव रविनाथ रामन को उच्च स्तरीय नीति बैठक हेतु आमंत्रित किया।

इस अवसर पर सहायक निदेशक डॉ. के. एन. बिजलवान ने पुस्तिका निर्माण में योगदान देने वाले वर्तमान मे अपर निदेशक गढ़वाल मण्डल कंचन देवराड़ी , एससीईआरटी एवं एनईपी सेल की टीम को मंच पर आमंत्रित किया, जहां मंत्री महोदय ने उन्हें सम्मानित किया और उनके कार्यों की सराहना की। अकादमिक निदेशक बंदना गर्ब्याल ने इस अवसर पर सभी को बधाई संदेश भेजकर गुणवत्ता शिक्षा के किए यह एक बड़ी पहल बताया । 


बैगलेस डे (बस्तारहित दिवस) एक अभिनव शैक्षिक पहल है जिसका उद्देश्य छात्रों को पारंपरिक कक्षा शिक्षण से हटाकर अनुभवात्मक, रचनात्मक और सामाजिक शिक्षा की ओर ले जाना है। इस विशेष दिन पर छात्र अपने भारी स्कूल बैग घर पर छोड़कर विभिन्न प्रकार की वैकल्पिक गतिविधियों में भाग लेते हैं, जैसे कला और शिल्प, विज्ञान प्रयोग, प्रकृति सैर, खेल, सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ, कहानी सुनना, जीवन कौशल कार्यशालाएँ और सामुदायिक सेवा। 

यह दिवस न केवल छात्रों के शारीरिक और मानसिक तनाव को कम करता है, बल्कि उन्हें आत्म-अभिव्यक्ति, सहयोग, पर्यावरणीय चेतना और जीवन के व्यावहारिक पक्षों से भी जोड़ता है। हाल ही में आयोजित इस दिवस पर एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया, जिसमें उत्तराखंड राज्य के विभिन्न विद्यालयों के छात्रों और शिक्षकों ने अपनी रचनात्मकता और नवाचारों का प्रभावशाली प्रदर्शन किया। इस पहल को प्रदेश के शिक्षा मंत्री सहित अनेक वरिष्ठ अधिकारियों ने सराहा और इसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्यों के अनुरूप बताया।

Monday, April 21, 2025

ई-कॉन्टेंट निर्माण कार्यशाला का दूसरा चरण प्रारंभ – SCERT उत्तराखण्ड


दिनांक – 21 अप्रैल 2025 | स्थान – आईटी लैब एवं ई-लर्निंग सेंटर, SCERT देहरादून

SCERT उत्तराखण्ड द्वारा आयोजित ई-कॉन्टेंट निर्माण कार्यशाला का दूसरा चरण आज से विधिवत रूप से प्रारंभ हुआ। इस छह दिवसीय कार्यशाला का उद्देश्य राज्य में तकनीकी रुचि रखने वाले शिक्षकों को ई-कॉन्टेंट निर्माण में दक्ष बनाना है, ताकि वे 21वीं सदी की डिजिटल शिक्षा प्रणाली के अनुरूप गुणवत्तापरक शैक्षणिक सामग्री तैयार कर सकें।

कार्यशाला में नेशनल ICT अवार्डी शिक्षिक सुप्रिया बहुखंडी को संदर्भदाता के रूप में आमंत्रित किया गया है। वे 26 अप्रैल 2025 तक प्रतिभागियों को मार्गदर्शन प्रदान करेंगी। सुप्रिया बहुखंडी का ई-कॉन्टेंट निर्माण एवं ICT इंटीग्रेशन के क्षेत्र में उल्लेखनीय अनुभव है, जो इस कार्यशाला को अत्यंत उपयोगी बनाएगा।


कार्यशाला का शुभारंभ दीक्षा समन्वयक  एस. पी. वर्मा एवं प्रवक्ता पुष्पा असवाल ने किया। प्रथम दिवस पर आईटी प्रवक्ता  रमेश बडोनी द्वारा प्रतिभागियों को ई-कॉन्टेंट निर्माण की पूर्व तैयारी, स्क्रिप्टिंग और निर्माण के चरणों के बारे में विस्तारपूर्वक अभिमुखिकरण दिया गया। उन्होंने यह भी बताया कि ई-कॉन्टेंट केवल वीडियो नहीं, बल्कि एक व्यवस्थित शैक्षिक अनुभव होता है जिसमें टेक्स्ट, ग्राफिक्स, इंटरेक्टिव तत्व और मूल्यांकन भी शामिल होता है।


परिचय सत्र में राज्यभर से आए प्रतिभागी शिक्षकों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किया गया, और उनसे अपने विषय के अनुसार टॉपिक का चयन कर उस पर ई-कॉन्टेंट निर्माण की मूल रूपरेखा पर काम करने को कहा गया।

कार्यशाला को लेकर अपर निदेशक पदमेन्द्र सकलानी और सहायक निदेशक डॉ. के. एन. बिजलवाण ने अपने संदेश में कहा कि –

“गुणवत्ता शिक्षा के लिए ई-कॉन्टेंट निर्माण 21वीं सदी की आवश्यकता है। डिजिटल माध्यमों के ज़रिए शिक्षा को अधिक प्रभावशाली, सुलभ और समावेशी बनाया जा सकता है।”

यह कार्यशाला SCERT उत्तराखण्ड द्वारा चलाए जा रहे “Digital Learning” एवं “DIKSHA Portal Content Enrichment” अभियानों के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण पहल है।

उम्मीद है कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम राज्य के शिक्षकों को तकनीकी रूप से सशक्त बनाएगा और गुणवत्तापूर्ण डिजिटल सामग्री का निर्माण सुनिश्चित करेगा।

#SCERT_Uttarakhand #EContentWorkshop2025  #DigitalEducation #DIKSHA_ReadyContent

उत्तराखंड में मनाया गया प्रवेश उत्सव 2025-26: नए छात्रों का हुआ भव्य स्वागत


देहरादून, 21 अप्रैल 2025

उत्तराखंड राज्य के समस्त राजकीय विद्यालयों में आज एक विशेष उमंग और उल्लास के साथ प्रवेश उत्सव 2025-26 का आयोजन किया गया। यह उत्सव राज्य के नौनिहालों के जीवन में शिक्षा की एक नई शुरुआत का प्रतीक बना। सभी विद्यालयों में नए छात्रों का पारंपरिक रीति-रिवाजों से तिलक, पुष्पमालाएं और मिठाई के साथ हार्दिक स्वागत किया गया।

विद्यालयों ने बच्चों को पठन-पाठन सामग्री, स्कूल बैग, स्टेशनरी और मूल्यांकन पुस्तिकाएं भी प्रदान कीं। इस आयोजन का उद्देश्य न केवल नए छात्रों का अभिनंदन करना था, बल्कि उनके भीतर विद्यालय के प्रति अपनापन और शिक्षा के प्रति रुचि उत्पन्न करना भी था।

इस राज्यव्यापी पहल में महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा, झरना कमठान ने स्वयं एक राजकीय विद्यालय में जाकर विद्यार्थियों से मुलाकात की और उनका उत्साहवर्धन किया। उन्होंने कहा कि यह उत्सव सरकारी विद्यालयों को नए सिरे से पहचान दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। झरना कमठान ने शिक्षक सरोजनी रावत को भी इस अवसर पर सम्मानित किया जिन्होंने एन ई पी 2020 के आलोक मे टी एल एम किट का निर्माण किया है  जो निपुण भारत मिशन और दीक्षा जैसे प्लेटफॉर्म पर उपयोगी साबित होगी । 

कार्यक्रम में एससीईआरटी उत्तराखंड की अहम भूमिका रही। अपर निदेशक पद्मेंद्र सकलानी और सहायक निदेशक डॉ. के. एन. बिजलवाण के साथ साथ प्रवक्तों ने विभिन्न विद्यालयों में पहुंचकर बच्चों के साथ समय बिताया और अध्यापकों को इस आयोजन की सराहना करते हुए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के उत्सव बालकों को शैक्षणिक परिवेश में सहजता से ढालने का बेहतरीन माध्यम हैं।

अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण  निदेशक, श्रीमती बंदना गर्ब्याल ने अपने संदेश में कहा कि "प्रवेश उत्सव जैसी पहलें शिक्षा के क्षेत्र में नवचेतना लाने का कार्य करती हैं। इन आयोजनों से न केवल बच्चों में शिक्षा के प्रति जिज्ञासा बढ़ती है, बल्कि अभिभावकों का विश्वास भी सरकारी विद्यालयों में सुदृढ़ होता है।"

छात्र-छात्राओं के चेहरों पर जहां एक ओर विद्यालय में प्रवेश की खुशी झलक रही थी, वहीं दूसरी ओर उनके अभिभावकों ने भी विद्यालयों की तैयारियों और स्वागत कार्यक्रम की सराहना की। स्कूलों में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों, बाल कविता पाठ और खेलों का भी आयोजन किया गया, जिससे पूरा वातावरण उल्लासमय बन गया।

प्रवेश उत्सव केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि उत्तराखंड में शिक्षा को सशक्त और सर्वसुलभ बनाने की दिशा में एक सशक्त पहल है। यह आयोजन बच्चों को विद्यालय से जोड़ने, सरकारी विद्यालयों की छवि सुधारने और शिक्षा के प्रति समाज की सोच को सकारात्मक दिशा देने में सहायक सिद्ध होगा।

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