Monday, July 21, 2025

चार नए ICT वर्चुअल स्टूडियो शीघ्र ही उत्तराखंड में — तकनीकी शिक्षा की ओर एक बड़ा कदम

 

उत्तराखंड शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक पहल की ओर अग्रसर है। राज्य में जल्द ही चार नए ICT (सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी) वर्चुअल स्टूडियो स्थापित और लॉन्च किए जा रहे हैं। यह स्टूडियो शिक्षकों और छात्रों के लिए तकनीकी नवाचारों का केंद्र बनेंगे, जहाँ से रियल टाइम में ई-कंटेंट प्रसारण, डिजिटल प्रशिक्षण और मूल्यांकन जैसी सुविधाएं संभव होंगी।

उच्च तकनीकी स्टूडियो:

इन स्टूडियोज़ को अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित किया जा रहा है। इनमें RAT (Real-Time Assessment Technology) की व्यवस्था की गई है, जो छात्रों के रियल-टाइम मूल्यांकन और मॉनिटरिंग को संभव बनाएगी।

  • 850 से अधिक नए सरकारी विद्यालयों को इन स्टूडियोज़ के माध्यम से जोड़ा जाएगा।

  • वर्तमान में, राज्य के 500+ विद्यालय पहले से ही तीन कार्यरत वर्चुअल स्टूडियो के माध्यम से लाभान्वित हो रहे हैं।


उद्देश्य:

  • छात्रों को गुणवत्तापूर्ण डिजिटल सामग्री उपलब्ध कराना

  • शिक्षकों को आभासी प्रशिक्षण एवं समर्थन देना

  • मूल्यांकन की प्रक्रिया को पारदर्शी और तकनीकी बनाना

  • दूरदराज़ क्षेत्रों तक तकनीक की पहुँच सुनिश्चित करना

विभागीय अधिकारियों की समीक्षा यात्रा:

आज माध्यमिक शिक्षा विभाग, समग्र शिक्षा, और SCERT उत्तराखंड के वरिष्ठ अधिकारियों ने इन वर्चुअल स्टूडियोज़ की स्थापना स्थलों का निरीक्षण किया। उन्होंने कार्य की प्रगति की समीक्षा की, और शीघ्र क्रियान्वयन हेतु रणनीतियाँ बनाई।


यह पहल न केवल छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच देने में मदद करेगी, बल्कि शिक्षकों के डिजिटल कौशल में भी वृद्धि करेगी। ICT स्टूडियो के माध्यम से अब शिक्षक दूरस्थ रूप से प्रशिक्षण प्राप्त कर सकेंगे, और राज्यभर में एक समान डिजिटल शैक्षिक अनुभव सुनिश्चित हो सकेगा।

अपेक्षित लाभ:

  • रियल टाइम मूल्यांकन के माध्यम से व्यक्तिगत रूप से छात्रों की समझ की पहचान

  • इंटरैक्टिव और विज़ुअल लर्निंग की सुविधा

  • शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि

  • समान शैक्षणिक अवसर राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों तक


उत्तराखंड का यह प्रयास तकनीक आधारित शिक्षा की दिशा में एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है। जब चार नए वर्चुअल स्टूडियो पूर्णतः क्रियाशील होंगे, तब यह पूरे राज्य में डिजिटल शिक्षा की पहुँच को और अधिक सशक्त बनाएगा।

समग्र शिक्षा और शिक्षा विभाग के समन्वित प्रयासों से यह परियोजना जल्द ही वास्तविक रूप ले रही है — यह एक बड़ा और सकारात्मक परिवर्तन का संकेत है।


ICT वर्चुअल स्टूडियो में प्रयुक्त प्रमुख तकनीकें: क्या करती हैं और कैसे लाभकारी हैं?

RAT (Real-Time Assessment Technology):

यह तकनीक क्या करती है:
RAT तकनीक छात्रों के उत्तरों, भागीदारी और प्रदर्शन का रियल-टाइम में विश्लेषण करने में सक्षम होती है। यह तकनीक ऑटोमेटिक मूल्यांकन, डेटा एनालिटिक्स और रिपोर्ट जेनरेशन के माध्यम से शिक्षकों को यह जानने में मदद करती है कि कौन-सा छात्र किस विषयवस्तु को समझ पा रहा है और किसे नहीं।

मुख्य लाभ:

  • छात्र की समझ का तुरंत मूल्यांकन

  • डेटा-आधारित फीडबैक शिक्षकों को

  • धीमे सीखने वाले बच्चों की पहचान और मदद

  • व्यक्तिगत लर्निंग प्लान तैयार करने में मदद

स्टूडियो ब्रॉडकास्टिंग तकनीक (Live Interactive Streaming):

यह तकनीक क्या करती है:
इससे एक ही स्थान (ICT स्टूडियो) से सैकड़ों स्कूलों तक लाइव कक्षाएं, शिक्षक प्रशिक्षण, वेबिनार आदि प्रसारित किए जा सकते हैं। यह इंटरैक्टिव होती है जिसमें छात्र-शिक्षक संवाद भी संभव होता है।

मुख्य लाभ:

  • एक विशेषज्ञ शिक्षक सैकड़ों स्कूलों को एक साथ पढ़ा सकता है

  • दूरस्थ क्षेत्रों तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की पहुँच

  • लाइव प्रश्नोत्तर सत्र से सीखने की गुणवत्ता में वृद्धि

डिजिटल कंटेंट इंटीग्रेशन सिस्टम:

यह तकनीक क्या करती है:
NCERT/SCERT पाठ्यक्रमानुसार वीडियो लेक्चर, एनिमेशन, क्विज़, पीडीएफ आदि डिजिटल सामग्री को एकीकृत करके छात्रों तक पहुँचाना।

मुख्य लाभ:

  • विषयवस्तु की गहराई से समझ

  • दृश्य और श्रव्य माध्यम से बेहतर सीख

  • छात्रों की रुचि और सक्रिय भागीदारी में वृद्धि

Teacher Monitoring & Performance Dashboard:

यह तकनीक क्या करती है:
शिक्षकों की उपस्थिति, पढ़ाने की गुणवत्ता, सामग्री की समयबद्धता आदि का ट्रैक रखने हेतु डैशबोर्ड आधारित मॉनिटरिंग प्रणाली।

मुख्य लाभ:

  • शिक्षक की गतिविधियों की निगरानी

  • उत्तरदायित्व और पारदर्शिता

  • प्रशिक्षण की आवश्यकताओं की पहचान

Cloud-Based Lesson Recording & Archiving:

यह तकनीक क्या करती है:
हर स्टूडियो सत्र को रिकॉर्ड कर क्लाउड पर संग्रहित किया जाता है जिससे छात्र बाद में भी उन्हें देख सकें।

मुख्य लाभ:

  • पढ़ाई कभी भी, कहीं भी संभव

  • पुनरावृत्ति और स्व-अध्ययन में सहायक

  • शिक्षक प्रशिक्षण के लिए रेफरेंस सामग्री

उत्तराखंड के ICT वर्चुअल स्टूडियो न केवल पढ़ाने का तरीका बदल रहे हैं, बल्कि शिक्षा को डेटा-संचालित, उत्तरदायी और व्यक्तिगत बना रहे हैं। यह तकनीकें मिलकर एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म तैयार कर रही हैं जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को लोकतांत्रिक तरीके से सभी छात्रों तक पहुँचा रही हैं – विशेषकर दूरस्थ, सीमांत और पर्वतीय क्षेत्रों में।

Friday, July 18, 2025

नवाचार और डिज़ाइन थिंकिंग विडिओ सीरीज से स्कूली शिक्षा मे नवप्रयास

 

एससीईआरटी उत्तराखंड, नवम फाउंडेशन एवं अगस्त्य इंटरनेशनल के संयुक्त प्रयास से शुरू की गई “Innovation & Design Thinking Video Series” राज्य के प्रत्येक विद्यालय तक पहुँचने के लिए तैयार है। इस विशेष शैक्षिक श्रृंखला का उद्देश्य है – छात्रों और शिक्षकों में नवाचार की भावना विकसित करना, रचनात्मक सोच को प्रोत्साहित करना तथा 21वीं सदी के कौशलों का निर्माण करना।

सीरीज का शुभारंभ और प्रसारण

इस वीडियो श्रृंखला का सीधा प्रसारण 16 जुलाई 2025 से PM eVidya चैनलों पर 24x7 किया जा रहा है:

           चैनल 1 – कक्षा 6 से 8 के लिए

        चैनल 2 – कक्षा 9–10 के लिए

        चैनल 3 – कक्षा 11–12 के लिए

        चैनल 4 – कक्षा 11–12 के लिए (वैकल्पिक/पूरक)

YouTube पर भी उपलब्ध:

शृंखला के उद्देश्य

  • नवाचार आधारित शिक्षा को कक्षा शिक्षण से जोड़ना

  • समस्याओं को हल करने की सोच को विकसित करना

  • शिक्षकों और छात्रों को डिज़ाइन थिंकिंग के कौशल प्रदान करना

  • नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार कौशल आधारित शिक्षा को बढ़ावा देना

शिक्षा अधिकारियों की प्रेरणादायक अपील

निदेशक (अकादमिक)  बंदना गर्ब्याल ने सभी अधिकारियों और जिला स्तरीय शिक्षण संस्थानों को यह निर्देश दिए हैं कि वे इस वीडियो शृंखला को राज्य के प्रत्येक विद्यालय में अनिवार्य रूप से प्रसारित करें और इसे शैक्षणिक गतिविधियों का हिस्सा बनाएं।

अपर निदेशक  पद्मेन्द्र सकलानी ने इसे उत्तराखंड में नवाचार आधारित शिक्षा का एक नया शुभारंभ बताया और आशा जताई कि इससे राज्य में शिक्षण की गुणवत्ता और छात्रों की सृजनात्मक क्षमता में उल्लेखनीय सुधार होगा।

तकनीकी सहयोग और मूल्यांकन

इस शृंखला के तकनीकी समन्वयक रमेश बडोनी (आई.टी. विभाग, एससीईआरटी) हैं, जिनसे अधिक जानकारी के लिए संपर्क किया जा सकता है: +91 7906411210

विद्या समीक्षा केंद्र, उत्तराखंड इस शृंखला की दर्शकों की सहभागिता और प्रभाव पर निगरानी रखेगा और नियमित रूप से रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।🌱 उत्तराखंड के लिए एक रचनात्मक कदम

"Unlock Innovation, Ignite Ideas!" केवल एक नारा नहीं, बल्कि यह शृंखला उत्तराखंड के छात्रों को वैश्विक सोच, स्थानीय क्रियान्वयन की दिशा में अग्रसर करती है।

विस्तृत जानकारी के लिए:

📌 हर विद्यालय, हर कक्षा में नवाचार की बात करें — वीडियो श्रृंखला को देखें, विचार करें, और नवप्रयास करें!

Wednesday, July 16, 2025

शिक्षा की नींव मजबूत करने की ओर एक प्रेरक पहल – शिक्षक राकेश बसु जी का अभिनव योगदान

 
"5+3+3+4 = फर्स्ट 5: शिक्षा की नींव"

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) में सबसे पहला और महत्वपूर्ण चरण – प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (Early Childhood Care and Education - ECCE) को प्राथमिकता दी गई है। नीति स्पष्ट करती है कि 3-6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए मुफ्त, सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और देखभाल सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है, ताकि बच्चों की सीखने की नींव मज़बूत की जा सके।

इसी भावना को साकार कर रहे हैं जनपद चंपावत के समर्पित शिक्षक राकेश बसु, जो न केवल प्राथमिक विद्यालय में शिक्षा दे रहे हैं, बल्कि अपने विद्यालय से जुड़े आंगनवाड़ी केंद्र में भी निरंतर सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। राकेश जी बच्चों के मानसिक, शारीरिक एवं भावनात्मक विकास के लिए आंगनवाड़ी में आनंददायी गतिविधियाँ करवाते हैं, जिससे बच्चों को शिक्षा से जुड़ने का अवसर भी मिल रहा है।

उनका यह प्रयास सराहनीय इसलिए भी है क्योंकि:

  • बच्चों का सर्वांगीण विकास: राकेश जी द्वारा किए जा रहे रचनात्मक कार्यों से बच्चों में विश्वास, भाषा, संवेदनशीलता और समन्वय कौशल विकसित हो रहे हैं।
  • शिक्षा की मजबूत नींव: खेल-आधारित और अनुभवजन्य शिक्षा से बच्चे भविष्य की औपचारिक शिक्षा के लिए तैयार हो रहे हैं।
  • समुदाय की भागीदारी: इस प्रयास से अभिभावक और समुदाय भी जागरूक हो रहे हैं, जिससे विद्यालय और आंगनवाड़ी के बीच समन्वय बेहतर हो रहा है।

यह पहल न केवल बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाती है कि यदि हम पहली कड़ी (ECCE) को मजबूत करेंगे, तभी NEP 2020 की सफलता सुनिश्चित होगी।

राकेश बसु जी को नमन!
उनका यह प्रयास उत्तराखंड सहित पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है। हमें ऐसे शिक्षकों की सराहना करनी चाहिए और उनके प्रयासों को नीति के स्तर तक पहुँचाना चाहिए, ताकि हर विद्यालय में ECCE और आंगनवाड़ी के बीच सहयोग बढ़ सके।

देखें यह प्रेरणादायी वीडियो:
एस सी ई आर टी प्रवक्ता सुनील भट्ट जी ने इस अवसर पर Rakesh Ji को याद किया - शिक्षा की नींव मजबूत हो, तभी राष्ट्र का निर्माण हो।

"कौशलम मास्टर ट्रेनर विकास प्रशिक्षण: शिक्षकों की दक्षता में एक नया प्रयास "

दिनांक: 3 से 5 जुलाई 2025 स्थान: एपीएफ, दिनेशपुर, उधमसिंह नगर
आयोजक: एससीईआरटी उत्तराखंड

शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता और नवाचार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (SCERT) उत्तराखंड द्वारा "कौशलम मास्टर ट्रेनर विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम" का सफल आयोजन 3 से 5 जुलाई 2025 तक एपीएफ (APF), दिनेशपुर, जनपद उधमसिंह नगर में किया गया।

इस तीन दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण में राज्य भर से चयनित 32 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनका उद्देश्य भविष्य में राज्य स्तरीय प्रशिक्षकों के रूप में कौशलम कार्यक्रम को आगे बढ़ाना है।


प्रशिक्षण के प्रमुख उद्देश्य

  • शिक्षकों में 21वीं सदी के कौशल जैसे संचार, सहयोग, रचनात्मकता और आलोचनात्मक सोच का विकास।

  • कौशलम मॉड्यूल की गहराई से समझ और उसे विद्यालयी परिप्रेक्ष्य में लागू करने की रणनीतियाँ।

  • प्रतिभागियों को राज्य स्तरीय मास्टर ट्रेनर के रूप में तैयार करना जो अपने-अपने जिलों में शिक्षक प्रशिक्षण का नेतृत्व कर सकें।


प्रमुख गतिविधियाँ और सत्र

  • इंटरएक्टिव वर्कशॉप: जहां प्रतिभागियों ने समस्या-समाधान आधारित गतिविधियों और केस स्टडीज में भाग लिया।

  • समूह कार्य और प्रस्तुति: जिससे प्रतिभागियों की टीम भावना और प्रस्तुति कौशल में सुधार हुआ।

  • रिफ्लेक्टिव प्रैक्टिस सेशन: जिसमें प्रतिभागियों ने अपनी शिक्षण विधियों की समीक्षा कर नई रणनीतियाँ अपनाने का संकल्प लिया।


प्रशिक्षण समन्वयन

इस कार्यक्रम का समन्वयक  मनोज शुक्ला, एससीईआरटी उत्तराखंड द्वारा किया गया। उन्होंने प्रतिभागियों को प्रेरित किया कि वे इस प्रशिक्षण को केवल एक कार्यक्रम के रूप में नहीं बल्कि एक शिक्षक के रूपांतरण की यात्रा के रूप में लें।

भावी दिशा

प्रशिक्षण उपरांत सभी प्रतिभागी अपने-अपने जिलों में "कौशलम" कार्यक्रम के ब्रांड एम्बेसडर के रूप में कार्य करेंगे और स्कूली शिक्षा में जीवन-कौशल आधारित शिक्षण को नई दिशा देंगे।


यह कार्यक्रम न केवल एक प्रशिक्षण सत्र था, बल्कि शिक्षकों की नेतृत्व क्षमता को जाग्रत करने की एक पहल थी। "कौशलम" अब केवल एक शब्द नहीं, बल्कि उत्तराखंड के विद्यालयों में सीखने के नए युग की शुरुआत है।

हरेला पर्व पर SCERT उत्तराखंड में वृक्षारोपण का आयोजन


आज दिनांक 16 जुलाई 2025 को SCERT उत्तराखंड, देहरादून के परिसर में पारंपरिक पर्व हरेला के पावन अवसर पर एक विशेष वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर निदेशक अकादमिक  बन्दना गर्ब्याल और अपर निदेशक पदमेन्द्र सकलानी द्वारा  परिसर मे वृक्षारोपण किया गया। उनके साथ-साथ सभी संकाय सदस्यों ने भी मिलकर संस्थान के विभिन्न हिस्सों, विशेष रूप से गेस्ट हाउस परिसर में फलदार और छायादार वृक्षों का रोपण किया।


हरेला पर्व उत्तराखंड में पर्यावरण संरक्षण, हरियाली और कृषि समृद्धि के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व लोगों को प्रकृति से जुड़ने, वृक्षों की महत्ता को समझने और हरित जीवनशैली अपनाने की प्रेरणा देता है।

इस अवसर पर निदेशक बन्दना गर्ब्याल ने कहा कि वृक्ष केवल लगाने से नहीं बल्कि उनके संरक्षण और नियमित देखभाल से ही पर्यावरण संतुलन सुनिश्चित किया जा सकता है। उन्होंने वृक्षों के रखरखाव हेतु एक व्यवस्थित कार्य योजना बनाने की बात कही ताकि SCERT परिसर हमेशा हरित और स्वच्छ बना रहे।


अपर निदेशक पदमेन्द्र सकलानी ने कहा कि यह पहल केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हरित संदेश है। उन्होंने सभी अधिकारियों और कर्मचारियों से अपील की कि वे वृक्षों को अपने बच्चों की तरह पालें।


कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों से अनुरोध किया गया कि वे वृक्षारोपण के साथ सेल्फी लेकर उसे सरकारी पोर्टल पर अपलोड करें, जिससे यह अभियान एक जन-आंदोलन का रूप ले सके और पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैले। इस अवसर पर प्रवक्ता अरुण थपलियाल ने सभी के लिए कार्यक्रम की गरिमा को और भी मधुर बनाने हेतु स्वीट (मिष्ठान्न) वितरण की भी व्यवस्था की थी। सभी प्रतिभागियों को इस हरित पर्व की शुभकामनाओं के साथ स्वादिष्ट मिठाइयाँ प्रदान की गईं, जिससे पूरे परिसर में सांस्कृतिक उल्लास और आपसी सौहार्द का माहौल बना रहा।

सहायक निदेशक डॉ के एन बिजलवान , SCERT उत्तराखंड ने हरेला पर्व को पर्यावरणीय चेतना के एक उत्सव के रूप में मनाते हुए एक प्रेरणादायक संदेश दिया है - आइए हम सब मिलकर इस हरियाली के उत्सव में भाग लें और धरती को हरा-भरा बनाएं!

Tuesday, July 15, 2025

Valedictory Ceremony of Super 100 Batch – 45-Days Intensive Coaching Program Concludes at SCERT Uttarakhand


Dehradun, July 16, 2025 — The State Council of Educational Research and Training (SCERT) Uttarakhand witnessed a momentous occasion as it hosted the Valedictory Ceremony of the Super 100 Batch, concluding an intensive 45-day residential summer coaching program designed to prepare meritorious students for national-level engineering and medical entrance examinations.

Held at the SCERT Auditorium, Dehradun, the ceremony brought together distinguished dignitaries, proud parents, faculty, and the aspiring students themselves. Key education leaders and government officials graced the event, praising the students' dedication and the initiative's success.

Key Highlights of the Ceremony:

Director of Academic Research and Training,  Bandana Garbyal, delivered the keynote address and emphasized the vision of the Super 100 program. She highlighted that such initiatives are vital to ensuring equity and excellence in education, especially for high-achieving students from across the state. Ms. Garbyal was warmly welcomed by  Kuldeep Gairola, Additional State Project Director, Samagra Shiksha Uttarakhand, who praised the efforts of the academic team and the students’ commitment throughout the program.

Students enthusiastically shared their experiences, highlighting the rigorous academic sessions, personalized mentoring, and motivation-driven learning environment. Several students noted that the program significantly enhanced their problem-solving skills and exam readiness. Their heartfelt feedback was a testament to the impact of the well-structured learning framework designed by expert faculty.

Key Dignitaries Present:

  • Mr. Padmendra SaklaniAdditional Director, SCERT Uttarakhand

  • Ajit Bhandari – Deputy Director, Samagra Shiksha Uttarakhand

  •  Pallavi Nain – Deputy Director, Samagra Shiksha Uttarakhand

  • Dr. K.N. Bijalwan Assistant Director, SCERT

  • Bhagwati Maindoli – Administrative Officer, Samagra Shiksha Uttarakhand

  • Parents of the Super 100 students

During the ceremony, Director Bandana Garbyal and Additional Project Director Kuldeep Gairola shared inspiring anecdotes from their school days, reflecting on the challenges they faced and the determination that shaped their journeys. They spoke of studying under difficult circumstances in remote areas, often without access to proper resources or guidance, yet holding on to a strong will to succeed. Their stories deeply resonated with the students, serving as powerful reminders that perseverance, hard work, and faith in one’s dreams can overcome even the toughest obstacles. Their journeys from humble beginnings to leadership roles in the education department inspired the young achievers to set high goals and remain committed to achieving them.

The Super 100 coaching program was strategically divided into two phases for optimal academic and residential support. The first 30 days of classes were conducted at Rajiv Gandhi Navodaya Vidyalaya (RGNV), Dehradun, where students received foundational academic input in a structured school environment. The remaining 15 days were held at the SCERT Uttarakhand campus, which provided a fully residential facility, enabling immersive and focused preparation. The program was implemented under the Samagra Shiksha initiative, in collaboration with Awanti Fellows and HHPL, who served as academic and operational partners. Mr. Akhilesh Dhyani from Samagra Shiksha took on the role of Program Coordinator, ensuring smooth execution, coordination among stakeholders, and continuous support to students throughout the 45-day journey.

Their presence underscored the state’s commitment to empowering youth with high-quality learning opportunities.

 About the Super 100 Program:

  • 8,000+ students appeared for the entrance exam conducted earlier this year.

  • The top 100 meritorious students were selected for the program through a rigorous evaluation process.

  • The 45-day residential coaching was held at the SCERT campus, with a focused curriculum covering Physics, Chemistry, and Mathematics.

  • Students received free study materials, academic support, and exam-oriented preparation under expert mentors.

  • Avantika, the program's knowledge partner, made the initiative possible by providing expert faculty and support infrastructure.

This initiative reflects the vision of Samagra Shiksha and, in association with providing a venue for SCERT Uttarakhand, aims to bridge academic gaps, enhance competitive preparedness, and create a more inclusive platform for success in national entrance examinations.

With students receiving mementos and certificates and faculty receiving recognition for their dedication, the ceremony concluded on a high note. The Super 100 program exemplifies targeted academic intervention and state-level excellence.

एससीईआरटी उत्तराखंड एवं अगस्तय इंटरनेशल एवं नवम फाउंडेशन के सहयोग से इनोवेशन एंड डिज़ाइन थिंकिंग वीडियो श्रृंखला — उत्तराखंड के स्कूलों के लिए एक नवाचारी पहल

"Unlock Innovation, Ignite Ideas!"

एससीईआरटी उत्तराखंड एवं अगस्तय इंटरनेशल एवं नवम फाउंडेशन के सहयोग से एक विशेष टेलीविज़न शैक्षिक श्रृंखला "Innovation and Design Thinking" का शुभारंभ किया गया है, जिसका उद्देश्य राज्य के छात्रों और शिक्षकों में नवाचार, रचनात्मकता और 21वीं सदी के कौशल को विकसित करना है।

कार्यक्रम का उद्देश्य:

  • छात्रों एवं शिक्षकों में रचनात्मक सोच और समस्या समाधान की क्षमता का विकास करना।

  • डिज़ाइन थिंकिंग की प्रक्रिया को विद्यालयी शिक्षा में समाहित करना।

  • वास्तविक जीवन की चुनौतियों पर आधारित नवाचारात्मक सोच को प्रोत्साहित करना।

  • शिक्षकों को इनोवेशन आधारित पेडागॉजी अपनाने हेतु प्रेरित करना।

  • छात्रों को 21वीं सदी के कौशल जैसे सहयोग, नवाचार, संचार और आलोचनात्मक सोच से सशक्त बनाना।

लाइव प्रसारण विवरण:

प्रसारण प्रारंभ: 16 जुलाई 2025 से
24x7 लाइव टेलीकास्ट: पीएम ई-विद्या उत्तराखंड चैनलों पर

चैनल लिंक:

प्रोमो वीडियो देखें: https://youtu.be/O1THXcagn7k?si=NN9wuerIwKqcxaz4
यूट्यूब चैनल: SCERT Uttarakhand YouTube

अपेक्षित परिणाम:

  • विद्यालयी कक्षाओं में प्रोजेक्ट आधारित शिक्षण का समावेश।

  • शिक्षक-छात्र संवाद में इनोवेशन आधारित गतिविधियाँ

  • Vidya Samiksha Kendra, Uttarakhand द्वारा दर्शक विश्लेषण और प्रभाव मूल्यांकन

  • भविष्य के लिए स्टूडेंट इनोवेटर्स और टीचर मेंटर्स का निर्माण।

"यह श्रृंखला उत्तराखंड की शिक्षा प्रणाली में नवाचार की लौ जलाने का एक ऐतिहासिक प्रयास है। यह पहल बच्चों को विचारशील, संवेदनशील और रचनात्मक बनाएगी।"  बंदना गर्ब्याल, निदेशक, अकादमिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण  उत्तराखंड

"इनोवेशन कोई विषय नहीं बल्कि एक दृष्टिकोण है, जिसे हम इस माध्यम से हर छात्र तक पहुँचाना चाहते हैं। यह पहल शिक्षकों के लिए भी मार्गदर्शक सिद्ध होगी।"  पद्मेन्द्र सकलानी, अपर निदेशक, SCERT उत्तराखंड

"हमारा प्रयास है कि उत्तराखंड के प्रत्येक विद्यालय में बच्चों की नवाचार क्षमता को मंच मिले, ताकि वे समाज में प्रभावशाली परिवर्तन ला सकें।"  अजीत भंडारी, उप निदेशक  SCERT उत्तराखंड

"इस वीडियो श्रृंखला का निर्माण शिक्षण को जीवंत और समकालीन बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।" डॉ. के. एन. बिजल्वाण, सहायक निदेशक SCERT उत्तराखंड

SCERT उत्तराखंड इस वीडियो श्रृंखला के निर्माण में योगदान देने वाले सभी वैज्ञानिकों, प्रोफेसरों, इनोवेटर्स, शिक्षकों, अगस्तय इंटरनेशल एवं नवम फाउंडेशन एवं छात्रों का आभार प्रकट करता है। उनके शोध, प्रयास और नवाचार इस प्रयास की आत्मा हैं।

संपर्क करें 

कार्यक्रम समन्वयकरमेश बडोनी, IT विभाग, SCERT उत्तराखंड 📞 +91 7906411210

अधिक जानकारी हेतु :

Friday, July 11, 2025

Strengthening Cyber Resilience in Uttarakhand: One-Day Workshop Brings Together Key Education and IT Officials


Dehradun, 11 July 2025 In a crucial step toward building cyber resilience within the education sector and strengthening digital hygiene across government systems, the Information Technology Development Agency (ITDA), under the guidance of Shri Nitesh Jha, Secretary (IT), Government of Uttarakhand, successfully hosted a one-day workshop on "Recent Trends in Cyber Crimes" at the CSI Auditorium, Dehradun. The workshop was also live-streamed via Zoom to ensure participation from across the state.

The workshop formed part of ITDA’s Cyber Awareness Program, aiming to sensitize key stakeholders in the government to the growing threats in cyberspace and equip them with practical strategies to enhance cybersecurity.



Among the notable participants were representatives from the Directorate of School Education, SCERT Uttarakhand, and the Directorate of Secondary Education. Key education officials included:

  • Pankaj Sharma, DD Representative, Directorate of School Education

  • Mukesh Bahuguna, CAO, Representative, DG School Education, Uttarakhand

  • Ramesh Prasad Badoni, ICT Lead, SCERT Uttarakhand

ThThese education leaders engaged deeply with cybersecurity experts to explore the implications of digital threats on educational institutions and to discuss collaborative strategies for securing school networks and online learning systems.

Arun Bisht, Assistant General Manager (AGM), ITDA, hosted and coordinated the workshop, ensuring smooth execution and cross-departmental collaboration through his proactive efforts.

The event commenced with a welcome address by Gaurav Kumar, Director, ITDA, followed by an insightful contextual overview by Tirth Pal Singh, Additional Director, ITDA. Both speakers emphasized the pressing need for government departments to fortify their IT infrastructure and promote a culture of cyber hygiene.

The keynote session, led by Rahul Mishra, Cybersecurity Advisor to the UP Police and an acclaimed expert in the field, shed light on the alarming rise in cybercrimes and the importance of proactive defense strategies. His presentation resonated strongly with participants from the education sector, highlighting vulnerabilities specific to educational platforms and data privacy.


Ashish Upadhyay, AGM Cyber Security, ITDA, led members of the CERT Uttarakhand team—Shivam, Rajat, and Rishab—in delivering further technical sessions. Members of the CERT Uttarakhand team, Shivam, Rajat, and Rishab, provided a detailed overview of state-level cybersecurity initiatives, along with actionable tips and tools for securing government data systems.

Over 125 officials participated in person, and more than 50 government offices joined virtually, reflecting widespread commitment to digital security across departments.


The workshop concluded with an engaging interactive Q&A session, facilitating direct dialogue between cybersecurity experts and attending officials.

This collaborative effort represents an important step in Uttarakhand’s journey toward creating a secure, aware, and digitally empowered governance framework, particularly within the education system. ITDA reaffirmed its commitment to providing continued support and capacity-building programs for all departments to counter evolving cyber threats effectively.


Thursday, July 10, 2025

डॉल्फिन इंस्टिट्यूट ऑफ बायोमेडिकल एवं प्राकृतिक विज्ञान और एससीईआरटी संयुक्त रूप से करेंगे उत्तराखंड के दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों में खगोल विज्ञान जागरूकता कार्यक्रम की शुरुआत

देहरादून, 10 जुलाई 2025:

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने और उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्रों के स्कूली छात्रों में वैज्ञानिक जिज्ञासा को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, डॉल्फिन (पीजी) इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल एंड नेचुरल साइंसेज़ (DIBNS), देहरादून और राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT), उत्तराखंड के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह समझौता "स्टार्स ओवर हिल्स"उत्तराखंड के दूरस्थ पर्वतीय विद्यालय समुदायों के लिए एक खगोल विज्ञान जागरूकता कार्यक्रम" नामक पहल के क्रियान्वयन के लिए हुआ है।

यह कार्यक्रम भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के NCSTC डिवीजन द्वारा वित्त पोषित है। इसका उद्देश्य खगोल विज्ञान और अंतरिक्ष विज्ञान की शिक्षा को लोकप्रिय बनाना है। इसके तहत विद्यार्थियों के लिए हाथों-हाथ कार्यशालाएं, वास्तविक आकाश दर्शन सत्र, दूरबीन निर्माण गतिविधियां और शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल आयोजित किए जाएंगे। कार्यक्रम का संचालन टिहरी गढ़वाल, उत्तरकाशी, चंपावत और पिथौरागढ़ जैसे दूरस्थ जिलों में किया जाएगा। इसका विशेष फोकस कक्षा 11वीं और 12वीं के छात्रों पर है, विशेषकर अटल उत्कर्ष विद्यालयों और पीएम-श्री स्कूलों के छात्रों पर।

समझौता ज्ञापन पर डॉ. (प्रो.) शैलजा पंत, प्राचार्य, DIBNS और पदमेंद्र सकलानी, अपर निदेशक, SCERT द्वारा हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर डॉ. आशीष रतूड़ी, एनईपी समन्वयक एवं परियोजना के प्रमुख अन्वेषक, तथा रमेश बडोनी, आईटी फैकल्टी, SCERT भी उपस्थित रहे, जिन्होंने इस कार्यक्रम  को आकार देने में अहम भूमिका निभाई है। उपनिदेशक अजीत भंडारी एवं सहायक निदेशक डॉ  के एन बिजलवाण ने  इस कार्यक्रम की शुरुआत के लिए डॉल्फिन इंस्टीट्यूट और एस सी ई आर टी को सफल बनाने मे जनपदों से सहयोग की अपेक्षा भी की । 

इस मौके पर  प्रो. शैलजा पंत ने अकादमिक  निदेशक बंदना गर्ब्याल से शैक्षणिक संवाद भी किया, जिसमें इस साझेदारी की व्यापक दृष्टि और इसे एनईपी 2020 के अनुभवात्मक व अनुसंधान-आधारित शिक्षा के दृष्टिकोण से जोड़ने की रणनीति पर चर्चा हुई।

यह सहयोग विज्ञान शिक्षा के विकेंद्रीकरण और ग्रामीण विद्यालय समुदायों को अत्याधुनिक STEM अनुभव प्रदान करने की दिशा में एक परिवर्तनकारी पहल है। यह साझेदारी वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने, शिक्षकों की क्षमता को सशक्त बनाने और उत्तराखंड के दूरस्थ पर्वतीय विद्यालयों से भविष्य के खगोल वैज्ञानिकों और वैज्ञानिकों को तैयार करने की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

Monday, July 07, 2025

एससीईआरटी परिसर में शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने किया आवासीय भवन का शिलान्यास, ‘एक पेड़ माँ के नाम’ कार्यक्रम का भी शुभारंभ"

 

देहरादून, 7 जुलाई 2025:

उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने आज राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) परिसर में प्रस्तावित आवासीय भवन निर्माण का भूमिपूजन और शिलान्यास किया। इस अवसर पर क्षेत्रीय विधायक उमेश चंद्र काऊ विशेष रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चार और विधिवत भूमि पूजन से हुई।

शिक्षा मंत्री का स्वागत निदेशक, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, बन्दना गर्ब्याल ने किया। मंच संचालन  भगवती मैदोली ने कुशलता से किया। भूमि पूजन में कई उच्च अधिकारी मौजूद रहे जिनमें डॉ. आनंद भारद्वाज (निदेशक, संस्कृत शिक्षा), कुलदीप गैरोला (अपर राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा), डॉ. मुकुल कुमार सती (निदेशक, माध्यमिक शिक्षा), अजय नौडियाल (निदेशक, प्रारम्भिक शिक्षा), पदमेन्द्र सकलानी (अपर निदेशक, एससीईआरटी), डॉ. के.एन. बिजलवाण, सहित अनेक विभागीय अधिकारी शामिल थे।

शिलान्यास कार्यक्रम के साथ ही सरकार द्वारा शुरू किए गए विशेष अभियान ‘जुलाई माह - एक पेड़ माँ के नाम’ के अंतर्गत शिक्षा मंत्री व विधायक ने एससीईआरटी परिसर में अपनी माताओं के नाम एक-एक पौधा रोपित किया। मंत्री ने सभी शिक्षण संस्थानों से इस अभियान को सफल बनाने का आह्वान किया और इसे व्यक्तिगत संकल्प से जोड़ने की प्रेरणा दी।

क्षेत्रीय विधायक काऊ ने बताया कि  यह पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सकारात्मक कदम है, बल्कि इसमें मातृभक्ति और भावनात्मक जुड़ाव का संदेश भी गहराई से निहित है। शिक्षा मंत्री ने बताया कि यह कार्यक्रम केवल एक औपचारिक वृक्षारोपण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अभियान प्रदेश भर के सभी शिक्षण संस्थानों – प्राथमिक विद्यालयों से लेकर इंटर कॉलेजों तक में संचालित किया जाएगा।

उन्होंने विद्यालयों, महाविद्यालयों और शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों से अपील की कि वे इस कार्यक्रम को केवल सरकारी आदेश मानकर न अपनाएं, बल्कि इसे एक व्यक्तिगत संकल्प, संवेदनात्मक जिम्मेदारी, और पर्यावरणीय कर्तव्य के रूप में लें। मंत्री ने यह भी कहा कि जब कोई पौधा हम अपनी माँ के नाम लगाते हैं, तो उस पौधे से केवल हरियाली ही नहीं जुड़ती, बल्कि उसमें हमारी भावनाएं, स्मृतियाँ और नैतिक ज़िम्मेदारियाँ भी जुड़ जाती हैं। यह एक ऐसा वृक्ष बनता है, जो सिर्फ ऑक्सीजन नहीं, अपितु संस्कार और संवेदना भी प्रदान करता है।

शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह ने निर्देश दिया कि इस अभियान के अंतर्गत प्रत्येक छात्र, शिक्षक, प्रधानाचार्य, बीआरसी, सीआरसी, और शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारी कम से कम एक पौधा अपनी माता या मातृ-तुल्य किसी व्यक्ति के नाम लगाएं, और उसकी देखरेख और संरक्षण की जिम्मेदारी भी स्वयं लें। इस अवसर पर यह भी घोषणा की गई कि विद्यालयों को इस वृक्षारोपण की प्रगति रिपोर्ट और फोटो दस्तावेज के रूप में प्रस्तुत करनी होगी।

डॉ. रावत ने मौके पर बताया कि सरकार द्वारा ₹1500 करोड़ के निर्माण कार्य प्रदेशभर में इस वर्ष तक पूर्ण किए जाएंगे। उन्होंने शिक्षकों, बीआरसी/सीआरसी समन्वयकों और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्तियों को शीघ्र जारी करने के आदेश देने की बात भी कही।

शिक्षा मंत्री ने निदेशक  बन्दना गर्ब्याल को निर्देशित किया कि स्कूली पाठ्यक्रम में मोबाइल के अत्यधिक प्रयोग से बच्चों पर पड़ने वाले प्रभाव, सड़क सुरक्षा, और नशा निवारण जैसे संवेदनशील विषयों को सम्मिलित कर प्रभावी क्रियान्वयन किया जाए। उन्होंने एससीईआरटी और समस्त डायट संस्थानों में रिक्त पदों की शीघ्र पूर्ति को भी प्राथमिकता देने पर बल दिया।

नव-निर्माण के तहत पहले चरण में लगभग 5 आवासीय इकाइयों का निर्माण किया जाएगा, जिनमें टाइप-5, टाइप-3, और टाइप-2 आवास शामिल होंगे। यह भवन वर्ष 2025 के अंत तक पूर्ण कर लिया जाएगा, जिससे निदेशकों, प्रवक्ताओं और अन्य कर्मचारियों को बेहतर आवास सुविधा मिल सकेगी। इस अवसर पर एससीईआरटी के समस्त संकाय सदस्य और कर्मचारीगण उपस्थित रहे और कार्यक्रम को सफल बनाने में सक्रिय भूमिका निभाई।

Saturday, July 05, 2025

नौले-धारे – उत्तराखंड की जीवन रेखा, घसाड़ के छात्रों का प्रेरणादायी प्रयास

 

विडिओ स्रोत : प्रिया गुसाईं , प्रवक्ता एस सी ई आर टी उत्तराखंड 

उत्तराखंड के पर्वतीय अंचल में बहने वाले नौले व धारे केवल जल के स्रोत नहीं, बल्कि वहां की संस्कृति, जीवनशैली और आत्मनिर्भरता के प्रतीक हैं। ये पारंपरिक जलस्रोत सदियों से पहाड़ों की बहुसंख्यक आबादी की प्यास बुझाते आए हैं। भूमिगत जल या वर्षा जल जब प्राकृतिक रूप से छनकर इन स्रोतों में आता है, तो यह जल न केवल शुद्ध और निर्दोष होता है, बल्कि इसमें औषधीय गुण भी पाए जाते हैं जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी होते हैं।

संकट में पारंपरिक जलस्रोत

लेकिन आज यह अमूल्य धरोहर संकट में है। भूमंडलीय तापवृद्धि, अनियंत्रित वनों की कटाई, अंधाधुंध निर्माण कार्य और मानवीय गतिविधियों के कारण नौले व धारे तेजी से सूख रहे हैं। जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय असंतुलन ने इन स्रोतों के अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। यह केवल जल संकट का संकेत नहीं, बल्कि एक पूरे जीवन तंत्र के टूटने की चेतावनी है।

घसाड़ के छात्रों की पर्यावरणीय चेतना

इसी संदर्भ में राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, घसाड़, जिला पिथौरागढ़ के छात्र-छात्राओं द्वारा पर्यावरण दिवस के अवसर पर किए गए प्रयास अत्यंत सराहनीय हैं। सीमांत क्षेत्र के इन बच्चों ने न केवल इन पारंपरिक जल स्रोतों की सफाई और मरम्मत का कार्य किया, बल्कि स्थानीय समुदाय को भी इनके संरक्षण के प्रति जागरूक किया।

उनका यह कार्य केवल एक सफाई अभियान नहीं, बल्कि एक संदेश है – “हम अपनी परंपराओं, प्रकृति और भविष्य को बचाने के लिए सजग हैं।” यह पर्यावरणीय चेतना का जीवंत उदाहरण है जो यह बताता है कि जब युवा जागरूक होते हैं, तो वे बड़े परिवर्तन की नींव रख सकते हैं।

आज जरूरत है कि हम सभी इस चेतना को आत्मसात करें और अपने-अपने स्तर पर पारंपरिक जलस्रोतों के संरक्षण का संकल्प लें। नौले और धारे केवल जल नहीं देते, वे हमें हमारी जड़ों से जोड़ते हैं। घसाड़ के छात्र-छात्राओं का यह प्रयास हम सभी के लिए प्रेरणा है कि कैसे छोटी पहल भी बड़े बदलाव की ओर ले जा सकती है।

आइए, मिलकर संकल्प लें – जल स्रोतों की रक्षा करेंगे, ताकि पर्वतों की आत्मा सदैव जीवित रहे।