दिनांक 14 नवम्बर 2025 एस सी ई आर टी सभागार मे माननीय मंत्री विद्यालयी शिक्षा, डा. धन सिंह रावत ने विद्यालयी शिक्षा हेतु राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2025 का विमोचन तथा यातायात नियमों पर अधारित वीडियो गीतमाला का लोकार्पण सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का संचालन डॉ के एन बिजलवाण द्वारा किया गया । विमोचन समारोह से पूर्व शिक्षा मंत्री ने दीप प्रज्वलन किया । अकादमिक शिक्षा निदेशक बन्दना गर्ब्याल ने डॉ धन सिंह रावत का स्वागत करते हुए इस पाठ्यचर्या दस्तावेज और सड़क सुरक्षा विडिओ सीरीज विमोचन से पूर्व इन पर ब्रीफ़ मे परिचय दिया।

में निम्नांकित अधिकारी/कर्मचारी उपस्थित रहे-

- बंदना गर्ब्याल, निदेशक, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण उत्तराखण्ड।
- डाॅ. मुकुल कुमार सती , निदेशक, माध्यमिक शिक्षा उत्तराखण्ड उत्तराखण्ड।
- अजय कुमार नौड़ियाल, निदेशक, प्रारम्भिक शिक्षा उत्तराखण्ड।
- प्रदीप रावत, से.नि. अपर निदेशक, एस.सी.ई.आर.टी. उत्तराखण्ड।
- राकेश चन्द्र जुगरान, से.नि. प्राचार्य डायट, देहरादून।
- आकांक्षा राठौर, उप निदेशक, एस.सी.ई.आर.टी. उत्तराखण्ड।
- अजीत भण्डारी उपनिदेशक एस सी ई आर टी उत्तराखण्ड
- डाॅ. के.एन.बिजल्वाण, सहायक निदेशक, एस.सी.ई.आर.टी. उत्तराखण्ड।
- रविदर्शन तोपाल, कार्यक्रम समन्वयक (NEP), एस.सी.ई.आर.टी. उत्तराखण्ड।
- मनोज किशोर बहुगुणा, कार्यक्रम समन्वयक (NEP), एस.सी.ई.आर.टी. उत्तराखण्ड।
- विनय थपलियाल, प्रवक्ता, एस.सी.ई.आर.टी. उत्तराखण्ड।
इस कार्यक्रम मे आई टी विभाग के साथ साथ अन्य संकाय सदस्यों की मौजूदगी ने विमोचन कार्यक्रम मे ऊर्जा संचार का कार्य किया ।
इस पाठ्यचर्या निर्माण के समन्वयक रविदर्शन ने कहा कि उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा हेतु राज्य पाठ्यचर्या की रुपरेखा एक ऐसा दस्तावेज है जिसकी अनुशंसाओं के अनुरूप अब शिक्षाक्रम संचालित होगा इसे राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा के अनुरूप तैयार किया गया है जिसमे राज्य की अपेक्षाओं - आकांक्षाओं के अनुरूप राज्य संदर्भित विषय वस्तु, कार्यसंस्कृति, विधालय संचालन की प्रक्रियाएं को समाहित किया गया है ।
यह दस्तावेज राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिशों के अनुरूप नयें शिक्षा ढांचे में प्रीपेटरी, मिडिल और सेकेंड्री स्तर के सभी छात्रों की शिक्षा नीति को निर्धारित करती है जिसमे कक्षा 3 से 12 तक के छात्रों के शिक्षाक्रम को परिभाषित किया गया है उनके विषय, पठन-पाठन के दिन, घंटे, पाठ्यक्रम के लक्ष्य, आकलन के तरीके आदि निर्धारित किए गए हैं ।
इस पाठ्यचर्या की अनुशंसाओं के अनुरूप पाठ्यपुस्तकों में स्थानीय संदर्भित विषयवस्तु को समाहित किया जा सकेगा जिससे छात्रों को राष्ट्रीय , अंतरराष्ट्रीय विषयवस्तु के साथ राज्य संदर्भित विषय वस्तु के अध्ययन का अवसर मिलेगा ।
मिडल या उच्चप्राथमिक स्तर पर छात्र 9 विषयों का अध्ययन करेंगे जिसमे 3 भाषाएं, गणित, विज्ञान , सामाजिक विज्ञान, कला शिक्षा , शारीरिक शिक्षा तथा व्यावसायिक शिक्षा सम्मिलित हैं । इन विषयों के अध्ययन हेतु भी समय निर्धारित है भाषाओं के लिए 210 घंटे या 315 वादन, गणित के लिए 115 घंटे या 172 वादन, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान के लिए 160 - 160 घंटे या 240 - 240 वादन तथा कला शिक्षा व शारीरिक शिक्षा लिए 100 - 100 घंटे या 150 -150 वादन रखे गए हैं । जबकि व्यावसायिक शिक्षा के 110 घंटे या 165 वादन निर्धारित हैं .
सेकेण्डरी स्टेज या माध्यमिक स्तर पर 10 विषयों का अध्ययन कराया जाएगा जिसमें 3 भाषाएं, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, अन्तर-विषयक विषय, कला शिक्षा, शारीरिक शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा विषयों का अध्ययन करवाया जाएगा। भाषाओं के लिए वार्षिक 210 घण्टे या 252 वादन, गणित व विज्ञान के लिए 135-135 वार्षिक घण्टे या 162-162 वादन, सामाजिक विज्ञान तथा अन्तर-विषयक विषय के लिए 125-125 घण्टे या 150-150 वादन कला शिक्षा के लिए 115 घण्टे या 138 वादन, शारीरिक शिक्षा के लिए 90 घण्टे या 108 वादन तथा व्यावसायिक शिक्षा के लिए 110 घण्टे या 132 वादन निर्धारित किए गए हैं।
गणित विषय को कक्षा 09 व 10 में अनिवार्य कर दिया गया है, किन्तु आकलन 02 स्तरों (सामान्य व उच्च स्तर) पर किया जाएगा। छात्रों के पास विकलप होगा कि वे गणित की परीक्षा सामान्य स्तर से उत्तीण करना चाहते हैं या उच्च स्तर से।
इसी प्रकार सेकेण्डरी स्टेज या माध्यमिक स्तर के कक्षा 11 और 12 में छात्रों को अनिवार्य रूप से 06 विषयों का अध्ययन करना होगा, यदि छात्र किसी अन्य विषय का अध्ययन भी करने का इच्छुक है तो वह अतिरिक्त 7वां विषय के रूप में किसी एक विषय का चयन कर सकेगा। छात्रों को विषय चयन करने का विकल्प कक्षा 11वीं से प्रदान किया गया है। इस हेतु समस्त विषयों को 04 समूहों में संयोजित किया गया है। पहला समूह भाषाओं का है जिससे छात्र 02 भाषा विषय अनिवार्य रूप से पढ़ेंगे जिसमें से 01 भाषा भारतीय भाषा पढ़नी अनिवार्य होगी। दूसरा समूह कला शिक्षा, शारीरिक शिक्षा एवं स्वस्थता, तथा व्यावसायिक शिक्षा के विभिन्न विषयों का होगा। तृतीय समूह सामाजिक विज्ञान तथा अन्तर-विषयक क्षेत्र का होगा और चतुर्थ समूह गणित और कम्प्यूटेशनल चिंतन तथा विज्ञान विषयों का होगा। इन समूहो में इनसे सम्बन्धित अनेक विषयों के अध्ययन का विकल्प दिया गया है।
छात्र इन तीन समूहों (द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ) से चार विषयों को चुनने का विकल्प छात्रों को दिया गया है, किन्तु प्रतिबन्ध यह होगा कि किसी एक ही समूह से छात्र चारांे विषयों का चयन नहीं करेगा। सातवां विषय वह अपनी इच्छानुसार चयन कर सकेगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की अनुशंसाओं के अनुरूप व्यावसायिक शिक्षा की शिक्षा अब मुख्य धारा के साथ जोड़ दी गयी है। जिसके अन्तर्गत व्यवसायिक शिक्षा को जैव रूपों के साथ मशीनी उपकरणो और सामग्रियों के साथ तथा मानवीय सेवाओं के कौशल आधारित शिक्षा प्रदान की जाएगी।
उत्तराखण्ड की विशिष्ट भौगोलिक विभिन्नताओं के अनुरूप भिन्न-भिन्न व्यावसायिक अध्ययन का विकल्प रखा गया है। जिसमें डेरी फार्मिंग, रेशम कीट पालन, लघु मुर्गी पालन, मृदा जल परीक्षण, बागवानी, फूलांे की खेती, मशरूम उत्पादन, भेड़ बकरी पालन तथा रिंगाल पिरूल बांस तथा मालू सांगोन आदि के पत्तांे का क्राफ्ट, कृषि मशीनरी संचालन, प्लम्बरिंग हाईटेक तकनीकी सेवाएं, फील्ड तकनीशियन, आॅटो सेवा तकनीशियन, बेकिंग मिलेट बेकरी, जैम जैली कैचप प्रसशकरण, फ्रन्ट लाइन स्वास्थ्यकार्यकर्ता, नेत्र तकनीशियन, हेरिटेज टूर गाइड, ब्यूटी थेरेपिस्ट, योग प्रशिक्षक, हेयर स्टाइल, आहार विशेषज्ञ, घर के लिए स्वास्थ्य सहायक आदि क्षेत्रों में व्यावसायिक अध्ययन की अनुशंसा इस पाठ्यचर्या की रूपरेखा में की गयी है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में पहली बार अन्तरविषयक क्षेत्रों की शिक्षा के अन्तर्गत भारतीय ज्ञान प्रणाली के अध्ययन के साथ विधिक अध्ययन, पत्रकारिता,संधारणीयता और जलवायु परिवर्तन, लेखांकन, व्यावसायिक अध्ययन के अलावा समाज में व्यक्ति और पर्यावरण शिक्षा प्रदान की जाएगी। इस पाठ्यचर्या की रूपरेखा में शारीरिक शिक्षा और स्वस्थ्यता तथा कला शिक्षा को भी अन्य विषयों की तरह महत्वपूर्ण विषय के रूप में स्वीकारा गया है तथा इन विषयों के अध्ययन को भी पर्याप्त समय या वादन निर्धारित किए गए हैं ताकि छात्र का सर्वांगीण विकास हो सके।
राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा में मूल्यांकन के स्वरूप में अपेक्षित बदलाव किया गया है। छात्रों का मूल्यांकन के स्थान पर आकलन किया जाएगा जो सीखने-सिखाने की उपलब्धियां का मापान करेगा। योगात्मक आकलन की जगह रचनातम्क आकलन को अधिक महत्व दिया जाएगा।
यह पाठ्यचर्या विद्यालय की स्वस्थ संस्कृति विकसित किए जाने पर जोर देती है। तथा विद्यालयों के संचालन की प्रक्रियाओं पर भी महत्वपूर्ण ध्यान आकृष्ट करती है। बच्चों की सुरक्षा, साइवर सुरक्षा तथा अनुशासन पर भी पर्याप्त घ्यान देने की अनुशंसा की गयी है।
साथ ही कार्यक्रम मे सड़क सुरक्षा पर बनी विडिओ सीरीज का विमोचलन भी डॉ धन सिंह रावत द्वारा किया गया । शिक्षा मंत्री ने सड़क सुर्ख विडिओ सीरीज को एक बार बड़े समुदाय मे प्रदर्शन और समीक्षा के लिए कहा जिस पर समन्वयक विनय थपलियाल ने भी अपनी तरफ से मंत्री को इस सीरीज की जानकारी भी दी गई । एक स्वस्थ सहयोगी पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण हो इस हेतु सीखने सिखाने के लिए उपयुक्त वातावरण निर्माण की अनुशंसा की गयी है। शिक्षकों को सक्षम और सशक्त बनाने के लिए भी आवश्यक विचार इस पाठ्यचर्या में प्रदान किया गया है। साथ ही समुदाय की विद्यालय के साथ एक स्वस्थ सहभागिता बनी रहे इस हेतु अभिभावकों को विद्यालय से जोड़ा जाए इस हेतु विद्यालय में संचालित विभिन्न गतिविधियों में अभिभावकों और समुदाय के सदस्यों को आवश्य आमंत्रित किए जाने की अनुशंसा की गयी है।




