Saturday, October 05, 2024

नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य स्तरीय क्षमता संवर्धन एवं सामग्री विकास कार्यशाला का शुभारंभ


नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य स्तरीय क्षमता संवर्धन एवं सामग्री विकास कार्यशाला का आयोजन एससीईआरटी उत्तराखंड, देहरादून के परिसर में किया गया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ अपर निदेशक आशा रानी पैन्यूली द्वारा किया गया। इस अवसर पर उन्होंने नव भारत साक्षरता कार्यक्रम (NILP) के उद्देश्यों और लक्ष्यों पर प्रकाश डालते हुए, शिक्षा के क्षेत्र में तकनीकी संसाधनों के महत्व को रेखांकित किया।

कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों और प्रशिक्षकों की क्षमता निर्माण करना और उन्हें नवीनतम शैक्षिक सामग्री विकास के लिए प्रेरित करना था। अपर निदेशक पैन्यूली ने प्रतिभागियों को सुझाव दिए कि शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर नवाचार और तकनीकी विकास को अपनाना आज की जरूरत है। उन्होंने इस कार्यक्रम में शामिल शिक्षकों से आग्रह किया कि वे साक्षरता और शिक्षा के प्रसार में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं और इस दिशा में सक्रिय रूप से भागीदारी करें।

कार्यशाला में "उल्लास" (ULLAS - Understanding of Lifelong Learning for All in Society) के तहत विशेष रूप से विकसित सामग्री पर चर्चा की गई, जो समाज के सभी वर्गों के लिए साक्षरता और शिक्षा के अवसर प्रदान करने के लिए समर्पित है। साथ ही, राज्य स्तरीय क्षमता निर्माण और सामग्री विकास पर भी गहन चर्चा की गई, जिससे प्रतिभागियों को NILP के तहत अपने कार्यों को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।

इस कार्यशाला का आयोजन राज्य साक्षरता प्रकोष्ठ (SCL):एस सी ई आर टी,  द्वारा किया गया था और इसमें विभिन्न जिलों के शिक्षकों, प्रशिक्षकों और शिक्षा से जुड़े अधिकारियों ने हिस्सा लिया। सभी प्रतिभागियों ने इस कार्यशाला को एक उत्कृष्ट अवसर मानते हुए, इसमें दिए गए निर्देशों और मार्गदर्शन की सराहना की।

महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा उत्तराखण्ड, झरना कमठान ने किया "रतब्याणी" ई-मैगजीन का विमोचन


देहरादून: महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा उत्तराखण्ड, झरना कमठान ने समग्र शिक्षा उत्तराखण्ड परिसर में "रतब्याणी" ई-मैगजीन के प्रथम संस्करण का विधिवत विमोचन किया। इस अवसर पर निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, बन्दना गर्ब्याल ने महानिदेशक का स्वागत किया और इस ई-मैगजीन की रूपरेखा और विस्तार पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इस नवाचार के प्रयास से एससीईआरटी उत्तराखण्ड के शिक्षा में तकनीकी अनुप्रयोग के माध्यम से शैक्षणिक संसाधनों को अधिकतम लोगों और जनमानस तक पहुँचाने का लक्ष्य है। यह पत्रिका प्रतिवर्ष दो संस्करणों में प्रकाशित की जाएगी।


महानिदेशक झरना कमठान ने इस अवसर पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि यह एक सराहनीय प्रयास है, जिसे और अधिक विस्तारित करने की आवश्यकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि शिक्षा से जुड़े सभी समुदायों का इसमें योगदान लिया जाए, ताकि समाज और शिक्षा के बीच सहभागिता को और मजबूती मिल सके। उन्होंने इस ई-मैगजीन में स्थानीय सरोकारों को भी जोड़ने पर बल दिया।


विमोचन कार्यक्रम में निदेशक माध्यमिक शिक्षा, लीलाधर व्यास , अपर परियोजना निदेशक डॉ. मुकुल सती, अपर निदेशक रघुनाथ आर्य, गढ़वाल मंडल अपर निदेशक एस.बी. जोशी, अपर निदेशक एस सी ई आर टी आशा रानी पैन्यूली, संयुक्त निदेशक पदमेन्द्र सकलानी, संयुक्त निदेशक कंचन देवराड़ी, उप राज्य परियोजना निदेशक मदन मोहन जोशी, स्टाफ ऑफिसर समग्र शिक्षा भगवती मैदोली, प्रशासनिक अधिकारी अमित कोठियाल समेत कई अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। सभी ने इस अनूठे प्रयास के लिए निदेशक बन्दना गर्ब्याल की सराहना की।


इस ई-मैगजीन को विभिन्न शैक्षणिक प्लेटफॉर्म्स पर पब्लिश किया जाएगा, जहाँ पाठक वेबलिंक और क्यूआर कोड के माध्यम से ई-संसाधनों तक पहुंच बना सकेंगे। अपर निदेशक ईस सी ई आर टी और इस पत्रिका की प्रमुख लीड आशा रानी पैन्यूली ने सभी संकाय सदस्यों को एक प्रेरणा बनकर आगे बढ़कर कार्य सम्पादन करने के लिए लगातार प्रोत्साहित किया। इस पत्रिका के विकास एवं तकनीकी अनुप्रयोग में प्रवक्ता रमेश बडोनी  एससीईआरटी,आईटी विभाग ने योगदान दिया है, जबकि इसका संपादन प्रवक्ता डॉ अवनीश उनियाल द्वारा किया गया है।

महानिदेशक झरना कमठान ने सभी लेखकों और तकनीकी समूह को बधाई दी और सुझाव दिया कि आने वाले संस्करणों में और भी अधिक नवाचारों को समाहित किया जाए। सीमैट के प्रोफेशनल  डॉ. मोहन बिष्ट ने इस प्रयास की सराहना करते हुए इसे अपने संस्थान में भी अपनाने पर जोर दिया। इस पत्रिका के शीर्षक "रतब्याणी" की विशेष रूप से प्रशंसा की गई, जिसका हिंदी भाव "ब्रह्म मुहूर्त" अर्थात रात के अंतिम प्रहर का समय बताया गया है।

इस मौके पर समग्र शिक्षा के कर्मचारी और कई विभागीय अधिकारी भी उपस्थित रहे, जिन्होंने इस प्रयास की प्रशंसा की।

स्कोप : सुझाव और सहभागिता: महानिदेशक झरना कमठान ने सुझाव दिया कि शिक्षा से जुड़े सभी समुदायों का इसमें योगदान लिया जाए, ताकि समाज और शिक्षा के बीच बेहतर सहभागिता हो सके।स्थानीय सरोकारों का समावेश: महानिदेशक ने ई-मैगजीन में स्थानीय और सांस्कृतिक सरोकारों को भी जोड़ने पर बल दिया। "रतब्याणी" शीर्षक का महत्व: मैगजीन का शीर्षक "रतब्याणी" है, जिसका हिंदी भाव "ब्रह्म मुहूर्त" या रात्रि के अंतिम प्रहर का समय है। इसे ज्ञान की शुरुआत का प्रतीक माना गया है।भविष्य के संस्करण: अपर निदेशक एस सी ई आर टी,अजय नौडियाल ने अपने संदेश मे इस संसाधन को एक सफल प्रयास के रूप मे लिया जबकि महानिदेशक ने  इस ई-मैगजीन के अगले संस्करणों में और नवाचारों को शामिल करने का सुझाव दिया, जिससे इसका विस्तार हो सके।

मैगजीन वेबलिंक -डाउनलोड यहाँ कर सकते हैं 

Friday, October 04, 2024

CLAP Van Progress Report for September 2024

The CLAP Van initiative, equipped with 120 Chromebooks and a wealth of educational content, has made significant strides in Dehradun district this September. This mobile educational unit provides students from elementary to high school the opportunity for hands-on learning, with a focus on lesson assessments and Gaming-based learning materials. The initiative aims to enhance digital literacy and educational engagement across the state.

Led by Ashok Kathait, a technical and support expert from the HP-SARD group, the project is designed to offer students an immersive educational experience. Kathait's team ensures that the van is fully equipped and operational as it moves through different schools in Uttarakhand.


Currently stationed in Dehradun, the CLAP Van has already visited multiple schools, providing real-time learning experiences to hundreds of students. The IT Department of SCERT Uttarakhand, coordinated by Ramesh Badoni, is overseeing the technical aspects of the project and tracking its impact on the ground.


Director of Academic Research and Training, Bandana Garbyal, has requested a detailed progress report for September, emphasizing the need for continuous field inspections to monitor the impact of the initiative on student performance. She highlighted that these observations will be crucial in assessing the overall success of the program.

In addition, Ajay Naudiyal, Additional Director of SCERT Uttarakhand, has recommended the formation of a dedicated team to regularly update the progress of schools that have been visited by the CLAP Van. This team will be responsible for collecting data on student performance, ensuring that the initiative meets its educational goals.

As the CLAP Van continues its journey through Uttarakhand, it promises to bring transformative changes to the digital education landscape, offering students the tools they need to excel in the 21st century.

Upcoming Plan for the Schools.
 September 2024 : DPR

Thursday, October 03, 2024

Agastya-NAVAM Foundation and SCERT Uttarakhand Host Second Webinar on Design Thinking






Dehradun 03- Oct 2024 : The Agastya-NAVAM Foundation, in collaboration with SCERT Uttarakhand, successfully conducted the second webinar in their ongoing Design Thinking series. The focus of this session was on empathy and defining community issues, guiding participants on how to transform these into impactful ideas and solution strategies.

Sharvan and Alok Dwivedi represented the webinar, engaging school participants and SCERT faculty. Director of Academic Research and Training, Bandana Garbyal, and Additional Director Ajay Naudiyal have been providing continuous support to the initiative, fostering innovation and entrepreneurial skills among  students and teachers in state schools.

The upcoming Innovative Design Thinking Video Series by Agastya-NAVAM Foundation and SCERT Uttarakhand marks a significant step towards transforming school education in Uttarakhand. This initiative aims to introduce design thinking principles—such as empathy, creativity, critical thinking, and problem-solving—into the educational framework. The series will target students and teachers across state schools, providing them with tools and methodologies to address community issues and develop innovative solutions.

The video series will explore key phases of design thinking: understanding and empathizing with real-world problems, defining issues, ideating creative solutions, prototyping, and testing those solutions in practical contexts. By emphasizing empathy, the series will guide students to look beyond surface-level challenges and understand the deeper needs of the community, encouraging them to apply their learning in meaningful ways.

Supported by Director Bandana Garbyal and Additional Director Naudiyal , this initiative also aligns with the state’s focus on skill development, entrepreneurship, and 21st-century learning competencies. It aims to prepare both teachers and students to be more adaptive, innovative, and entrepreneurial, in tune with the goals of NEP 2020. Faculty from SCERT, Ramesh Badoni, S P Verma, Sadhna Dimri, Pushpa Aswal along with Jagdama Dobhal National Awardee Teacher were present in the Webinar. Dobhal Quoted "For the first time I came to know about empathy strategies... and various types of strategies. Every episode is grooming the participants as per need of the time."

As the series progresses, it will include collaborative workshops and webinars, providing hands-on guidance to educators and students on how to integrate design thinking into the classroom. These efforts will contribute to fostering a culture of innovation and critical thinking within Uttarakhand’s education system, driving positive change and preparing learners for future challenges.

राखी पांडेय की शिक्षण विद्या से प्रभावित हुए छात्र-छात्राएं, शिक्षक और समुदाय, मिल रहे लगातार आमंत्रण

डाइट देहरादून की प्रवक्ता राखी पांडेय ने अपने कुशल और प्रभावी शिक्षण तथा सामग्री सम्प्रेषण के माध्यम से न केवल छात्र-छात्राओं बल्कि शिक्षकों और समुदाय को भी गहराई से प्रभावित किया है। उनकी शिक्षण शैली की सराहना करते हुए, देहरादून के मुख्य शिक्षाधिकारी प्रदीप रावत ने प्राचार्य को पत्र लिखकर उनकी प्रशंसा की है।

राखी पांडेय के प्रयासों का परिणाम है कि उन्हें बार-बार स्कूल और समुदाय से विभिन्न शैक्षणिक कार्यक्रमों में आमंत्रण मिल रहा है। उनके शिक्षण से न केवल छात्रों का शैक्षणिक स्तर बेहतर हुआ है, बल्कि शिक्षकों और अभिभावकों के बीच भी उनकी लोकप्रियता और सम्मान में वृद्धि हुई है इसलिए समुदाय और स्कूल उनको बार बार आमंत्रित कर रहा है । राखी पांडेय की इस उत्कृष्ट उपलब्धि पर निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, बंदना गर्ब्याल और अपर निदेशक, एससीईआरटी उत्तराखंड, अजय नौडियाल  ने भी उन्हें बधाई दी है। उन्होंने कहा कि उनके प्रभावी शिक्षण और फील्ड के अनुभव से सभी डाइट को प्रेरणा लेनी चाहिए। उनके अनुश्रवण की विधि पर समीक्षा करते हुए यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इससे समुदाय में शिक्षकों के प्रति जन भावना और सम्मान में वृद्धि हो सके।


डाइट प्राचार्य राम सिंह चौहान ने भी राखी पांडेय के पेशेवर प्रशिक्षक होने पर खुशी व्यक्त की और उनकी सराहना करते हुए अन्य शिक्षकों को भी उनसे प्रेरणा लेने की सलाह दी।

राखी पांडेय ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि आईसीटी (सूचना और संचार प्रौद्योगिकी) के अनुप्रयोगों और नवाचारी गतिविधियों को यदि स्थानीय परिवेश के साथ जोड़ते हुए तैयार किया जाए, तो यह संसाधनों को अधिक रोचक और प्रभावी बना देता है। उन्होंने जोर दिया कि हमें तकनीक का बेहतर इस्तेमाल करना होगा, ताकि प्रशिक्षण और शिक्षण अधिक प्रभावशाली हो सके।


राखी पांडेय का शिक्षण के प्रति समर्पण और उनके अनुभव, राज्यभर के शिक्षकों के लिए एक आदर्श और प्रेरणादायक उदाहरण हैं। इस प्रकार के योगदान से प्रदेश में शिक्षा के स्तर को नई ऊंचाइयाँ मिल सकती हैं, और यह देहरादून जिले के शैक्षणिक क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

मुख्यमंत्री मेधावी छात्र प्रोत्साहन छात्रवृत्ति योजना : कक्षा 9 एवं कक्षा 6 - 2024-25 हेतु चयनित अभ्यर्थियों की सूची

 कक्षा 9 एवं कक्षा 6 - 2024-25 हेतु चयनित अभ्यर्थियों  की सूची


 

Wednesday, October 02, 2024

एससीईआरटी उत्तराखंड में महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर ध्वजारोहण समारोह आयोजित

आज, 2 अक्टूबर 2024 को एससीईआरटी उत्तराखंड में महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय पर्व मनाया गया। इस अवसर पर संस्थान के प्रमुख, अपर निदेशक अजय नौडियाल ने झंडारोहण किया और उपस्थित अधिकारियों, कर्मचारियों को संबोधित किया। अपने उद्बोधन में उन्होंने महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री के महान योगदान को याद करते हुए सभी से आग्रह किया कि हम उनके सिद्धांतों को अपने जीवन में अपनाएं।

अपर निदेशक अजय नौडियाल ने सभी को शुभ संदेश मे कहा कि  महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए न केवल भारत को स्वतंत्रता दिलाई, बल्कि पूरी दुनिया को प्रेम, करुणा और न्याय का संदेश दिया। लाल बहादुर शास्त्री ने सादगी और दृढ़ निश्चय से देश की सेवा की और "जय जवान, जय किसान" का नारा देकर किसानों और सैनिकों के महत्व को स्थापित किया। इन दोनों महापुरुषों से हमें कर्तव्यपरायणता और त्याग की सीख मिलती है।


इस मौके पर निदेशक, अकादमिक शोध और प्रशिक्षण, बंदना गर्ब्याल ने अपने संदेश में महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री के आदर्शों को आधुनिक शिक्षा के साथ जोड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "महात्मा गांधी ने शिक्षा को आत्मनिर्भरता और नैतिकता से जोड़ते हुए समाज सुधार का मार्ग प्रशस्त किया, वहीं लाल बहादुर शास्त्री ने सादगी, कर्तव्यनिष्ठा और देशप्रेम के मूल्यों को अपने जीवन में उतारा। हमें अपने शिक्षण और प्रशिक्षण में इन महापुरुषों के सिद्धांतों को समाहित करना चाहिए ताकि हमारे विद्यार्थी न केवल शैक्षिक रूप से सक्षम हों, बल्कि नैतिक और सामाजिक रूप से भी सशक्त बनें।" उन्होंने यह भी कहा कि एससीईआरटी का लक्ष्य है, बच्चों और शिक्षकों को इन आदर्शों पर चलते हुए बेहतर समाज के निर्माण में योगदान देने के लिए प्रेरित करना।


इस अवसर पर अपर निदेशक आशा रानी पैन्यूली ने भी सभी को शुभकामनाएं दीं और संस्थान में आपसी सहयोग और सामूहिक प्रयासों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जब हम एक-दूसरे का सम्मान और सहयोग करते हैं, तो हम अपने कार्यों में अधिक सफल होते हैं और समाज की सेवा के लिए बेहतर परिणाम दे सकते हैं।

डॉ. मनोज शुक्ला और भुवनेश पंत ने देशभक्ति के नारों के साथ समारोह में जोश और उत्साह भर दिया। इसके बाद, कार्यक्रम के दौरान, प्रवक्ता सुधा पैन्यूली ने भजन "रघुपति राघव राजाराम" का मधुर गायन किया, जिसने माहौल को भक्तिमय बना दिया। 



इस मौके पर, डॉ. अवनीश उनियाल को इन्सपाइर अवॉर्ड मानक में बेहतरीन कार्य के लिए अपर निदेशक आशा रानी पैन्यूली द्वारा प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया गया। इस सम्मान से पूरे संस्थान में गर्व और उत्साह का माहौल रहा। कार्यक्रम में सहायक निदेशक डॉ. के.एन. बिजलवाण सहित अन्य अधिकारी, संकाय सदस्य और कर्मचारी भी उपस्थित रहे।

Tuesday, October 01, 2024

एस.सी.ई.आर.टी. उत्तराखण्ड में प्रवक्ताओं के लिए मॉड्यूल निर्माण कार्यशाला का शुभारंभ

एस.सी.ई.आर.टी. उत्तराखण्ड में वर्ष 2024-25 में प्रदेश के प्रवक्ताओं के सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण हेतु प्रशिक्षण मॉड्यूल विकास की कार्यशाला आज शुरू हो गयी है। कार्यशाला में प्रदेश के डायट्स के शिक्षक प्रशिक्षक और विद्यालयों के अनुभवी प्रवक्ता सहित 30 सदस्य प्रतिभाग कर रहे हैं। इस वर्ष प्रदेश में हिन्दी, राजनीति विज्ञान, इतिहास तथा जीव विज्ञान के प्रवक्ताओं का सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण प्रस्तावित है।

कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए निदेशक श्रीमती बन्दना गर्ब्याल ने कहा कि प्रशिक्षण शिक्षकों के शिक्षण-कौशल के साथ-साथ उनकी कार्यक्षमता में बृद्धि करता है। इस कार्यशाला में विकसित किये गये मॉड्यूल प्रदेश के शिक्षकों के प्रशिक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे। उन्होंने प्रशिक्षण मॉड्यूल में शिक्षा से सम्बन्धित नवीनतम विषयों को शामिल करने के निर्देश दिये।

कार्यशाला में अपर निदेशक, एस.सी.ई.आर.टी. श्री अजय कुमार नौडियाल ने कहा कि प्रशिक्षण में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 तथा शिक्षा के क्षेत्र में नवीन विषयों को शामिल किया जा रहा है। उन्होंने निर्देश दिये कि प्रशिक्षण मॉड्यूल्स का विकास इस प्रकार किया जाय कि प्रशिक्षण के बाद शिक्षकों को कक्षा-शिक्षण में अपने विषयों के अध्यापन में सहायता मिले तथा प्रशिक्षण मॉड्यूल में शिक्षा में अपनाये जा रहे नवाचारों को भी शामिल किया जाय। माड्यूल्स को गतिविधियुक्त बनाया जाना चाहिये। उप निदेशक किरन बहुखण्डी ने मॉड्यूल निर्माण में भाषा की शुद्धता का विशेष ध्यान रखने पर बल दिया और कहा कि किसी भी प्रशिक्षण की सफलता माड्यूल की गुणवत्ता पर निर्भर करती है।सहायक निदेशक डॉ. कृष्णानन्द बिजल्वाण ने कहा कि माड्यूल में प्रोसेस शीट तथा लर्निंग लॉग का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिये। प्रत्येक विषय की पैडागॉजी में प्रोजेक्ट पद्धति को शामिल किया जाना चाहिये ताकि शिक्षकों के लिए अपने छात्रों को विषय की समझ बनाने में सहायता मिले।

कार्यक्रम समन्वयक डॉ. रमेश पन्त ने विगत वर्ष के प्रवक्ता प्रशिक्षण का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया तथा इस वर्ष के प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा को प्रतिभागियों के साथ साझा किया। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण मॉड्यूल्स का विकास इस प्रकार से किया जायेगा कि वे इस वर्ष के प्रशिक्षण के साथ आगामी प्रशिक्षणों के लिए भी उपयोगी साबित हो सकें।

डॉ. राकेश चन्द्र गैरोला ने इस वर्ष के प्रशिक्षण के बिन्दुओं पर विस्तार पूर्वक चर्चा की और कहा कि इस वर्ष का प्रशिक्षण 5 दिवसीय होगा जिसमें 3 दिन पैडागॉजी से सम्बन्धित विषय तथा 2 दिन विषयों के कठिन स्थलों पर प्रशिक्षण दिया जायेगा। कहा कि प्रशिक्षण किसी भी संस्थान की उत्पादकता बढ़ाने के लिए उसके मानव संसाधन की क्षमता का विकास करता है। प्रशिक्षण किसी विशिष्ट कार्य को सम्पादित करने हेतु उसके मानव संसाधन के  ज्ञान एवं कौशल में वृद्धि की प्रक्रिया है।


विषय विशेषज्ञ डॉ. दिनेश रतूड़ी ने प्रतिभागियों के साथ माड्यूल विकास के चरणों पर चर्चा की तथा कहा कि मॉड्यूल गतिविधि आधारित बनाया जायेगा। उन्होंने कहा कि इस प्रशिक्षण में एस.सी.ई.आर.टी. के साथ डायट्स की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। माड्यूल निर्माण की इस कार्यशाला में एस.सी.ई.आर.टी. से विषय विशेषज्ञ के रूप में हिन्दी में डॉ. शक्ति प्रसाद सिमल्टी, इतिहास में डा. दीपक प्रताप सिंह, जीव विज्ञान में अखिलेश डोभाल, प्रवीन चन्द्र पोखरियाल तथा डॉ. रंजन कुमार भट्ट मार्गदर्शन कर रहे हैं।


कार्यशाला में डॉ. बी.सी. पाण्डे, जितेन्द्र बहादुर मिश्र, भुवनेश्वरी चन्दानी, डॉ. दीपा जलाल, डॉ. जगमोहन पुण्डीर, ममता रावत, डॉ. जसपाल खत्री, डॉ. कमलेश कुमार मिश्र, डॉ. हरीश चन्द्र जोशी, डॉ. हरिबंश सिंह बिष्ट, बचन लाल जितेला, भूपेन्द्र सिंह, डॉ. हेमचन्द्र तिवारी, नीलिमा शर्मा, गोगरण राम, पुनीत प्रकाश, डॉ. कपिल देव सेमवाल, डॉ. सुमन नेगी, टीकाराम सिंह, सुशील चन्द्र जोशी, बलबीर तोमर, बी.के. यादव सहित 30 शिक्षक तथा शिक्षक प्रशिक्षक प्रतिभाग कर रहे हैं। माड्यूल की टाइपिंग में नितिन कुमार तथा मनोज महर कार्य कर रहे हैं।

सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण 2024-25 की कार्ययोजना

       5 दिनों के प्रशिक्षण में पैडागॉजी एवं विषयगत बिन्दु।

       तीन दिन पैडागॉजी एवं दो दिन विषयगत।

       राज्य स्तर पर मास्टर ट्रैनर का प्रशिक्षण।

       जनपद स्तर पर डायट्स में एम.टी. के द्वारा प्रवक्ताओं का प्रशिक्षण।

       जिला स्तर पर डायट के सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण के समन्वयक के द्वारा प्रशिक्षण का समन्वयन।

       भावी प्रशिक्षण कार्यक्रम को प्रभावी बनाने के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण आकलन

       प्रशिक्षण पूर्व आकलन- प्रशिक्षण से पूर्व

       प्रशिक्षण पश्चात आकलन- प्रशिक्षण के अन्त में

       एम.टी. प्रशिक्षण में प्रत्येक जनपद से प्रति विषय 03 एम.टी.

सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण 2024-25 के विषय

       राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020

       विद्यार्थियों में पढ़ने की आदतों का विकास के उपाय

       मूल्यांकन एवं प्रश्नपत्र निर्माण

       निर्देशन एवं परामर्श

       विद्यालय सुरक्षा एवं आपदा प्रबंधन

       साइबर सुरक्षा

       जेण्डर संवेदनशीलता

       राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सन्दर्भ में विद्यार्थियों में 21वीं सदी के कौशलों का विकास

       कक्षा-कक्ष शिक्षण में आई.सी.टी. का प्रभावी प्रयोग

       विद्यार्थियों एवं अध्यापकों का तनाव प्रबंधन

       विद्यालयी शिक्षा विभाग के अन्तर्गत विविध छात्रवृत्ति परीक्षाएं

       विषय के पैडागॉजी से सम्बन्धित बिन्दु- 02 दिन

       प्रत्येक सत्र 1.30 घण्टे (90 मिनट) का

       विषय से सम्बन्धित बिन्दुओं पर चर्चा के माध्यम से समझ का विकास

       विषय शिक्षण से सम्बन्धित नवाचारी प्रयासों पर चर्चा

प्रशिक्षण मॉड्यूल के विकास का प्रारूप

  • मॉड्यूल का शीर्षक
  • मॉड्यूल की समयावधि
  • उद्देश्य- इस सत्र की समाप्ति के पश्चात प्रतिभागी……
  • निर्देश
  • सहायक सामग्री
  • अध्ययन सामग्री
  • शिक्षण सामग्री
  • चर्चा के प्रश्न
  • समूह कार्य
  • समूह द्वारा प्रस्तुतीकरण
  • सत्र का समेकन एवं निर्देश

सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण हेतु गतिविधियाँ

  • समूह चर्चा
  • ब्रैन स्टोर्मिंग
  • समूह में प्रस्तुतीकरण
  • ग्रुप रीडिंग
  • व्याख्यान
  • प्रतिदिन विषय के एक कठिन टॉपिक का कक्षा-शिक्षण

समय विभाजन ( माड्यूल की अवधि- 90 मिनट)

·         विषय पर व्याख्यान एवं चर्चा  - 30 minutes

·         अभ्यास एवं चर्चा- 30 minutes

·         अनुभवों को साझा करना - 30 minutes

सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण 2024-25 के अनुश्रवण की कार्ययोजना

       डायट द्वारा नियमित रूप से

       जिला स्तरीय शिक्षा अधिकारियों के द्वारा

       मण्डल स्तर पर मण्डलीय अधिकारियों के द्वारा

       राज्य स्तर पर- एस.सी.ई.आर.टी. तथा राज्य स्तरीय अधिकारियों के द्वारा


-डॉ. राकेश चन्द्र गैरोला, प्रवक्ता, एस.सी.ई.आर.टी. उत्तराखण्ड, देहरादून