आज दूसरे सेशन मे : आयोजित KRP (Key Resource Persons) और MT (Master Trainers) प्रशिक्षण सत्र में डिजिटल उपकरणों और शिक्षण विधियों पर केंद्रित गहन सत्र हुए, जिसमें आई टी विभाग के प्रवक्ता रमेश बडोनी ने सहभागियों को शिक्षण को अधिक रोचक और प्रभावी बनाने के कई तरीकों से परिचित कराया। सत्र में प्रतिभागियों को तकनीकी उपकरणों के उपयोग, सामग्री निर्माण और कक्षा में छात्रों की सहभागिता बढ़ाने के बारे में व्यापक जानकारी दी गई।
प्रमुख बिंदु:
गूगल उपकरणों का कुशल उपयोग: संदर्भदाता ने Google Presentations और Google Docs का उपयोग करके प्रभावी शिक्षण योजनाएँ बनाने, साझा करने और उनके माध्यम से रोचक पाठ प्रस्तुत करने के तरीके सिखाए। उन्होंने 5E (Engage, Explore, Explain, Elaborate, Evaluate) मॉडल पर आधारित शिक्षण योजनाओं को बनाने की प्रक्रिया पर भी चर्चा की, जिससे कक्षा में छात्रों की सहभागिता और समझ को बढ़ावा मिलता है।
सिमुलेशन और इंटरएक्टिव गतिविधियाँ: तकनीक का उपयोग कर कक्षा में इंटरेक्टिव और सिमुलेटिव तरीके से पाठ्यक्रम प्रस्तुत करने पर जोर दिया गया। संदर्भदाता ने Geogebra, PhET, और Quizizz जैसे उपकरणों का उपयोग कर छात्रों को ऑनलाइन एनिमेशन, वीडियो, और ऑडियो के माध्यम से कठिन विषयों को समझाने के तरीके बताए। इन डिजिटल साधनों से शिक्षण न केवल सरल बल्कि अधिक आकर्षक बन जाता है।
साइबर एथिक्स और इंटरनेट सुरक्षा: सत्र में इंटरनेट के सुरक्षित उपयोग और साइबर एथिक्स के महत्व को भी रेखांकित किया गया। इंटरनेट का सुरक्षित उपयोग कैसे सुनिश्चित करें, इसके लिए आवश्यक सुझाव दिए गए ताकि शिक्षक और छात्र दोनों एक सुरक्षित डिजिटल वातावरण में कार्य कर सकें।
प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी: संदर्भदाता ने विभिन्न उदाहरणों (exemplars) और गतिविधियों के माध्यम से प्रतिभागियों को सत्र में भागीदारी करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कुछ उदाहरणात्मक गतिविधियाँ करवाईं, जिससे प्रतिभागियों को तकनीकी उपकरणों को कक्षा में लागू करने के व्यावहारिक पहलुओं की जानकारी मिली और उन्हें छात्रों के साथ इन टूल्स का उपयोग कर पाठ को रोचक बनाने की प्रेरणा मिली।
अंतिम विचार: इस सत्र में प्रतिभागियों ने डिजिटल उपकरणों का कुशलता से उपयोग कर रोचक और समृद्ध पाठ योजनाएँ बनाने, सामग्री साझा करने और कक्षा में सक्रियता बढ़ाने के अनगिनत नए तरीके सीखे। आज के सत्र ने न केवल शिक्षकों की तकनीकी समझ बढ़ाई बल्कि उन्हें एक सुरक्षित और प्रभावी शिक्षण वातावरण बनाने की दिशा में आगे बढ़ने का आत्मविश्वास भी दिया। कार्यक्रम समन्वयक रमेश पंत और डॉ राकेश गैरोला ने प्रतिभागियों से सतत सत्र इनरैक्शन के लिए ट्रैनर को प्रोत्साहित किया ।
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