Wednesday, November 20, 2024

सेमिनार : स्कूल नेतृत्व में नवाचार: प्रभावी विद्यालय प्रबंधन

 20 नवंबर 2024 को नेशनल सेंटर फॉर स्कूल लीडरशिप (NCSL), NIEPA , नई दिल्ली के तत्वावधान में तीन दिवसीय संगोष्ठी का उद्घाटन SIEMAT UTTARAKHAND द्वारा आयोजित ,एससीईआरटी उत्तराखंड ऑडिटोरियम, देहरादून में हुआ। सेमीनार  विषय था "स्कूल नेतृत्व में नवाचार: प्रभावी विद्यालय प्रबंधन।" इस कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, लद्दाख और उत्तराखंड सहित उत्तरी भारत के विभिन्न राज्यों के शिक्षाविद , प्रधानाचार्य, शिक्षक और शिक्षाविद शामिल हुए। उन्होंने शैक्षणिक परिवर्तन से जुड़े शोध पत्र, केस स्टडी और नवाचारी प्रयास प्रस्तुत किए।


कार्यक्रम का शुभारंभ सचिव विद्यालयी शिक्षा , रवीनाथ रामन ने करते हुए शिक्षकों की भूमिका को केवल स्कूलों तक सीमित न रखते हुए समृद्ध समाज के निर्माण तक विस्तारित करने पर जोर दिया। उन्होंने शिक्षक को समुदाय का लीडर सम्बोधन कर उन्होंने कहा कि शिक्षकों की जिम्मेदारी छात्रों के साथ समाज के  समग्र विकास और स्कूलों में नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देने की है।


अपर सचिव , विद्यालयी शिक्षा रंजना राज गुरु ने प्रधानाचार्यों की महत्वपूर्ण भूमिका पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि नेतृत्व केवल शैक्षणिक उत्कृष्टता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह छात्रों के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास को पोषित करने की जिम्मेदारी भी निभाता है।


महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा  झरना कमठान ने इस संगोष्ठी को उत्तराखंड के लिए एक उल्लेखनीय अवसर बताया। उन्होंने एनआईईपीए का धन्यवाद किया कि उन्होंने इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के आयोजन के लिए SIEMAT उत्तराखंड को चुना, जिससे अन्य राज्यों के नवाचारी प्रयासों को अपनाने का मौका मिला।

अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण निदेशक, बंदना गर्ब्याल  ने इस संगोष्ठी को उत्तराखंड और अन्य उत्तरी राज्यों के बीच विचारों और सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान का एक माध्यम बताया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस संगोष्ठी से प्राप्त अंतर्दृष्टि स्कूल प्रशासकों को शैक्षणिक रणनीतियों को सुव्यवस्थित करने और उनकी प्रभावशीलता में सुधार करने में मदद करेगी।

संगोष्ठी का संचालन डॉ. मोहन सिंह बिष्ट द्वारा किया गया, जिन्होंने अपने उत्साह और व्यावसायिकता से कार्यक्रम को कुशलतापूर्वक संचालित किया। उनकी मेहनत ने यह सुनिश्चित किया कि कार्यक्रम पूरे समय प्रभावी और गतिशील बना रहे।

सीमेट,अपर निदेशक अजय नौडियाल, उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि विभिन्न राज्य अकादमियों के बीच सहयोग उत्तराखंड की शिक्षा प्रणाली को समृद्ध करेगा और समावेशी एवं नवाचारी शैक्षणिक नीतियों को बढ़ावा देगा। उनके प्रेरणादायक भाषण ने स्कूल नेताओं को ऐसा वातावरण बनाने के लिए प्रेरित किया जो समग्र छात्र विकास और समावेशी शिक्षा को प्रोत्साहित करे। उन्होंने स्कूल नेतृत्व अकादमियों के प्रयासों की सराहना की और प्रतिभागियों से साझा ज्ञान का उपयोग करके अपने संस्थानों में परिवर्तनकारी रणनीतियों को लागू करने का आग्रह किया।

संगोष्ठी के प्रथम सत्र पर  दिनेश चंद्र गौड़ द्वारा धन्यवाद ज्ञापन पर  सभी अतिथियों, प्रतिभागियों और आयोजन टीमों का आभार व्यक्त किया। दिनेश चंद्र गौड़ ने संगोष्ठी को सफल बनाने के लिए सभी के अमूल्य योगदान की सराहना की और इसके दूरगामी सकारात्मक प्रभावों की आशा व्यक्त की।

आज के प्रस्तुतीकरण में सुनील जोशी व प्रदीप सती का प्रस्तुतीकरण छात्र विकास कार्यक्रम, बबली सजवान का नामांकन वृद्धि , ममता गुप्ता प्राथमिक विद्यालय गिनती गांव नैनीताल की प्रस्तुति विद्यालय व्यवस्था एवं नामांकन एवं लद्दाख राज्य के प्रधानाचार्य कंचूक फाँदे की महत्वपूर्ण प्रस्तुति शिक्षक समाज का दर्पण विषय पर विस्तृत जानकारी दी गई । इसके अलावा आज  जम्मू कश्मीर से पुरुषोत्तम सिंह , हरिद्वार से कासंपुर, रुड़की और संघीपुर, नैनीताल से गिनती गाँव ने अपनी प्रस्तुतियाँ दी । इस अवसर पर विभाग के शिक्षाविद् एवं अधिकारियों द्वारा पेनलिस्ट की भूमिका निभाई गई जिसमें मुख्य शिक्षा अधिकारी एसपी सेमवाल प्राचार्य डाइट रुद्रप्रयाग, चंडी प्रसाद रतूड़ी उपनिदेशक मंजू भारती एवं एन.सीसीएल की डॉक्टर ज्ञानेश्वरी रही उनके द्वारा इस प्रस्तुतीकरण अपने महत्वपूर्ण सुझाव दिये गये भी प्रदान की गई। इस अवसर पर डॉ मुक़ुल  कुमार सती , आर के उनियाल, डी सी गौड़, अम्बरीश बिष्ट आदि उपस्थित थे । 

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Tuesday, November 19, 2024

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत नवाचार पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन


राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के सिद्धांतों के अनुरूप, विद्यालयों में नवाचारी प्रयासों को प्रोत्साहित करने और उनकी सफलता की कहानियों को साझा करने के उद्देश्य से, स्कूल लीडरशिप अकादमी , राज्य शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान (SIEMAT), देहरादून द्वारा नेशनल स्कूल लीडरशिप एकेडमी, नीपा, नई दिल्ली के निर्देशन में तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है। यह सेमिनार 20 नवंबर 2024 से 22 नवंबर 2024 तक आयोजित होगा।

सेमिनार का मुख्य विषय

सेमिनार का मुख्य विषय “विद्यालयी नेतृत्व में नवाचार – प्रभावी विद्यार्थी प्रबंधन के संदर्भ में” है। इस दौरान नवाचारों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, जैसे:

  1. विद्यालयों में विद्यार्थियों के समग्र विकास के लिए नेतृत्व की नई रणनीतियाँ।
  2. शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी और डिजिटल उपकरणों का उपयोग।
  3. बाल केंद्रित दृष्टिकोण और सृजनात्मक शिक्षण तकनीकों का क्रियान्वयन।
  4. विभिन्न सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों के विद्यार्थियों के लिए समान अवसरों की सुनिश्चितता।

प्रतिभागी राज्यों का योगदान

उत्तर भारत के छह राज्यों – उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, जम्मू एवं कश्मीर, लद्दाख, और छत्तीसगढ़ के प्रतिनिधि इस सेमिनार में भाग लेंगे। उनके साथ उत्तराखंड के 48 विद्यालय प्रमुख भी अपने विद्यालयों में किए गए नवाचारों और विद्यार्थियों की गुणवत्ता सुधार की प्रेरणादायक कहानियाँ साझा करेंगे।

उद्घाटन और समापन समारोह

इस सेमिनार का उद्घाटन विद्यालयी शिक्षा सचिव, श्री रविनाथ रमन, 20 नवंबर 2024 को प्रातः 11 बजे एससीईआरटी के ऑडिटोरियम में करेंगे।
समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उत्तराखंड सरकार के माननीय शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत भाग लेंगे।

महानिदेशक, विद्यालयी शिक्षा, झरना कमठान, ने इस सेमिनार के लिए अपनी शुभकामनाएँ देते हुए कहा, “इस तरह के सेमिनार न केवल प्रेरणा के स्रोत हैं, बल्कि वे शैक्षिक नेतृत्व के लिए नई दिशा और दृष्टि भी प्रदान करते हैं। हमें विद्यालयों में नवाचार को सतत प्रयासों के रूप में देखना होगा।”

बंदना गर्ब्याल, निदेशक, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, ने इस आयोजन को NEP 2020 के लक्ष्यों को धरातल पर उतारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा, “यह सेमिनार विद्यालय प्रमुखों के नवाचारी प्रयासों को साझा करने का एक सशक्त मंच है। इन प्रयासों से प्रेरित होकर अन्य विद्यालय भी अपने क्षेत्रों में बदलाव ला सकते हैं। नवाचार, शिक्षा के भविष्य को दिशा देने का सबसे प्रभावी माध्यम है।”

अपर निदेशक, सीमेट, अजय नौडियाल, ने कहा, “इस सेमिनार का उद्देश्य केवल विचार साझा करना ही नहीं है, बल्कि उन्हें अमल में लाने के लिए व्यवहारिक रणनीतियाँ तैयार करना भी है। उत्तराखंड के विद्यालय प्रमुखों के नवाचारी प्रयास हमारी शिक्षा व्यवस्था को नई ऊँचाई तक ले जाने में मदद करेंगे।”

सीमेट  के विभागाध्यक्ष, श्री दिनेश चंद्र गौड़, ने सेमिनार के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, "विद्यालयी नेतृत्व में नवाचार एक ऐसा माध्यम है जो न केवल विद्यार्थियों की शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार करता है, बल्कि शिक्षकों और विद्यालय प्रमुखों को नए विचारों और दृष्टिकोणों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है। यह सेमिनार, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लक्ष्यों को साकार करने के लिए स्कूल लीडर्स को एक साझा मंच प्रदान करता है, जहां वे अपने अनुभवों से सीखकर नवीन और प्रभावी समाधान विकसित कर सकते हैं।"

सेमिनार का उद्देश्य

डॉ मोहन सिंह बिष्ट के अनुसार  इस आयोजन का उद्देश्य न केवल नवाचार को प्रोत्साहित करना है, बल्कि शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार के लिए ठोस कदम उठाने और नेतृत्व को सशक्त बनाने के लिए प्रभावशाली दृष्टिकोण प्रस्तुत करना है। यह पहल NEP 2020 के लक्ष्यों की पूर्ति में सहायक सिद्ध होगी और शिक्षा क्षेत्र में एक नई ऊर्जा का संचार करेगी।

Monday, November 18, 2024

एससीईआरटी उत्तराखंड में राष्ट्रीय जनसंख्या शिक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत 5 दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ

 

कार्यक्रम: राष्ट्रीय जनसंख्या शिक्षा कार्यक्रम (NPEP)

तिथि: 18 नवंबर 2024

एससीईआरटी उत्तराखंड में 5 दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ हुआ, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय जनसंख्या शिक्षा कार्यक्रम (NPEP) के अंतर्गत मटेरियल डेवलपमेंट करना है। इस कार्यशाला में राज्य के विभिन्न विद्यालयों के कला शिक्षकों ने हिस्सा लिया और स्वस्थ जीवनशैली (Healthy Lifestyle), लैंगिक समानता (Gender Equality), साइबर सुरक्षा (Cyber Security), और स्वच्छता (Sanitation) जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर कैलेंडर और पोस्टर तैयार करने का बीड़ा उठाया।

कार्यक्रम का उद्देश्य

यह कार्यशाला कला और रचनात्मकता के माध्यम से शिक्षकों और छात्रों में महत्वपूर्ण सामाजिक और शैक्षणिक मुद्दों पर जागरूकता फैलाने के लिए आयोजित की गई है। कैलेंडर और पोस्टर जैसे प्रभावशाली शिक्षण सामग्री को तैयार कर, इन विषयों को छात्रों और समाज के सामने प्रस्तुत करना इसका मुख्य उद्देश्य है।

उद्घाटन और मार्गदर्शन

कार्यशाला का उद्घाटन एससीईआरटी की अपर  निदेशक श्रीमती आशा रानी पैन्यूली द्वारा किया गया। उन्होंने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि “रचनात्मकता और शिक्षा का मेल सामाजिक बदलाव का एक मजबूत माध्यम हो सकता है। इस कार्यशाला के जरिए शिक्षकों को न केवल अपनी कलात्मकता दिखाने का अवसर मिलेगा, बल्कि वे सामाजिक जागरूकता बढ़ाने में भी योगदान देंगे।”

थीम पर अभिमुखीकरण


कार्यशाला के मार्गदर्शक संकाय श्रीमती सुधा पैन्यूली और डॉ. संजीव चेतन ने प्रतिभागियों को विभिन्न थीम्स पर गहन जानकारी प्रदान की। चित्रांकन के सभी विषय किशोरावस्था की विभिन्न चुनौतियों, समस्याओं एवं अपेक्षाओं पर आधारित हैं।डॉ संजीव चेतन इस प्रोग्राम के लिए पोस्टर निर्माण मे अहम भूमिका मे रहेंगे। 
  • स्वस्थ जीवनशैली: छात्रों और समाज को स्वस्थ जीवन के प्रति प्रेरित करना।
  • लैंगिक समानता: समान अधिकार और अवसरों के प्रति जागरूकता।
  • साइबर सुरक्षा: डिजिटल युग में सुरक्षित ऑनलाइन व्यवहार।
  • स्वच्छता: स्वच्छ पर्यावरण और व्यक्तिगत स्वच्छता का महत्व।

उन्होंने इन विषयों पर प्रभावी सामग्री निर्माण के लिए कला शिक्षकों का मार्गदर्शन किया और रचनात्मक विचार साझा किए।

प्रतिभागियों की भूमिका

कार्यशाला में उपस्थित शिक्षकों ने पोस्टर और कैलेंडर के माध्यम से इन मुद्दों को सरल और रचनात्मक तरीके से प्रस्तुत करने का प्रयास किया। यह शिक्षण सामग्री न केवल शैक्षणिक गतिविधियों में सहायक होगी, बल्कि छात्रों को इन मुद्दों के प्रति जागरूक भी करेगी। कार्यशाला का यह प्रयास समाज के लिए एक बड़ा संदेश देने और छात्रों में समसामयिक मुद्दों के प्रति समझ विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उम्मीद है कि यह पहल छात्रों और समाज के बीच शिक्षा और जागरूकता का सेतु बनेगी।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की अनुशंसा के अनुरूप बस्ता रहित दिवसों (Bagless Days) के संचालन हेतु गतिविधि पुस्तिका निर्माण कार्यशाला प्रारंभ


राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 2020 के अध्याय - 4  "स्कूलों में पाठ्यक्रम और शिक्षण शास्त्र" के पैरा 4.26 तथा क्रियान्वयन दस्तावेज सार्थक के टास्क संख्या-92 में की गई अनुशंसा के क्रम में प्रदेश के समस्त उच्च प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों में प्रत्येक शैक्षिक सत्र में 10 बस्ता रहित दिवसों के संचालन हेतु पांच दिवसीय गतिविधि पुस्तिका निर्माण कार्यशाला का आज एस सी ई आर टी के प्रशिक्षण हॉल में शुभारंभ हुआ। कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण उत्तराखंड श्रीमती बंदना गर्ब्याल द्वारा बताया गया कि बस्ता रहित दिवसों के संचालन का प्रमुख उद्देश्य बस्ते के बोझ को कम करते हुए छात्रों में गतिविधि के माध्यम से उनमें निहित प्रतिभाओं का समुचित विकास करना है। इसके अतिरिक्त इन गतिविधियों के माध्यम से छात्रों में स्थानीय व्यवसायों तथा हस्तशिल्प कौशल को विकसित करते हुए उनमें श्रम के प्रति सम्मान की भावना भी विकसित करना है।  श्रीमती गर्ब्याल ने इस अवसर पर कहा कि बस्ता रहित दिवसों के संचालन हेतु इस प्रकार की गतिविधियों को विकसित किया जाना चाहिए जिससे छात्र गतिविधियों में रोचकता के साथ प्रतिभाग करें तभी बस्ता रहित दिवसों के संचालन की अवधारणा सार्थक होगी।

अपर निदेशक एस सी ई आर टी श्रीमती आशारानी पैन्यूली ने इस अवसर पर कहा कि कार्यशाला में प्रतिभाग कर रहे सभी प्रतिभागियों द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का गहन अध्ययन करते हुए बस्ता रहित दिवसों के संचालन की अवधारणा को समझ कर गतिविधियों का विकास किया जाना चाहिए। श्रीमती पैन्यूली द्वारा शिक्षकों को अपने आचरण, व्यवहार एवं क्रियाकलापों के माध्यम से छात्रों के सम्मुख आदर्श प्रस्तुत करने हेतु कहा गया। 

प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए संयुक्त निदेशक श्रीमती कंचन देवराडी द्वारा प्रतिभागियों को विद्यालयी शिक्षा विभाग के अंतर्गत महानिदेशालय सहित तीनों निदेशालयों तथा उनके क्रियाकलापों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की गई।  श्रीमती देवराडी ने बताया कि एस सी ई आर टी द्वारा राज्य स्तर पर शैक्षिक शोध संबंधी कार्य, पाठ्यक्रम निर्माण एवं विभिन्न सहायक पुस्तकों के निर्माण के साथ साथ शिक्षक प्रशिक्षणों से संबंधित कार्य संपादित किए जाते हैं तथा राज्य स्तर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी भी एस सी ई आर टी को सौंपी गई है। इसी क्रम में बस्ता रहित दिवसों के संचालन हेतु गतिविधि पुस्तिका का निर्माण किया जा रहा है। इस अवसर पर सहायक निदेशक डॉ. के.एन.बिजल्वाण द्वारा कहा गया कि शिक्षक छात्रों के साथ धरातलीय रूप से जुड़े होते हैं, तथा कक्षा की वास्तविक परिस्थितियों से परिचित होते हैं। अतः शिक्षकों द्वारा वास्तविक एवं विभिन्न मुख्य विषयों की पाठ्यवस्तु से संबंधित उच्च स्तरीय गतिविधियां विकसित की जा सकती हैं।

कार्यशाला के समन्वयक श्री मनोज किशोर बहुगुणा द्वारा बताया गया कि राज्य में बस्ता रहित दिवसों के संचालन हेतु शासनादेश जारी किया जा चुका है तथा इसी क्रम में गतिविधि पुस्तिका विकसित की जा रही है। गतिविधि पुस्तिका के लिए गतिविधियों का निर्माण तीन क्षेत्रों जैव रूप,  मशीन तथा सामग्री एवं मानवीय सेवाओं के अंतर्गत किया जाएगा।  प्रत्येक क्षेत्र के लिए 12 गतिविधियां निर्मित की जाएंगी।  इस प्रकार कार्यशाला में गतिविधि पुस्तिका के लिए कुल 36 गतिविधियां विकसित की जाएंगी। कुछ सुझावात्मक गतिविधियों की सूची भी गतिविधि पुस्तिका में दी जाएगी। इसके अतिरिक्त विद्यालय स्तर पर मार्गदर्शक शिक्षक स्थानीयता के आधार पर स्वयं से भी गतिविधियां विकसित कर संचालित कर सकेंगे। श्री बहुगुणा द्वारा प्रस्तुतीकरण के माध्यम से बस्ता रहित दिवसों के संचालन की अवधारणा, उद्देश्य, कार्यप्रणाली तथा सीखने के प्रतिफलों पर विस्तार से प्रकाश डाला गया। उनके द्वारा बस्ता रहित दिवसों के संचालन हेतु संस्थाध्यक्षों, मार्गदर्शक शिक्षकों, छात्रों, अभिभावकों तथा समुदाय की जिम्मेदारियों को भी विस्तृत रूप से प्रस्तुत किया गया। उनके द्वारा गतिविधियों के लिए निर्धारित प्रारूप भी प्रतिभागियों के सम्मुख प्रस्तुत किया गया।

कार्यक्रम समन्वयक एन ई पी प्रकोष्ठ श्री रविदर्शन तोपाल द्वारा बताया गया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्रकोष्ठ द्वारा विद्यालयी शिक्षा हेतु राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2023 की तर्ज पर राज्य आधारित राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा तैयार किए जाने का कार्य अंतिम चरण में है, तथा बस्ता रहित दिवसों के संचालन हेतु गतिविधियों का निर्माण इसी से संबद्ध करते हुए किया जाना है।

 कार्यशाला में  एन ई पी प्रकोष्ठ से सचिन नौटियाल सहित  डॉ वीर सिंह रावत, डॉ जगमोहन पुंडीर, श्रीमती सुमन भट्ट, राजेंद्र बडोनी, जितेंद्र राणा, दिलवर सिंह रावत, नरेश कुमाईं, मनोज भाकुनी, विनोद मल्ल, बलवंत असवाल, मंजू बहुगुणा, दिव्या नौटियाल, विजय बडोनी, विनीता रतूड़ी, विजय कुमार, याचना भंडारी, विपुल सकलानी, जसदेव सिंह राणा सहित डायट्स, उच्च प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों के 40 शिक्षकों द्वारा प्रतिभाग किया जा रहा है।

रिपोर्ट : मनोज किशोर बहुगुणा, एन ई पी सेल,एस सी ई आर टी उत्तराखण्ड 

निदेशक बन्दना गर्ब्याल ने किया एससीईआरटी उत्तराखंड के सभागार मे जीवन कौशल पर आधारित पुस्तक का विमोचन

 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत छात्रों के समग्र विकास और 21वीं सदी के कौशलों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से एससीईआरटी उत्तराखंड ने एक नई पुस्तक "जीवन कौशल" का शुभारंभ किया। इस पुस्तक का विमोचन निदेशक अकादमिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण, बंदना गर्ब्याल द्वारा किया गया। इस अवसर पर एससीईआरटी के अपर  निदेशक आशा रानी पैन्यूली, संयुक्त निदेशक कंचन देवराड़ी और सहायक निदेशक डॉ. के.एन. बिजलवान सहित कई अधिकारी उपस्थित रहे।

She Creates Change की प्राइवेट स्क्रीनिंग – उत्तराखंड | 


इसी सत्र मे  GEP टीम ने "She Creates Change" की एक विशेष प्राइवेट स्क्रीनिंग का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में एससीईआरटी के 44 अधिकारियों ने भाग लिया, जिसमें बन्दना गर्ब्याल , निदेशक अकादमिक शोध  एवं प्रशिक्षण (ART), अपर  निदेशक, संयुक्त निदेशक, और सहायक निदेशक भी शामिल थे।

कार्यक्रम की शुरुआत

कार्यक्रम की शुरुआत "रूम टू रीड" की राज्य प्रमुख द्वारा एक जानकारीपूर्ण ओरिएंटेशन से हुई। उन्होंने She Creates Change पहल का परिचय देते हुए बताया कि यह दुनिया की पहली गैर-लाभकारी फिल्म श्रृंखला है, जो एनिमेशन और लाइव-एक्शन का संयोजन करते हुए युवतियों की सशक्त कहानियों को दर्शाती है। यह श्रृंखला विभिन्न देशों की युवतियों की प्रेरणादायक और विविध कहानियों को प्रस्तुत करती है, जो चुनौतियों का सामना करते हुए समाज में बदलाव ला रही हैं।

प्रेरणादायक फिल्म श्रृंखला

इस ओरिएंटेशन के बाद, प्रतिभागियों ने She Creates Change श्रृंखला की सभी छह फिल्मों को देखा। ये विचारोत्तेजक फिल्में लैंगिक समानता से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर प्रकाश डालती हैं। हर फिल्म ने उन युवा महिलाओं की प्रेरक कहानियों को सामने रखा, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों को पार कर समाज में बदलाव के लिए एक नई दिशा दी।

विचार-विमर्श और सहभागिता

फिल्मों के प्रदर्शन के बाद, उपस्थित अधिकारियों ने हर कहानी पर गहन विचार किया और सार्थक चर्चा में भाग लिया। यह अनुभव न केवल प्रेरणादायक था, बल्कि सामाजिक मुद्दों और लैंगिक समानता को समझने के लिए एक नई दृष्टि प्रदान करने वाला भी था।

यह कार्यक्रम उत्तराखंड में लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुआ। She Creates Change की ये कहानियां बदलाव की नई परिभाषा रचने के लिए प्रेरणा देती हैं।

जीवन कौशल का महत्व

कार्यक्रम में यह बताया गया कि जीवन कौशल छात्रों को 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने और उनके जीवन को संतुलित रूप से प्रबंधित करने में सक्षम बनाता है। यह पुस्तक राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए छात्रों के लिए निर्णय लेने, समस्या समाधान, तार्किक सोच, रचनात्मकता और सामाजिक कौशल को विकसित करने के लिए तैयार की गई है।

निदेशक व अन्य अधिकारियों का संदेश


निदेशक बंदना गर्ब्याल ने कहा कि "जीवन कौशल पर आधारित यह पुस्तक छात्रों को न केवल शिक्षण प्रक्रिया में मदद करेगी, बल्कि उन्हें व्यावहारिक जीवन में भी आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनाएगी।" अतिरिक्त निदेशक आशा रानी पैन्यूली और अन्य अधिकारियों ने भी इस पहल की सराहना की और इसे छात्रों के संपूर्ण विकास के लिए एक आवश्यक कदम बताया।

समर्पण और सहभागिता

एससीईआरटी के सभी अधिकारी और शिक्षक इस पुस्तक को छात्रों तक पहुँचाने और इसे शिक्षण प्रक्रिया में प्रभावी रूप से लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस पुस्तक को राज्य के सभी माध्यमिक विद्यालयों में लागू किया जाएगा, ताकि छात्र इसका लाभ उठा सकें और उनके समग्र व्यक्तित्व विकास में सहायता मिल सके।

यह पहल राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने और छात्रों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

Sunday, November 17, 2024

संस्कृत और आपदा प्रबंधन की किताबें निशुल्क उपलब्ध होंगी: एससीईआरटी उत्तराखंड

उत्तराखंड के सरकारी माध्यमिक स्कूलों- के छात्रों के लिए एक और बड़ी पहल करते हुए राज्य सरकार ने कक्षा 11 और 12 के लिए संस्कृत और 9-10 के लिए  आपदा प्रबंधन विषय की किताबें निशुल्क उपलब्ध कराने का फैसला किया है। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के इस निर्णय से छात्रों को इन विशिष्ट विषयों में पढ़ाई को बढ़ावा मिलेगा।

पाठ्यपुस्तकों की वर्तमान स्थिति और नया निर्णय

उत्तराखंड में  छात्रों को सरकार पहले से ही मुफ्त पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराती है। हालांकि, संस्कृत और आपदा प्रबंधन जैसे विषयों के लिए एनसीईआरटी की किताबें उपलब्ध नहीं थीं, जिसके कारण इन विषयों के छात्रों को किताबें खरीदनी पड़ती थीं। अब, एससीईआरटी ने इन विषयों की पाठ्यपुस्तकें तैयार करवाने का जिम्मा लिया है और छात्रों को इसे मुफ्त उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है।

संस्कृत और आपदा प्रबंधन क्यों महत्वपूर्ण?

  • संस्कृत: संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति और परंपराओं की आत्मा है। छात्रों में इसकी रुचि और गहरी समझ विकसित करने के उद्देश्य से इसे प्रोत्साहित किया जा रहा है।
  • आपदा प्रबंधन: उत्तराखंड, जहां भौगोलिक परिस्थितियों के कारण प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बना रहता है, वहां छात्रों को आपदा प्रबंधन का ज्ञान देना अत्यंत उपयोगी है। इससे न केवल उनकी शिक्षा समृद्ध होगी, बल्कि वे भविष्य में समाज के लिए बेहतर योगदान भी दे सकेंगे।

डिजिटल माध्यम और स्थानीय संदर्भ का समावेश

राज्य शिक्षा विभाग के डीजी झरना कमठान ने बताया कि इन किताबों को डिजिटल माध्यम से भी छात्रों के लिए उपलब्ध कराने की योजना बनाई जा रही है। इससे छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाई का विकल्प मिलेगा और यह आधुनिक शिक्षा के साथ कदम मिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, बंदना गर्ब्याल ने कहा कि ये किताबें राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुसार स्थानीय परिस्थितियों और परिवेश को ध्यान में रखकर तैयार की जा रही हैं।

उम्मीद और भविष्य की योजना

एससीईआरटी उत्तराखंड की यह पहल राज्य के छात्रों को उनके विषयों में गहरी समझ विकसित करने और संसाधनों की कमी को दूर करने में मदद करेगी। यह कदम न केवल शिक्षा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि छात्रों और शिक्षकों के लिए एक नई दिशा भी प्रस्तुत करता है।

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Saturday, November 16, 2024

विद्यालय और समाज के बीच संवाद: DIET प्रवक्ता श्रीमती राखी पांडे की पहल

 

दिनांक 25 सितंबर 2024 को DIET प्रवक्ता श्रीमती राखी पांडे ने राजकीय प्राथमिक विद्यालय तिपरपुर विकासनगर  में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें विद्यालय प्रबंधन समिति (एसएमसी) के सदस्यों और छात्रों के साथ संवाद स्थापित किया गया। यह कार्यक्रम छात्रों की प्रगति पर जागरूकता बढ़ाने और ग्राम समाज की भूमिका को सशक्त बनाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया।

छात्रों और एसएमसी सदस्यों के साथ संवाद

श्रीमती राखी पांडे ने छात्रों से सीधा संवाद स्थापित कर उनकी शैक्षिक स्थिति, व्यक्तिगत चुनौतियों और उपलब्धियों के बारे में चर्चा की। इस दौरान उन्होंने छात्रों को अपने लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया और उन्हें शिक्षा के महत्व को समझने का संदेश दिया।

एसएमसी सदस्यों ने विद्यालय की प्रधानाध्यापिका, श्रीमती सरोज रावत, के साथ अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने छात्रों के विकास और विद्यालय के समग्र सुधार के लिए मिलकर काम करने के अपने प्रयासों पर चर्चा की।

श्रीमती पांडे का प्रेरणादायक संदेश

श्रीमती पांडे ने अपने संबोधन में विद्यालय और समाज के बीच मजबूत संबंधों की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि कैसे सामूहिक प्रयास शिक्षा को और अधिक प्रभावी बना सकते हैं। उनका कहना था कि सामाजिक दायित्व केवल बच्चों तक ही सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि पूरे समुदाय को इसमें सक्रिय भाग लेना चाहिए।

मुख्य शिक्षा अधिकारी द्वारा मान्यता

श्रीमती पांडे के प्रभावशाली संवाद और मार्गदर्शन से प्रेरित होकर, मुख्य शिक्षा अधिकारी महोदय ने उन्हें विद्यालय के हित में आगामी विकासशील कार्यक्रमों के संचालन और शैक्षिक प्रगति के लिए नामित किया। यह उनके प्रयासों और समर्पण का सम्मान था, जो उन्होंने शिक्षा क्षेत्र में योगदान देने के लिए दिखाया है।

प्रधानाध्यापिका की प्रतिबद्धता

विद्यालय की प्रधानाध्यापिका, श्रीमती सरोज रावत, ने श्रीमती पांडे का विद्यालय में गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्होंने आश्वासन दिया कि श्रीमती पांडे द्वारा दिए गए विचारों और दिशा-निर्देशों को अमल में लाने का पूरा प्रयास किया जाएगा। उन्होंने इस पहल को विद्यालय के लिए एक नई दिशा और ऊर्जा का स्रोत बताया।

कार्यक्रम का महत्व

यह संवाद कार्यक्रम केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं था, बल्कि यह छात्रों, शिक्षकों और समुदाय के सदस्यों के बीच गहन संवाद और समन्वय का माध्यम बना। इस पहल ने शिक्षा के क्षेत्र में विकास के लिए सामूहिक जिम्मेदारी को प्रोत्साहित किया।

राजकीय प्राथमिक विद्यालय तिपरपुर और स्थानीय समुदाय ने इस आयोजन के लिए DIET प्रवक्ता श्रीमती राखी पांडे का आभार व्यक्त किया। यह कार्यक्रम छात्रों के भविष्य को सशक्त बनाने और विद्यालय-समाज की भागीदारी को और अधिक मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।

बाल चौपाल: एक नवाचारी पहल कार्यक्रम: पीएम श्री स्कूल, राजकीय इंटर कॉलेज हरबर्टपुर में बाल सशक्तिकरण का महोत्सव


दिनांक 16 नवंबर 2024 को पीएम श्री स्कूल, राजकीय इंटर कॉलेज हरबर्टपुर में राज्य स्तरीय बाल चौपाल कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जो विद्यालय  में एक स्मरणीय दिन बन गया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालयी शिक्षा महानिदेशक झरना कमठान ने किया।


महानिदेशक का स्वागत अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण निदेशक बंदना गर्ब्याल ने किया और देहरादून के मुख्य शिक्षा अधिकारी प्रदीप रावत ने उनका पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया और अपनी हार्दिक शुभकामनाएँ व्यक्त कीं। साथ ही, इस अवसर पर अपर निदेशक अजय नौडियाल, सीमेट, ने  पूरे कार्यक्रम के संचालन और व्यवस्थाओं के लिए सभी अधिकारीयों का स्वागत किया। देहरादून जनपद के मुख्य शिक्षा अधिकारी प्रदीप रावत, द्वारा अन्य अधिकारियों का भी स्वागत  किया गया। विद्यालय के प्रधानाचार्य अविंद्र बर्थवाल ने बन्दना गर्ब्याल को पुष्पगूछः देकर सम्मानित किया ओर  सभी अतिथियों का स्वागत किया।


कार्यक्रम का संचालन प्रवक्ता  कांता प्रसाद सती द्वारा किया गया और शुरुआत स्वागत गीत से हुई, जिसने पूरे माहौल को उल्लासपूर्ण बना दिया। इस पूरे बाल चौपाल मे 40 अन्य स्कूलों के 600 से अधिक छात्रों ने प्रतिभाग किया जबकि रा ई का हर्बटपुर के सभी छात्रों ने चौपाल मे प्रतिभाग किया। यहाँ के NCC  छात्रों की यूनिट ने विशेष बैंड और परेड  अथितियों का स्वागत किया । 

बाल चौपाल का उद्देश्य

निदेशक बंदना गर्ब्याल ने कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बच्चों को सशक्त और जागरूक बनाना है ताकि वे भविष्य के कुशल नेतृत्वकर्ता बन सकें। उन्होंने इस कार्यक्रम को पहली बार निदेशालय से बाहर आयोजित कर इसकी पहुँच व्यापक बनाने का एक अद्भुत प्रयास किया। इस चौपाल मे सहयोग और निरंतर योगदान के लिए अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के प्रयासों के लिए आभार व्यक्त किया । 


बाल चौपाल: बच्चों के कौशल और सृजनात्मकता का मंच

सीमेट के विभागाध्यक्ष दिनेश गौड़ ने ब्लॉक प्रमुख का स्वागत किया और बताया कि यह चौपाल बच्चों को खेल-खेल में सीखने और अपने कौशल को प्रदर्शित करने का अनोखा अवसर प्रदान करता है। विभिन्न एनजीओ और संस्थाओं ने स्टॉल लगाए, जिनमें शिक्षा और नवाचार से जुड़ी गतिविधियाँ शामिल थीं। 


प्रमुख आकर्षण

1. STEM गतिविधियाँ

विज्ञान, तकनीकी, इंजीनियरिंग, और गणित पर आधारित कार्यशालाओं और प्रायोगिक गतिविधियों ने बच्चों में जिज्ञासा और आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा दिया।

2. कला एवं शिल्प

पेंटिंग, पॉटरी, ओरिगेमी, और पुनर्चक्रण जैसे क्रियाकलापों ने बच्चों की रचनात्मकता को प्रोत्साहन दिया।

3. अबेकस प्रशिक्षण

डॉ. अवनीश उनियाल और उनकी टीम ने विशेष अबेकस सत्र आयोजित किए, जिससे बच्चों में मानसिक गणना और संज्ञानात्मक विकास हुआ।  डॉ अवनीश ने अबेकस पर लिखी पुस्तक महानिदेशक को भेंट की  । 

4. स्काउट और खेल-कूद

माउंट क्लाइम्बिंग एवं  परंपरागत भारतीय खेलों ने बच्चों में टीम वर्क और प्रतिस्पर्धा की भावना को मजबूत किया।

5. क्लैप वैन और डिजिटल तकनीकी

स्टाम्प लैब और SARD-HP के सहयोग से क्लैप वैन के माध्यम से 120 क्रोमबुक का उपयोग कर डिजिटल तकनीकी और ई-कंटेंट का व्यावहारिक ज्ञान दिया गया।

6. स्वास्थ्य जांच

ग्राफिक एरा मेडिकल कॉलेज के प्रोफेशनल मेडिकल स्टाफ ने बच्चों के स्वास्थ्य जांच की, जिसमें विशेष रूप से "सुनैना " नेत्र , दंत और अन्य परीक्षंण भी किए ।

7. आनंदम गतिविधियाँ

योग, ध्यान, और हास्य योग के माध्यम से बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ किया गया।

8. गीत, संगीत, और अभिनय

बच्चों ने अपने कौशल का प्रदर्शन गीत, नाटक, और संवादों के माध्यम से किया।

9. रूम टू रीड :   पुस्तकों से प्रेम और सहजता से जुड़ना एक खास स्टॉल लगाया गया .


कार्यक्रम में विशेष योगदान

इस कार्यक्रम में राज्य हेड अजीम प्रेमजी फाउंडेशन और विकासनगर से अजीम प्रेमजी के अन्य सदस्यों , एचपी सार्ड, आसरा फाउंडेशन, अमेरिकन इंडियन फेडरेशन, और आनंदम समूह ने अपना सहयोग दिया। सीमेट के डॉ मोहन बिष्ट, डॉ जगमोहन बिष्ट डॉ विनोद  ध्यानी, मदन मोहन उनियाल , रघुबीर सिंह बिष्ट और अन्य सदस्यों ने आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


महानिदेशक का सम्बोधन

झरना कमठान ने अपने सम्बोधन में कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम बच्चों को सहयोग, टीम भावना, और सृजनात्मकता के साथ भविष्य के लिए तैयार करते हैं।

निदेशक बंदना गर्ब्याल का संदेश

बंदना गर्ब्याल ने बच्चों द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रमों की सराहना करते हुए कहा कि यह छात्रों, अभिभावकों, और शिक्षकों के लिए एक विशेष अवसर है जो उन्हें समाज और संस्कृति से जोड़ता है।


कार्यक्रम की सफलता

पीएम श्री राजकीय इंटर कॉलेज हरबर्टपुर ने इस आयोजन में अपनी उत्कृष्ट मेजबानी से मिसाल कायम की। यह कार्यक्रम न केवल बच्चों के कौशल विकास के लिए प्रेरणास्रोत बना, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने का माध्यम भी सिद्ध हुआ।


बाल चौपाल बच्चों के भविष्य निर्माण की दिशा में एक सशक्त पहल के रूप में उभरकर सामने आया।

Thursday, November 14, 2024

NCERT-CIET दिल्ली में उत्तराखंड टीम ने NISHTHA प्रशिक्षण में NRG सदस्य के रूप में किया प्रतिभाग

 


नई दिल्ली में आयोजित NISHTHA कार्यक्रम के तहत उत्तराखंड टीम ने "NRG (नेशनल रिसोर्स ग्रुप) कैपेसिटी बिल्डिंग वर्कशॉप" में भाग लिया। इस कार्यशाला का आयोजन केंद्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी संस्थान (CIET), NCERT द्वारा 5 से 14 नवंबर 2024 के दौरान किया गया। उत्तराखंड से आईटी विभाग के SCERT प्रतिनिधि एस. पी. वर्मा, DIET चंपावत से लता आर्य और डॉ. आशुतोष वर्मा ने इस कार्यक्रम में अपनी सहभागिता सुनिश्चित की।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन पर जॉइंट डायरेक्टर डॉ. अमरेन्द्र बहेरा द्वारा प्रमाणपत्र वितरित किए गए। इस कार्यक्रम का नेतृत्व और समन्वय डॉ. ऐन्जल रत्नाबाई ने किया, जिन्होंने प्रतिभागियों को मार्गदर्शन और प्रोत्साहन प्रदान किया। इस कार्यशाला के अंतर्गत 100 घंटे का विस्तृत प्रशिक्षण सत्र हुआ, जिसमें शिक्षक शिक्षा को प्रौद्योगिकी के साथ जोड़ने और उसे छात्रों के हित में उपयोग करने के विभिन्न तरीकों पर चर्चा की गई।

NISHTHA कार्यक्रम के बारे में:
NISHTHA (National Initiative for School Heads' and Teachers' Holistic Advancement) भारत सरकार द्वारा प्रारंभ किया गया एक व्यापक कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य स्कूल शिक्षकों और प्रधानाचार्यों की क्षमताओं को बढ़ाना है। इस कार्यक्रम में विशेष रूप से शिक्षकों को डिजिटल उपकरणों, शिक्षण विधियों, और नए-नए शिक्षण साधनों का उपयोग सिखाया जाता है।

Inauguration of State-of-the-Art STEAM Lab at GGIC Pant Nagar Ushers in a New Era of Experiential Learning in Uttarakhand


Pant Nagar, Uttarakhand, 14/Nov/2024 – Today, GGIC Pant Nagar witnessed the launch of a transformative STEAM lab that brings cutting-edge educational technology to students in the region, thanks to the collaborative efforts of SARD, Vedanta Group, and Hindustan Zinc Ltd. The lab was officially inaugurated by Ms. Bandana Garbyal, Director of State Academic Research and Training, Uttarakhand, alongside Ms. Anamika Jha, Unit Head at Hindustan Zinc Ltd. Rudrapur, and Dr. K.S. Rawat, Chief Education Officer and District Project Officer of Udham Singh Nagar. This state-of-the-art facility aims to redefine Science, Technology, Engineering, Arts, and Mathematics (STEAM) education in the region.


The STEAM lab boasts an array of advanced scientific tools and interactive learning setups, including micro-models of key scientific concepts, touchscreens, and BaLA (Building as Learning Aids) inspired “talking walls.” With over 2,000 immersive content capsules incorporating Augmented Reality (AR) and Virtual Reality (VR), the lab offers students hands-on experiences across diverse scientific themes, such as Smart Cities, DNA structures, rocket propulsion, and air quality monitoring. The Chandra Yan model is among the lab's highlights, symbolizing India’s space advancements and sparking curiosity among young learners.


Speaking at the event, Ms. Bandana Garbyal praised the lab's potential for empowering students with practical and advanced knowledge, calling on more corporate partners to support similar educational initiatives. Ms. Anamika Jha reinforced the commitment of Hindustan Zinc Ltd. to foster educational advancements through corporate social responsibility (CSR), while Mr. Bhuvanesh Sharma emphasized the role of such labs in inspiring the next generation of scientists and engineers.


In a ceremonious opening, students performed a Saraswati Vandana, followed by a cultural program that showcased the region's talent and spirit. Student presenters displayed models they crafted, embodying the creativity and collaboration this new lab is designed to nurture.

Closing the event, Mr. K.S. Rawat expressed gratitude to all collaborators, urging further corporate partnerships to expand this model across Uttarakhand and beyond. The STEAM lab at GGIC Pant Nagar now stands as a beacon of innovative education, setting a new standard for experiential learning in the region.


Sudhir Bhatnagar from SARD group said; STEAM—an educational approach that integrates Science, Technology, Engineering, Arts, and Mathematics—is reshaping traditional learning by fostering creativity, critical thinking, and problem-solving skills in students. Unlike conventional STEM models, STEAM emphasizes the role of the Arts in enhancing scientific and technical learning, enabling students to approach complex problems with both analytical and innovative mindsets.

This holistic approach encourages hands-on learning, cross-disciplinary projects, and real-world applications, preparing students for a rapidly evolving job market and equipping them with the skills needed to thrive in diverse fields. By embracing STEAM, schools are not only focusing on academic achievement but also on cultivating adaptable, forward-thinking individuals ready to contribute to society. The newly inaugurated STEAM lab at GGIC Pant Nagar embodies this philosophy, offering students a unique opportunity to engage in immersive, interactive, and creative learning experiences that go beyond the classroom.

उधम सिंह नगर: आज का दिन GGIC पंतनगर, उत्तराखंड के लिए एक ऐतिहासिक दिन बना, जब वेदांता समूह और हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के सहयोग से SARD ने एक अत्याधुनिक STEAM लैब का उद्घाटन किया। इस लैब का शुभारंभ उत्तराखंड की स्टेट एकेडमिक रिसर्च एंड ट्रेनिंग (SCERT) की निदेशक श्रीमती बंदना गर्ब्याल द्वारा किया गया। इस अवसर पर हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड रुद्रपुर की यूनिट हेड श्रीमती अनामिका झा, मुख्य शिक्षा अधिकारी और जिला परियोजना अधिकारी डॉ. के.एस. रावत भी उपस्थित रहे।

इस आधुनिक STEAM लैब का उद्देश्य क्षेत्र के विद्यार्थियों के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी को रोचक एवं सजीव बनाना है। लैब में उन्नत वैज्ञानिक उपकरण, इंटरैक्टिव टचस्क्रीन, प्रमुख वैज्ञानिक अवधारणाओं के सूक्ष्म मॉडल और BaLA (बिल्डिंग ऐज़ लर्निंग एड्स) के सिद्धांत पर आधारित ‘टॉकिंग वॉल्स’ जैसी सुविधाएँ उपलब्ध हैं। यह लैब विद्यार्थियों को STEM आधारित शिक्षा का अनुभव कराएगी, जिसमें ऑगमेंटेड और वर्चुअल रियलिटी के माध्यम से 2,000 से अधिक इमर्सिव कंटेंट कैप्सूल शामिल हैं। लैब के विशेष मॉडल्स में स्मार्ट सिटी, डीएनए संरचना, रॉकेट प्रोपल्शन, वायु गुणवत्ता निगरानी और चंद्रयान जैसी आधुनिक तकनीकें सम्मिलित हैं।

शुभारंभ के अवसर पर उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों ने विद्यार्थियों के तकनीकी एवं प्रायोगिक शिक्षा में इस प्रकार की सुविधाओं के प्रभाव पर अपने विचार साझा किए। श्रीमती बंदना गर्ब्याल ने इस पहल के प्रति अपना उत्साह प्रकट किया और अन्य कॉरपोरेट्स से भी इस प्रकार के स्कूल अपनाने की अपील की, जिससे युवा पीढ़ी को उत्कृष्टता और आर्थिक प्रगति के लिए तैयार किया जा सके। श्रीमती अनामिका झा ने शिक्षा को सशक्त बनाने में कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (CSR) के महत्व पर बल दिया, जबकि श्री भुवनेश शर्मा ने युवाओं के बीच विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने की हिंदुस्तान जिंक की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला।

इस अवसर पर कार्यक्रम की शुरुआत छात्रों द्वारा पारंपरिक सरस्वती वंदना से हुई, इसके बाद सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने माहौल को और भी रंगीन बना दिया। छात्रों ने अपने मॉडलों की प्रस्तुति देकर उपस्थित जनों को अपने नवीन आविष्कारों से प्रेरित किया। इस कार्यक्रम का समापन डॉ. के.एस. रावत द्वारा सभी अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें अन्य कॉरपोरेट्स को भी भविष्य में ऐसी शैक्षिक पहल में सहयोग के लिए आमंत्रित किया गया।

श्री सुधीर भटनागर ने उद्घाटन के अवसर पर अपने विचार साझा करते हुए कहा, “यह SARD समूह की ओर से राष्ट्र के प्रति एक महत्वपूर्ण सेवा है। ऐसे प्रयास हमारे देश के बच्चों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, कला, और गणित (STEAM) के क्षेत्र में सक्षम बनाएंगे, जिससे वे भविष्य के लिए सशक्त और सक्षम नागरिक बन सकें। GGIC पंतनगर को इमर्सिव तकनीक और STEAM शिक्षा के लिए एक क्लस्टर नवाचार केंद्र के रूप में स्थापित करना हमारे क्षेत्र के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण बनेगा।”

शिक्षा और नवाचार की ओर एक कदम और, साथ मिलकर हम भविष्य के नवाचारियों के लिए मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं! 

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