Wednesday, July 30, 2025

नवाचार और डिज़ाइन थिंकिंग: उत्तराखंड के छात्र अब तैयार होंगे वैश्विक मंच के लिए!

 

SCERT उत्तराखंड द्वारा एक अनूठी और प्रेरणादायक पहल के अंतर्गत "Innovation and Design Thinking" पर आधारित वीडियो शृंखला का सीधा प्रसारण PM eVidya चैनलों 179 से 182 पर शुरू किया गया है। इस पहल का उद्देश्य राज्य के विद्यार्थियों को नवाचार की ओर प्रेरित करना और उन्हें राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं जैसे Hackathon, INSPIRE Award, National Science Fair आदि के लिए तैयार करना है।

यहाँ देखें - समय चक्र  

 श्रृंखला का उद्देश्य

21वीं सदी के छात्र केवल किताबी ज्ञान के भरोसे नहीं रह सकते। उन्हें ज़रूरत है विचारों को समाधान में बदलने की क्षमता की — और यहीं Design Thinking जैसी सोच पद्धति उनकी मदद करती है।

यह श्रृंखला छात्रों को सिखाएगी:

  • समस्याओं को पहचानना और समझना (Empathy)
  • विचार उत्पन्न करना (Ideation)
  • प्रोटोटाइप बनाना (Prototype)
  • समाधान का परीक्षण और सुधार (Test & Iterate)

दिशा-निर्देश

यह वीडियो श्रृंखला  SCERT उत्तराखंड की निदेशक  बन्दना गर्ब्याल एवं अपर निदेशक  पद्मेन्द्र सकलानी के निर्देशन में सभी विद्यालयों को अनिवार्य रूप से दिखाए जाने हेतु निर्देशित की गई है।

समस्त : 

  • जिला शिक्षा अधिकारी
  • खंड शिक्षा अधिकारी
  • सरकारी, सहायता प्राप्त एवं निजी विद्यालयों के प्रधानाचार्य

से अपेक्षा की जाती है कि वे इस श्रृंखला को छात्रों को निर्धारित समय पर दिखाने की उचित व्यवस्था सुनिश्चित करें।

टाइम टेबल: Innovation and Design Thinking (PM eVidya)


YouTube चैनल लिंक-

यह श्रृंखला उत्तराखंड के छात्रों को वैश्विक नवाचार मंचों पर प्रतिस्पर्धा करने हेतु सक्षम बनाएगी। विद्यालयों में इसे छात्रों को दिखाना, विचार-विमर्श कराना और उन्हें अपनी परियोजनाओं पर काम करने के लिए प्रेरित करना अत्यंत आवश्यक है।

विद्यालयों में गुणवत्ता संवर्धन हेतु सामुदायिक सहभागिता पर केंद्रित एक शोध अध्ययन – समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत SMC प्रशिक्षण की प्रभावशीलता का मूल्यांकन : सुनिल भट्ट

विद्यालयों की समग्र गुणवत्ता और सार्वभौमिक विकास को सुनिश्चित करने हेतु केवल शैक्षिक प्रयास पर्याप्त नहीं हैं, जब तक कि विद्यालय समुदाय – विशेषकर विद्यालय प्रबंधन समिति (School Management Committee - SMC) – सक्रिय रूप से सहभागी न बने। इसी संदर्भ में, राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) उत्तराखंड के पाठ्यचर्या शोध एवं विकास विभाग से प्रवक्ता सुनील भट्ट द्वारा संपादित एक अत्यंत महत्वपूर्ण शोध अध्ययन प्रस्तुत किया गया है।

इस अध्ययन का शीर्षक है –
(“A Study on the Impact of Training Organised at Cluster Level for School Management Committee Members under Samagra Shiksha”)


अध्ययन का परिप्रेक्ष्य:

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020), शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE 2009), समग्र शिक्षा अभियान – सभी राष्ट्रीय दस्तावेज़ों में विद्यालय प्रबंधन समितियों को विद्यालय विकास की मूल इकाई के रूप में देखा गया है। SMC न केवल निगरानी संस्था है, बल्कि योजना निर्माण, क्रियान्वयन और मूल्यांकन तक की जिम्मेदारियों में इसकी भागीदारी सुनिश्चित की गई है।

समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत, SMC को सशक्त बनाने के लिए उन्हें प्रशिक्षण देना नितांत आवश्यक हो गया है – ताकि वे बच्चों के अधिकारों, समावेशी शिक्षा, डिजिटल इनिशिएटिव्स, संरचनात्मक विकास, और वित्तीय प्रबंधन जैसे विषयों पर सक्षम निर्णय ले सकें।

शोध के उद्देश्य:

  1. SMC सदस्यों की समग्र शिक्षा के अंतर्गत विभिन्न हस्तक्षेपों (यथा गणवेष, पुस्तकालय, निर्माण, डिजिटल पहल) की जानकारी का मूल्यांकन।

  2. RTE-2009 के प्रावधानों और उनके व्यवहारिक उपयोग की समझ।

  3. बाल अधिकार, शिकायत निवारण प्रणाली, सामाजिक लेखा परीक्षा पर जानकारी की स्थिति।

  4. SMC की भूमिका, गठन प्रक्रिया और कार्यान्वयन की स्थिति का अध्ययन।

  5. समावेशी शिक्षा, विद्यालय सुरक्षा और साइबर सुरक्षा पर सदस्यों की जागरूकता का विश्लेषण।

  6. विद्यालय के भौतिक और वित्तीय संसाधनों के प्रबंधन में SMC की भागीदारी का मूल्यांकन।

शोध पद्धति (Methodology):

  • समयावधि: प्रशिक्षण वर्ष 2018-19 से 2023-24 तक।

  • स्थान: उत्तराखंड के 5 जिले – अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, देहरादून, हरिद्वार।

    • 3 जिले (अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, उत्तरकाशी) पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्र से।

    • 2 जिले (देहरादून, हरिद्वार) मैदानी क्षेत्र से।

  • नमूना: 1020 विद्यालयों की SMC (520 दुर्गम, 500 सुगम क्षेत्र के स्कूल)।

  • संकुल: कुल 273 संकुल शामिल (प्रदेश में कुल 675 संकुल)।

  • डेटा संग्रहण: SMC अध्यक्ष, सदस्य, सचिव (प्रधानाध्यापक/प्रधानाचार्य), और एक शिक्षक सदस्य पर शोध उपकरण लागू किए गए।

मुख्य निष्कर्ष और अनुशंसाएँ:

यह अध्ययन बताता है कि क्लस्टर स्तरीय प्रशिक्षण से SMC सदस्यों की ज्ञान, भागीदारी, संवाद, और योजना निर्माण में स्पष्ट सकारात्मक बदलाव आए हैं। प्रशिक्षण ने अभिभावकों को विद्यालयीय प्रक्रिया का अभिन्न हिस्सा बनाया।

मुख्य सुझाव:

  1. नियमित प्रशिक्षण एवं फॉलोअप कार्यशालाएं सुनिश्चित की जाएं।

  2. राज्य/जिला स्तर पर अनुश्रवण प्रणाली को मज़बूत किया जाए।

  3. डिजिटल तकनीकों के प्रशिक्षण एवं स्कूलों में आईसीटी प्रणाली को बढ़ावा दिया जाए।

  4. आपदा प्रबंधन अभ्यास, बालिका शिक्षा और साइबर अपराध जैसे मुद्दों पर विशेष संवाद और जागरूकता अभियान चलाए जाएं।

  5. FLN और NIPUN भारत अभियानों में अभिभावकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित हो।

  6. टोल-फ्री नंबर और शिकायत निवारण प्रणाली का प्रचार-प्रसार एवं प्रभावी क्रियान्वयन।

  7. हरिद्वार जैसे जिलों में विशेष हस्तक्षेप और सामुदायिक रणनीति अपनाई जाए।

  8. मॉडल जिले जैसे पिथौरागढ़, देहरादून की कार्यशैली का दस्तावेजीकरण कर अन्य जिलों में लागू किया जाए।

  9. शिक्षक संवाद, ड्रॉपआउट पुनः नामांकन और गुणवत्ता युक्त शिक्षा पर सतत योजना बनाई जाए।

  10. SMC प्रशिक्षण के अनुश्रवण एवं मूल्यांकन को संस्थागत रूप से लागू किया जाए।

नीतिगत महत्व:

यह शोध NEP 2020 के उस मूल दृष्टिकोण का समर्थन करता है जिसमें विद्यालयों को समुदाय-आधारित इकाई के रूप में विकसित करने की बात की गई है। यह अध्ययन शिक्षा प्रशासन, नीति निर्माताओं और प्रशिक्षण संस्थानों के लिए मार्गदर्शक हो सकता है।

आभार ज्ञापन:

इस शोध अध्ययन को सफलतापूर्वक संपन्न करने में योगदान देने वाले सभी व्यक्तियों व संस्थानों के प्रति  सुनील भट्ट ने हार्दिक कृतज्ञता प्रकट की है। उन्होंने विशेष रूप से धन्यवाद ज्ञापित किया:

  •  बन्दना गर्व्याल – निदेशक, अकादमिक, शोध एवं प्रशिक्षण

  • पदमेन्द्र सकलानी – अपर निदेशक, SCERT

  • बंशीधर तिवारी – तत्कालीन राज्य परियोजना निदेशक

  • डॉ मुकुल कुमार सती – वर्तमान निदेशक, माध्यमिक शिक्षा, जिन्होंने मार्गदर्शन, संसाधन और नीति समर्थन प्रदान किया।

यह अध्ययन एक स्पष्ट संदेश देता है – विद्यालयों में गुणवत्ता संवर्धन के लिए सामुदायिक सहभागिता और SMC सदस्यों की प्रभावी भागीदारी अनिवार्य है।

क्लस्टर स्तरीय प्रशिक्षण ने SMC को विद्यालयी सुधार की रीढ़ बनाया है। यदि इन प्रशिक्षणों का सतत अनुश्रवण किया जाए, तो उत्तराखंड राज्य शिक्षा के क्षेत्र में समावेशी, उत्तरदायी और सशक्त भविष्य की ओर तेज़ी से बढ़ सकता है।

अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें

आभार एवं धन्यवाद ज्ञापन

इस शोध अध्ययन को सफलतापूर्वक संपन्न करने हेतु मैं सर्वप्रथम अपनी गहन कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ दीप्ति  सिंह  , महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा, उत्तराखंड के प्रति, जिनके प्रशासनिक सहयोग एवं मार्गदर्शन से यह कार्य सुचारु रूप से पूर्ण हो सका। साथ ही, मैं विशेष आभार प्रकट करता हूँ बन्दना गर्ब्याल, निदेशक, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, उत्तराखंड की दूरदर्शिता, सतत सहयोग और प्रेरणा के लिए, जिन्होंने इस शोध को दिशा प्रदान की।

इस अध्ययन में मार्गदर्शक के रूप में  पदमेन्द्र सकलानी, अपर निदेशक, एवं डॉ. के. एन. बिजल्वाण, सहायक निदेशक, राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, उत्तराखंड के अमूल्य सुझाव और सतत प्रेरणा के लिए मैं उनका विशेष आभारी हूँ। शोध अध्ययन के समन्वय, उपकरण निर्माण एवं परिष्करण कार्य में  सुनील दत्त भट्ट तथा गोपाल घुगत्याल  प्रवक्ता, राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, उत्तराखंड ने अत्यंत प्रभावी भूमिका निभाई, जिनका मैं विशेष धन्यवाद करता हूँ।

साथ ही, मैं निम्नलिखित टूल निर्माण एवं परीक्षण टीम के सदस्यों के प्रति भी हार्दिक आभार प्रकट करता हूँ, जिन्होंने इस शोध के तकनीकी पक्ष को सशक्त बनाने में योगदान दिया:

  • डॉ दिनेश रतुड़ी , प्रवक्ता, एस.सी.ई.आर.टी., देहरादून

  • डॉ. राकेश गैरोला , प्रवक्ता, एस.सी.ई.आर.टी., देहरादून

  • संजय भट्ट , प्रवक्ता डाइट बड़कोट उत्तरकाशी 

  • सुब्रा  सिंघल, प्रवक्ता, एस.सी.ई.आर.टी., देहरादून

  • प्रिया गुसाईं, प्रवक्ता, एस.सी.ई.आर.टी., देहरादून

  • अनुज्ञा पैन्यूली, प्रवक्ता, एस.सी.ई.आर.टी., देहरादून

  • सुनीता बड़ोनी, प्रवक्ता, डायट देहरादून

  • आदि कई अन्य साथी 

इन सभी विद्वानों, प्रशिक्षकों, शिक्षाविदों और क्षेत्रीय सहयोगियों का सहयोग इस शोध को गुणवत्तापूर्ण स्वरूप देने में अत्यंत महत्वपूर्ण रहा। मैं पुनः सभी के प्रति हार्दिक आभार प्रकट करता हूँ।

Tuesday, July 29, 2025

NEP 2020@5 : अखिल भारतीय शिक्षा समागम 2025 में उत्तराखंड की गरिमामयी भागीदारी

 

29 जुलाई 2025 को नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में आयोजित अखिल भारतीय शिक्षा समागम 2025 (ABSS 2025) में पूरे देश भर से शिक्षाविद, नीति निर्माता, और शिक्षकों ने भाग लिया। यह समागम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के पांच वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित किया गया, जिसमें शिक्षा के विविध पहलुओं पर विमर्श हुआ।

उत्तराखंड की प्रतिनिधित्व टीम और सम्मान

उत्तराखंड की ओर से इस महत्त्वपूर्ण आयोजन में शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के नेतृत्व में एक प्रतिष्ठित प्रतिनिधिमंडल ने भाग लिया। उनके साथ ही समग्र शिक्षा अभियान के अपर परियोजना निदेशक  कुलदीप गैरोला तथा राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त शिक्षक और नेशनल मेंटर मिशन (NMM) के सदस्य शामिल रहे।


राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT), उत्तराखंड द्वारा दिनांक 26 जुलाई 2025 को जारी आदेश संख्या-67 के अनुसार, जिन शिक्षकों ने राज्य का प्रतिनिधित्व किया, वे हैं:

  •  रमेश प्रसाद बडोनी, SCERT उत्तराखंड, देहरादून
  • दौलत सिंह गुसाईं, राजकीय इंटर कॉलेज सौंली कोडिया, पौड़ी गढ़वाल

  •  राखी पांडे, डाइट देहरादून

  •  कौस्तुभ जोशी, राजकीय इंटर कॉलेज प्रतापपुर, नैनीताल

  • कुसुमलता गड़िया, राजकीय प्राथमिक विद्यालय बीना, चमोली


इस आयोजन में SCERT के पूर्व अपर निदेशक प्रदीप रावत भी सम्मिलित रहे।

मुख्य आयोजन और गतिविधियाँ

समागम का शुभारंभ डॉ. के. कस्तूरीरंगन को श्रद्धांजलि अर्पित कर हुआ, जो NEP 2020 की प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे। प्रदर्शनी का उद्घाटन, सभी माननीय मंत्रियों का सामूहिक छायाचित्र, और स्वागत गीत जैसी सांस्कृतिक गतिविधियाँ प्रारंभिक सत्र में आयोजित की गईं।


कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का नाम मुख्य अतिथि के रूप में था, किंतु अन्य अत्यावश्यक व्यस्तताओं के कारण वे उपस्थित नहीं हो सके।

विषयगत सत्र (Thematic Sessions)

इस समागम में विभिन्न विषयगत सत्रों का आयोजन हुआ, जिनमें देशभर से शिक्षाविदों और विशेषज्ञों ने विचार साझा किए:

  1. भारतीय भाषाओं का शिक्षण-अधिगम में प्रयोग
    (नेतृत्व में: प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे, प्रो. एम. जगदीश कुमार आदि)

  2. अनुसंधान और पीएमआरएफ युवा नेतृत्व को बढ़ावा
    (आईआईटी, दिल्ली विश्वविद्यालय और FITT के वरिष्ठ वक्ताओं द्वारा)

  3. माध्यमिक शिक्षा का पुनर्परिचालन 2030 तक 100% GER का लक्ष्य
    (संजय कुमार, सचिव SE&L द्वारा संचालन)

  4. शिक्षा के लिए AI आधारित COEअध्यापन-प्रणाली में परिवर्तन
    (आईआईटी मद्रास, खान अकादमी, Wadhwani AI आदि के विशेषज्ञों द्वारा)

समापन समारोह (Valedictory Session)

समापन सत्र में केंद्रीय शिक्षा मंत्री  धर्मेंद्र प्रधान, केंद्रीय राज्य मंत्री  जयंत चौधरी, और डॉ. सुकांत मजूमदार (राज्य मंत्री, शिक्षा व पूर्वोत्तर) ने प्रेरणादायक उद्बोधन दिए। इस सत्र में विषयगत सत्रों की संक्षिप्त प्रस्तुति और भविष्य की दिशा पर प्रकाश डाला गया।

उत्तराखंड की भूमिका और प्रेरणा

इस महत्त्वपूर्ण मंच पर उत्तराखंड के शिक्षक प्रतिनिधियों की भागीदारी, राज्य के शिक्षा क्षेत्र की उन्नति और राष्ट्रीय नीति में सहभागिता का प्रतीक रही। राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों और मेंटर मिशन सदस्यों की सक्रिय उपस्थिति ने राज्य की पहचान को और सशक्त किया।

यह समागम न केवल बीते पाँच वर्षों की उपलब्धियों का उत्सव था, बल्कि यह भारत की शिक्षा प्रणाली को वैश्विक मानकों तक पहुंचाने के लिए एक नया रोडमैप भी प्रस्तुत करता है। उत्तराखंड की ओर से की गई सहभागिता एक प्रेरणास्पद उदाहरण है कि कैसे शिक्षक और नीति निर्माता मिलकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति को धरातल पर उतार सकते हैं।

राज्य अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण  निदेशक डॉ. बन्दना गर्ब्याल ने प्रतिभागी टीम को शुभकामनाएँ देते हुए कहा,

"NEP 2020 के पांच वर्षों की यह यात्रा केवल नीतिगत प्रगति नहीं, बल्कि जमीनी नवाचारों की बुनियाद रही है। अब समय है कि हम ‘कार्य योजना 2030’ के दृष्टिकोण से आगे बढ़ें और समावेशी, नवाचारी और भारत-केन्द्रित शिक्षा प्रणाली को मजबूती दें।"

SCERT के अपर निदेशक पद्मेन्द्र सकलानी ने भी टीम को अपनी शुभकामनाएँ दीं और इसे उत्तराखंड के शिक्षकों के लिए प्रेरणादायक अवसर बताया, जो उन्हें राष्ट्रीय स्तर की शैक्षिक प्रक्रियाओं से जुड़ने का मंच प्रदान करता है।



NEP@5 पर देश के कुछ महत्वपूर्ण कदम

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के पांच वर्षों में देश ने स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक अनेक परिवर्तनकारी कदम उठाए हैं। फाउंडेशनल लिटरेसी और न्यूमरसी (FLN) को मिशन मोड में लागू करते हुए निपुण भारत अभियान की शुरुआत हुई, जिससे कक्षा 3 तक के बच्चों में बुनियादी दक्षताओं पर ज़ोर दिया गया। भारतीय भाषाओं के माध्यम से शिक्षण को बढ़ावा देने के लिए भारतीय भाषा समिति और भाषा संसाधन केन्द्रों की स्थापना की गई। मल्टीडिसिप्लिनरी उच्च शिक्षा को सुदृढ़ करते हुए अनेक संस्थानों को एकीकृत विश्वविद्यालयों में परिवर्तित किया गया और विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग के लिए LoI (Letter of Intent) प्रदान किए गए। शिक्षक प्रशिक्षण, डिजिटल कंटेंट निर्माण, एकलव्य मॉडल स्कूल, स्कूलों का एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट, और एआई आधारित शिक्षण तकनीकों का समावेश भी इन वर्षों में देखने को मिला। NEP के इन प्रयासों ने शिक्षा को अधिक समावेशी, लचीला और भारत-केंद्रित बनाने की दिशा में ठोस नींव रखी है।

एनईपी@5: एडीआईपी-एसएसए योजना पर कार्यशाला का आयोजन, 13 जनपदों के शिक्षक व दिव्यांग बच्चे हुए शामिल

 

देहरादून, 29 जुलाई 2025

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) की 5वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में अखिल भारतीय शिक्षा समागम के अंतर्गत एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एम्पावरमेंट ऑफ पर्सन्स विद विजुअल डिसएबिलिटीज़ (NIEPVD), देहरादून में किया गया। कार्यशाला का मुख्य विषय था एडीआईपी-एसएसए योजना का प्रभावी क्रियान्वयन


इस कार्यशाला का आयोजन समग्र शिक्षा उत्तराखंड एवं आर्टिफिशियल लिम्ब्स मैन्युफैक्चरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (ALIMCO) के संयुक्त तत्वावधान में किया गया, जबकि दिव्यांगजन सशक्तिकरण राष्ट्रीय संस्थान (NIEPVD), देहरादून ने इसमें सहयोग प्रदान किया।


कार्यक्रम की अध्यक्षता  बंदना गर्ब्याल, निदेशक, शैक्षिक शोध एवं प्रशिक्षण  ने की। अपने स्वागत भाषण में उन्होंने सभी प्रतिभागियों को एनईपी 2020 के 5 वर्षों की उपलब्धियों पर बधाई दी और समावेशी शिक्षा को नीति का मूल आधार बताया। उन्होंने सभी अधिकारियों व शिक्षकों से आग्रह किया कि वे एनईपी 2020 के तहत निर्धारित समयसीमा के अनुरूप कार्य करना सुनिश्चित करें।

इस अवसर पर कई वरिष्ठ अधिकारियों ने भी कार्यशाला में सक्रिय प्रतिभागिता की, जिनमें प्रमुख रूप से पद्मेन्द्र सकलानी, अपर निदेशक, समग्र शिक्षा उत्तराखंड; अजीत भंडारी,अंजुम फातिमा एवं पल्लवी नैन, उप राज्य परियोजना निदेशक शामिल रहे।

इन सभी अधिकारियों ने दिव्यांगजनों की शिक्षा हेतु सहायक उपकरणों, पहुंच योग्य पाठ्य सामग्री तथा शिक्षक प्रशिक्षण पर बल दिया।

13 जनपदों के शिक्षक और दिव्यांग बच्चे बने सहभागी

कार्यशाला में उत्तराखंड के सभी 13 जनपदों से शिक्षक एवं विशेष आवश्यकता वाले बच्चे (CWSN) उपस्थित रहे। शिक्षकों ने समावेशी शिक्षा के अपने अनुभव साझा किए और विभिन्न शिक्षण-सहायक उपकरणों की जानकारी प्राप्त की।


वहीं बच्चों के लिए स्पॉट असेसमेंट, उपकरण प्रदर्शन एवं परामर्श सत्र आयोजित किए गए, जिससे वे और उनके अभिभावक लाभान्वित हुए। बच्चों की सक्रिय भागीदारी ने इस आयोजन को जीवंत और एनईपी के समावेशी दृष्टिकोण का सच्चा प्रतीक बना दिया। इस कार्यशाला मे राज्य की NEP 2020 के विगत वर्षों की मुख्य उपलब्धियों पर भी प्रस्तुतीकरण दिया गया । 

मुख्य चर्चा विषय

  • एडीआईपी योजना के सुचारु कार्यान्वयन हेतु बहविभागीय समन्वय
  • दिव्यांग छात्रों के लिए सहायक तकनीकों और संसाधनों की पहुंच
  • समग्र शिक्षा के अंतर्गत समावेशी अधोसंरचना का विकास
  • शिक्षकों और संसाधन व्यक्तियों के क्षमता विकास
  • एनईपी 2020 के लक्ष्यों के अनुरूप राज्य स्तरीय योजनाओं का संरेखण


कार्यशाला का समापन एक सशक्त संकल्प के साथ हुआ कि उत्तराखंड में कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे।  बंदना गर्ब्याल ने सभी से आह्वान किया कि –

“केवल एनईपी की वर्षगांठ मनाना ही नहीं, बल्कि इसकी समावेशी सोच को धरातल पर उतारना हम सभी की ज़िम्मेदारी है।” यह आयोजन समावेशी शिक्षा की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है, जो आने वाले वर्षों में और अधिक प्रभावशाली परिणाम देगा।

Sunday, July 27, 2025

उत्तराखंड के राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त शिक्षक और नेशनल मेन्टर मिशन शिक्षक करेंगे 'अखिल भारतीय शिक्षा समागम 2025' में सहभागिता

स्रोत:भारत सरकार पोर्टल 

देहरादून, 28 जुलाई 2025

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) की 5वीं वर्षगांठ के अवसर पर, भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा 29 जुलाई 2025 को अखिल भारतीय शिक्षा समागम 2025 का आयोजन भारत मंडपम, प्रगति मैदान, नई दिल्ली में किया जा रहा है। इस ऐतिहासिक आयोजन का उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया जाएगा।

इस कार्यक्रम में उत्तराखंड के चयनित राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त शिक्षक और नेशनल मेन्टर मिशन शिक्षक राज्य का प्रतिनिधित्व करेंगे। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT), उत्तराखंड द्वारा जारी कार्यालय आदेश संख्या-67 दिनांक 26 जुलाई 2025 के अनुसार निम्नलिखित शिक्षक प्रतिभाग करेंगे:

  • रमेश प्रसाद बडोनी, एस सी ई आर टी उत्तराखंड , देहरादून
  • दौलत सिंह गुसाईं, राजकीय इंटर कॉलेज सऔली कोडीया , पौड़ी, पौड़ी गढ़वाल
  • राखी पांडे डाइट देहरादून उत्तराखंड
  • कौसतुब जोशी, राजकीय इंटर कॉलेज प्रतापपुर नैनीताल
  • कुसुमलता गडीया, राजकीय प्राथमिक विद्यालय बीना चमोली

उत्तराखंड की अकादमिक निदेशक बन्दना गर्ब्याल ने कहा कि यह कार्यक्रम शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे नवाचार, डिजिटल परिवर्तन, समावेशी शिक्षा, एवं नीति-निर्माण के क्षेत्र में शिक्षकों की भूमिका को रेखांकित करने वाला महत्वपूर्ण मंच है। इन चयनित शिक्षकों को उनके नवाचार, उत्कृष्ट शिक्षण कार्य और समाज में सकारात्मक प्रभाव के लिए राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

अपर निदेशक पदमेन्द्र सकलानी महानिदेशक उत्तराखंड कार्यालय द्वारा नामित इन शिक्षकों की भागीदारी न केवल प्रदेश के लिए गर्व की बात है, बल्कि यह समस्त शिक्षकों और विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत भी बनेगी।

स्रोत:भारत सरकार पोर्टल 

Monday, July 21, 2025

चार नए ICT वर्चुअल स्टूडियो शीघ्र ही उत्तराखंड में — तकनीकी शिक्षा की ओर एक बड़ा कदम

 

उत्तराखंड शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक पहल की ओर अग्रसर है। राज्य में जल्द ही चार नए ICT (सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी) वर्चुअल स्टूडियो स्थापित और लॉन्च किए जा रहे हैं। यह स्टूडियो शिक्षकों और छात्रों के लिए तकनीकी नवाचारों का केंद्र बनेंगे, जहाँ से रियल टाइम में ई-कंटेंट प्रसारण, डिजिटल प्रशिक्षण और मूल्यांकन जैसी सुविधाएं संभव होंगी।

उच्च तकनीकी स्टूडियो:

इन स्टूडियोज़ को अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित किया जा रहा है। इनमें RAT (Real-Time Assessment Technology) की व्यवस्था की गई है, जो छात्रों के रियल-टाइम मूल्यांकन और मॉनिटरिंग को संभव बनाएगी।

  • 850 से अधिक नए सरकारी विद्यालयों को इन स्टूडियोज़ के माध्यम से जोड़ा जाएगा।

  • वर्तमान में, राज्य के 500+ विद्यालय पहले से ही तीन कार्यरत वर्चुअल स्टूडियो के माध्यम से लाभान्वित हो रहे हैं।


उद्देश्य:

  • छात्रों को गुणवत्तापूर्ण डिजिटल सामग्री उपलब्ध कराना

  • शिक्षकों को आभासी प्रशिक्षण एवं समर्थन देना

  • मूल्यांकन की प्रक्रिया को पारदर्शी और तकनीकी बनाना

  • दूरदराज़ क्षेत्रों तक तकनीक की पहुँच सुनिश्चित करना

विभागीय अधिकारियों की समीक्षा यात्रा:

आज माध्यमिक शिक्षा विभाग, समग्र शिक्षा, और SCERT उत्तराखंड के वरिष्ठ अधिकारियों ने इन वर्चुअल स्टूडियोज़ की स्थापना स्थलों का निरीक्षण किया। उन्होंने कार्य की प्रगति की समीक्षा की, और शीघ्र क्रियान्वयन हेतु रणनीतियाँ बनाई।


यह पहल न केवल छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच देने में मदद करेगी, बल्कि शिक्षकों के डिजिटल कौशल में भी वृद्धि करेगी। ICT स्टूडियो के माध्यम से अब शिक्षक दूरस्थ रूप से प्रशिक्षण प्राप्त कर सकेंगे, और राज्यभर में एक समान डिजिटल शैक्षिक अनुभव सुनिश्चित हो सकेगा।

अपेक्षित लाभ:

  • रियल टाइम मूल्यांकन के माध्यम से व्यक्तिगत रूप से छात्रों की समझ की पहचान

  • इंटरैक्टिव और विज़ुअल लर्निंग की सुविधा

  • शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि

  • समान शैक्षणिक अवसर राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों तक


उत्तराखंड का यह प्रयास तकनीक आधारित शिक्षा की दिशा में एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है। जब चार नए वर्चुअल स्टूडियो पूर्णतः क्रियाशील होंगे, तब यह पूरे राज्य में डिजिटल शिक्षा की पहुँच को और अधिक सशक्त बनाएगा।

समग्र शिक्षा और शिक्षा विभाग के समन्वित प्रयासों से यह परियोजना जल्द ही वास्तविक रूप ले रही है — यह एक बड़ा और सकारात्मक परिवर्तन का संकेत है।


ICT वर्चुअल स्टूडियो में प्रयुक्त प्रमुख तकनीकें: क्या करती हैं और कैसे लाभकारी हैं?

RAT (Real-Time Assessment Technology):

यह तकनीक क्या करती है:
RAT तकनीक छात्रों के उत्तरों, भागीदारी और प्रदर्शन का रियल-टाइम में विश्लेषण करने में सक्षम होती है। यह तकनीक ऑटोमेटिक मूल्यांकन, डेटा एनालिटिक्स और रिपोर्ट जेनरेशन के माध्यम से शिक्षकों को यह जानने में मदद करती है कि कौन-सा छात्र किस विषयवस्तु को समझ पा रहा है और किसे नहीं।

मुख्य लाभ:

  • छात्र की समझ का तुरंत मूल्यांकन

  • डेटा-आधारित फीडबैक शिक्षकों को

  • धीमे सीखने वाले बच्चों की पहचान और मदद

  • व्यक्तिगत लर्निंग प्लान तैयार करने में मदद

स्टूडियो ब्रॉडकास्टिंग तकनीक (Live Interactive Streaming):

यह तकनीक क्या करती है:
इससे एक ही स्थान (ICT स्टूडियो) से सैकड़ों स्कूलों तक लाइव कक्षाएं, शिक्षक प्रशिक्षण, वेबिनार आदि प्रसारित किए जा सकते हैं। यह इंटरैक्टिव होती है जिसमें छात्र-शिक्षक संवाद भी संभव होता है।

मुख्य लाभ:

  • एक विशेषज्ञ शिक्षक सैकड़ों स्कूलों को एक साथ पढ़ा सकता है

  • दूरस्थ क्षेत्रों तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की पहुँच

  • लाइव प्रश्नोत्तर सत्र से सीखने की गुणवत्ता में वृद्धि

डिजिटल कंटेंट इंटीग्रेशन सिस्टम:

यह तकनीक क्या करती है:
NCERT/SCERT पाठ्यक्रमानुसार वीडियो लेक्चर, एनिमेशन, क्विज़, पीडीएफ आदि डिजिटल सामग्री को एकीकृत करके छात्रों तक पहुँचाना।

मुख्य लाभ:

  • विषयवस्तु की गहराई से समझ

  • दृश्य और श्रव्य माध्यम से बेहतर सीख

  • छात्रों की रुचि और सक्रिय भागीदारी में वृद्धि

Teacher Monitoring & Performance Dashboard:

यह तकनीक क्या करती है:
शिक्षकों की उपस्थिति, पढ़ाने की गुणवत्ता, सामग्री की समयबद्धता आदि का ट्रैक रखने हेतु डैशबोर्ड आधारित मॉनिटरिंग प्रणाली।

मुख्य लाभ:

  • शिक्षक की गतिविधियों की निगरानी

  • उत्तरदायित्व और पारदर्शिता

  • प्रशिक्षण की आवश्यकताओं की पहचान

Cloud-Based Lesson Recording & Archiving:

यह तकनीक क्या करती है:
हर स्टूडियो सत्र को रिकॉर्ड कर क्लाउड पर संग्रहित किया जाता है जिससे छात्र बाद में भी उन्हें देख सकें।

मुख्य लाभ:

  • पढ़ाई कभी भी, कहीं भी संभव

  • पुनरावृत्ति और स्व-अध्ययन में सहायक

  • शिक्षक प्रशिक्षण के लिए रेफरेंस सामग्री

उत्तराखंड के ICT वर्चुअल स्टूडियो न केवल पढ़ाने का तरीका बदल रहे हैं, बल्कि शिक्षा को डेटा-संचालित, उत्तरदायी और व्यक्तिगत बना रहे हैं। यह तकनीकें मिलकर एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म तैयार कर रही हैं जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को लोकतांत्रिक तरीके से सभी छात्रों तक पहुँचा रही हैं – विशेषकर दूरस्थ, सीमांत और पर्वतीय क्षेत्रों में।

Friday, July 18, 2025

नवाचार और डिज़ाइन थिंकिंग विडिओ सीरीज से स्कूली शिक्षा मे नवप्रयास

 

एससीईआरटी उत्तराखंड, नवम फाउंडेशन एवं अगस्त्य इंटरनेशनल के संयुक्त प्रयास से शुरू की गई “Innovation & Design Thinking Video Series” राज्य के प्रत्येक विद्यालय तक पहुँचने के लिए तैयार है। इस विशेष शैक्षिक श्रृंखला का उद्देश्य है – छात्रों और शिक्षकों में नवाचार की भावना विकसित करना, रचनात्मक सोच को प्रोत्साहित करना तथा 21वीं सदी के कौशलों का निर्माण करना।

सीरीज का शुभारंभ और प्रसारण

इस वीडियो श्रृंखला का सीधा प्रसारण 16 जुलाई 2025 से PM eVidya चैनलों पर 24x7 किया जा रहा है:

           चैनल 1 – कक्षा 6 से 8 के लिए

        चैनल 2 – कक्षा 9–10 के लिए

        चैनल 3 – कक्षा 11–12 के लिए

        चैनल 4 – कक्षा 11–12 के लिए (वैकल्पिक/पूरक)

YouTube पर भी उपलब्ध:

शृंखला के उद्देश्य

  • नवाचार आधारित शिक्षा को कक्षा शिक्षण से जोड़ना

  • समस्याओं को हल करने की सोच को विकसित करना

  • शिक्षकों और छात्रों को डिज़ाइन थिंकिंग के कौशल प्रदान करना

  • नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार कौशल आधारित शिक्षा को बढ़ावा देना

शिक्षा अधिकारियों की प्रेरणादायक अपील

निदेशक (अकादमिक)  बंदना गर्ब्याल ने सभी अधिकारियों और जिला स्तरीय शिक्षण संस्थानों को यह निर्देश दिए हैं कि वे इस वीडियो शृंखला को राज्य के प्रत्येक विद्यालय में अनिवार्य रूप से प्रसारित करें और इसे शैक्षणिक गतिविधियों का हिस्सा बनाएं।

अपर निदेशक  पद्मेन्द्र सकलानी ने इसे उत्तराखंड में नवाचार आधारित शिक्षा का एक नया शुभारंभ बताया और आशा जताई कि इससे राज्य में शिक्षण की गुणवत्ता और छात्रों की सृजनात्मक क्षमता में उल्लेखनीय सुधार होगा।

तकनीकी सहयोग और मूल्यांकन

इस शृंखला के तकनीकी समन्वयक रमेश बडोनी (आई.टी. विभाग, एससीईआरटी) हैं, जिनसे अधिक जानकारी के लिए संपर्क किया जा सकता है: +91 7906411210

विद्या समीक्षा केंद्र, उत्तराखंड इस शृंखला की दर्शकों की सहभागिता और प्रभाव पर निगरानी रखेगा और नियमित रूप से रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।🌱 उत्तराखंड के लिए एक रचनात्मक कदम

"Unlock Innovation, Ignite Ideas!" केवल एक नारा नहीं, बल्कि यह शृंखला उत्तराखंड के छात्रों को वैश्विक सोच, स्थानीय क्रियान्वयन की दिशा में अग्रसर करती है।

विस्तृत जानकारी के लिए:

📌 हर विद्यालय, हर कक्षा में नवाचार की बात करें — वीडियो श्रृंखला को देखें, विचार करें, और नवप्रयास करें!

Wednesday, July 16, 2025

शिक्षा की नींव मजबूत करने की ओर एक प्रेरक पहल – शिक्षक राकेश बसु जी का अभिनव योगदान

 
"5+3+3+4 = फर्स्ट 5: शिक्षा की नींव"

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) में सबसे पहला और महत्वपूर्ण चरण – प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (Early Childhood Care and Education - ECCE) को प्राथमिकता दी गई है। नीति स्पष्ट करती है कि 3-6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए मुफ्त, सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और देखभाल सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है, ताकि बच्चों की सीखने की नींव मज़बूत की जा सके।

इसी भावना को साकार कर रहे हैं जनपद चंपावत के समर्पित शिक्षक राकेश बसु, जो न केवल प्राथमिक विद्यालय में शिक्षा दे रहे हैं, बल्कि अपने विद्यालय से जुड़े आंगनवाड़ी केंद्र में भी निरंतर सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। राकेश जी बच्चों के मानसिक, शारीरिक एवं भावनात्मक विकास के लिए आंगनवाड़ी में आनंददायी गतिविधियाँ करवाते हैं, जिससे बच्चों को शिक्षा से जुड़ने का अवसर भी मिल रहा है।

उनका यह प्रयास सराहनीय इसलिए भी है क्योंकि:

  • बच्चों का सर्वांगीण विकास: राकेश जी द्वारा किए जा रहे रचनात्मक कार्यों से बच्चों में विश्वास, भाषा, संवेदनशीलता और समन्वय कौशल विकसित हो रहे हैं।
  • शिक्षा की मजबूत नींव: खेल-आधारित और अनुभवजन्य शिक्षा से बच्चे भविष्य की औपचारिक शिक्षा के लिए तैयार हो रहे हैं।
  • समुदाय की भागीदारी: इस प्रयास से अभिभावक और समुदाय भी जागरूक हो रहे हैं, जिससे विद्यालय और आंगनवाड़ी के बीच समन्वय बेहतर हो रहा है।

यह पहल न केवल बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाती है कि यदि हम पहली कड़ी (ECCE) को मजबूत करेंगे, तभी NEP 2020 की सफलता सुनिश्चित होगी।

राकेश बसु जी को नमन!
उनका यह प्रयास उत्तराखंड सहित पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है। हमें ऐसे शिक्षकों की सराहना करनी चाहिए और उनके प्रयासों को नीति के स्तर तक पहुँचाना चाहिए, ताकि हर विद्यालय में ECCE और आंगनवाड़ी के बीच सहयोग बढ़ सके।

देखें यह प्रेरणादायी वीडियो:
एस सी ई आर टी प्रवक्ता सुनील भट्ट जी ने इस अवसर पर Rakesh Ji को याद किया - शिक्षा की नींव मजबूत हो, तभी राष्ट्र का निर्माण हो।