Wednesday, November 06, 2024

रियल टाइम डिजिटल उपकरणों के माध्यम से समृद्ध शिक्षण अनुभव – KRP और MT प्रशिक्षण सत्र की एक झलक

 
आज दूसरे सेशन मे : आयोजित KRP (Key Resource Persons) और MT (Master Trainers) प्रशिक्षण सत्र में डिजिटल उपकरणों और शिक्षण विधियों पर केंद्रित गहन सत्र हुए, जिसमें आई टी विभाग के प्रवक्ता  रमेश बडोनी ने सहभागियों को शिक्षण को अधिक रोचक और प्रभावी बनाने के कई तरीकों से परिचित कराया। सत्र में प्रतिभागियों को तकनीकी उपकरणों के उपयोग, सामग्री निर्माण और कक्षा में छात्रों की सहभागिता बढ़ाने के बारे में व्यापक जानकारी दी गई।

प्रमुख बिंदु:

  1. गूगल उपकरणों का कुशल उपयोग:  संदर्भदाता ने  Google Presentations और Google Docs का उपयोग करके प्रभावी शिक्षण योजनाएँ बनाने, साझा करने और उनके माध्यम से रोचक पाठ प्रस्तुत करने के तरीके सिखाए। उन्होंने 5E (Engage, Explore, Explain, Elaborate, Evaluate) मॉडल पर आधारित शिक्षण योजनाओं को बनाने की प्रक्रिया पर भी चर्चा की, जिससे कक्षा में छात्रों की सहभागिता और समझ को बढ़ावा मिलता है।

  2. सिमुलेशन और इंटरएक्टिव गतिविधियाँ: तकनीक का उपयोग कर कक्षा में इंटरेक्टिव और सिमुलेटिव तरीके से पाठ्यक्रम प्रस्तुत करने पर जोर दिया गया। संदर्भदाता ने Geogebra, PhET, और Quizizz जैसे उपकरणों का उपयोग कर छात्रों को ऑनलाइन एनिमेशन, वीडियो, और ऑडियो के माध्यम से कठिन विषयों को समझाने के तरीके बताए। इन डिजिटल साधनों से शिक्षण न केवल सरल बल्कि अधिक आकर्षक बन जाता है।

  3. साइबर एथिक्स और इंटरनेट सुरक्षा: सत्र में इंटरनेट के सुरक्षित उपयोग और साइबर एथिक्स के महत्व को भी रेखांकित किया गया। इंटरनेट का सुरक्षित उपयोग कैसे सुनिश्चित करें, इसके लिए आवश्यक सुझाव दिए गए ताकि शिक्षक और छात्र दोनों एक सुरक्षित डिजिटल वातावरण में कार्य कर सकें।

  4. प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी: संदर्भदाता ने विभिन्न उदाहरणों (exemplars) और गतिविधियों के माध्यम से प्रतिभागियों को सत्र में भागीदारी करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कुछ उदाहरणात्मक गतिविधियाँ करवाईं, जिससे प्रतिभागियों को तकनीकी उपकरणों को कक्षा में लागू करने के व्यावहारिक पहलुओं की जानकारी मिली और उन्हें छात्रों के साथ इन टूल्स का उपयोग कर पाठ को रोचक बनाने की प्रेरणा मिली।


अंतिम विचार: इस सत्र में प्रतिभागियों ने डिजिटल उपकरणों का कुशलता से उपयोग कर रोचक और समृद्ध पाठ योजनाएँ बनाने, सामग्री साझा करने और कक्षा में सक्रियता बढ़ाने के अनगिनत नए तरीके सीखे। आज के सत्र ने न केवल शिक्षकों की तकनीकी समझ बढ़ाई बल्कि उन्हें एक सुरक्षित और प्रभावी शिक्षण वातावरण बनाने की दिशा में आगे बढ़ने का आत्मविश्वास भी दिया। कार्यक्रम समन्वयक रमेश पंत और डॉ राकेश गैरोला ने प्रतिभागियों से सतत सत्र इनरैक्शन के लिए ट्रैनर को प्रोत्साहित किया । 


#DigitalTeaching #KRPTraining #InteractiveLearning #RameshBadoni #5EModel

सत्र  ट्रैनिंग के सम्पूर्ण विषय जानकारी के लिए यहाँ  क्लिक करें -



Tuesday, November 05, 2024

एससीईआरटी उत्तराखंड द्वारा शिक्षकों के लिए तैयार है पहला MOOCs "Fundamentals of ICT Tools for School Teachers" विद्या समीक्षा केंद्र में होगा लॉन्च – महानिदेशक झरना कमठान करेंगी उद्घाटन

एससीईआरटी, उत्तराखण्ड में एक नई और महत्वपूर्ण पहल की शुरुआत की जा रही है। महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा, झरना कमठान द्वारा ई सृजन बॅाट् - विद्या समीक्षा केंद्र उत्तराखण्ड से "Fundamentals of ICT Tools for School Teachers" नामक पहले MOOCs (Massive Open Online Courses) को लॉन्च किया जाएगा। यह कोर्स विशेष रूप से स्कूल शिक्षकों के लिए डिज़ाइन किया गया है, ताकि उन्हें ICT उपकरणों और तकनीकी संसाधनों का सही उपयोग सिखाया जा सके, जो उनकी शैक्षिक कार्यप्रणाली को और अधिक प्रभावी और आधुनिक बना सके।

यह कोर्स निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण; बन्दना गर्ब्याल के नेतृत्व में तैयार किया गया है। अपर निदेशक अजय नौड़ियाल के निर्देशन और आई टी विभाग के द्वारा यह कोर्स डिजाइन किया गया है जो अब सभी शिक्षकों के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है, ताकि शिक्षक ICT (सूचना और संचार प्रौद्योगिकी) के बुनियादी उपकरणों और उनके उपयोग को सीख सकें और अपनी कक्षाओं में इन्हें बेहतर तरीके से लागू कर सकें। इस कोर्स का उद्देश्य शिक्षकों को डिजिटल शिक्षा के प्रति जागरूक और सक्षम बनाना है, जिससे छात्रों को  सीखने और सिखाने  की प्रक्रिया और अधिक आकर्षक और प्रभावी बन सके।

अपर निदेशक एस सी इ आर टी ; आशा रानी पैन्यूली ने कहा कि इस पहल से  MOOCs कोर्स शिक्षकों को डिजिटल साक्षरता, ऑनलाइन पाठ्य सामग्री, वर्चुअल कक्षा प्रबंधन, और अन्य आधुनिक तकनीकी उपकरणों के साथ अद्यतन रहने का अवसर प्रदान करेगा। इस पहल के माध्यम से एससीईआरटी उत्तराखण्ड ने NEP 2020 के तहत शिक्षा के क्षेत्र में तकनीकी एकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जो राज्य के शिक्षकों को डिजिटल उपकरणों के माध्यम से शिक्षण विधियों को सशक्त बनाने का अवसर देगा।

आयोजक- बंदना गर्ब्याल निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण उत्तराखण्ड

Zoom लिंक- https://us02web.zoom.us/j/81245208042

लाइव प्रसारण यूट्यूब लिंक-

https://www.youtube.com/live/IHhCbjz4Pak?feature=shared

आशा रानी पैन्यूली ने संभाला एससीईआरटी के अपर निदेशक का कार्यभार, निदेशक बन्दना गर्ब्याल ने दी शुभकामनाएं, सभी अधिकारी और संकाय सदस्यों ने बधाई दी

 एससीईआरटी, उत्तराखंड में आशा रानी पैन्यूली ने अपर निदेशक के पद का कार्यभार संभाल लिया है। यह अवसर एससीईआरटी के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है, क्योंकि अब संस्थान के संचालन में नया नेतृत्व और दिशा मिलने जा रही है। इस पदभार ग्रहण समारोह में निदेशक बन्दना गर्ब्याल ने उन्हें शुभकामनाएं दीं और उनकी नेतृत्व क्षमता के प्रति विश्वास व्यक्त किया।

निदेशक बन्दना गर्ब्याल ने आशा रानी पैन्यूली को उनके नए पद की बधाई दी और उन्हें संस्थान के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा, “आपका अनुभव और समर्पण एससीईआरटी को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने में मदद करेगा।

इस दौरान आशा रानी पैन्यूली ने अपने नए कार्यभार को ग्रहण करते हुए कहा कि वह संस्थान के विकास, शिक्षा के क्षेत्र में सुधार और बेहतर कार्यप्रणालियों के लिए प्रतिबद्ध रहेंगी। उन्होंने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि संस्थान के साथ मिलकर काम करना उनके लिए गर्व की बात है, और वह हमेशा एक टीम की तरह काम करने पर विश्वास रखती हैं।

कार्यक्रम में एससीईआरटी के अन्य अधिकारियों और संकाय सदस्यों ने भी आशा रानी पैन्यूली को बधाई दी। सभी ने उनके नेतृत्व में काम करने की इच्छा व्यक्त की और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। यह कदम एससीईआरटी के भीतर सकारात्मक बदलाव की शुरुआत का प्रतीक माना जा रहा है, जो शिक्षा के क्षेत्र में कई नई पहल और सुधारों को लाने में सहायक होगा।अपर निदेशक अजय नौडियाल के स्थान पर आशा रानी पैन्यूली ने यह पदभार ग्रहण किया है ।

सभी अधिकारियों और कर्मचारियों ने इस अवसर पर मिलकर अपने विश्वास और उम्मीदें व्यक्त की कि आशा रानी पैन्यूली के नेतृत्व में एससीईआरटी, उत्तराखंड शिक्षा के क्षेत्र में अपनी नई पहचान बनाएगा और राज्य की शिक्षा प्रणाली को और भी सशक्त करेगा।

National Seminar on the 194th Birth Anniversary of Pandit Nain Singh Rawat

October 20-21, 2024 | District Institute of Education and Training (DIET), Pithoragarh, Uttarakhand

In commemoration of the 194th birth anniversary of Pandit Nain Singh Rawat, a two-day National Symposium (held on October 20–21, 2024) was organized at the District Education and Training Institute, Pithoragarh, DIET. The event’s chief guest was Mrs. Bandana Garbyal, Director, Academic Research and Training, Uttarakhand, and prominent historian, 'Padma Shri' awardee Mr. Shekhar Pathak, along with Gandhi and Philosophy expert Mr. Samir Banerjee, honored the event with their esteemed presence.

At this National Symposium, representatives from the district’s six-block education officers, speakers from the State’s District Education and Training Institutes, social science experts, and representatives from NCERT Uttarakhand also delivered their addresses. Mrs. Sudha Painuly and Dr. Sadhana Dimri provided notable presentations. Mr. Rajesh Kumar Pathak conducted the event.

एस सी ई आर टी सभागार मे सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण (प्रवक्ता): मुख्य संदर्भदाता प्रशिक्षण शुरू

 


एस.सी.ई.आर.टी. उत्तराखण्ड में वर्ष 2024-25 में प्रदेश के हिन्दी एवं जीव विज्ञान विषयों के प्रवक्ताओं के सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण हेतु मुख्य संदर्भदाताओं का प्रशिक्षण शुरू हो गया है। प्रशिक्षण में प्रदेश के डायट्स के सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण के समन्वयक और विद्यालयों के हिन्दी तथा जीव विज्ञान विषयों के अनुभवी प्रवक्ता सहित 75 सदस्य प्रतिभाग कर रहे हैं। इस वर्ष प्रदेश में हिन्दी, राजनीति विज्ञान, इतिहास तथा जीव विज्ञान के प्रवक्ताओं का सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण प्रस्तावित है। प्रथम चरण में हिन्दी एवं जीव विज्ञान विषयों के प्रवक्ताओं के प्रशिक्षण हेतु मुख्य संदर्भदाता तैयार किये जा रहे हैं।

कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए निदेशक श्रीमती बन्दना गर्ब्याल ने कहा कि प्रशिक्षण शिक्षकों के शिक्षण-कौशल के साथ-साथ उनकी कार्यक्षमता में बृद्धि करता है। यह प्रशिक्षण हिन्दी एवं जीव विज्ञान विषयों के शिक्षकों को शैक्षिक नवाचार एवं परिवर्तनों से अवगत करायेगा तथा कक्षा-शिक्षण को रोचक और गतिविधिपूर्ण बनायेगा।

अपर निदेशक, एस.सी.ई.आर.टी. श्रीमती आशा पैन्यूली ने कहा कि इस वर्ष के प्रशिक्षण में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 तथा शिक्षा के क्षेत्र में नवीन विषयों को शामिल किया गया है जो शिक्षकों को कक्षा-शिक्षण में सहायक होंगे। अपर निदेशक श्री अजय कुमार नौडियाल  के अनुसार यह कार्यशाला प्रतिभागियों के क्षमता संवर्धन मे कारगर होगी । संयुक्त निदेशक कंचन देवराड़ी  ने कहा कि इस प्रशिक्षण में डायट्स की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। प्रशिक्षण कार्यक्रम का राज्य स्तर से नियमित अनुश्रवण किया जायेगा।

सहायक निदेशक डॉ. कृष्णानन्द बिजल्वाण ने कहा कि प्रशिक्षण की सफलता प्रतिभागियों के सकारात्मक दृष्टिकोण पर निर्भर करती है, अतः प्रतिभागियों की प्रशिक्षण में अधिकतम सहभागिता और सक्रियता आवश्यक है।

कार्यक्रम समन्वयक डॉ. रमेश पन्त ने विगत वर्ष के प्रवक्ता प्रशिक्षण का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया तथा इस वर्ष के प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा को प्रतिभागियों के साथ साझा किया। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण हेतु प्रशिक्षण मॉड्यूल्स का विकास किया जा चुका है तथा डायट्स में यह प्रशिक्षण सम्बन्धित विषय के प्रवक्ताओं को दिया जायेगा।

डॉ. राकेश चन्द्र गैरोला ने इस वर्ष के प्रशिक्षण के बिन्दुओं पर विस्तारपूर्वक चर्चा की और कहा कि इस वर्ष का प्रशिक्षण 5 दिवसीय होगा जिसमें 3 दिन पैडागॉजी से सम्बन्धित विषय तथा 2 दिन विषयों के कठिन स्थलों पर प्रशिक्षण दिया जायेगा। यह प्रशिक्षण विद्यालयों की शैक्षिक गुणवत्ता को बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगा। इस प्रशिक्षण में एस.सी.ई.आर.टी. के साथ डायट्स की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।

इस प्रशिक्षण में एस.सी.ई.आर.टी. से विषय विशेषज्ञ के रूप में हिन्दी में डॉ. शक्ति प्रसाद सिमल्टी, इतिहास में डा. दीपक प्रताप सिंह, जीव विज्ञान में अखिलेश डोभाल, प्रवीन चन्द्र पोखरियाल तथा डॉ. रंजन कुमार भट्ट मार्गदर्शन कर रहे हैं।

सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण 2024-25 की कार्ययोजना

       5 दिनों के प्रशिक्षण में पैडागॉजी एवं विषयगत बिन्दु।

       तीन दिन पैडागॉजी एवं दो दिन विषयगत।

       राज्य स्तर पर मुख्य संदर्भदाताओं का प्रशिक्षण।

       जनपद स्तर पर डायट्स विषयगत प्रवक्ताओं का प्रशिक्षण।

       जिला स्तर पर डायट के सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण के समन्वयक के द्वारा प्रशिक्षण का समन्वयन।

       भावी प्रशिक्षण कार्यक्रम को प्रभावी बनाने के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण आकलन

       प्रशिक्षण पूर्व आकलन- प्रशिक्षण से पूर्व

       प्रशिक्षण पश्चात आकलन- प्रशिक्षण के अन्त में

सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण 2024-25 हेतु मुख्य संदर्भदाता प्रशिक्षण की समय-सारणी

प्रथम दिवस-

       राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 का परिचय

       विद्यालयी शिक्षा विभाग के अन्तर्गत विविध छात्रवृत्ति परीक्षाएं

       निर्देशन एवं परामर्श

द्वितीय दिवस-

       स्वजागरूकता का विकास

       कक्षा-कक्ष शिक्षण में आई.सी.टी. का प्रयोग एवं साइबर सुरक्षा

       राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सन्दर्भ में विद्यार्थियों में 21वीं सदी के कौशलों का विकास

       राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सन्दर्भ में गुणवत्तायुक्त शिक्षा

तृतीय दिवस-

       कार्यस्थल में आचरण के सिद्धान्त

       जेण्डर संवेदनशीलता

       मूल्यांकन एवं प्रश्नपत्र निर्माण

       विद्यार्थियों एवं अध्यापकों का तनाव प्रबंधन

चतुर्थ दिवस एवं पंचम दिवस-

       विषयगत कठिन बिन्दुओं पर प्रशिक्षण

प्रशिक्षण के सत्रों की गतिविधियाँ

  • समूह चर्चा
  • ब्रैन स्टॉर्मिंग
  • समूह में प्रस्तुतीकरण
  • ग्रुप रीडिंग
  • व्याख्यान
  • प्रतिदिन विषय के एक कठिन टॉपिक का कक्षा-शिक्षण

सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण 2024-25 के अनुश्रवण की कार्ययोजना

       डायट द्वारा नियमित रूप से

       जिला स्तरीय शिक्षा अधिकारियों के द्वारा

       मण्डल स्तर पर मण्डलीय अधिकारियों के द्वारा

       राज्य स्तर पर- एस.सी.ई.आर.टी. तथा राज्य स्तरीय अधिकारियों के द्वारा

(रिपोर्ट- डॉ. राकेश चन्द्र गैरोला, प्रवक्ता, एस.सी.ई.आर.टी. उत्तराखण्ड, देहरादून)

छात्रों की समझ की होगी परख, एनसीईआरटी ने जनपद स्तरीय समन्वयकों को दिया प्रशिक्षण


उत्तराखंड सहित देश के अन्य राज्यों में स्कूली बच्चों के अधिगम स्तर के आकलन हेतु राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, नई दिल्ली द्वारा ‘परख – राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024’ का आयोजन किया जाएगा। उत्तराखंड में इसके क्रियान्वयन के लिए विशेष तैयारियां की जा रही हैं। सर्वेक्षण के आयोजन हेतु राज्य के डी.एल.सी (जनपदीय शिक्षा अधिकारी) तथा जनपदीय मास्टर ट्रेनर्स (डायट फैकल्टी) का अभिमुखीकरण एस.सी.ई.आर.टी, उत्तराखण्ड के सभागार में संपन्न हुआ। “परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण-2024” आगामी 4 दिसम्बर 2024 को किया जाना प्रस्तावित है।


प्रशिक्षण में डॉ. इन्द्राणी भादुड़ी, सी.ई.ओ., “परख” एन.सी.ई.आर.टी नई दिल्ली ने प्रतिभागियों को वर्चुअल माध्यम से सम्बोधित किया। एन.सी.ई.आर.टी से आए संदर्भदाता द्वारा भी महत्वपूर्ण बिन्दुओं की जानकारी दी गई। इस दौरान उन्होंने सर्वे संबंधी प्रमुख विशेषताएँ, राज्य, जनपद, आर.सी.सी (रिसोर्स कस्टडी सेंटर), जनपद स्तरीय समन्वयक (डी.एल.सी) तथा क्षेत्र अन्वेषक (एफ.आई) आदि के कार्य दायित्वों पर चर्चा की। सर्वे हेतु महत्वपूर्ण सैंपलिंग प्रक्रियाओं पर जानकारी प्रदान कर भ्रम दूर किए गए। सैंपल से संबंधित स्कूल लेवल सैंपलिंगसेक्सन सैंपलिंग को विस्तार से समझाया गया। साथ ही यह स्पष्ट किया गया कि सर्वे ग्रेड 3, 6 और 9 के छात्रों के लिए किया जाएगा, जिसमें उनकी पिछली कक्षाओं की दक्षताओं का भी आकलन होगा। सर्वेक्षण के लिए छात्र प्रश्नावली, शिक्षक प्रश्नावली और स्कूल प्रश्नावली का उपयोग किया जाएगा। यह सर्वे पेपर बेस्ड और ओ.एम.आर आधारित होगा, जिसमें ग्रेड 3 और 6 के लिए भाषा, गणित और द वर्ल्ड अराउंड अस, तथा ग्रेड 9 के लिए भाषा, गणित, सामाजिक विज्ञान और विज्ञान जैसे विषयों का आकलन किया जाएगा।

परख सर्वेक्षण एन.सी.ई.आर.टी और सी.बी.एस.ई के संयुक्त प्रयासों से पूरे देश में संपन्न किया जा रहा है।

इस अवसर पर निदेशक, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण बंदना गर्ब्याल ने कहा कि यह सर्वेक्षण राज्य के भावी शैक्षिक हस्तक्षेपों, क्रियाकलापों, कार्यक्रमों और योजनाओं के निर्माण और क्रियान्वयन के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सभी को अपने-अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करना चाहिए, क्योंकि यह कार्य सभी के सम्मिलित प्रयासों से ही सफल हो सकता है।

कार्यक्रम में अपर निदेशक आशा रानी पैन्यूली, संयुक्त निदेशक कंचन देवराड़ीडॉ. दिनेश प्रसाद रतूड़ी, डॉ. दीपक प्रताप सिंह, तथा भुवनेश्वर प्रसाद पन्त सहित कई अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे। सभी ने अपनी-अपनी महत्वपूर्ण भूमिकाओं और सुझावों के साथ सर्वेक्षण के महत्व और उसकी सफल क्रियान्वयन के लिए आवश्यक कदमों पर जोर दिया।

रिपोर्ट प्रेस नोट : भुवनेश पंत 

Monday, November 04, 2024

एससीईआरटी उत्तराखंड: "शिक्षकों के लिए आईसीटी उपकरणों के आधारभूत अनुप्रयोग" पर जल्द आ रहा है पहला MOOCs


राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) उत्तराखंड जल्द ही राज्य के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लिए अपने पहले मूक्स  (मासिव ओपन ऑनलाइन कोर्स) की शुरुआत करने जा रहा है। इस कोर्स का नाम "शिक्षकों के लिए आईसीटी उपकरणों के आधारभूत अनुप्रयोग" है, जिसका उद्देश्य शिक्षकों को कक्षाओं में शिक्षण को अधिक प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक डिजिटल कौशल प्रदान करना है।

निदेशक के अनुसार 

अकादमिक  शोध एवं प्रशिक्षण  निदेशक, श्रीमती बंदना गर्ब्याल ने कहा कि यह अपने प्रकार का पहला मूक्स  शिक्षकों के लिए सतत व्यावसायिक विकास (सीपीडी) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसका उद्देश्य उन्हें उच्च गुणवत्ता वाले ई-सामग्री निर्माण कौशल प्रदान करना है, जो छात्रों की रुचि बढ़ाने और शिक्षण विधियों में सुधार लाने में सहायक होगा। यह कोर्स जल्द ही उत्तराखंड के सभी एससीईआरटी और जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डीआईईटी) के संकाय सदस्यों के लिए उपलब्ध होगा।

कोर्स की रूपरेखा और मॉड्यूल:



यह एक सप्ताह का, 10 घंटे का कोर्स है, जिसे सात मॉड्यूल में विभाजित किया गया है। इनमें शिक्षकों को शिक्षा में आईसीटी के महत्वपूर्ण पहलुओं जैसे कि उत्पादकता उपकरणों से लेकर सुरक्षित ऑनलाइन प्रथाओं तक का ज्ञान प्रदान किया जाएगा। कोर्स की संरचना इस प्रकार है:
  1. मॉड्यूल 1: शिक्षा में आईसीटी का परिचय

    • इसमें शिक्षण में आईसीटी के महत्व, मल्टीमीडिया सामग्री निर्माण, और आईसीटी एकीकरण के लाभों और चुनौतियों को शामिल किया गया है।
  2. मॉड्यूल 2: बुनियादी उत्पादकता उपकरण

    • गूगल डॉक और शीट्स जैसे उपकरणों का उपयोग करते हुए, वर्ड प्रोसेसिंग, स्प्रेडशीट की मूल बातें और सहयोगी दस्तावेज संपादन पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  3. मॉड्यूल 3: प्रस्तुति उपकरण

    • गूगल स्लाइड्स और अन्य मल्टीमीडिया उपकरणों का उपयोग करके शिक्षकों को आकर्षक प्रस्तुतियाँ बनाने के तरीके सिखाए जाते हैं।
  4. मॉड्यूल 4: संचार और सहयोग उपकरण

    • ईमेल और ऑनलाइन संचार के सर्वोत्तम प्रथाओं के बारे में शिक्षा दी जाती है, जिसमें Microsoft Teams और Google Meet का परिचय भी शामिल है।
  5. मॉड्यूल 5: इंटरनेट सुरक्षा और डिजिटल नागरिकता

    • इसमें साइबर सुरक्षा, ऑनलाइन शिष्टाचार और डिजिटल उपकरणों के जिम्मेदार उपयोग पर आवश्यक जानकारी दी जाती है।
  6. मॉड्यूल 6: पाठ योजनाओं में आईसीटी का एकीकरण

    • शिक्षकों को आईसीटी से समृद्ध पाठ योजनाओं को डिज़ाइन करने और विभिन्न शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए सर्वोत्तम आईसीटी उपकरणों का चयन करने में सहायता प्रदान की जाती है।
  7. मॉड्यूल 7: मूल्यांकन, चिंतन और निष्कर्ष

    • आईसीटी संचालित मूल्यांकन रणनीतियों, एक आईसीटी-साक्षर शिक्षक के रूप में आत्म-मूल्यांकन और कोर्स की संपूर्ण पुनरावृत्ति और मूल्यांकन को शामिल किया गया है।

प्रमुख विशेषताएँ और परिणाम

  • इंटरैक्टिव सामग्री: शिक्षकों को शिक्षण में रुचि बढ़ाने के लिए वीडियो, क्विज़, चर्चाएं और व्यावहारिक गतिविधियों का मिश्रण अनुभव कराया जाएगा।
  • प्रमाण पत्र : अंतिम मूल्यांकन के बाद सफल प्रतिभागियों को एक प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा, जो उनके आईसीटी दक्षताओं को मान्यता देगा।
  • उन्नत शिक्षण कौशल: इस कोर्स को पूरा करने के बाद, शिक्षकों को डिजिटल उपकरणों में दक्षता प्राप्त होगी जो छात्र सहभागिता और सीखने के परिणामों को बेहतर बना सकते हैं।

नामांकन और उपलब्धता

यह कोर्स जल्द ही सभी शिक्षकों के लिए नामांकन के लिए खुलेगा और वी एस के  प्लेटफार्म पर उपलब्ध होगा। यह कोर्स उत्तराखंड के सभी एससीईआरटी और डीआईईटी के संकाय सदस्यों के लिए भी इस मूल्यवान प्रशिक्षण अवसर का अधिकतम लाभ उठाने अवसर प्राप्त होगा। 

इस परिवर्तनकारी व्यावसायिक विकास कार्यक्रम के नामांकन और अन्य विवरण के लिए बने रहें!


Saturday, October 05, 2024

नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य स्तरीय क्षमता संवर्धन एवं सामग्री विकास कार्यशाला का शुभारंभ


नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य स्तरीय क्षमता संवर्धन एवं सामग्री विकास कार्यशाला का आयोजन एससीईआरटी उत्तराखंड, देहरादून के परिसर में किया गया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ अपर निदेशक आशा रानी पैन्यूली द्वारा किया गया। इस अवसर पर उन्होंने नव भारत साक्षरता कार्यक्रम (NILP) के उद्देश्यों और लक्ष्यों पर प्रकाश डालते हुए, शिक्षा के क्षेत्र में तकनीकी संसाधनों के महत्व को रेखांकित किया।

कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों और प्रशिक्षकों की क्षमता निर्माण करना और उन्हें नवीनतम शैक्षिक सामग्री विकास के लिए प्रेरित करना था। अपर निदेशक पैन्यूली ने प्रतिभागियों को सुझाव दिए कि शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर नवाचार और तकनीकी विकास को अपनाना आज की जरूरत है। उन्होंने इस कार्यक्रम में शामिल शिक्षकों से आग्रह किया कि वे साक्षरता और शिक्षा के प्रसार में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं और इस दिशा में सक्रिय रूप से भागीदारी करें।

कार्यशाला में "उल्लास" (ULLAS - Understanding of Lifelong Learning for All in Society) के तहत विशेष रूप से विकसित सामग्री पर चर्चा की गई, जो समाज के सभी वर्गों के लिए साक्षरता और शिक्षा के अवसर प्रदान करने के लिए समर्पित है। साथ ही, राज्य स्तरीय क्षमता निर्माण और सामग्री विकास पर भी गहन चर्चा की गई, जिससे प्रतिभागियों को NILP के तहत अपने कार्यों को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।

इस कार्यशाला का आयोजन राज्य साक्षरता प्रकोष्ठ (SCL):एस सी ई आर टी,  द्वारा किया गया था और इसमें विभिन्न जिलों के शिक्षकों, प्रशिक्षकों और शिक्षा से जुड़े अधिकारियों ने हिस्सा लिया। सभी प्रतिभागियों ने इस कार्यशाला को एक उत्कृष्ट अवसर मानते हुए, इसमें दिए गए निर्देशों और मार्गदर्शन की सराहना की।

महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा उत्तराखण्ड, झरना कमठान ने किया "रतब्याणी" ई-मैगजीन का विमोचन


देहरादून: महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा उत्तराखण्ड, झरना कमठान ने समग्र शिक्षा उत्तराखण्ड परिसर में "रतब्याणी" ई-मैगजीन के प्रथम संस्करण का विधिवत विमोचन किया। इस अवसर पर निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, बन्दना गर्ब्याल ने महानिदेशक का स्वागत किया और इस ई-मैगजीन की रूपरेखा और विस्तार पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इस नवाचार के प्रयास से एससीईआरटी उत्तराखण्ड के शिक्षा में तकनीकी अनुप्रयोग के माध्यम से शैक्षणिक संसाधनों को अधिकतम लोगों और जनमानस तक पहुँचाने का लक्ष्य है। यह पत्रिका प्रतिवर्ष दो संस्करणों में प्रकाशित की जाएगी।


महानिदेशक झरना कमठान ने इस अवसर पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि यह एक सराहनीय प्रयास है, जिसे और अधिक विस्तारित करने की आवश्यकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि शिक्षा से जुड़े सभी समुदायों का इसमें योगदान लिया जाए, ताकि समाज और शिक्षा के बीच सहभागिता को और मजबूती मिल सके। उन्होंने इस ई-मैगजीन में स्थानीय सरोकारों को भी जोड़ने पर बल दिया।


विमोचन कार्यक्रम में निदेशक माध्यमिक शिक्षा, लीलाधर व्यास , अपर परियोजना निदेशक डॉ. मुकुल सती, अपर निदेशक रघुनाथ आर्य, गढ़वाल मंडल अपर निदेशक एस.बी. जोशी, अपर निदेशक एस सी ई आर टी आशा रानी पैन्यूली, संयुक्त निदेशक पदमेन्द्र सकलानी, संयुक्त निदेशक कंचन देवराड़ी, उप राज्य परियोजना निदेशक मदन मोहन जोशी, स्टाफ ऑफिसर समग्र शिक्षा भगवती मैदोली, प्रशासनिक अधिकारी अमित कोठियाल समेत कई अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। सभी ने इस अनूठे प्रयास के लिए निदेशक बन्दना गर्ब्याल की सराहना की।


इस ई-मैगजीन को विभिन्न शैक्षणिक प्लेटफॉर्म्स पर पब्लिश किया जाएगा, जहाँ पाठक वेबलिंक और क्यूआर कोड के माध्यम से ई-संसाधनों तक पहुंच बना सकेंगे। अपर निदेशक ईस सी ई आर टी और इस पत्रिका की प्रमुख लीड आशा रानी पैन्यूली ने सभी संकाय सदस्यों को एक प्रेरणा बनकर आगे बढ़कर कार्य सम्पादन करने के लिए लगातार प्रोत्साहित किया। इस पत्रिका के विकास एवं तकनीकी अनुप्रयोग में प्रवक्ता रमेश बडोनी  एससीईआरटी,आईटी विभाग ने योगदान दिया है, जबकि इसका संपादन प्रवक्ता डॉ अवनीश उनियाल द्वारा किया गया है।

महानिदेशक झरना कमठान ने सभी लेखकों और तकनीकी समूह को बधाई दी और सुझाव दिया कि आने वाले संस्करणों में और भी अधिक नवाचारों को समाहित किया जाए। सीमैट के प्रोफेशनल  डॉ. मोहन बिष्ट ने इस प्रयास की सराहना करते हुए इसे अपने संस्थान में भी अपनाने पर जोर दिया। इस पत्रिका के शीर्षक "रतब्याणी" की विशेष रूप से प्रशंसा की गई, जिसका हिंदी भाव "ब्रह्म मुहूर्त" अर्थात रात के अंतिम प्रहर का समय बताया गया है।

इस मौके पर समग्र शिक्षा के कर्मचारी और कई विभागीय अधिकारी भी उपस्थित रहे, जिन्होंने इस प्रयास की प्रशंसा की।

स्कोप : सुझाव और सहभागिता: महानिदेशक झरना कमठान ने सुझाव दिया कि शिक्षा से जुड़े सभी समुदायों का इसमें योगदान लिया जाए, ताकि समाज और शिक्षा के बीच बेहतर सहभागिता हो सके।स्थानीय सरोकारों का समावेश: महानिदेशक ने ई-मैगजीन में स्थानीय और सांस्कृतिक सरोकारों को भी जोड़ने पर बल दिया। "रतब्याणी" शीर्षक का महत्व: मैगजीन का शीर्षक "रतब्याणी" है, जिसका हिंदी भाव "ब्रह्म मुहूर्त" या रात्रि के अंतिम प्रहर का समय है। इसे ज्ञान की शुरुआत का प्रतीक माना गया है।भविष्य के संस्करण: अपर निदेशक एस सी ई आर टी,अजय नौडियाल ने अपने संदेश मे इस संसाधन को एक सफल प्रयास के रूप मे लिया जबकि महानिदेशक ने  इस ई-मैगजीन के अगले संस्करणों में और नवाचारों को शामिल करने का सुझाव दिया, जिससे इसका विस्तार हो सके।

मैगजीन वेबलिंक -डाउनलोड यहाँ कर सकते हैं 

Friday, October 04, 2024

CLAP Van Progress Report for September 2024

The CLAP Van initiative, equipped with 120 Chromebooks and a wealth of educational content, has made significant strides in Dehradun district this September. This mobile educational unit provides students from elementary to high school the opportunity for hands-on learning, with a focus on lesson assessments and Gaming-based learning materials. The initiative aims to enhance digital literacy and educational engagement across the state.

Led by Ashok Kathait, a technical and support expert from the HP-SARD group, the project is designed to offer students an immersive educational experience. Kathait's team ensures that the van is fully equipped and operational as it moves through different schools in Uttarakhand.


Currently stationed in Dehradun, the CLAP Van has already visited multiple schools, providing real-time learning experiences to hundreds of students. The IT Department of SCERT Uttarakhand, coordinated by Ramesh Badoni, is overseeing the technical aspects of the project and tracking its impact on the ground.


Director of Academic Research and Training, Bandana Garbyal, has requested a detailed progress report for September, emphasizing the need for continuous field inspections to monitor the impact of the initiative on student performance. She highlighted that these observations will be crucial in assessing the overall success of the program.

In addition, Ajay Naudiyal, Additional Director of SCERT Uttarakhand, has recommended the formation of a dedicated team to regularly update the progress of schools that have been visited by the CLAP Van. This team will be responsible for collecting data on student performance, ensuring that the initiative meets its educational goals.

As the CLAP Van continues its journey through Uttarakhand, it promises to bring transformative changes to the digital education landscape, offering students the tools they need to excel in the 21st century.

Upcoming Plan for the Schools.
 September 2024 : DPR

Thursday, October 03, 2024

Agastya-NAVAM Foundation and SCERT Uttarakhand Host Second Webinar on Design Thinking






Dehradun 03- Oct 2024 : The Agastya-NAVAM Foundation, in collaboration with SCERT Uttarakhand, successfully conducted the second webinar in their ongoing Design Thinking series. The focus of this session was on empathy and defining community issues, guiding participants on how to transform these into impactful ideas and solution strategies.

Sharvan and Alok Dwivedi represented the webinar, engaging school participants and SCERT faculty. Director of Academic Research and Training, Bandana Garbyal, and Additional Director Ajay Naudiyal have been providing continuous support to the initiative, fostering innovation and entrepreneurial skills among  students and teachers in state schools.

The upcoming Innovative Design Thinking Video Series by Agastya-NAVAM Foundation and SCERT Uttarakhand marks a significant step towards transforming school education in Uttarakhand. This initiative aims to introduce design thinking principles—such as empathy, creativity, critical thinking, and problem-solving—into the educational framework. The series will target students and teachers across state schools, providing them with tools and methodologies to address community issues and develop innovative solutions.

The video series will explore key phases of design thinking: understanding and empathizing with real-world problems, defining issues, ideating creative solutions, prototyping, and testing those solutions in practical contexts. By emphasizing empathy, the series will guide students to look beyond surface-level challenges and understand the deeper needs of the community, encouraging them to apply their learning in meaningful ways.

Supported by Director Bandana Garbyal and Additional Director Naudiyal , this initiative also aligns with the state’s focus on skill development, entrepreneurship, and 21st-century learning competencies. It aims to prepare both teachers and students to be more adaptive, innovative, and entrepreneurial, in tune with the goals of NEP 2020. Faculty from SCERT, Ramesh Badoni, S P Verma, Sadhna Dimri, Pushpa Aswal along with Jagdama Dobhal National Awardee Teacher were present in the Webinar. Dobhal Quoted "For the first time I came to know about empathy strategies... and various types of strategies. Every episode is grooming the participants as per need of the time."

As the series progresses, it will include collaborative workshops and webinars, providing hands-on guidance to educators and students on how to integrate design thinking into the classroom. These efforts will contribute to fostering a culture of innovation and critical thinking within Uttarakhand’s education system, driving positive change and preparing learners for future challenges.