Friday, May 31, 2024

राजधानी में नन्हे छात्रों में समर कैम्प का उत्साह: हेल्थ कैम्प और क्रिएटिव एक्टिविटीज के साथ चौथे दिन का आयोजन सफल

उत्तराखण्ड स्कूल शिक्षा के अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण विभाग की निदेशिका बंदना गर्ब्याल के नेतृत्व में चल रहे समर कैम्प के चौथे दिन नन्हे छात्रों में अद्भुत उत्साह देखा गया। राजधानी में आयोजित इस समर कैम्प का उद्देश्य बच्चों को विभिन्न शैक्षिक और सह-शैक्षिक गतिविधियों के माध्यम से उनकी क्षमताओं का विकास करना है। एस सी आर टी के अपर निदेशक अजय नौडियाल, संयुक्त निदेशक आशा रानी पैन्यूली और कंचन देवराड़ी ने भी इस कैम्प के आयोजन और प्रबंधन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। सीमेट और एस सी ई आर टी के संकाय सदस्य विभिन्न गतिविधियों में अपना योगदान दे रहे हैं, जिनमें अबेकस, क्राफ्ट वर्क, मीडिया टेक्नोलॉजी, आर्ट एंड राइटिंग, और STEM पर आधारित कार्यशालाएं शामिल हैं।

इस समर कैम्प में लभ्य फाउंडेशन, आसरा ट्रस्ट,अजीम प्रेमजी फाउंडेशन, अमेरिकन इंडियन फाउंडेशन, और अन्य गैर सरकारी संगठनों का विशेष सहयोग प्राप्त हो रहा है। हंस फाउंडेशन जैसे संगठनों ने 500 लोगों के भोजन और पानी की व्यवस्था का जिम्मा उठाया है।

हेल्थ कैम्प का आयोजन

समर कैम्प के प्रथम दिवस से  हेल्थ कैम्प का आयोजन भी एक सफल प्रयोग साबित हो रहा है, जहां सभी युवा बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है। हेल्थ कैम्प में बच्चों के स्वास्थ्य की विस्तृत जांच की गई और उन्हें स्वास्थ्य संबंधी आवश्यक जानकारी प्रदान की गई।


क्रिएटिव एक्टिविटीज: व्लॉग बनाना और राइटिंग

बच्चों के उत्साह को और बढ़ाने के लिए व्लॉग बनाना और क्रिएटिव राइटिंग जैसी गतिविधियों का आयोजन किया गया। व्लॉग बनाने के सत्र में बच्चों ने अपनी रचनात्मकता और तकनीकी कौशल का प्रदर्शन किया। उन्हें कैमरे के सामने खुद को व्यक्त करने और अपने अनुभव साझा करने का अवसर मिला। क्रिएटिव राइटिंग सत्र में बच्चों ने अपनी लेखन क्षमता को विकसित किया और विभिन्न विषयों पर अपनी रचनात्मक सोच को कागज पर उतारा।

बच्चों का उत्साह और सक्रियता

समर कैम्प के दौरान बच्चों ने विभिन्न गतिविधियों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। अबेकस और क्राफ्ट वर्क के सत्रों में बच्चों ने अपनी गणितीय और रचनात्मक क्षमताओं का प्रदर्शन किया। मीडिया टेक्नोलॉजी की कार्यशाला में बच्चों ने नई तकनीकों का ज्ञान प्राप्त किया, जबकि आर्ट और राइटिंग सत्रों ने उनकी सृजनात्मकता को प्रोत्साहित किया। STEM गतिविधियों ने बच्चों को विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग और गणित के प्रति आकर्षित किया।


सहयोगी संगठनों का योगदान

आसरा ट्रस्ट, लभ्य फाउंडेशन, अजीम प्रेमजी फाउंडेशन, और अमेरिकन इंडियन फाउंडेशन जैसे संगठनों ने कैम्प की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हंस फाउंडेशन ने बच्चों और प्रतिभागियों के लिए भोजन और पानी की व्यवस्था कर कैम्प को सुचारू रूप से चलाने में मदद की।

आज इस समर कैम्प के आयोजन ने न केवल बच्चों को नई-नई चीजें सीखने का अवसर प्रदान किया, बल्कि उनके आत्मविश्वास को भी बढ़ाया है। निदेशिका बंदना गर्ब्याल और अन्य अधिकारियों के समर्पण और मेहनत ने इस आयोजन को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई है। आने वाले दिनों में इस समर कैम्प से और भी अधिक उत्साहजनक परिणामों की उम्मीद है।

डॉ के एन बिजलवाण, डॉ मोहन सिंह बिष्ट, डॉ विनोद ध्यानी, डॉ राकेश गैरोला, डॉ रमेश पंत, डॉ अवनीश , डॉ मनोज शुक्ला, डॉ संजीव चेतन,मनोज बहुगुणा, सुनीता भट्ट प्रधानाचार्य राजीव गांधी नवोदय विद्यालय, आदि संकाय सदस्य और सपोर्टिंग स्टाफ भी योगदान देने मे सक्रिय रहे । 

अंतर्राष्ट्रीय तंबाकू निषेध दिवस:SCERT में आयोजित कार्यक्रम

SCERT में आयोजित कार्यक्रम का विवरण:

एस सी ई आर टी (SCERT) के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में आईटी विभाग के प्रवक्ता शिव प्रकाश वर्मा ने तंबाकू सेवन से होने वाले खतरों और परिणामों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने तंबाकू से होने वाले विभिन्न रोगों और इससे होने वाली मौतों के आंकड़े प्रस्तुत किए।


कार्यक्रम में सभी संकाय सदस्य उपस्थित रहे और उन्होंने चर्चा में सक्रिय रूप से भाग लिया। सक्रिय (Active) और निष्क्रिय (Passive) धूम्रपानकर्ताओं के खतरों पर भी चर्चा की गई।

ई-सिगरेट के प्रभाव और नई पीढ़ी में इसके बढ़ते उपयोग पर भी विचार-विमर्श हुआ। नई जवान पीढ़ी में नशे की लत को रोकने के उपायों पर भी चर्चा की गई।

नो टोबैको  पर प्रतिज्ञा और शपथ:

ई टी विभाग के प्रवक्ता राजेश खात्री ने सभी को तंबाकू का सेवन न करने की प्रतिज्ञा और शपथ दिलाई। यह प्रतिज्ञा तंबाकू के खिलाफ एक मजबूत संकल्प को दर्शाती है और इससे यह संदेश जाता है कि हम सब मिलकर तंबाकू के सेवन को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।


अंतर्राष्ट्रीय तंबाकू निषेध दिवस का महत्व:

  1. स्वास्थ्य के लिए खतरा: तंबाकू का सेवन विभिन्न प्रकार की गंभीर बीमारियों का कारण बनता है, जैसे कि कैंसर, हृदय रोग, और फेफड़ों की बीमारी। तंबाकू से होने वाले रोगों के कारण प्रतिवर्ष लाखों लोग अपनी जान गंवाते हैं।

  2. आर्थिक प्रभाव: तंबाकू के सेवन से होने वाली बीमारियों के इलाज में भारी धनराशि खर्च होती है, जो व्यक्ति और समाज दोनों के लिए आर्थिक बोझ साबित होता है।

  3. सामाजिक प्रभाव: तंबाकू का सेवन समाज में एक नकारात्मक प्रभाव डालता है। इससे परिवारों में तनाव और आर्थिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

  4. नई पीढ़ी की सुरक्षा: यह दिन खासकर नई पीढ़ी को तंबाकू के दुष्प्रभावों से बचाने के लिए महत्वपूर्ण है। युवा और किशोरों को तंबाकू की लत से दूर रखने के लिए यह जागरूकता आवश्यक है।


निष्कर्ष:

अंतर्राष्ट्रीय तंबाकू निषेध दिवस तंबाकू के खिलाफ एक महत्वपूर्ण अभियान है जो हमें तंबाकू के खतरों के प्रति जागरूक करता है और हमें स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है। ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से समाज में तंबाकू के सेवन को कम करने और इसके दुष्प्रभावों से बचने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं।


Wednesday, May 29, 2024

शैक्षिक गुणवत्ता एवं अकादमिक अनुसमर्थन के लिए डायट देहरादून में अनुश्रवण कार्यक्रम

 

प्रदेश में शैक्षिक गुणवत्ता एवं अकादमिक अनुसमर्थन हेतु राज्य स्तर पर डायट्स के गहन अनुश्रवण कार्यक्रम के अन्तर्गत 29 मई 2024 को जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान देहरादून में राज्य स्तरीय टीम के द्वारा अनुश्रवण शुरू हो गया है। 

यह अनुश्रवण कार्य राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण उत्तराखण्ड की सात सदस्यीय टीम के द्वारा श्रीमती बन्दना गर्ब्याल, निदेशक अकादमिक एवं प्रशिक्षण उत्तराखण्ड तथा श्री अजय कुमार नौडियाल, अपर निदेशक, एस.सी.ई.आर.टी. उत्तराखण्ड के निर्देशन में किया जा रहा है। 

इसके अन्तर्गत डायट्स के इन्फ्रास्ट्रक्चर, शिक्षक शिक्षा से सम्बन्धित गतिविधियाँ, मानव संसाधन तथा उसके सशक्तीकरण की स्थिति, अकादमिक कलैण्डर, समग्र शिक्षा के कार्यक्रमों की भौतिक और वित्तीय प्रगति, राज्य सैक्टर के अन्तर्गत स्वीकृत बजट तथा उसका उपयोग, सेण्टर ऑफ एक्सीलेंस (विषयगत) के कार्यों की प्रगति, डी.एल.एड प्रशिक्षण एवं प्रशिक्षणार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए आयोजित गतिविधियाँ, वार्षिक कार्ययोजना एवं बजट 2024-25 का क्रियान्वयन, शोध एवं क्रियात्मक शोध के सम्पादन एवं क्रियान्वयन, विविध प्रकार के कार्यक्रमों के अनुश्रवण की स्थिति, डायट द्वारा प्रारम्भ की गयी बेस्ट प्रक्टिस तथा नवाचार, डायट्स से सम्बन्धित अन्य समस्याओं एवं चुनौतियाँ, टैक्नो फेयर, कौशलम कार्यक्रम, कोडिंग, आर्टिफिशियल इण्टेलीजेन्स, आनन्दम कार्यक्रम, एबेकस कार्यक्रम, निपुण भारत मिशन के अन्तर्गत एफ.एल.एन., सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण, ई.सी.सी.ई., विभिन्न विषयों में डी.आर.जी. के अन्तर्गत किये गये कार्य आदि का गहन अनुश्रवण किया जायेगा।

श्री राकेश जुगरान, प्राचार्य डायट देहरादून ने डायट में चल रही विभिन्न गतिविधियों तथा नवाचारों को अनुश्रवण टीम के साथ साझा किया। अनुश्रवण टीम की लीडर श्रीमती कंचन देवराड़ी, संयुक्त निदेशक एस.सी.ई.आर.टी. ने समस्त डायट फैकल्टी को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश की शैक्षिक गुणवत्ता के संवर्धन में डायट्स की महत्वपूर्ण भूमिका है। डायट जिले का महत्वपूर्ण संसाधन केन्द्र होता है जो शिक्षकों को शैक्षिक नवाचारों तथा नवीन गतिविधियों में प्रशिक्षित करता है। 

डॉ. कृष्णानन्द बिजल्वाण, सहायक निदेशक ने कहा कि अनुश्रवण के उद्देश्यों पर चर्चा की। अनुश्रवण टीम सदस्यों में संयुक्त निदेशक श्रीमती कंचन देवराड़ी, सहायक निदेशक डॉ. कृष्णानन्द बिजल्वाण, कैलाश डंगवाल, डॉ. राकेश चन्द्र गैरोला, डॉ. रंजन कुमार भट्ट, श्रीमती शुभ्रा सिंघल तथा सूर्यकान्त ममगाईं शामिल हैं। 


अनुश्रवण के दौरान डायट फैकल्टी के श्री रामसिंह चौहान, श्री विपिन भट्ट, डॉ. विजय रावत, श्रीमती टीना मोहन, श्री अरूण थपलियाल, श्री शिशुपाल बिष्ट, श्रीमती प्रियंका तोमर, श्रीमती दीपिका पंवार, श्रीमती हेमलता नौटियाल, श्रीमती पल्लवी सहित समस्त संकाय सदस्यों ने सुझाव रखे।



Tuesday, May 28, 2024

निदेशालय अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण: नौ दिवसीय समर कैंप का आयोजन राजीव गांधी नवोदय विद्यालय ननूरखेड़ा देहरादून

डॉ मोहन सिंह बिष्ट प्रोफेशनल सीमेट देहरादून 

निदेशालय अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण द्वारा 9 दिवसीय समर कैंप का आयोजन राजीव गांधी नवोदय विद्यालय ननूरखेड़ा देहरादून में किया गया है। इस कैंप का उद्घाटन महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी जी द्वारा किया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल किताबी ज्ञान नहीं अपितु बच्चे स्वयं करके सीखें और एक अच्छे नागरिक की भूमिका को निभाएं। इस हेतु इस तरह के समर कैंप बच्चों को उनकी प्रतिभा को उभारने का अवसर प्रदान करते हैं। उन्होंने बच्चों से समर कैंप में आयोजित हो रही गतिविधियों में अपनी इच्छा के अनुसार प्रतिभाग करने को कहा।  श्री तिवारी ने कहा कि यह कैंप मलिन बस्तियों तथा ग्रामीण परिवेश के राजकीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए मनोरंजन के साथ-साथ उनकी प्रतिभा को उभारने का भी अवसर प्रदान करता है। महानिदेशक ने बताया कि यह समर कैंप बच्चों में  ग्रीष्मकालीन अवकाश में सीखने की ललक जीवित रखेगा।


 इस अवसर पर श्रीमती बन्दना गर्ब्याल निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण ने अवगत कराया कि इस कैंप में बच्चों को खेलकूद, गणित एवं विज्ञान की गतिविधियां, अबेकस के द्वारा गणित की समझ विकसित करना, कहानी, कविता लिखना एवं उन्हें पढ़ना, बच्चों में सुलेख की प्रतिभा को विकसित करना, नृत्य, गायन,  कठपुतली नृत्य,  नाटक, आनंदम गतिविधियां तथा क्राफ्ट की गतिविधियों के साथ-साथ प्रत्येक बच्चे का दून मेडिकल कॉलेज एवं महंत इंद्रेश मेडिकल कॉलेज की ओर से स्वास्थ्य परीक्षण भी किया जा रहा है।  उन्होंने बताया कि इस कैंप में बच्चों को प्रतिदिन योग, व्यायाम एवं प्रार्थना के साथ-साथ नेतृत्व विकास हेतु एक नई विधा समाचार लेखन तथा वाचन को भी विकसित किया जा रहा है ।
इस अवसर पर डॉक्टर मुकुल कुमार सती अपर राज्य परियोजना निदेशक समग्र शिक्षा ने सभी बच्चों से उनकी प्रतिभा को अपने अनुरूप विकसित करने के लिए विभिन्न गतिविधियों में प्रतिभाग करने का सुझाव दिया। अपर निदेशक सीमेट व एससीईआरटी श्री अजय नौडियाल ने कहा कि प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी बच्चों को समर कैंप में स्कूल बैग, स्टेशनरी, पानी की बोतल तथा नाश्ता विभिन्न सहयोगी संस्थाओं के द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा है। 
उन्होंने यह भी अवगत कराया कि 5 जून पर्यावरण दिवस के अवसर पर बच्चों के द्वारा इस समर कैंप में पर्यावरण बचाओ-अपनी धरती सजाओ विषय पर कहानी, कविताएं, गायन तथा नाट्य प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी।  इन प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट स्थान प्राप्त करने वाले बच्चों को पुरस्कृत भी किया जाएगा। 


आज समर कैंप में बच्चों ने अपनी इच्छा के अनुरूप अपना नामांकन करवाया।  बच्चों ने विज्ञान प्रोजेक्ट तैयार करने, अबेकस के द्वारा गणित सीखने, गायन प्रतियोगिता, नाट्य प्रतियोगिता, नृत्य प्रतियोगिता, आर्ट एंड क्राफ्ट, क्रिकेट, फुटबॉल, वॉलीबॉल, बैडमिंटन, कठपुतली निर्माण, आनंदम गतिविधि तथा मीडिया कार्यशाला में विशेष रुचि दिखाई ।
 
आज समर कैंप में राजकीय इंटर कॉलेज नालापानी, राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय वाणी बिहार, राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय वाणी विहार, लाडपुर, सुंदर वाला, रायपुर , राजकीय प्राथमिक विद्यालय ननूरखेड़ा, सुंदर वाला, लाडपुर,  नालापानी,  वाणी बिहार, भगत सिंह कॉलोनी आदि विद्यालयों के 414 बच्चों द्वारा नामांकन करवाया गया। 

इस समर कैंप में स्वैच्छिक रूप से बच्चों को सिखाने हेतु एस सी ई आर टी, सीमेट तथा विभिन्न विद्यालयों के 80 शिक्षकों द्वारा शैक्षिक योगदान दिया जा रहा है।  

इस अवसर पर श्रीमती आशा रानी पैन्यूली, कंचन देवराडी, मुख्य शिक्षा अधिकारी देहरादून श्री प्रदीप रावत, प्राचार्य राजीव गांधी नवोदय विद्यालय श्रीमती सुनीता भट्ट,  डॉ मोहन सिंह बिष्ट, डॉ मदन मोहन उनियाल, रविंद्र रावत, डॉ उषा कटियार, ज्योति सुमन, मनोज बहुगुणा, रवि दर्शन तोपाल, डॉ के. एन. बिजलवान, सुनील भट्ट,  डॉ विनोद ध्यानी, रमेश पंत आदि उपस्थित थे




Monday, May 27, 2024

A Summer Camp for All Ages Organized by: Directorate of Academic Research and Training (ART), Uttarakhand and SCERT

Dates: 28-05-2024 to 05-06-2024

Venue: Rajiv Gandhi Navodaya Vidyalaya, Tapovan Road, Dehradun

Join us for a summer of learning, fun, and creativity! The upcoming summer camp promises an engaging and enriching experience for students and teachers alike. Under the leadership of the Director of Academic Research, Bandana Garbyal, the camp will ensure active involvement from all participants. Esteemed faculties from SCERT, along with officials from SIEMAT and ART, will also be part of this exciting event.

The camp will feature a diverse array of activities designed to foster creativity, teamwork, and personal growth:

·       Drawing & Painting

·       Arts & Crafts

·       Games & Activities

·       Movie Shows

·       Music & Dance

·       Health Checkup

·       Media Workshop

·       Storytelling (Poem, Play, Story)

·       Puppet Shows and Yoga

·       Literature Exploration

·       Anandam

·       And Much More!

We are honored to have the Director General of Secondary Education, Banshidhar Tiwari, IAS, as the chief guest for the program's launch, along with other distinguished officials.

Supporting Institutions:

·       Hans Cultural Centre

·       Aasraa Trust

·       Labhya Foundation

·       Azim Premji Foundation

·       Room To Read

·       American India Foundation

Don’t miss out on this unique opportunity to explore new skills, make lasting memories, and enjoy a summer filled with excitement and learning. We invite all students and teachers to participate in this vibrant summer camp.

Wednesday, May 22, 2024

एस सी ई आर टी द्वारा छात्रवृति परीक्षाओं के लिए जनपद और ब्लॉक स्तर पर अभिमुखिकरण

 

एस सीईआरटी उत्तराखंड द्वारा विभिन्न छात्रवृत्ति हेतु परीक्षाएं आयोजित करवाई जाती हैं जिनमें राष्ट्रीय सह साधन छात्रवृत्ति योजना,डॉक्टर शिवानंद नौटियाल छात्रवृत्ति योजना राज्य योग्यता( श्रीदेव सुमन) छात्रवृत्ति योजनाएं हैं जो कि कक्षा आठ में अध्यनरत छात्रों के लिए आयोजित की जाती है।गत वर्ष से माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा के अंतर्गत मुख्यमंत्री छात्र प्रोत्साहन छात्रवृत्ति योजना कक्षा 6 हेतु आयोजित की गई थी। इस वर्ष कक्षा 6 के साथ-साथ कक्षा 9 की भी परीक्षा भी आयोजित की जानी है। 


एस सीआरटी से कार्यक्रम समन्वयक में डॉक्टर हरिश्चंद्र बडोनी  द्वारा छात्रवृत्ति परीक्षाओं से संबंधित विभिन्न निर्देश दिए गए।अपर निदेशक अजय नौडियाल  द्वारा सभी पात्र छात्रों को परीक्षा में शामिल करवाने के निर्देश दिए गए उन्होंने कहा कि इस परीक्षा हेतु ब्लॉक स्तर पर प्रतिभागी छात्रों के 10% छात्र छात्रवृत्ति हेतु अर्ह होंगे इसलिए जितने अधिक छात्र प्रतिभाग करेंगे उतनी ही अधिक संख्या में छात्र छात्रवृत्ति प्राप्त करेंगे। 

निदेशक महोदया, बंदना गरबयाल द्वारा कहा गया कि किसी भी प्रकार के लापरवाही हेतु जिम्मेदारी तय की जाएगी परीक्षा से संबंधित निर्देशों के अनुरूप तैयारी करने के लिए उनके द्वारा निर्देश दिए गए तथा विकासखंडवार पृच्छा की गई। 

संयुक्त निदेशक कंचन देवराड़ी  द्वारा कहा गया कि कोई भी छात्र-छात्र छात्रा छात्रवृत्ति से वंचित न हो इस हेतु संपूर्ण प्रयास किए जाएं अंत में प्रतिभागियों द्वारा की गई परीक्षाओं का समाधान किया गया बैठक में एस सीईआरटी से श्री विजय प्रसाद सेमवाई डॉ  दिनेश प्रसाद रतूडी   एवं आशा नकोटी रमोला भी उपस्थित रहे।

- आशा नकोटी रामोला, प्रवक्ता शोध एवं मूल्यांकन 

Tuesday, May 21, 2024

एस सी ई आर टी सभागार में मनाया गया विश्व सांस्कृतिक विविधता दिवस


देहरादून, 22 मई 2024 – आज एस सी ई आर टी (राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) सभागार में विश्व सांस्कृतिक विविधता दिवस का आयोजन बड़े हर्षोल्लास और उत्साह के साथ किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य सांस्कृतिक विविधता की समझ और उसे बढ़ावा देना था। इस अवसर पर उत्तराखण्ड की समृद्ध संस्कृति और विविधता को दुनिया के विभिन्न त्योहारों और मेलों के समान प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम में संयुक्त निदेशक कंचन देवराड़ी और वरिष्ठ प्रवक्ता विजय सेमवाल के साथ सभी संकाय सदस्यों ने भाग लिया। इन सभी ने वार्ता और प्रदर्शन में सहयोग करते हुए उत्तराखण्ड के खान-पान, वेशभूषा और परिवेश पर चर्चा की। एन ई पी सेल के प्रभारी उप निदेशक शैलेन्द्र अमोली ने अपने व्याख्यान में उत्तराखण्ड की विरासत और विश्व सांस्कृतिक विविधता दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि यह दिवस कब और कैसे दुनिया में शुरू हुआ।

मनोज बहुगुणा और रविदर्शन तोपवाल द्वारा प्रस्तुत सम्पूर्ण कार्यक्रम में उत्तराखण्ड के पारंपरिक गीत, मान्यताएँ और धीरे-धीरे गौण होते जा रहे तीज-त्योहारों पर विशेष ध्यान दिया गया। उषा कटियार ने अपनी संगीतमय प्रस्तुति में लोकगीतों का समावेश किया, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। संयुक्त निदेशक कंचन देवराडी ने भी शादी समारोह के मंगल गीत गुनगुनाकर कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए।

मनोज बहुगुणा द्वारा उत्तराखण्ड के खुदेड़ गीत प्रस्तुत किए गए, जिन्होंने सभी को भावविभोर कर दिया। एन ई पी सेल की कामक्षा मिश्रा और उनकी टीम ने इस कार्यक्रम को नई ऊर्जा और उत्साह के साथ प्रस्तुत किया। अंत में, सभी संकाय और कार्मिकों ने टीम को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन और योगदान के लिए बधाई दी।

इस आयोजन ने उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक धरोहर को न केवल संरक्षित करने का संदेश दिया, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जोड़ने की प्रेरणा भी दी। कार्यक्रम का समापन सभी की भूरी-भूरी प्रशंसा और उत्सव की भावना के साथ हुआ।



विश्व सांस्कृतिक विविधता दिवस (World Day for Cultural Diversity for Dialogue and Development) हर साल 21 मई को मनाया जाता है। यह दिवस संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2002 में घोषित किया गया था और इसका उद्देश्य सांस्कृतिक विविधता के महत्व को बढ़ावा देना, सांस्कृतिक धरोहरों की रक्षा करना, और समाज में आपसी समझ और संवाद को प्रोत्साहित करना है।

इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि सांस्कृतिक विविधता को एक सकारात्मक शक्ति के रूप में पहचाना जाए जो सामाजिक और आर्थिक विकास में योगदान दे सकती है। यह दिवस लोगों को विभिन्न संस्कृतियों के बीच की समानताओं और अंतरों को समझने और उन्हें स्वीकार करने के लिए प्रेरित करता है। इसके माध्यम से यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाता है कि विविधता को न केवल सहन किया जाए बल्कि उसका सम्मान और सराहना भी की जाए।


सांस्कृतिक विविधता का सम्मान और संरक्षण करने से न केवल विभिन्न संस्कृतियों का अस्तित्व बना रहता है, बल्कि यह समाज में शांति, स्थिरता और विकास को भी बढ़ावा देता है। इसके अलावा, यह दिवस विभिन्न सांस्कृतिक और पारंपरिक ज्ञान को साझा करने और उनके महत्व को समझने का भी एक अवसर प्रदान करता है। संक्षेप में, विश्व सांस्कृतिक विविधता दिवस का उद्देश्य लोगों को यह समझाने का है कि विविधता हमारी सबसे बड़ी ताकत है और इसे मनाने से समाज में एकता, संवाद और समावेशिता को बढ़ावा मिलता है।



जेन्डर एवं समता प्रकोष्ठ (Cell) के सदस्यों की अभिमुखीकरण कार्यशाला शुरू

 

एस.सी.ई.आर.टी. उत्तराखण्ड में गठित राज्य स्तरीय जेन्डर एवं समता प्रकोष्ठ (Cell) के सदस्यों की दो दिवसीय अभिमुखीकरण कार्यशाला का प्रारम्भ आज मंगलवार 21 मई 2024 को देहरादून में हुआ। रूम टु रीड संस्था इस कार्यक्रम में राज्य की सहयोगी स्वयंसेवी संस्था है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की संस्तुतियों के आधार पर निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण उत्तराखण्ड की अध्यक्षता में इस प्रकोष्ठ (Cell) का गठन किया गया है।

अभिमुखीकरण कार्यशाला का प्रारम्भ श्रीमती बंदना गर्ब्याल, निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान उत्तराखण्ड द्वारा किया गया। उन्होंने कहा कि समाज में जेण्डर सम्बन्धी संवेदनशीलता के विकास के लिए इस कार्य को विद्यालय स्तर से शुरू किया जाना आवश्यक है। उत्तराखण्ड राज्य ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की संस्तुतियों के आधार पर इस कार्य को एस.सी.ई.आर.टी. उत्तराखण्ड के माध्यम से आगे बढ़ाया है। उन्होंने कक्षा-शिक्षण को समावेशी तरीके से किये जाने पर जोर दिया तथा कहा कि समाज में सभी वर्गों के बच्चों के विकास के लिए समानता के साथ-साथ समता की विचारधारा पर बल दिया जाना आवश्यक है।

एस.सी.ई.आर.टी. की संयुक्त निदेशक श्रीमती कंचन देवराड़ी ने बालिकाओं की शिक्षा के लिए समता की विचारधारा के अनुसरण पर बल दिया। उन्होंने कहा कि जेण्डर सेल के माध्यम से राज्य में जेण्डर सम्बन्धी मुद्दों पर गम्भीरता से कार्य किया जायेगा। इस सेल के माध्यम से शिक्षकों के प्रशिक्षण हेतु सामग्री का विकास भी किया जायेगा।

संयुक्त निदेशक श्रीमती आशा पैन्यूली ने कहा कि मनुष्य जन्म से लिंग के आधार पर स्त्री और पुरुष के रूप में अलग-अलग होते हैं किन्तु सामाजिक रूढ़ियाँ एवं मान्यताएं जेण्डर सम्बन्धी भेदभाव पैदा करती हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए सामुदायिक जागरूकता आवश्यक है। जेण्डर के कारण बालक और बालिकाओं में शिक्षण एवं कार्यों का विभाजन उचित नहीं है।


सहायक निदेशक डॉ. कृष्णानन्द बिजल्वाण ने कहा कि जेण्डर सेल के द्वारा जब शिक्षकों एवं छात्रों के लिए सामग्री के विकास के लिए इससे सम्बन्धित विभागों तथा संस्थाओं का सहयोग लिया जायेगा। जेण्डर संवेदनशीलता को शिक्षकों के प्रशिक्षण में शामिल किया जायेगा ताकि समाज में इससे सम्बन्धित भेदभाव को रोका जा सके।

राज्य स्तरीय जेन्डर एवं समता प्रकोष्ठ (Cell) की समन्वयक श्रीमती शुभ्रा सिंघल ने प्रथम सत्र में जेण्डर शिक्षा के उद्देश्यों पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, राष्ट्रीय तथा राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा तथा बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के आधार पर इस शिक्षा के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला तथा समाज में प्रचलित जेण्डर आधारित भेदभावों पर चर्चा की। 

डॉ. राकेश चन्द्र गैरोला, प्रवक्ता एस.सी.ई.आर.टी. ने राज्य स्तरीय जेन्डर एवं समता प्रकोष्ठ (Cell) की स्थापना के औचित्य, प्रक्रिया तथा उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के  टास्क संख्या 172 में शिक्षा में निष्पक्षता, समानता और समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए जेण्डर और समता प्रकोष्ठ के गठन का सुझाव दिया गया है। इस नीति के अनुसार जेण्डर सेल, यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केन्द्रित करेगा कि शिक्षा प्रणाली में सभी के साथ उचित और समान व्यवहार किया जाए और सभी छात्रों को,  उनकी पृष्ठभूमि या क्षमताओं की परवाह किए बिना, निर्बाध तरीके से शिक्षा प्रदान की जाय। इस प्रकोष्ठ के माध्यम से उत्तराखण्ड की विद्यालयी शिक्षा प्रणाली में अधिक न्यायसंगत और समावेशी शैक्षणिक माहौल का विकास किया जायेगा। जेण्डर एवं समता प्रकोष्ठ में इस क्षेत्र में सक्रिया प्राथमिक, माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के शिक्षक प्रशिक्षकों तथा स्वयंसेवी संस्थाओं के 22 सदस्यों को शामिल किया गया है।

रूम टु रीड के अरबिन्द सिंह ने गतिविधि के माध्यम से पाठ्यपुस्तकों में जेण्डर सम्बन्धी भेदभाव पर चर्चा की तथा बताया कि किस प्रकार पाठ्यपुस्तकों से इस प्रकार के प्रकरणों तथा उदाहरणों को दूर किया जाय। उन्होंने पाठ्यपुस्तकों को जेण्डर संवेदनशील बनाने के तरीकों पर भी चर्चा की।

रूम टु रीड की श्रीमती निशा जोशी ने जेण्डर रिस्पंसिव एजूकेशन पर प्रकाश डाला तथा इससे सम्बन्धित गतिविधियाँ करवाई। प्रतिभागियों ने इस पर समूह कार्य कर प्रस्तुतीकरण दिया।

कार्यशाला में डॉ. रंजन कुमार भट्ट, प्रवक्ता तथा डॉ. अजय कुमार चौरसिया ने भी विचार व्यक्त किये।

राज्य स्तरीय जेन्डर एवं समता प्रकोष्ठ (Cell) की स्थापना के उद्देश्य

1.      जागरूकता बढ़ाना- इसमें सहानुभूति और समझ को बढ़ावा देने के लिए शिक्षकों को उनके अचेतन पूर्वाग्रहों, रूढ़ियों और अपने छात्रों की विविध सामाजिक पृष्ठभूमि के बारे में शिक्षित करना शामिल है।

2.    समावेशी शिक्षण प्रथाएं- शिक्षकों को उन रणनीतियों को लागू करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा जो सभी छात्रों की जरूरतों को पूरा करती हैं।  यह कक्षा का ऐसा अकादमिक माहौल बनाती हैं जहां हर कोई मूल्यवान और सम्मानित महसूस करता है।

3.    शिक्षकों का व्यावसायिक विकास- शिक्षकों को निरंतर प्रशिक्षण सत्र प्रदान किए जाएंगे, जिसमें उनके शिक्षण प्रथाओं और छात्रों के साथ बातचीत में लैंगिक समानता और समावेशिता को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

4.    समावेशिता की स्वीकृति और रोल मॉडलिंग - शिक्षकों को अपने स्कूल समुदायों के भीतर समावेशिता की वकालत करने और विविधता और स्वीकृति को बढ़ावा देने वाले सकारात्मक व्यवहार और दृष्टिकोण प्रदर्शित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

5.    छात्रों को जीवन कौशल की शिक्षा- छात्रों को दूसरों के साथ बातचीत में विविधता के लिए समावेशिता और सम्मान को बढ़ावा देने के लिए सहानुभूति, संचार और टीम वर्क जैसे आवश्यक कौशल से लैस किया जाएगा।

 जेन्डर एवं समता प्रकोष्ठ (Cell) की कार्य योजना एवं पद्धति-

      वर्ष 2024-25 में राज्य स्तरीय जेन्डर एवं समता प्रकोष्ठ (Cell) में निम्नलिखित गतिविधियाँ प्रस्तावित हैं-

1.      जेण्डर सेल गठन- जेण्डर सेल शिक्षा में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नीतियां विकसित करने और प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करने के लिए लिंग मुद्दों में विशेषज्ञ पेशेवरों की नियुक्ति की निगरानी करेगा।

2.      लैंडस्केप अध्ययन- लिंग सेल शैक्षिक संदर्भ का गहन विश्लेषण करेगा, जिसमें लिंग संबंधी मुद्दों जैसे नामांकन दर, प्रतिधारण और लिंग के बीच शैक्षणिक प्रदर्शन असमानताओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

3.      क्षमता निर्माण कार्यशालाएँ- लिंग सेल लिंग मुद्दों पर अपने सदस्यों और प्रमुख सन्दर्भ व्यक्तियों (के.आर.पी.) के दृष्टिकोण को बनाने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन करेगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके पास जेण्डर संबंधी चुनौतियों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल हैं।

4.      हैंडबुक का विकास- जेंडर सेल शिक्षकों और छात्रों के लिए व्यापक हैंडबुक बनाने के लिए विशेषज्ञों के साथ सहयोग करेगा जो जेण्डर समता को बढ़ावा देने, पूर्वाग्रहों को संबोधित करने और समावेशी शिक्षण वातावरण बनाने पर मार्गदर्शन प्रदान करेगा।

5.      मास्टर प्रशिक्षण मैनुअल- जेंडर सेल एक विस्तृत मास्टर प्रशिक्षण मैनुअल के विकास का नेतृत्व करेगा, जो शिक्षकों और छात्रों को लैंगिक मुद्दों के प्रति संवेदनशील बनाने और अधिक समावेशी शैक्षिक वातावरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से परिवर्तनकारी प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए मॉड्यूल और दिशा-निर्देश प्रदान करेगा।

 (रिपोर्ट- डॉ. राकेश चन्द्र गैरोला, प्रवक्ता, एस.सी.ई.आर.टी. उत्तराखण्ड, देहरादून)