Ganga Ghugtiyal, SCERT
सहायक निदेशक डॉ. कृष्णानन्द बिजल्वाण ने कहा कि पाठ्य पुस्तकों के विकास में बुनियादी साक्षरता और संख्याज्ञान के लक्ष्यों को संरेखित करके किया जायेगा। उन्होंने पाठ्यपुस्तकों के विकास के सिद्धान्तों पर पाठ्यपुस्तक विकास समिति के समक्ष प्रस्तुतीकरण किया।
पाठ्यपुस्तक विकास समन्वयक गंगा घुघत्याल ने प्रथम चरण की कार्यशाला में पाठ्यपुस्तकों के विकास की प्रगति प्रस्तुत की और कहा कि ये पाठ्पुस्तकें राज्य की आने वाली पीढ़ी के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण योगदान देंगी। इन पाठ्यपुस्तकों के विकास का समन्वयन ई.सी.सी.ई. प्रकोष्ठ से गंगा घुघत्याल एवं एफ.एल.एन. प्रकोष्ठ से डॉ. राकेश चन्द्र गैरोला द्वारा सामूहिक रूप से किया जा रहा है। पाठ्यपुस्तकों के विकास में अजीम प्रेम जी, रूम टु रीड, सम्पर्क आदि सहयोगी संस्थाएं सहयोग प्रदान कर रही हैं।
पाठ्यपुस्तकों का विषयवार समन्वयन डॉ. दिनेश रतूड़ी, सुनील दत्त भट्ट, शालिनी गुप्ता, मनोज बहुगुणा, अनुज्ञा पैन्यूली, डॉ. संजीव चेतन, डॉ. साधना डिमरी, नीलम पंवार, डॉ. मनोज शुक्ला, गोपाल घुघत्याल, सुधा पैन्यूली तथा डॉ. रंजन कुमार भट्ट के द्वारा किया जा रहा है। टंकण एवं कम्पोजिंग का समन्वयन रेणु कुकरेती तथा राजकुमार के द्वारा किया जा रहा है।
पाठ्य पुस्तकों में बच्चों के साथ के मनोविज्ञान एवं कक्षा-कक्ष के अनुभव को समाहित करने के लिए राज्य के चयनित विद्यालयों के शिक्षक प्रतिभाग कर रहे हैं। अगले चरण में कक्षा 3 से 5 तक की पाठ्यपुस्तकों का विकास किया जायेगा।