Wednesday, May 21, 2025

भाषा समर कैम्प 2025: भारतीय भाषाओं का उत्सव: एक भारत, श्रेष्ठ भारत की ओर एक कदम


भारत एक बहुभाषी देश है। 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में 1369 मातृभाषाएँ, भाषाएँ और बोलियाँ बोली जाती हैं, जिनमें से 121 को भाषाओं के रूप में मान्यता प्राप्त है। इन भाषाओं को दो श्रेणियों में बांटा गया है - 22 अनुसूचित भाषाएँ और 99 गैर-अनुसूचित भाषाएँ। यह भाषिक विविधता और विभिन्न भाषाओं के बोलने वालों के बीच मौजूद आत्मीयता भारत की सांस्कृतिक एकता और भावनात्मक जुड़ाव को सशक्त बनाती है। यह विविधता हमारी एकता की नींव है, जो भारत की सदियों पुरानी परंपरा को दर्शाती है।

भारत में अधिकतर बच्चे अपने परिवेश में एक से अधिक भाषाओं के संपर्क में आते हैं – मोहल्ले, समुदाय, या साथियों के माध्यम से। वे कभी फिल्मों, गीतों या सांस्कृतिक पहलुओं की सराहना करने के लिए नई भाषा सीखने की इच्छा रखते हैं, तो कभी संप्रेषण की चुनौती के कारण। कम उम्र में बच्चों में भाषाएँ सीखने की क्षमता अधिक होती है, जिससे वे शीघ्र संवाद कौशल अर्जित कर लेते हैं।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने बहुभाषावाद को बढ़ावा देने पर बल दिया है और भारतीय भाषाओं को राष्ट्रीय एकता का एक प्रभावशाली साधन माना है। ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ पहल के तहत यह प्रस्तावित किया गया है कि कक्षा 6 से 8 के बीच सभी विद्यार्थियों को “भारत की भाषाएँ” विषय पर एक आनंददायक परियोजना/गतिविधि में भाग लेना चाहिए। इसके माध्यम से वे भारतीय भाषाओं की समानता, व्याकरण, ध्वन्यात्मकता, साहित्यिक समृद्धि और विविधताओं को समझ सकेंगे।

AI और तकनीकी विकास ने भारतीय भाषाओं को सीखने और अनुवाद को आसान बना दिया है। एक भारतीय भाषा सीखना दूसरे को सीखने के प्रति जिज्ञासा जगाता है। भारतीय भाषाओं में अनेक समानताएं होती हैं – ध्वनि प्रणाली, वाक्य संरचना, व्याकरणिक तत्व, शब्दकोश – जिससे एक नई भाषा सीखना पूरी तरह नया नहीं लगता। यह ज्ञान और संस्कृति की नई दुनिया में प्रवेश करने जैसा अनुभव होता है।

शिक्षकों के लिए भी किसी स्थानीय/क्षेत्रीय भाषा का ज्ञान अत्यंत लाभकारी हो सकता है। यह केवल छात्रों से संवाद को बेहतर बनाएगा, बल्कि छात्रों को एक और भाषा सीखने की प्रेरणा भी देगा।

भविष्य के भारत में नौकरी के अवसरों के लिए भी कई भारतीय भाषाओं का ज्ञान अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा। इसलिए, "एक और भारतीय भाषा सीखें" आज की आवश्यकता बन गई है।

भारतीय भाषा ग्रीष्मकालीन शिविर – एक पहल

इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु, देशभर के विद्यालयों में "भारतीय भाषा ग्रीष्मकालीन शिविर" आयोजित करने का प्रस्ताव है।

उद्देश्य:

  • विद्यार्थियों के बीच बहुभाषावाद को आनंदपूर्ण तरीके से प्रोत्साहित करना।

  • भारतीय भाषाओं की एकता और सांस्कृतिक विविधता का अनुभव कराना।

  • मातृभाषा के अतिरिक्त किसी एक भारतीय भाषा में बुनियादी संवाद कौशल विकसित कराना।

  • भाषाई आदान-प्रदान के माध्यम से आपसी सम्मान और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना।

शिविर के आयोजन की रूपरेखा:

  • यह शिविर सभी प्रकार के विद्यालयों – सरकारी, सहायता प्राप्त, केन्द्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय, CBSE, Eklavya मॉडल स्कूल, सैनिक विद्यालय आदि में आयोजित किया जाएगा।

  • NCERT, SCERT, DIET, और राज्य समग्र शिक्षा विभाग इसकी निगरानी और मार्गदर्शन करेंगे।

  • CBSE स्कूल अपने लिए NCERT द्वारा विकसित संसाधनों का उपयोग या अनुकूलन कर सकते हैं।

अपेक्षित परिणाम:

  • विद्यार्थी और शिक्षक किसी अन्य भाषिक परिवार की भारतीय भाषा सीखेंगे।

  • भाषाओं के माध्यम से एकता और आपसी जुड़ाव का संदेश पूरे देश में फैलेगा।

  • यह शिविर भारत की भाषाई विरासत को सशक्त करने का एक परिवर्तनकारी प्रयास होगा।

  • यह कार्यक्रम छात्रों को “मैंने एक और भारतीय भाषा सीखी और एक नए भारत की खोज की” कहने को प्रेरित करेगा।

शिविर की प्रमुख विशेषताएँ:

  • संवादात्मक भाषा खेल

  • रोचक समूह गतिविधियाँ

  • सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ और नृत्य-संगीत कार्यक्रम

यह शिविर भारत की भाषाई विविधता को समझने, अपनाने और उत्सव की तरह मनाने का एक सुनहरा अवसर है। यह प्रयास विद्यार्थियों को एक बहुभाषिक नागरिक बनने की दिशा में प्रेरित करेगा और राष्ट्रीय एकता के सूत्र को और मजबूत करेगा।

एक भारत, श्रेष्ठ भारत — भाषाओं के संग!

Tuesday, May 20, 2025

कान्फ्रेन्स हाल: एससीईआरटी उत्तराखंड : विभागीय कार्यों का प्रस्तुतीकरण दिए जाने हेतु निदेशक द्वारा निर्देशित बैठक सम्पन्न


दिनांक: 25 मई 2025

राजकीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) उत्तराखंड के कॉन्फ्रेंस हॉल में एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें निदेशक अकादमिक, शोध एवं प्रशिक्षण श्रीमती वंदना गर्ब्याल एवं अपर निदेशक श्री पद्मेंद्र सकलानी के निर्देशन में सभी विभागाध्यक्षों एवं संकाय सदस्यों को आवश्यक दिशा-निर्देश प्रदान किए गए।

बैठक का मुख्य उद्देश्य था कि सभी विभाग अपने कार्यों के निष्पादन और विगत वर्ष में प्राप्त परिणामों की समीक्षा करते हुए, उसका समुचित एविडेंस सहित प्रस्तुतीकरण तैयार करें। यह प्रस्तुति ओपन सभागार मे महानिदेशक एवं अन्य उच्च अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी, जिससे विभागीय कार्यक्षमता का आंकलन किया जा सके और भविष्य की योजनाओं के लिए एक दृढ़ रोडमैप तैयार किया जा सके।

प्रमुख निर्देशों में शामिल बिंदु:

  • प्रत्येक विभाग अपने कार्यों को दस्तावेजीकृत (document) करे।

  • कार्यों के निष्पादन का डेटा, प्रमाण एवं विश्लेषण के साथ प्रस्तुतीकरण तैयार किया जाए।

  • विभागीय प्रस्तुति के उपरांत संबंधित रिपोर्ट को विभागीय वेबसाइट एवं पोर्टल पर अपलोड करवाया जाए।

  • इस कार्य में आईटी विभाग,प्लैनिंग एवं मॉनिटरिंग विभाग को सक्रिय भूमिका निभाने और जिम्मेदारीपूर्वक कार्य निष्पादन के निर्देश दिए गए।

बैठक में सभी विभागाध्यक्ष, संकाय सदस्य एवं एससीईआरटी के अधिकारीगण उपस्थित रहे। बैठक में कार्यों की पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और निष्पादन की गुणवत्ता को प्राथमिकता देने पर विशेष बल दिया गया।

यह पहल एससीईआरटी उत्तराखंड की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं सुदृढ़ शैक्षिक योजनाओं की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो राज्य के शैक्षिक परिदृश्य को सशक्त बनाने में सहायक सिद्ध होगी।

— आई टी, एससीईआरटी उत्तराखंड

राजकीय शिक्षक संघ शाखा एससीईआरटी उत्तराखंड की बैठक में नई कार्यकारिणी का गठन


दिनांक: 25 मई 2025

आज दिनांक 25 मई 2025 को राजकीय शिक्षक संघ शाखा एससीईआरटी उत्तराखंड की एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। बैठक की अध्यक्षता संघ के वर्तमान अध्यक्ष  सुनील भट्ट  द्वारा की गई। इस अवसर पर सभी संकाय सदस्यगण उपस्थित रहे और संगठन के भविष्य की दिशा तय करने हेतु कई अहम निर्णय लिए गए।

सुनील भट्ट ने पूर्व के अनुभव और कठोर निर्णय लेने पर जोर दिया और अपने निजी स्वार्थ से हटकर संघ मे रहना होगा पर जोर दिया । वही दूसरी ओर मंत्री भुवनेश पंत ने भी जोशीले अंदाज मे अपनी बातें रखी ।  बैठक में पूर्व समिति को औपचारिक रूप से भंग करते हुए सर्वसम्मति से नई कार्यकारिणी के गठन का निर्णय लिया गया। नई समिति के पदाधिकारियों का चयन निम्नानुसार किया गया:

  • अध्यक्ष: विनय थपलियाल

  • उपाध्यक्ष: अजय चौरसिया

  • मंत्री: अखिलेश डोभाल 

  • महिला उपाध्यक्ष: गंगा गुघतयाल

  • कोषाध्यक्ष:  दिनेश चौहान

  • संगठन मंत्री:  राकेश गैरोला

  • सह सचिव:  रंजन भट्ट एवं 

  •  सचेतक: रवि दर्शन तोपाल 

  • मीडिया प्रभारी: मनोज बहुगुणा 

  • संरक्षक:  सुनील भट्ट (पूर्वअध्यक्ष)

नव निर्वाचित अध्यक्ष विनय थपलियाल ने अपने निराले अंदाज मे इस निर्णय को स्वीकार किया कि वे आने वाले समय मे एक ऊर्जा संगठन मे देंगे । बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि नवगठित कार्यकारिणी आगामी गतिविधियों का संचालन दक्षता और पारदर्शिता के साथ करेगी। साथ ही, राज्य और प्रांतीय स्तर पर शिक्षकों से संबंधित मुद्दों को मजबूती से प्रस्तुत करने एवं उनके समाधान हेतु प्रभावशाली संवाद कायम करेगी।


सभी नव-निर्वाचित पदाधिकारियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ दी गईं। संगठन को विश्वास है कि नई टीम के नेतृत्व में शिक्षक संघ नई ऊँचाइयों को प्राप्त करेगा और शिक्षकों की समस्याओं के समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाएगा।

— राजकीय शिक्षक संघ, शाखा एससीईआरटी उत्तराखंड

Exploring Bharatiya Bhasha Summer Camp Primers and Special Modules

India’s rich linguistic diversity has found renewed support through an exciting initiative launched by NCERT and the Central Institute of Indian Languages (CIIL)—the Bharatiya Bhasha Summer Camp Primers and Special Modules. These resources aim to nurture multilingualism and strengthen foundational literacy across Indian schools in alignment with the National Education Policy (NEP) 2020.

🌍 What’s New?

The initiative features:

  • Primers in 117 Indian Languages
    These include 17 scheduled languages, 23 non-tribal languages, and 81 tribal languages. Each primer offers child-friendly, contextual material to help children learn to read and write in their mother tongue.

  • Special Educational Modules
    Designed for students from Classes 1 to 12, these modules explore themes like India’s scientific progress, democracy, cultural heritage, and digital evolution. They are filled with activities, illustrations, and quizzes to encourage interactive learning.

Access the Free Resources

You can explore and download the materials directly from the official NCERT portal:


Watch the Official Launch

Want to see the initiative in action? Refer to the official launch event on YouTube:
📺 Watch Here

This initiative is a significant step toward inclusive and equitable education. Whether you're a teacher, student, or parent, these resources are a wonderful way to celebrate and preserve India’s linguistic heritage.

Let’s empower our classrooms with the wealth of Indian languages!

Sunday, May 18, 2025

Coming Soon: 07 दिवसीय भाषा समर कैम्प: उत्तराखण्ड के विद्यालयों में भाषा कौशल का उत्सव

उत्तराखण्ड सरकार के शिक्षा विभाग तथा राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) के निर्देशानुसार, राज्य के समस्त विद्यालयों में 07 दिवसीय भाषा समर कैम्प का आयोजन किया जाएगा। यह कार्यक्रम भारत सरकार के निर्देश पर भाषाई समृद्धि, सांस्कृतिक जागरूकता और व्यावहारिक भाषा कौशल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है।

लक्ष्य समूह:

विद्यालयों के छात्र-छात्राएँ, शिक्षकगण तथा स्थानीय समुदाय के सदस्य।

संचालन एवं निगरानी:
महानिदेशक अभिषेक रोहिला के निर्देशन मे कार्यक्रम का क्रियान्वयन राज्य स्तरीय समिति द्वारा किया जाएगा, जिसमें SCERT, समग्र शिक्षा एवं DIET के विशेषज्ञ शामिल हैं।

मुख्य विषय
भारतीय भाषाएं तथा संस्कृत, पंजाबी, बंगाली आदि प्रदेश की आंचलिक भाषाओं / बोलियों
(गढ़वाली, कुमाऊँनी, जौनसारी, रंवाल्टी, जाड़, कौरवी, भोटिया, रं आदि) पर आधारित गतिविधियाँ।

कार्यक्रम की अवधि
दिनांक 27 मई 2025 से 02 जून 2025 (07 दिन)

समय
कुल 28 घण्टे (प्रत्येक दिन 04 घण्टे)

अनुश्रवण
भौतिक रूप में तथा गूगल ट्रैकर लिंक के माध्यम से

कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएँ:

दैनिक गतिविधियाँ:
  • दिन-1: मूलभूत अभिवादन, वर्णमाला, संख्याएँ और हस्ताक्षर अभ्यास।

  • दिन-2: आभासी शहर भ्रमण (Virtual City Tour) एवं वास्तविक जीवन की वार्तालाप प्रथाएँ।
  • दिन-3: कला (संगीत/नृत्य/चित्रकला) के माध्यम से भाषा सीखना।
  • दिन-4: स्थानीय व्यंजनों (मसालों, सब्जियों, फलों) के नामों का ज्ञान।
  • दिन-5: स्थानीय नायकों (सेना, स्वतंत्रता सेनानियों, कलाकारों) की जानकारी।
  • दिन-6: नदियों, पर्वतों और ऐतिहासिक स्मारकों के नामों के माध्यम से इतिहास-भूगोल का ज्ञान।
  • दिन-7: प्रेरक सत्र एवं समापन समारोह।
कार्यक्रम का महत्व:
  • छात्रों में बहुभाषिक क्षमता का विकास।

  • स्थानीय संस्कृति एवं विरासत से जुड़ाव।

  • रचनात्मक गतिविधियों के माध्यम से शिक्षण को रोचक बनाना।

आवश्यक निर्देश:

  • सभी विद्यालयों को निर्धारित कार्यक्रम अनुसार गतिविधियाँ आयोजित करनी होंगी।

  • प्रतिदिन की प्रगति ट्रैकर लिंक (Google Sheet) पर अद्यतन की जाएगी।

संपर्क सूत्र:

"भाषा ही राष्ट्र की आत्मा है — आइए, इस समर कैम्प में सीखें, सिखाएँ और समृद्ध हों!"

— SCERT उत्तराखण्ड, शिक्षा विभाग

Saturday, May 17, 2025

कौशलम कार्यक्रम: शिक्षा में नवाचार और आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम

"कौशलम कार्यक्रम" उत्तराखंड राज्य के विद्यालयी शिक्षा में एक क्रांतिकारी पहल है, जो कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों को उद्यमशील मानसिकता और 21वीं सदी के कौशलों से सुसज्जित करने के उद्देश्य से संचालित किया जा रहा है। यह कार्यक्रम न केवल छात्रों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करता है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और नवाचारी बनने की प्रेरणा भी देता है।

कार्यक्रम का संचालन: नेतृत्व में समर्पण

कार्यक्रम समन्वयक सुनील भट्ट और उनकी प्रतिबद्ध टीम द्वारा इस कार्यक्रम का संचालन पूरे उत्तराखंड राज्य में प्रभावशाली रूप से किया जा रहा है। उनके नेतृत्व में राज्य स्तरीय प्रशिक्षण और अभिमुखिकरण सत्रों का आयोजन निरंतर किया जा रहा है, जिनका उद्देश्य शिक्षकों को इस कार्यक्रम की मूल भावना और क्रियान्वयन प्रक्रिया से सशक्त रूप से जोड़ना है।

सुनील भट्ट की टीम न केवल प्रशिक्षण की तकनीकी दक्षता पर ध्यान दे रही है, बल्कि विद्यालयों में इस कार्यक्रम के जमीनी स्तर पर प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए भी लगातार कार्य कर रही है।

अनुश्रवन और मार्गदर्शन: वंदना गर्ब्याल का योगदान

इस कार्यक्रम की गुणवत्ता और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने हेतु निदेशक, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण – वंदना गर्ब्याल ने गहराई से अनुश्रवण किया। उन्होंने न केवल प्रशिक्षण सत्रों में भाग लिया, बल्कि प्रत्येक पहलू का सूक्ष्म विश्लेषण कर सार्थक सुझाव भी प्रदान किए।
उनके शब्दों में:

"कौशलम कार्यक्रम न केवल विद्यार्थियों को शिक्षा से जोड़ता है, बल्कि उन्हें सृजनात्मकता, आत्मनिर्भरता और नेतृत्व के पथ पर भी अग्रसर करता है। यह 21वीं सदी के लिए एक मील का पत्थर है।"

निदेशक वंदना द्वारा दिए गए  सुझाव आधारित दृष्टि ने कार्यक्रम को और अधिक व्यावहारिक, छात्र-केंद्रित और अनुभवात्मक बनाने की दिशा में बल दिया है।

21वीं सदी के कौशल: बदलते युग की मांग

इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों को निम्नलिखित आवश्यक कौशलों से परिचित कराया जाता है:

  • संचार कौशल

  • सहयोग और टीम वर्क

  • तार्किक चिंतन एवं समस्या समाधान

  • नवाचार और रचनात्मकता

  • आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता और स्वजागरूकता

इन कौशलों के माध्यम से छात्र न केवल शैक्षणिक रूप से सशक्त बनते हैं, बल्कि सामाजिक और व्यावसायिक जीवन में भी उनका आत्मबल दृढ़ होता है।

कक्षा अनुसार गतिविधियाँ

  • कक्षा 9: समस्या का चिन्हांकन और समाधान

  • कक्षा 10: करियर की खोज और योजना

  • कक्षा 11: व्यवसाय आधारित परियोजना

  • कक्षा 12: रुचि आधारित नवाचारी प्रोजेक्ट

अपर निदेशक परिषद पदमेन्द्र सकलानी और सहायक निदेशक डॉ के एन बिजलवान ने कहा कि यह प्रोग्राम  विद्यार्थियों को चिंतनशील, निर्णयात्मक और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित करता है।

साझेदारी और सहभागिता

कार्यक्रम में अजीम प्रेमजी फाउंडेशन, उद्यम लर्निंग फाउंडेशन तथा अन्य संदर्भदाताओं ने भी तकनीकी सहयोग प्रदान किया। रोहित गुप्ता, दिव्या जोशी और दिनेश सिंह जैसे विशेषज्ञों ने प्रशिक्षण में सशक्त भागीदारी निभाई।

निष्कर्ष: कौशलम – विद्यार्थियों के भविष्य की नींव

"कौशलम कार्यक्रम" उत्तराखंड राज्य के शिक्षा क्षेत्र में नवाचार, आत्मनिर्भरता और कौशल विकास का प्रतीक बन चुका है।
सुनील भट्ट और उनकी टीम का समर्पण, निदेशक वंदना गर्ब्याल की दृष्टि और शिक्षकों की भागीदारी इस कार्यक्रम को एक सार्थक आंदोलन की दिशा में ले जा रही है।

Thursday, May 15, 2025

उत्तराखंड में अभिषेक रुहेला ने संभाला विद्यालयी शिक्षा महानिदेशक पद


14 मई 2025 देहरादून – उत्तराखंड के शिक्षा विभाग में एक नया नेतृत्व परिवर्तन हुआ है। अभिषेक रुहेला ने विद्यालयी शिक्षा के नए महानिदेशक का पदभार संभाल लिया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और स्कूलों में आधारभूत सुविधाओं को मजबूत बनाना उनकी शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल होगा। इस अवसर पर निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण बन्दना गर्ब्याल ,निदेशक माध्यमिक शिक्षा डॉ मुकुल सती, निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा अजय नौडियाल ने महानिदेशक का स्वागत किया और अपने कार्यों के आयामों से परिचय करवाया । अपर निदेशक महानिदेशक कार्यालय एवं एससीईआरटी के अपर निदेशक पदमेन्द्र सकलानी ने अभिषेक रोहिल्ला महानिदेशक का स्वागत पुष्प गुच्छ से करते हुए परिषद के कार्यों का विवरण भी प्रस्तुत किया। 

शिक्षा गुणवत्ता पर रहेगा फोकस

नवीन पदभार संभालने के बाद एक समाचार पत्र को दिए इंटरव्यू में अभिषेक रुहेला ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए शिक्षकों और अधिकारियों की पारदर्शी तैनाती की जाएगी। इसके साथ ही छात्रों को समय पर पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराने, प्रयोगशालाओं को सुसज्जित करने और आवश्यक संसाधनों की पूर्ति के प्रयास किए जाएंगे।


प्राथमिकताएं और चुनौतियां

 महनिदेशक रुहेला के अनुसार विभाग की प्रमुख चुनौतियों में हैं:

  • शिक्षकों और अधिकारियों की पारदर्शी तैनाती

  • छात्रों को समय पर पाठ्यपुस्तकों की उपलब्धता

  • प्रधानाचार्य व प्रधानाध्यापक के रिक्त पदों की त्वरित भर्ती

  • शिक्षकों की दक्षता पर मूल्यांकन

उन्होंने कहा कि वे शिक्षकों की कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रमों को भी लागू करेंगे। इसके अलावा स्कूलों में बच्चों के लिए सुरक्षित और अनुकूल वातावरण सुनिश्चित करने पर भी बल दिया जाएगा।

अभिषेक रुहेला ने यह भी कहा कि वे सरकार की अपेक्षाओं और जनता के विश्वास पर खरा उतरने के लिए पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ कार्य करेंगे। शिक्षा विभाग को नई दिशा देने के उद्देश्य से वे सभी अधिकारियों और कर्मचारियों से मिलकर समन्वय स्थापित करेंगे।

Friday, May 09, 2025

ई-कंटेंट लेखन हेतु राउंड-9 SRG कार्यशाला का समापन – SCERT उत्तराखण्ड

ई-लर्निंग सेंटर, आई.टी. लैब, SCERT उत्तराखंड:  5 मई से 9 मई 2025

SCERT उत्तराखंड द्वारा ई-कंटेंट निर्माण को बढ़ावा देने हेतु आयोजित राउंड-9 SRG कार्यशाला का आज, 9 मई 2025 को सफलतापूर्वक समापन हुआ। कार्यशाला का उद्देश्य था: DIKSHA प्लेटफ़ॉर्म पर गुणवत्तापूर्ण और शिक्षण-अनुकूल डिजिटल सामग्री का निर्माण करना, विशेष रूप से कठिन विषयों एवं अवधारणाओं के लिए।

कार्यशाला का समापन सहायक निदेशक डॉ. के एन बिजलवाण के निर्देशन में हुआ, जिन्होंने समापन सत्र में सभी प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र वितरित किए और उन्हें 21वीं सदी की डिजिटल शिक्षा के प्रति उत्तरदायी शिक्षक बनने के लिए प्रेरित किया। संदर्भदाता के रूप में नेशनल ICT अवार्डी शिक्षक सुप्रिया बहुखंडी ने प्रतिभागियों को ई-कंटेंट स्क्रिप्टिंग के व्यावहारिक पक्षों से परिचित कराया था ।  आईटी प्रवक्ता रमेश बडोनी ने ई-सृजन कोर्स और DIKSHA स्क्रिप्टिंग गाइडलाइंस पर विस्तारपूर्वक प्रस्तुतियाँ दीं थी 

इस अवसर पर सहायक निदेशक डॉ. के.एन. बिजलवाण द्वारा सभी प्रतिभागी शिक्षकों को प्रमाणपत्र प्रदान किए गए। इस कार्यशाला में प्रतिभाग करने वाले शिक्षकों में राजेश यादव, मुकेश कुमार, मनोज कुमार, आरती सकलानी, शरद अग्रवाल, मनोज लाल, ललित मोहन, अभिषेक शर्मा, मुकेश बडोनी, अतुल कुमार, शांति प्रसाद थपलियाल, मिथिला सजवान नेगी, डॉ. अशोक कुमार बडोनी, अजय कुमार चौधरी, अतुल पचौली, सुरेंद्र भगत, बलबीर सिंह बुटोला, अनुप कथैत, भारती प्रकाश, कमला बोहरा, ज्योति नेगी, राजेंद्र सिंह भंडारी, कुलदीप सिंह खत्री, सुरजीत चौहान, मनोज कुमार घुनियाल, दर्शन सिंह सौनरियाल, डॉ. जगमोहन सिंह पुंडीर, अशुतोष बिडालिया, नीता, रश्मि उपाध्याय, रोशन लाल गौड़ और डॉ. प्रमोद कुमार आदि शामिल रहे। 

सभी प्रतिभागियों ने अपने-अपने विषय में तकनीकी सहयोग से ई-कंटेंट लेखन की महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की और इसे भविष्य में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए उपयोग करने की प्रतिबद्धता जताई।समन्वयक एस. पी. वर्मा ने सभी सत्रों को प्रभावी ढंग से संयोजित किया, जबकि आईटीडीए टीम के सदस्यों ने तकनीकी सहायता प्रदान की।

आज के अंतिम सत्र मे डॉ अशोक बडोनी ने अपनी टेक्स्ट स्क्रिप्ट को सदन मे प्रस्तुत किया जो एक सफलतम प्रयास इस कार्यशाला मे परिलक्षित हुआ । यह कार्यशाला न केवल ई-कंटेंट लेखन के प्रति शिक्षकों में जागरूकता लाने में सफल रही, बल्कि यह उत्तराखंड की डिजिटल शिक्षा पहल में एक मील का पत्थर साबित होगी।