Wednesday, May 21, 2025

भाषा समर कैम्प 2025: भारतीय भाषाओं का उत्सव: एक भारत, श्रेष्ठ भारत की ओर एक कदम


भारत एक बहुभाषी देश है। 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में 1369 मातृभाषाएँ, भाषाएँ और बोलियाँ बोली जाती हैं, जिनमें से 121 को भाषाओं के रूप में मान्यता प्राप्त है। इन भाषाओं को दो श्रेणियों में बांटा गया है - 22 अनुसूचित भाषाएँ और 99 गैर-अनुसूचित भाषाएँ। यह भाषिक विविधता और विभिन्न भाषाओं के बोलने वालों के बीच मौजूद आत्मीयता भारत की सांस्कृतिक एकता और भावनात्मक जुड़ाव को सशक्त बनाती है। यह विविधता हमारी एकता की नींव है, जो भारत की सदियों पुरानी परंपरा को दर्शाती है।

भारत में अधिकतर बच्चे अपने परिवेश में एक से अधिक भाषाओं के संपर्क में आते हैं – मोहल्ले, समुदाय, या साथियों के माध्यम से। वे कभी फिल्मों, गीतों या सांस्कृतिक पहलुओं की सराहना करने के लिए नई भाषा सीखने की इच्छा रखते हैं, तो कभी संप्रेषण की चुनौती के कारण। कम उम्र में बच्चों में भाषाएँ सीखने की क्षमता अधिक होती है, जिससे वे शीघ्र संवाद कौशल अर्जित कर लेते हैं।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने बहुभाषावाद को बढ़ावा देने पर बल दिया है और भारतीय भाषाओं को राष्ट्रीय एकता का एक प्रभावशाली साधन माना है। ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ पहल के तहत यह प्रस्तावित किया गया है कि कक्षा 6 से 8 के बीच सभी विद्यार्थियों को “भारत की भाषाएँ” विषय पर एक आनंददायक परियोजना/गतिविधि में भाग लेना चाहिए। इसके माध्यम से वे भारतीय भाषाओं की समानता, व्याकरण, ध्वन्यात्मकता, साहित्यिक समृद्धि और विविधताओं को समझ सकेंगे।

AI और तकनीकी विकास ने भारतीय भाषाओं को सीखने और अनुवाद को आसान बना दिया है। एक भारतीय भाषा सीखना दूसरे को सीखने के प्रति जिज्ञासा जगाता है। भारतीय भाषाओं में अनेक समानताएं होती हैं – ध्वनि प्रणाली, वाक्य संरचना, व्याकरणिक तत्व, शब्दकोश – जिससे एक नई भाषा सीखना पूरी तरह नया नहीं लगता। यह ज्ञान और संस्कृति की नई दुनिया में प्रवेश करने जैसा अनुभव होता है।

शिक्षकों के लिए भी किसी स्थानीय/क्षेत्रीय भाषा का ज्ञान अत्यंत लाभकारी हो सकता है। यह केवल छात्रों से संवाद को बेहतर बनाएगा, बल्कि छात्रों को एक और भाषा सीखने की प्रेरणा भी देगा।

भविष्य के भारत में नौकरी के अवसरों के लिए भी कई भारतीय भाषाओं का ज्ञान अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा। इसलिए, "एक और भारतीय भाषा सीखें" आज की आवश्यकता बन गई है।

भारतीय भाषा ग्रीष्मकालीन शिविर – एक पहल

इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु, देशभर के विद्यालयों में "भारतीय भाषा ग्रीष्मकालीन शिविर" आयोजित करने का प्रस्ताव है।

उद्देश्य:

  • विद्यार्थियों के बीच बहुभाषावाद को आनंदपूर्ण तरीके से प्रोत्साहित करना।

  • भारतीय भाषाओं की एकता और सांस्कृतिक विविधता का अनुभव कराना।

  • मातृभाषा के अतिरिक्त किसी एक भारतीय भाषा में बुनियादी संवाद कौशल विकसित कराना।

  • भाषाई आदान-प्रदान के माध्यम से आपसी सम्मान और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना।

शिविर के आयोजन की रूपरेखा:

  • यह शिविर सभी प्रकार के विद्यालयों – सरकारी, सहायता प्राप्त, केन्द्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय, CBSE, Eklavya मॉडल स्कूल, सैनिक विद्यालय आदि में आयोजित किया जाएगा।

  • NCERT, SCERT, DIET, और राज्य समग्र शिक्षा विभाग इसकी निगरानी और मार्गदर्शन करेंगे।

  • CBSE स्कूल अपने लिए NCERT द्वारा विकसित संसाधनों का उपयोग या अनुकूलन कर सकते हैं।

अपेक्षित परिणाम:

  • विद्यार्थी और शिक्षक किसी अन्य भाषिक परिवार की भारतीय भाषा सीखेंगे।

  • भाषाओं के माध्यम से एकता और आपसी जुड़ाव का संदेश पूरे देश में फैलेगा।

  • यह शिविर भारत की भाषाई विरासत को सशक्त करने का एक परिवर्तनकारी प्रयास होगा।

  • यह कार्यक्रम छात्रों को “मैंने एक और भारतीय भाषा सीखी और एक नए भारत की खोज की” कहने को प्रेरित करेगा।

शिविर की प्रमुख विशेषताएँ:

  • संवादात्मक भाषा खेल

  • रोचक समूह गतिविधियाँ

  • सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ और नृत्य-संगीत कार्यक्रम

यह शिविर भारत की भाषाई विविधता को समझने, अपनाने और उत्सव की तरह मनाने का एक सुनहरा अवसर है। यह प्रयास विद्यार्थियों को एक बहुभाषिक नागरिक बनने की दिशा में प्रेरित करेगा और राष्ट्रीय एकता के सूत्र को और मजबूत करेगा।

एक भारत, श्रेष्ठ भारत — भाषाओं के संग!