Saturday, December 28, 2024

दीक्षा पोर्टल ई-कंटेन्ट निर्माण कार्यशाला का सफल समापन: नए तकनीकी आयामों की प्रस्तुति

 

देहरादून, एससीईआरटी सभागार में आयोजित दीक्षा पोर्टल ई-कंटेन्ट निर्माण एवं प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन उत्साहपूर्वक किया गया। इस कार्यशाला में डिजिटल तकनीकों का उपयोग करते हुए अलग-अलग विषयों के लिए नवीनतम ई-कंटेन्ट तैयार करने पर प्रशिक्षण दिया गया। प्रतिभागियों ने वीडियो प्रस्तुति, स्क्रिप्ट लेखन और विभिन्न डिजिटल टूल्स के माध्यम से कंटेन्ट निर्माण के विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा की। आई टी विभाग से प्रवक्ता रमेश बडोनी ने कार्यशाला मे कुछ कंटेन्ट निर्माण पर सहायक सामग्री प्रस्तुत की । 


कार्यशाला के समन्वयक  एस.पी. वर्मा ने कहा, "प्रतिभागियों ने इस कार्यक्रम में न केवल नए विचार प्रस्तुत किए बल्कि प्रभावी  स्क्रिप्ट्स बनाने  के प्रयास किए , जो शिक्षकों और छात्रों के लिए अत्यंत उपयोगी साबित होंगी।"

अपर निदेशक डॉ. मुकुल सती ने अपने संबोधन में कहा कि ई-कंटेन्ट निर्माण में गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने प्रतिभागियों को प्रेरित करते हुए कहा कि डिजिटल सामग्री को उपयोगकर्ता-अनुकूल और शिक्षाप्रद बनाने की दिशा में यह प्रयास सराहनीय है।


कार्यशाला के दौरान, रिसोर्स पर्सन भास्कर जोशी और प्रदीप नेगी ने नए आईसीटी टूल्स पर विस्तृत व्याख्यान दिए। उन्होंने शिक्षकों को डिजिटल शिक्षण में तकनीकी कौशल का उपयोग करने के महत्व को समझाया।


कार्यशाला में प्रतिभागियों ने सभी सत्रों में सक्रिय रूप से भाग लिया और डिजिटल शिक्षण सामग्री बनाने के लिए उपयोगी तकनीकों को सीखा। यह प्रशिक्षण शिक्षकों को डिजिटल शिक्षा के क्षेत्र में एक नई दिशा प्रदान करेगा और छात्रों के लिए गुणवत्तापूर्ण सामग्री उपलब्ध कराने में सहायक होगा।


इस कार्यशाला से जुड़े विचार और अनुभव सभी प्रतिभागियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने और उन्होंने इसे एक अद्वितीय अनुभव बताया।

दीक्षा पोर्टल के माध्यम से ई-कंटेन्ट निर्माण में ऐसे प्रयास भविष्य में भी शिक्षकों और छात्रों के लिए उपयोगी साबित होंगे।

प्रतिभागियों की सूची 

Friday, December 27, 2024

Concept Paper for the Hackathon "Innovate Uttarakhand"

 

चतुर्थ दिवस: दीक्षा पोर्टल कंटेंट निर्माण एवं प्रशिक्षण कार्यशाला 13 जनपदों और डाइट के सदस्यों ने प्रस्तुत किए ई-कंटेंट


 आज एस सी ई आर टी के सभागार मे दीक्षा पोर्टल कंटेंट निर्माण एवं प्रशिक्षण कार्यशाला के चतुर्थ दिवस पर राज्य के 13 जनपदों और डाइट के प्रतिभागियों ने अपने ई-कंटेंट की प्रभावशाली प्रस्तुतियाँ दीं।

प्रस्तुतियों की मुख्य विशेषताएँ:

  1. विविधता और रचनात्मकता:
    प्रतिभागियों ने अलग-अलग विषयों पर ई-कंटेंट तैयार कर प्रस्तुत किया। इनमें वीडियो ट्यूटोरियल, एनिमेशन, क्विज़, और इंटरेक्टिव असाइनमेंट शामिल थे।

  2. डाइट सदस्यों की भागीदारी:
    सभी जिलों के डाइट सदस्यों ने अपने क्षेत्रों से जुड़ी शैक्षिक जरूरतों के आधार पर ई-कंटेंट तैयार कर प्रदर्शित किया।

  3. विषय-केंद्रित कंटेंट:
    प्रस्तुतियाँ भौतिकी, रसायन, गणित, अंग्रेजी, और सामाजिक विज्ञान जैसे प्रमुख विषयों पर आधारित थीं।

  4. छात्र-हितैषी दृष्टिकोण:
    ई-कंटेंट को इस तरह से डिज़ाइन किया गया, जिससे छात्र स्वयं सीखने में रुचि लें और इसे आसानी से समझ सकें।


कार्यक्रम की उपलब्धि:

राज्य समन्वयक शिव प्रकाश वर्मा, ने कहा डिजिटल शिक्षण सामग्री को समृद्ध करने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है।  दीक्षा पोर्टल के माध्यम से राज्य के शिक्षकों और छात्रों को गुणवत्तापूर्ण सामग्री उपलब्ध कराने में यह प्रयास अहम साबित होगा।
अगले चरण: प्रदीप नेगी और भास्कर जोशी दोनों संदर्भदाताओं ने दिए  फीडबैक 
  • प्रस्तुतियों की समीक्षा और सुधार हेतु विशेषज्ञों से फीडबैक लिया जाएगा। 
  • प्रतिभागियों को बेहतर कंटेंट निर्माण के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
  • विकसित ई-कंटेंट को दीक्षा पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा।


यह कार्यशाला राज्य के शिक्षकों और डाइट सदस्यों को तकनीकी और रचनात्मक रूप से सशक्त बनाने का एक सराहनीय प्रयास है, जो भविष्य में शिक्षा प्रणाली को और प्रभावी बनाएगा।

राष्ट्रीय जनसंख्या शिक्षा कार्यक्रम (NPEP): 2024-25 की रचनात्मक प्रतियोगिताएँ संपन्न

 

27 दिसंबर 2024 को, राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, उत्तराखंड, देहरादून के तत्वावधान में राष्ट्रीय जनसंख्या शिक्षा कार्यक्रम (NPEP) के अंतर्गत लोकनृत्य, रोल प्ले, निबंध, समूह चर्चा, और पोस्टर प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं।


प्रतियोगिता का उद्देश्य

इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों में जनसंख्या शिक्षा से जुड़े मुद्दों के प्रति जागरूकता बढ़ाना, उनकी रचनात्मकता को प्रोत्साहित करना, और जनसंख्या से संबंधित चुनौतियों पर चर्चा के माध्यम से समाधान निकालने की क्षमता का विकास करना था।


अतिथि:

इस कार्यक्रम में बंदना गर्ब्याल , निदेशक, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण उत्तराखंड ने  शिरकत की और कलाकारों को उनकी प्रतिभाओं को सराहा। डॉ. मुकुल कुमार सती, अपर निदेशक, एससीईआरटी उत्तराखंड भी इस कार्यक्रम मे सतत संरक्षक के रूप मे बने रहे ।

कार्यक्रम की विशेषताएँ:

  1. लोकनृत्य प्रदर्शन:
    पारंपरिक लोकनृत्य के माध्यम से जनसंख्या शिक्षा से जुड़े संदेशों को रचनात्मक रूप से प्रस्तुत किया गया।

  2. रोल प्ले (भूमिका निर्वाह):
    विद्यार्थियों ने जनसंख्या समस्याओं और उनके समाधान पर आधारित अभिनय प्रस्तुत किए।

  3. निबंध लेखन:
    छात्रों ने अपनी लेखन प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए जनसंख्या शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर गहन विचार व्यक्त किए।

  4. समूह चर्चा:
    विभिन्न टीमों ने जनसंख्या वृद्धि, पर्यावरण पर इसके प्रभाव और संभावित समाधानों पर विचार-विमर्श किया।

  5. पोस्टर निर्माण:
    प्रतिभागियों ने रंगों और कल्पनाओं के माध्यम से अपने विचारों को पोस्टर में उतारा।


निवेदन और मार्गदर्शन:

कार्यक्रम का संचालन और समन्वयन डॉ के एन बिजलवाण सहा  निदेशक, एससीईआरटी उत्तराखंड और डॉ अवनीश उनियाल प्रवक्ता एस सी ई आर टी  ने किया।


प्रभाव और संदेश

इस आयोजन ने शिक्षा जगत में जनसंख्या शिक्षा के महत्व को रेखांकित किया। छात्रों ने अपनी रचनात्मकता और समझ को प्रकट करते हुए सामाजिक मुद्दों पर गहराई से विचार किया। कार्यक्रम ने शिक्षा और सांस्कृतिक गतिविधियों को जोड़ने का एक प्रभावी उदाहरण प्रस्तुत किया। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, उत्तराखंड इस तरह के आयोजनों के माध्यम से शिक्षा को समसामयिक मुद्दों से जोड़ने और छात्रों में सामाजिक जागरूकता बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयासरत है।


राष्ट्रीय जनसंख्या शिक्षा कार्यक्रम (NPEP) पर राज्य स्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन

प्रोग्राम समन्वयक नीलम पँवार के अनुसार इस प्रतियोगिता में राज्य के 13 जिलों से लगभग 180 छात्रों ने भाग लिया। छात्रों ने निबंध लेखन, समूह चर्चा, पोस्टर निर्माण, लोकनृत्य और भूमिका निर्वाह जैसी विभिन्न गतिविधियों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। इस कार्यक्रम मे डॉ उषा कटियार ने संगीत और लोकनृत्य के एपिसोड पर प्रवंधन किया। यह कार्यक्रम विशेष रूप से किशोरावस्था के मुद्दों जैसे लड़कियों और लड़कों की चुनौतियों पर केंद्रित था।

राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिभागिता

लोकनृत्य और भूमिका निर्वाह में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली टीम कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (KGBV), पिथौरागढ़ राज्य का प्रतिनिधित्व करेगी। यह टीम राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भाग लेगी, जो लक्ष्मीबाई शारीरिक शिक्षा संस्थान, ग्वालियर, मध्य प्रदेश में आयोजित की जाएगी।

NCERT के मार्गदर्शन में आयोजन:

यह कार्यक्रम NCERT के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया, जिसमें छात्रों ने न केवल अपनी रचनात्मकता को प्रस्तुत किया बल्कि सामाजिक और शैक्षिक मुद्दों पर जागरूकता भी बढ़ाई। NPEP कार्यक्रम का उद्देश्य किशोरावस्था के मुद्दों पर चर्चा को बढ़ावा देना और उनकी समझ को गहराई देना है। यह आयोजन छात्रों के लिए एक प्रेरणादायक मंच प्रदान करता है।

हैकथॉन 2024-25 "इनोवेट उत्तराखंड"

"नवाचार, सहयोग, परिवर्तन: एक सुदृढ़ भविष्य का निर्माण!"

शीर्षक: पर्यावरणीय स्थिरता के लिए एआई और डिजिटल समाधान के माध्यम से युवाओं को सशक्त बनाना

आयोजक: एससीईआरटी उत्तराखंड

परिचय:
"इनोवेट उत्तराखंड" हैकथॉन 2024 एससीईआरटी उत्तराखंड द्वारा एक परिवर्तनकारी पहल है, जिसका उद्देश्य राज्यभर के छात्रों और शिक्षकों में रचनात्मकता, डिजिटल साक्षरता और समालोचनात्मक सोच को बढ़ावा देना है। यह आयोजन उत्तराखंड की प्रमुख सामाजिक, शैक्षिक और पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और डिजिटल समाधानों का उपयोग करता है। प्रतिभागी प्राकृतिक आपदाओं, जंगल की आग, भूस्खलन और सतत विकास जैसे मुद्दों का समाधान विकसित करेंगे, जो सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) में योगदान देगा।

विज़न :
उत्तराखंड की शिक्षा प्रणाली में नवाचार और डिजिटल क्षमता की संस्कृति बनाने के लिए छात्रों और शिक्षकों को वास्तविक जीवन की चुनौतियों के लिए एआई-आधारित और डिजिटल समाधान सामूहिक रूप से डिजाइन करने के लिए सशक्त बनाना, जिससे सामुदायिक स्थिरता और सतत विकास सुनिश्चित हो सके।

उद्देश्य:

  1. डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना: छात्रों और शिक्षकों को 21वीं सदी की समस्या-समाधान में आवश्यक एआई और आईसीटी कौशल प्रदान करना।
  2. समालोचनात्मक सोच को प्रोत्साहित करना: जटिल पर्यावरणीय और सामाजिक मुद्दों को हल करने के लिए नवाचार की मानसिकता को प्रोत्साहित करना।
  3. सामुदायिक स्थिरता को समर्थन देना: प्राकृतिक आपदाओं को कम करने और सतत विकास को बढ़ाने के समाधान विकसित करना।
  4. शिक्षकों को सशक्त बनाना: कक्षा अभ्यास में एसटीईएम और एआई शिक्षण को एकीकृत करने की शिक्षकों की क्षमता को मजबूत करना।
  5. हितधारकों को शामिल करना: प्रभावशाली परिणाम सुनिश्चित करने के लिए शैक्षिक समन्वयकों, सामग्री विशेषज्ञों और सामुदायिक नेताओं के साथ सहयोग करना।

लक्षित समूह :

  • छात्र: कक्षा 6 से 12 तक।
  • शिक्षक: कक्षा 1 से 12 तक।

मुख्य विषय:

  1. पर्यावरणीय चुनौतियों के लिए एआई:
    • जंगल की आग की रोकथाम और प्रबंधन के समाधान।
    • भूस्खलन का पता लगाने और न्यूनीकरण के लिए एआई अनुप्रयोग।
    • तकनीक का उपयोग करके आपदा तैयारी और प्रतिक्रिया में सुधार।
  2. सतत विकास:
    • उत्तराखंड में पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए नवीन विचार।
    • स्थानीय जैव विविधता और संसाधनों का समर्थन करने के लिए तकनीक आधारित पहल।
  3. शिक्षा और सामाजिक परिवर्तन:
    • व्यक्तिगत शिक्षण अनुभवों के लिए उपकरण और अनुप्रयोग।
    • शिक्षा में समावेशिता और पहुंच को बढ़ाने के लिए मंच।

कार्य योजना:

  1. सामग्री विकास:
    • हैकथॉन के उद्देश्यों के अनुरूप कम से कम 100 गुणवत्तापूर्ण प्रस्तुतियां तैयार करना।
    • छात्र और शिक्षक-केन्द्रित परियोजनाओं के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश सुनिश्चित करना।
  2. कौशल विकास:
    • डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए आईसीटी उपकरण, रोबोटिक्स और एसटीईएम रणनीतियों को एकीकृत करना।
    • एआई कौशल बढ़ाने के लिए कार्यशालाएं और मेंटरिंग सत्र आयोजित करना।
  3. सहयोग:
    • नवाचार को बढ़ावा देने के लिए शिक्षकों, छात्रों और हितधारकों के नेटवर्क की स्थापना करना।
    • परियोजना प्रस्तुतियों को परिष्कृत करने के लिए प्रतिक्रिया और समीक्षा सत्र की सुविधा प्रदान करना।

हैकथॉन की संरचना:

  • जिला-स्तरीय चयन:
    प्रारंभिक प्रस्तुतियों का जिला स्तर पर मूल्यांकन किया जाएगा, जिसमें शीर्ष 1,000 परियोजनाएं राज्य स्तर पर जाएंगी।
  • राज्य-स्तरीय प्रतियोगिता:
    सर्वश्रेष्ठ 100 परियोजनाओं का अंतिम प्रदर्शन के लिए चयन किया जाएगा।
  • अंतिम प्रदर्शन और पुरस्कार:
    • 10 उत्कृष्ट छात्र परियोजनाओं और 5 प्रभावशाली शिक्षक परियोजनाओं को मान्यता।
    • नवाचार और स्थिरता का जश्न मनाने के लिए पुरस्कार।

अधिक जानकारी:

Wednesday, December 25, 2024

दूरदर्शन से प्रसारित प्रौद्योगिकी जनित विज्ञान प्रबोध एवं शिक्षण:Technology Based Science Education and Learning


रमेश प्रसाद बड़ोनी (लेक्चरर आई.टी. विभाग, एस.सी.ई.आर.टी, उत्तराखण्ड) द्वारा प्रस्तुत और अनिल कुमार भारती द्वारा संचालित दूरदर्शन का यह विशेष प्रसारण "विज्ञान प्रभा" शिक्षकों और छात्रों के लिए विज्ञान शिक्षा में प्रौद्योगिकी के महत्व को रेखांकित करता है। कार्यक्रम के निर्माता और निर्देशक हेमन्त सिंह राणा ने इसे इस प्रकार तैयार किया कि यह विज्ञान की जटिल अवधारणाओं को सरल और रुचिकर बनाता है।

क्लिक करें : https://youtu.be/wCWiJnUC-MI?si=qRYKKUqaV_JlMAJn

कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं:

  1. विज्ञान शिक्षा में प्रौद्योगिकी का समावेश: यह प्रसारण डिजिटल उपकरणों, सिमुलेशन, और ऑगमेंटेड रियलिटी जैसे नवाचारों को विज्ञान की शिक्षा में उपयोग करने के तरीकों पर केंद्रित है।

  2. शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण: शिक्षकों को नई तकनीकों का उपयोग करना सिखाने के साथ-साथ स्मार्ट क्लासरूम के महत्व को समझाया गया।

  3. छात्रों की रुचि बढ़ाना: छात्रों को प्रौद्योगिकी आधारित शिक्षण विधियों से जोड़ने के फायदे और उनके सीखने के अनुभव को रुचिकर बनाने के उपाय साझा किए गए।

आईसीटी आधारित शिक्षण के लाभ:

आईसीटी (सूचना और संचार प्रौद्योगिकी) आज के युग में शिक्षा के हर क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इस कार्यक्रम ने स्पष्ट किया कि आईसीटी का उपयोग कैसे शिक्षकों और छात्रों दोनों के लिए फायदेमंद हो सकता है:

शिक्षकों के लिए लाभ:

  1. शिक्षा में नवाचार: शिक्षक नई तकनीकों का उपयोग करके कठिन विषयों को सरल बना सकते हैं। जैसे कि सिमुलेशन और मल्टीमीडिया प्रस्तुतियां छात्रों के समझने के स्तर को बढ़ाती हैं।

  2. शिक्षण सामग्री की पहुंच: ऑनलाइन टूल्स और संसाधनों के माध्यम से शिक्षक अधिक समृद्ध और प्रभावशाली शिक्षण सामग्री तैयार कर सकते हैं।

  3. कक्षा प्रबंधन में सुधार: आईसीटी आधारित शिक्षण स्मार्ट क्लासरूम के माध्यम से शिक्षकों को बेहतर तरीके से कक्षा प्रबंधन में सहायता करता है।

छात्रों के लिए लाभ:

  1. व्यक्तिगत शिक्षण: प्रौद्योगिकी छात्रों को उनके अपने सीखने की गति से पढ़ने की सुविधा प्रदान करती है।

  2. रुचिकर शिक्षा: इंटरैक्टिव उपकरण और डिजिटल गेम आधारित शिक्षण से छात्रों की रुचि और सृजनात्मकता बढ़ती है।

  3. वैश्विक ज्ञान की पहुंच: छात्रों को इंटरनेट और डिजिटल उपकरणों के माध्यम से वैश्विक स्तर पर उपलब्ध जानकारी तक पहुंचने का मौका मिलता है।

"विज्ञान प्रभा" कार्यक्रम का प्रभाव:

रमेश प्रसाद बड़ोनी द्वारा साझा किए गए अनुभवों और विज्ञान शिक्षा में तकनीकी दृष्टिकोण ने दर्शकों के बीच नई सोच और ऊर्जा का संचार किया। अनिल कुमार भारती के प्रभावशाली संचालन ने कार्यक्रम को प्रभावशाली और दर्शनीय बनाया। इस प्रोग्राम के लिए बडोनी और दूरदर्शन के अधिकारियों ने शुभकामनाएं और भविष्य के लिए सहयोग के लिए भी अपेक्षा की है । 

इस प्रकार के प्रसारण न केवल छात्रों को बल्कि शिक्षकों को भी प्रौद्योगिकी के प्रति जागरूक और प्रेरित करते हैं। इस प्रयास से शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा मिलता है और छात्रों को भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार किया जा सकता है।

"विज्ञान प्रभा" जैसे कार्यक्रम विज्ञान और प्रौद्योगिकी के संयोजन को शिक्षा में लागू करने के लिए एक आदर्श उदाहरण हैं। इसने यह सिद्ध कर दिया कि प्रौद्योगिकी आधारित शिक्षण न केवल अधिक प्रभावशाली है बल्कि छात्रों और शिक्षकों के लिए समान रूप से उपयोगी है।

इस पहल से प्रेरित होकर, अन्य राज्य भी अपने शिक्षकों और छात्रों को प्रौद्योगिकी के माध्यम से सशक्त बना सकते हैं।

Tuesday, December 24, 2024

एससीईआरटी की संयुक्त छात्रवृत्ति परीक्षा: 17,874 छात्रों ने लिया हिस्सा

उत्तराखंड में शिक्षा के क्षेत्र में नई पहल

राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी), उत्तराखंड द्वारा आयोजित तीन स्तरीय संयुक्त छात्रवृत्ति परीक्षा में इस बार 17,874 छात्रों ने भाग लिया। यह परीक्षा केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयास से आयोजित की गई थी। इसका उद्देश्य मेधावी छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान कर उनकी शिक्षा को आर्थिक सहयोग देना है।

परीक्षा का आयोजन और चयन प्रक्रिया

यह परीक्षा प्रदेशभर के 98 परीक्षा केंद्रों पर आयोजित की गई। परीक्षा में कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों ने भाग लिया। परीक्षा का उद्देश्य मेधावी और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों का चयन करना है, जिन्हें राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान और अन्य योजनाओं के तहत छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी।

एससीईआरटी के अपर  निदेशक डॉ. मुकुल सती ने बताया कि इस परीक्षा के माध्यम से 1,048 छात्रों का चयन किया जाएगा। चयनित छात्रों में से 475 छात्र पांचवीं से आठवीं कक्षा तक के होंगे, जिन्हें राज्य स्तरीय छात्रवृत्ति योजना से लाभ मिलेगा। इसके अलावा, 1,623 छात्रों का चयन नौवीं से बारहवीं कक्षा तक की छात्रवृत्ति योजना के लिए किया जाएगा। डॉ. सती ने कहा, "यह परीक्षा मेधावी छात्रों के भविष्य को नई दिशा देने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।"

छात्रों की व्यापक भागीदारी
इस परीक्षा के लिए 19,109 छात्रों ने आवेदन किया, जिनमें से 17,874 छात्रों ने परीक्षा में हिस्सा लिया। यह संख्या प्रदेश के छात्रों की शिक्षा और छात्रवृत्ति योजनाओं में रुचि को दर्शाती है। परीक्षा में चयनित छात्रों को जनवरी 2025 तक परिणाम जारी होने के बाद छात्रवृत्ति दी जाएगी।

विशेष विद्यालयों के छात्रों को भी मिला अवसर
यह परीक्षा न केवल सरकारी विद्यालयों बल्कि निजी और सहायता प्राप्त विद्यालयों के छात्रों के लिए भी खुली थी। परीक्षा का उद्देश्य सभी छात्रों को समान अवसर प्रदान करना और शिक्षा में उनकी बाधाओं को दूर करना है।

एससीईआरटी की पहल से छात्रों को नया आयाम
एससीईआरटी के इस प्रयास को व्यापक सराहना मिल रही है। अपर निदेशक डॉ. मुकुल सती ने बताया कि इस पहल से न केवल छात्रों को आर्थिक सहायता मिलेगी, बल्कि उनकी शैक्षणिक उपलब्धियों को भी प्रोत्साहन मिलेगा। यह परीक्षा राज्य सरकार और केंद्र सरकार के सहयोग से छात्रों के लिए एक सकारात्मक कदम है।

एससीईआरटी की यह पहल छात्रों को शिक्षा में प्रगति का मार्ग प्रशस्त करती है। इस तरह की योजनाएं राज्य के शिक्षा क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर साबित हो रही हैं और यह उत्तराखंड के छात्रों के उज्ज्वल भविष्य के लिए एक मजबूत आधार तैयार कर रही है।

स्कूलों में सिखाई जाएगी ऐपन कला : जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के माध्यम से शिक्षकों को किया जा रहा प्रशिक्षित

 देहरादून:

उत्तराखंड की लोक कला "ऐपन" अब प्राथमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में सम्मिलित होगी। विद्यार्थियों को प्राथमिक कक्षाओं से इसका ज्ञान दिया जाएगा। इसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत लागू किया जा रहा है। इसके तहत आठवीं कक्षा तक के बच्चों को उत्तराखंड की लोककला, पारंपरिक लोक संस्कृति और लोक भाषाओं का अध्ययन कराया जाएगा।

एससीईआरटी की ओर से प्रदेशभर के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) के माध्यम से ऐपन कला का महत्व और इसके बनाने की विभिन्न तौर-तरीकों को सिखाया जा रहा है। इसके लिए शिक्षक-शिक्षिकाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है ताकि विद्यालयों में ऐपन कला बनाने के तौर-तरीकों को छात्रों को सिखाएं और उन्हें इसके इतिहास और महत्व के बारे में बताएं।

जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान देहरादून के प्राचार्य श्रीराम सिंह चौहान ने बताया कि शिक्षक-शिक्षिकाओं को उत्तराखंड की लोककला ऐपन कला की जानकारी दी जा रही है। यह परंपरागत कला प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में विशेष अवसरों जैसे त्योहार, शादी आदि में बनाई जाती है। इस कला का संरक्षण और संवर्धन करना जरूरी है।

ऐपन कला की विशेषता:
ऐपन कला एक दृश्य भाषा के रूप में पीढ़ियों के बीच संदेश और कहानियां संप्रेषित करती है। यह उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत को संजोने और कुमाऊं की परंपराओं को संरक्षित करने में सहायक है। ऐपन कला, किसी भी परंपरागत रूप की तरह, विलुप्त नहीं होनी चाहिए।

इसकी जानकारी विद्यार्थियों को दी जाएगी ताकि यह कला जीवित रह सके। यह लोककला कमद के फूल, पक्षियों जैसे रूपांकनों, पारंपरिक कहानियों और ऐतिहासिक घटनाओं के कथानक को व्यक्त करती है। प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त रंग, एक लयबद्ध-अनुकूल आयाम जोड़ते हैं। इस कला के जरिए समाज और संस्कृति को जोड़ने का भी प्रयास किया जा रहा है।

डॉ मुकुल सती ने कहा:
डॉ मुकुल सती, अपर निदेशक, एससीईआरटी, ने बताया कि ऐपन कला के संरक्षण और इसे नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए इस लोककला को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है। उन्होंने कहा कि यह कला केवल एक रचनात्मक अभिव्यक्ति नहीं है, बल्कि यह समाज, संस्कृति और परंपराओं को जोड़ने का माध्यम भी है।

डॉ सती ने यह भी कहा कि ऐपन कला बच्चों में उनकी सांस्कृतिक जड़ों के प्रति जागरूकता बढ़ाने में मदद करेगी और साथ ही उनकी रचनात्मकता को भी प्रोत्साहित करेगी। यह प्रयास राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्यों के साथ पूर्णतः सामंजस्य में है।

दीक्षा पोर्टल कंटेंट निर्माण एवं प्रशिक्षण कार्यशाला: ई-कंटेंट विकास



देहरादून। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के आईटी विभाग द्वारा आयोजित दीक्षा पोर्टल कंटेंट निर्माण एवं प्रशिक्षण कार्यशाला में राज्य के संदर्भदाताओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस कार्यशाला का उद्देश्य शिक्षकों को ई-कंटेंट निर्माण में दक्ष बनाना और उन्हें डिजिटल शिक्षा के क्षेत्र में सशक्त करना है।

कार्यशाला के दौरान ई-कंटेंट निर्माण के महत्वपूर्ण पहलुओं जैसे स्क्रिप्ट लेखन और वीडियो स्क्रिप्ट लेखन पर गहन चर्चा की गई। डॉ. के. एन. बिजलवान ने प्रतिभागियों को प्रभावी स्क्रिप्ट लेखन के टिप्स प्रदान किए। कार्यक्रम समन्वयक शिव प्रकाश वर्मा ने अपने संक्षिप्त संबोधन में कार्यशाला की रूपरेखा और उद्देश्यों को स्पष्ट किया।


रिसोर्स पर्सन का योगदान

कार्यशाला में रिसोर्स पर्सन भास्कर जोशी और प्रदीप नेगी  ने दीक्षा पोर्टल पर नमूना स्क्रिप्ट्स पर व्याख्यान दिए। उन्होंने प्रतिभागियों को पोर्टल की उपयोगिता और प्रभावी सामग्री निर्माण की रणनीतियों पर मार्गदर्शन दिया।

प्रतिभागियों की भूमिका
कार्यशाला में राज्य के 13 जनपदों के डाइट्स और स्कूलों के प्रतिभागी शामिल हुए। प्रतिभागियों को निर्देश दिया गया कि वे दो-दो विषयों पर ई-कंटेंट निर्माण करें, जिन्हें आदर्श स्क्रिप्ट्स के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। इन स्क्रिप्ट्स की समीक्षा और मूल्यांकन कार्यशाला के दौरान रिसोर्स पर्सन द्वारा की जाएगी।

कार्यशाला का महत्व
यह कार्यशाला डिजिटल शिक्षा की दिशा में एक अहम पहल है। दीक्षा पोर्टल का उपयोग करके विकसित किए गए ई-कंटेंट न केवल शिक्षकों के लिए सहायक होंगे बल्कि छात्रों को भी बेहतर और समृद्ध सीखने का अनुभव प्रदान करेंगे।


इस कार्यशाला ने प्रतिभागियों को डिजिटल युग के अनुरूप शिक्षण सामग्री विकसित करने के लिए प्रेरित किया है, जो शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है।

SCERT उत्तराखंड में ICT टूल्स पर आयोजित लेवल-2 MOOCS की समीक्षा बैठक

R P Badoni, IT Dept SCERT


देहरादून:राजकीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT)

राजकीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) उत्तराखंड के आईटी विभाग में "फंडामेंटल ऑफ ICT टूल्स फॉर स्कूल टीचर्स" पर लेवल-2 MOOCS की समीक्षा बैठक संपन्न हुई। इस बैठक में SMEs (Subject Matter Experts) द्वारा तैयार सामग्री और वीडियो ट्यूटोरियल की समीक्षा की गई।


इस पाठ्यक्रम के समन्वयक रमेश बडोनी ने ऑनलाइन प्राप्त 6 मॉड्यूल्स के स्क्रिप्ट्स साझा किए। इन मॉड्यूल्स में निम्नलिखित विषय शामिल हैं:

  1. ICT और एथिक्स में AI तकनीक का उपयोग।
  2. प्रोडक्टिविटी टूल्स जैसे गूगल डॉक और स्प्रेडशीट।
  3. कोलैबोरेटिव टूल्स जैसे जीमेल, गूगल मीट और ऑनलाइन चैट।
  4. विभिन्न विषयों के लिए डिजिटल टीचिंग प्लान।
  5. AI का शिक्षण योजनाओं में एकीकरण।
  6. इंटरनेट सुरक्षा और साइबर सुरक्षा।

समीक्षा और अनुशंसाएं

इस बैठक का नेतृत्व एचएनबी केंद्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर (पौड़ी गढ़वाल) के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अजय सेमल्टी ने किया। उन्होंने कहा कि सभी सामग्री और स्क्रिप्ट्स को निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन करते हुए संशोधित किया जाना चाहिए। यह दिशानिर्देश परिषद द्वारा पहले से तैयार किए गए हैं।

समीक्षा प्रक्रिया में निम्नलिखित विशेषज्ञों ने योगदान दिया:

  • डॉ. अतुल बमराड़ा
  • सुप्रिया बहुखंडी
  • जगदंबा डोभाल 
  • राजमोहन रावत


सभी विशेषज्ञों ने मॉड्यूल की सामग्री का बारीकी से विश्लेषण किया और इसे और प्रभावी बनाने के सुझाव दिए।

कार्यक्रम की सफलता में टीम का योगदान

इस रिव्यू मीटिंग मे डॉ के एन बिजलवान ने अपने सुझाव भी रखे ताकि online कोर्स के महत्व को समझाया जा सके। पाठ्यक्रम समन्वयक रमेश बडोनी ने पूरे कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ऑफिस लीड राजत छिबर ने बैठक के आयोजन में सभी व्यवस्थाओं का समर्थन किया।

यह बैठक शिक्षकों के लिए ICT टूल्स पर उन्नत स्तर का ज्ञान प्रदान करने और उनकी दक्षता को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई। SCERT उत्तराखंड का यह प्रयास राज्य के शिक्षकों को डिजिटल युग के लिए तैयार करने में मील का पत्थर साबित होगा।

राज्य के विभिन्न विद्यालयों / कार्यालयों में कार्यरत नवनियुक्त मिनिस्ट्रीयल कार्मिकों का कार्यालय एवं वित्तीय प्रबंधन प्रशिक्षण


रिपोर्ट: डॉ मोहन सिंह बिष्ट,सीमेट 
दिनांक 24 दिसम्बर, 2024 से दिनांक 28, दिसम्बर, 2024 तक राज्य शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान (सीमेट) में राज्य के विभिन्न विद्यालयों / कार्यालयों में कार्यरत नवनियुक्त मिनिस्ट्रीयल कार्मिकों  हेतु कार्यालय एवं वित्तीय प्रबंधन पर  प्रशि क्षण आयोजित किया जा रहा है ।
संस्थान के द्वारा मिनिस्ट्रीयल कार्मिकों  के प्रशिक्षण हेतु यह चौथा चक्र है । प्रशिक्षण का शुभारंभ विद्यालय शिक्षा विभाग की महानिदेशक झरना कमठान के द्वारा किया गया । महानिदेशक ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत यह अनिवार्य है की प्रतीक शैक्षणिक कार्मिक को 50 शब्दों का सेवारत क्षमता विकास प्रशिक्षण दिया जाए इसकी अंतर्गत सीमेंट के द्वारा नवनियुक्त मिनिस्टर कार्मिकों को यह प्रशिक्षण दिया जाना सभी मिनिस्टीरियल कार्यक्रमों के लिए उनकी सेवा में महत्वपूर्ण सिद्ध होगा महानिदेशक ने प्रशिक्षण का शुभारंभ करते हुए कहा कि प्रत्येक निश्चल कार्मिक किसी भी कार्यालय अथवा संस्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं वर्तमान में जब सभी कार्यालय कार्यों में तकनीकी का प्रयोग किया जा रहा है तो ऐसे समय में प्रतिकर्मिक को तकनीकी रूप से सुदृढ़ होना अनिवार्य है इस हेतु अब सभी सेवा तथा वित्तीय संबंधी कार्य विभिन्न पुतलों के माध्यम से किया जा रहे हैं और प्रत्येक मिस्टर कार्मिक को इन पुतलों में दक्ष होना अनिवार्य है। उनके द्वारा शुभारंभ के अवसर पर मिनिस्ट्रीयल कार्मिकों से आह्वान किया गया कि वे अपने कार्यालय सम्बन्धी कार्यों को पूर्ण मनोयोग से पूर्ण करें । 

महानिदेशक ने सीमैट द्वारा प्रशिक्षण हेतु निर्धारित विषयों की समीक्षा की तथा संस्थान को प्रशिक्षण की गुणवत्ता बनाए रखने हेतु निर्देशित किया ।महानिदेशक द्वारा सभी प्रतिभागियों को जानकारी दी गई कि प्रशिक्षण का प्रत्येक कार्मिक की सरकारी सेवा में महत्वपूर्ण स्थान है ।प्रशिक्षण के द्वारा कार्मिक नये-नये कौशलों में दक्ष होते हैं, वहीं वे नई जानकारियों से अपनी कार्यक्षमता का विकास करते हैं । प्रशिक्षण के शुभारंभ अवसर पर अपर निदेशक अजय कुमार नौडियाल, विभागाध्यक्ष दिनेश चंद्र गौड़, प्रोफेशनल डा. मदन मोहन उनियाल, डा. मोहन सिंह बिष्ट, डा. विनोद ध्यानी, विनीत त्रिपाठी, राजेंद्र बडोला  आदि उपस्थित थे । इस प्रशिक्षण चक्र में राज्य के विभिन्न विद्यालयों / कार्यालयों के 45 मिनिस्ट्रीयल कार्मिकों  द्वारा प्रतिभाग किया जा रहा है । प्रशिक्षण में कार्यालय प्रबंधन, कर्मचारी आचरण नियमावली, वित्तीय प्रबंधन,IFMS,तनाव प्रबंधन,समय प्रबंधन,G-EMarket,सेवानिवृत देयक,एजुकेशन पोर्टल आदि विषयों पर प्रशिक्षण दिया जायेगा

SCERT Uttarakhand: बाल सखा बताएंगे परीक्षा के तनाव से बचने के उपाय

देहरादून: 24-12-2024

राज्य के छात्रों के लिए बोर्ड परीक्षाओं के दौरान तनाव से निपटने के उद्देश्य से शिक्षा विभाग ने एक नई पहल की शुरुआत की है। सोमवार को एससीईआरटी के अपर निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने "बाल सखा प्रकोष्ठ" का गठन करते हुए टोल फ्री नंबर 18008893718 जारी किया।

इस प्रकोष्ठ के माध्यम से SCERT के 15 प्रशिक्षित शिक्षक छात्रों को तनाव प्रबंधन के गुर सिखाएंगे। छात्र अपनी पढ़ाई से संबंधित समस्याओं या बोर्ड परीक्षाओं से जुड़े तनाव को इन शिक्षकों के साथ साझा कर सकते हैं।

डॉ. सती ने बताया कि अगर टोल फ्री नंबर पर कॉल के दौरान छात्र की समस्या का तुरंत समाधान नहीं हो पाता है, तो "बाल सखा" छात्र का नंबर नोट कर बाद में खुद फोन करेंगे। इस पहल का उद्देश्य छात्रों को मानसिक और भावनात्मक सहयोग प्रदान करना है, ताकि वे परीक्षा के दौरान आत्मविश्वास और सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखें।

बाल सखा प्रकोष्ठ की कार्य प्रणाली:

  • ड्यूटी का समय: सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक।
  • कैरियर काउंसलिंग सुविधा:
    बोर्ड परीक्षा के दौरान छात्र अपने करियर से जुड़ी जिज्ञासाओं और समस्याओं के समाधान के लिए शाम 3 बजे से 5 बजे तक टोल फ्री नंबर पर कॉल कर सकते हैं।

डॉ. सती के अनुसार, इस पहल का उद्देश्य छात्रों में आत्मविश्वास बढ़ाना और उन्हें तनाव मुक्त वातावरण प्रदान करना है। बाल सखा प्रकोष्ठ न केवल छात्रों को परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रेरित करेगा, बल्कि उनके भविष्य के करियर से जुड़े सवालों का भी समाधान करेगा।

शिक्षा विभाग की यह पहल छात्रों और अभिभावकों के लिए एक बड़ी राहत साबित हो सकती है।

-- एस सी ई आर टी , / शिक्षा विभाग, उत्तराखंड

Monday, December 23, 2024

दूरदर्शन उत्तराखण्ड से होगा प्रसारण : विज्ञान प्रभा: विज्ञान शिक्षण में आईसीटी का उपयोग

दूरदर्शन से सीधा प्रसारण एक विशेष कार्यक्रम 'विज्ञान प्रभा' मे : विज्ञान को सरल और रोचक बनाने के लिए समर्पित है। इसमे  चर्चा करेंगे कि कैसे विज्ञान शिक्षण को सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) की मदद से प्रभावी और रुचिकर बनाया जा सकता है।  विज्ञान एक ऐसा विषय है जो अवधारणाओं और प्रयोगों पर आधारित है। ICT हमें इन अवधारणाओं को वास्तविकता के करीब लाने और छात्रों की समझ को बेहतर बनाने में मदद करता है। मल्टीमीडिया प्रेजेंटेशन, सिमुलेशन सॉफ्टवेयर, और वर्चुअल लैब्स के उपयोग से जटिल विषयों को सरल और रोचक बनाया जा सकता है।

उत्तराखंड के कई स्कूलों में ICT के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कार्यशालाएं आयोजित हो रही हैं।  ICT विज्ञान शिक्षण को एक नए आयाम पर ले जा सकता है। शिक्षक अपने शिक्षण में इसे अपनाएं और छात्रों को बेहतर अनुभव प्रदान करें।

एंकर माडरेटर : अनिल भारती आई बी निदेशक दूरदर्शन विषय विशेषज्ञ : आर पी बडोनी एस सी ई आर टी उत्तराखण्ड 

Sunday, December 22, 2024

राष्ट्रीय बालरंग महोत्सव भोपाल: उत्तराखंड टीम ने बढ़ाया प्रदेश का गौरव


भोपाल, मध्य प्रदेश के मानव संग्रहालय में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय बालरंग महोत्सव का समापन हर्षोल्लास के साथ हुआ। इस महोत्सव में देशभर के 22 राज्यों के बाल कलाकारों ने अपने-अपने राज्यों की लोक संस्कृति और परंपरा को लोकनृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया।

उत्तराखंड का गौरवपूर्ण प्रदर्शन
उत्तराखंड की टीम का नेतृत्व डॉ. शक्ति प्रसाद सेमल्टी और सोहन नेगी, प्रवक्ता, एससीईआरटी उत्तराखंड ने किया। उनके साथ कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय की 15 प्रतिभाशाली छात्राओं ने अपनी लोक संस्कृति को जीवंत किया। मार्गदर्शन में दीपमाला, ज्योति चौहान, और श्याम लाल ने भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

विशिष्ट अवसर: जौनसारी टोपी भेंट

महोत्सव के पहले दिन उत्तराखंड टीम ने मुख्य अतिथि डॉ. संजय गोयल, सचिव, विद्यालयी शिक्षा, मध्य प्रदेश को जौनसारी टोपी भेंट कर राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का सम्मान किया। इस अवसर पर डॉ. गोयल ने कहा, “22 राज्यों की टीमों द्वारा प्रस्तुत लोकनृत्य भारत की सांस्कृतिक विविधता और एकता का अद्भुत उदाहरण है। इससे बच्चों में अपनी संस्कृति के प्रति गर्व की भावना जागृत होगी।”

उत्तराखंड को मिला विशेष सम्मान
महोत्सव में उत्तराखंड की टीम ने अपने बेहतरीन प्रदर्शन से दर्शकों और निर्णायक मंडल का दिल जीत लिया। पंजाब, मणिपुर, मध्य प्रदेश और चंडीगढ़ की टीमों के साथ उत्तराखंड को पाँच उत्कृष्ट टीमों में स्थान मिला।

निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण उत्तराखण्ड बंदना गर्ब्याल और अपर निदेशक डॉ मुकुल कुमार सती ने विजयी समूह को बधाई देते हुए प्रदेश को सम्मानित होने पर खुशी जताई है । 

लोक संस्कृति के रंगों का संगम

डॉ. शक्ति प्रसाद सेमल्टी और सोहन नेगी ने  बताया, “इस महोत्सव में लोक संस्कृति के विविध रंगों को देखना एक अनोखा अनुभव था। यह बच्चों के लिए न केवल मनोरंजन, बल्कि सीखने का भी एक बेहतरीन अवसर था।”

बाल कलाकारों के लिए प्रेरणा का मंच
राष्ट्रीय बालरंग महोत्सव ने देश के भविष्य निर्माताओं को अपनी संस्कृति से जुड़ने और उसे जीवंत रखने का अवसर प्रदान किया। उत्तराखंड की टीम ने न केवल अपनी प्रस्तुति से राज्य का मान बढ़ाया, बल्कि एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना को भी सशक्त किया।


ऐसे आयोजनों से न केवल बाल कलाकारों को अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का मंच मिलता है, बल्कि देश की सांस्कृतिक धरोहर को भी संरक्षित और प्रोत्साहित किया जाता है। उत्तराखंड की टीम ने इस महोत्सव में अपनी छाप छोड़कर प्रदेश का गौरव बढ़ाया है।
Participants List: 

Thursday, December 19, 2024

एससीईआरटी उत्तराखंड द्वारा "Fundamentals of ICT Tools for School Teachers" के लिए लेवल-2 MOOCs कोर्स पर ऑनलाइन मीटिंग का आयोजन

 

राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) उत्तराखंड द्वारा "Fundamentals of ICT Tools for School Teachers" विषय पर लेवल-2 MOOCs (Massive Open Online Course) के विकास हेतु एक ऑनलाइन बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में एसएमई (Subject Matter Experts) और कंटेंट रिव्यूअर्स ने भाग लिया। बैठक का संचालन कोर्स कोऑर्डिनेटर  रमेश प्रसाद बडोनी ने किया।

बैठक की अध्यक्षता निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, बंदना गर्ब्याल ने की। उन्होंने इस कोर्स की आवश्यकता और महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह शिक्षक समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने पहले लेवल के MOOCs  कोर्स की सराहना करते हुए कहा कि एसएमई और टीम द्वारा विकसित सामग्री उच्च गुणवत्ता की है और इससे शिक्षक लाभान्वित हो रहे हैं।

श्री रमेश प्रसाद बडोनी ने लेवल-2 कोर्स का परिचय देते हुए इसके उद्देश्यों और दिशानिर्देशों को साझा किया। उन्होंने बताया कि यह कोर्स शिक्षकों को आईसीटी (ICT) के उपयोग में अधिक दक्ष बनाने और उनके कौशल को उन्नत करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को कोर्स सामग्री के विकास में दिशानिर्देशों का पालन करने की सलाह दी ताकि कोर्स अधिक प्रभावी और उपयोगी बन सके।

बैठक के मुख्य बिंदु:

  1. कोर्स का उद्देश्य:
    शिक्षकों को आईसीटी टूल्स के उन्नत उपयोग में प्रशिक्षित करना ताकि वे कक्षा शिक्षण को और अधिक प्रभावी बना सकें।

  2. लेवल-2 कोर्स की संरचना: इंटरएक्टिव मटेरियल  व्यावहारिक अभ्यास  मूल्यांकन और फीडबैक

  3.  निदेशक बंदना गर्ब्याल ने MOOCs के प्रथम लेवल की सफलता की सराहना की और लेवल-2 के लिए टीम को शुभकामनाएं दीं।

  4. सहयोग और मार्गदर्शन:
    एसएमई और कंटेंट रिव्यूअर्स ने अपने अनुभव साझा किए और कोर्स की गुणवत्ता सुधारने के लिए सुझाव दिए।

एससीईआरटी उत्तराखंड की इस पहल से राज्य के शिक्षकों को डिजिटल तकनीक में और अधिक दक्षता प्राप्त होगी, जिससे छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जा सकेगी।

#SCERT_Uttarakhand #MOOCs #ICTForTeachers #DigitalEducation #TeacherTraining 

SCERT Uttarakhand Hackathon 2024-25: Advancing Educational Content Creation through Collaboration

 

The SCERT Uttarakhand Hackathon 2024-25 launched with a dynamic meeting that gathered a wide range of educators, content creators, and ICT experts, all committed to developing high-quality educational content. This year’s Hackathon aims to empower students and teachers by fostering creativity through innovative lesson planning, content development, and integrating ICT tools into the learning process.

Chaired by Bandana Garbyal, Director of Academic Research and Training, SCERT Uttarakhand, the meeting began with a call for the creation of exceptional content that would enhance teaching methodologies across Uttarakhand. She stressed the importance of innovation and quality in the submissions.

The meeting was attended by several notable participants, including R. P. Badoni, the Program Coordinator from SCERT Uttarakhand, and J. P. Dobhal, a National Awardee known for his educational contributions. Other prominent attendees were Pradeep Negi, Daulat Guasian, Manodhar Nainwal, Bhaskar Joshi from Uttarakhand, Sushmita Chaudhary from West Bengal, and Abhishek from Madhya Pradesh, all of whom contributed their expertise in content development and ICT. Lokesh Tiwari, a seasoned ICT coordinator, and Prakash C. Upadhyaya, an innovative content writer, were also present, alongside Navneet, an ICT Awardee teacher.

From the University of Petroleum and Energy Studies, Prof. Sugandha Sharma and Kaushik Ghosh joined as content writers, offering their insights on educational content. Additionally, Neeru Mittal, another ICT Awardee, participated, contributing her knowledge in technology integration within education. Together, these 21 subject matter experts (SMEs), including Dr. Kiran Lata Dangal, Anand Kumar, and Alpa Nigam, collaborated to share their experiences and contribute to the creation of innovative, engaging content for the Hackathon.

Key Focus Areas:

The meeting centered around essential points such as the need for clear guidelines for content creation, ensuring that all submissions adhere to SCERT’s educational objectives. Special attention was given to the accessibility of content, advocating for submissions in open document formats to ensure ease of review.

The participants emphasized the importance of developing lesson plans that integrate ICT tools, coding, robotics, and STEM learning, aiming to foster digital literacy and creativity among students and teachers. The goal is to collaboratively produce at least 100 content submissions for the Hackathon, ensuring the highest standards of quality.

Actionable Goals:

  • Review sample lesson plans to ensure clarity and alignment with educational goals.
  • Develop a minimum of 100 high-quality content submissions.
  • Clarify specific guidelines for writing content for teachers.
  • Encourage continuous collaboration by introducing all participants.

Conclusion:

The meeting successfully established a collaborative and innovative environment, with experienced educators like Prof. Sugandha Sharma, Kaushik Ghosh, Neeru Mittal, Bhaskar Joshi, Prakash C. Upadhyaya, and others leading discussions on content quality. Program Coordinator R. P. Badoni expressed confidence that this collective effort would drive significant improvements in educational content across Uttarakhand.

The SCERT Uttarakhand Hackathon 2024-25 is set to become a transformative event, providing a platform for teachers and students to explore and solve real-world educational challenges through creativity, digital tools, and collaborative learning.


विद्यालयी शिक्षा हेतु राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा के ड्राफ्ट का प्रस्तुतीकरण

रिपोर्ट: मनोज किशोर बहुगुणा एन ई पी सेल एस सी ई आर टी 
बृहस्पतिवार को महानिदेशक विद्यालय शिक्षा,  झरना कमठान की अध्यक्षता में राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के सभागार में निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण  बंदना गर्ब्याल,अपर निदेशक एस सी ई आर टी डॉ. मुकुल कुमार सती तथा अपर निदेशक सीमैट अजय कुमार नौडियाल  सहित शिक्षा विभाग के अधिकारियों की बैठक आहूत की गई। उक्त बैठक में  एस.सी.ई.आर.टी. के संयुक्त निदेशक  प्रदीप रावत द्वारा सभी अधिकारियों के सम्मुख राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की प्रमुख अनुशंसाओं, राज्य में एन ई पी 2020 के क्रियान्वयन की अद्यतन स्थिति तथा विद्यालय शिक्षा हेतु राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा का विस्तृत ड्राफ्ट प्रस्तुत किया गया।

एन ई पी प्रकोष्ठ के कार्यक्रम समन्वयक  रविदर्शन तोपाल ने स्पष्ट किया कि एनसीईआरटी से प्राप्त एन सी एफ-एस ई की तर्ज पर ही यह पाठ्यचर्या की रूपरेखा विकसित की गई है, जिसमें उत्तराखंड राज्य पर आधारित संबोधो कों विशेष स्थान दिया गया है। उदाहरणतः राज्य की सांस्कृतिक विरासत, भौगोलिक पृष्ठभूमि, ऐतिहासिक गौरव गाथाएं, वनस्पति, जीव जंतु, संस्कृति आदि को विशेष रूप से पाठ्यचर्या का हिस्सा बनाने का प्रयास किया गया है।

कार्यक्रम समन्वयक एन ई पी प्रकोष्ठ मनोज बहुगुणा द्वारा निपसेड की उपनिदेशक डॉ. मोनिका शर्मा, हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर (गढ़वाल) के मनोविज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. मंजू खंडूरी पाण्डेय, राजकीय महाविद्यालय लोहाघाट चंपावत में मनोविज्ञान विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रेखा जोशी सहित ऑनलाइन माध्यम से प्राप्त विभिन्न सुझावों को बैठक में उपस्थित सदस्यों के सम्मुख प्रस्तुत किया गया।

 महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा द्वारा निर्देशित किया गया कि समिति के सभी सदस्यों द्वारा उक्त ड्राफ्ट का बारीकी से अध्ययन किया जाए, जिससे अगली बैठक में इसे पूर्ण कर शासन में अग्रिम कार्यवाही हेतु प्रेषित किया जा सके। बैठक में मुख्य शिक्षा अधिकारी टिहरी गढ़वाल  एस.पी.सेमवाल, मुख्य शिक्षा अधिकारी ऊधम सिंह नगर  के. एस. रावत, अपर सचिव उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद रामनगर डॉ. एस.पी. सिंह तथा  बी.एम.एस.रावत, प्राचार्य डायट रतूड़ा  सी. पी. रतूड़ी प्राचार्य डायट टिहरी  दीपक रतूड़ी, खंड शिक्षा अधिकारी जयहरीखाल  अमित कुमार चंद, खंड शिक्षा अधिकारी पोखरी  विनोद सिंह मटूडा, खंड शिक्षा अधिकारी बीरोंखाल  वर्षा भारद्वाज, उपनिदेशक प्रारंभिक शिक्षा  कमला बड़वाल, उपनिदेशक संस्कृत शिक्षा  पद्माकर मिश्र, प्रधानाचार्य दून इंटरनेशनल स्कूल डॉ. दिनेश बर्थवाल, प्रधानाचार्य धर्मा इंटरनेशनल स्कूल  स्वाति आनंद, प्रधानाचार्य राजकीय इंटर कॉलेज रानीपोखरी  के  एस गुसाईं, प्रधानाचार्य राजकीय इंटर कॉलेज भगवानपुर धारकोट डॉ. अतुल कुमार श्रीवास्तव, प्रधानाचार्य राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय वाणी विहार  दिनेश सिंह रावत तथा एन ई पी प्रकोष्ठ से डॉ कामाक्षा मिश्रा तथा सचिन नौटियाल उपस्थित रहे।

परामर्श एवम निर्देशन पर हितधारकों का राज्य सम्मेलन ( State Conference of Stakeholders on Guidance & Counselling)