Wednesday, August 14, 2024

इनोवेशन एवं डिजाइन थिंकिंग परियोजना: ऑनलाइन बैठक में विशेषज्ञों और शिक्षकों का मंथन

इनोवेशन एवं डिजाइन थिंकिंग के प्रथम चरण के अंतर्गत आज एक ऑनलाइन मीटिंग का आयोजन किया गया। इस मीटिंग में निदेशक, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, बंदना गर्ब्याल के मार्गदर्शन में नवम फाउंडेशन और एससीईआरटी उत्तराखंड के संयुक्त निदेशक कंचन देवराड़ी सहित कई संकाय सदस्य उपस्थित थे। इस बैठक में राज्य स्तर से नामित शिक्षक और अन्य संस्थानों के विषय विशेषज्ञ भी शामिल हुए।


मीटिंग की शुरुआत संयुक्त निदेशक कंचन देवराड़ी ने की और उन्होंने सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए डिजाइन थिंकिंग जैसी पहल को एक नई शुरुआत बताया। नवम के सीईओ नितिन देसाई ने कार्यक्रम की योजना और इसके उद्देश्य पर विस्तृत जानकारी दी। आईआईटी बीएचयू के आलोक द्विवेदी और नवम के अधिकारी श्रवण ने डिजाइन थिंकिंग के लेआउट और आगामी एपिसोड्स पर चर्चा की। राज्य समन्वयक और आईटी प्रवक्ता रमेश बडोनी ने मीटिंग के उद्देश्यों और भूमिका पर बात की।


नितिन देसाई ने इस पाठ्यक्रम को स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित ढांचे पर आधारित बताते हुए इसे भारत और UNSDG के उद्देश्यों के अनुरूप तैयार करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि छात्रों के बीच रचनात्मकता, आलोचनात्मक सोच और समस्या-समाधान कौशल का विकास बहुत महत्वपूर्ण है। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए "उपग्रह प्रसारण के माध्यम से नवाचार और डिज़ाइन थिंकिंग शिक्षा को सक्षम करना" योजना प्रस्तावित की गई है।


इस परियोजना का उद्देश्य राज्य भर के राजकीय विद्यालयों में कक्षा 6 से 12 तक के छात्रों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले नवाचार और डिजाइन थिंकिंग सत्रों का प्रसारण करना है, जिससे उन्नत शिक्षा तक समान पहुंच सुनिश्चित की जा सके। इस पहल के तहत 24 एपिसोड, प्रत्येक 45-60 मिनट का होगा, जो उत्तराखंड में INSPIRE अवार्ड्स, टेक्नो मेला, हैकाथॉन, विज्ञान मेलों और अन्य नवाचार प्रतियोगिताओं के लिए एक फीडर कार्यक्रम के रूप में काम कर सकते हैं।


निदेशक बंदना गर्ब्याल ने कार्यक्रम के समापन सत्र में अपने संदेश में कहा कि इस तरह के नवीनतम पाठ्यक्रमों को शिक्षा में लाने से हमारे शैक्षिक परिणाम और लक्ष्य निश्चित रूप से प्राप्त होंगे। इससे नवाचार और सोच में परिवर्तन आएगा, और राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर INSPIRE अवार्ड, टेक्नो मेला, डिजिटल हैकाथॉन जैसे कार्यक्रमों में छात्रों को अपने डिजाइन और समस्या समाधान उत्पादों को विकसित करने में सहायता मिलेगी।


इस पहल का स्वागत करते हुए निदेशक माध्यमिक एवं अपर निदेशक एससीईआरटी अजय नौडियाल ने भी समर्थन व्यक्त किया। इस मीटिंग में राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त शिक्षक जगदंबा डोभाल, सुप्रिया बहुखंडी, और राष्ट्रीय स्तर पर INSPIRE अवार्ड जीत चुके और जापान में अपने उत्पाद का प्रदर्शन कर चुके छात्र जतिन और हाल मे आई आई एस सी बैंगलोर एस ई पी मे चयनित छात्र कार्तिकेय भी उपस्थित थे। इसके साथ ही, राज्य में ख्याति प्राप्त नवाचारी शिक्षक अशोक भट्ट, अजय पाल नेगी, महावीर सेमवाल, बलविंदर कौर, एससीईआरटी के प्रवक्ता एसपी वर्मा, डॉ. साधना डिमरी, मनोज बहुगुणा, कमाक्षा मिश्रा और कई अन्य शिक्षक-प्रशिक्षक भी इस अवसर पर मौजूद रहे।

Tuesday, August 13, 2024

Sterlite EdIndia Foundation Hosts Webinar on "Developing Listening Skills in English Language" for D.El.Ed Students

On August 3rd, 2024, the Sterlite EdIndia Foundation organized a highly informative webinar for D.El.Ed students, under the esteemed guidance of  Bandna Gabryaal, Director ART; Aajay Kumar Nauriyal, Director of Secondary Education; and  Asha Rani Painyuli, Joint Director SCERT. The focus of the webinar was on the topic "Developing Listening Skills in English Language," aligning with the objectives set forth by the National Education Policy (NEP) 2020 for teacher educators.

The session aimed to equip future educators with the skills and knowledge necessary to become experts in digital learning. The key objectives of the session were:

  • To Develop Understanding of Listening Skills: Participants were introduced to the concept of listening skills, exploring the fundamental differences between listening and hearing, and how effective listening can be cultivated in an educational setting.

  • To Understand the 'Stages of Listening Skills' Through Interactive Activities: The webinar featured interactive activities that helped participants grasp the various stages of listening, providing practical insights into how these skills can be taught and developed in a classroom environment.

The webinar saw enthusiastic participation from principals and preservice teacher trainees across 13 DIETs (District Institutes of Education and Training). Attendees found the session immensely valuable, with many expressing that the insights gained would significantly contribute to their professional development. They also conveyed their eagerness for more such enlightening sessions in the future.

This webinar marks another successful step in the ongoing efforts to enhance the quality of teacher training, as recommended by NEP 2020, by focusing on critical areas like listening skills and digital learning proficiency.


Monday, August 12, 2024

Demonstration of SATHEE App for Potential Launch in Uttarakhand Schools

Rahul Garg EdTech Director

In a crucial meeting aimed at enhancing educational opportunities in Uttarakhand, representative Rahul Garg who is EdTech Director in SATHEE project & an IIT Kanpur and IIM Calcutta alumnus he has worded in the industry world wide for 20 years; presented a detailed demonstration of the SATHEE app. The session, chaired by Bandana Garbyal, Director of Academic Research and Training, Uttarakhand, was attended by key educational leaders, including Ajay Nauriyal, Director of Secondary Education, Joint Director Kanchan Devradi, and members from the State Council of Educational Research and Training (SCERT). The Head of Department, D C Gaur, from SIEMAT, was also present.


The SATHEE app, an initiative by the Ministry of Education, Government of India, in collaboration with IIT Kanpur, is designed to provide free coaching for students preparing for engineering and medical entrance exams. Representative from the same team Prachi Garg as Director in this project looking after the operations, outreach and external communication, detailed as with over 1,50,000 learners already benefiting from the platform, the app offers more than 60,000 questions for practice and over 10,000 hours of video lectures. It also includes mentorship from over 600 students of premier institutions like IIT and AIIMS, aiming to guide students through their academic journey.


During the demonstration, the representatives elaborated on the app's potential benefits, particularly for students in remote areas of Uttarakhand. The app's features, including daily live doubt-clearing sessions in Physics, Chemistry, Mathematics, and Biology, were highlighted as key tools that could significantly support students in their exam preparations.


The session was a crucial step towards the potential launch of the SATHEE app in Uttarakhand schools. The gathered educational leaders, including Bandana Garbyal and Ajay Naudiyal, are now expected to deliberate on the app’s suitability and implementation strategies before making a final decision on its adoption in the state’s education system.


If approved, the SATHEE app could become a vital resource for students across Uttarakhand, particularly in rural and underserved areas, providing them with the necessary tools and support to excel in competitive exams and achieve their academic goals. You search and Explore more about the app just down Click here

Saturday, August 10, 2024

एनसीईआरटी की नई पुस्तक 'कौशल बोध' तैयार, उत्तराखंड के डा. मनोज कुमार शुक्ला ने निभाई अहम भूमिका


भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधारों की दिशा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) का क्रियान्वयन पूरे देश में तेजी से हो रहा है। इस नीति के तहत 21वीं सदी के कौशलों, व्यावसायिक शिक्षा, और मूल्यों पर विशेष जोर दिया गया है। इन्हीं अनुशंसाओं के आधार पर देशभर में विभिन्न संस्थाओं द्वारा नए पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों का निर्माण किया जा रहा है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में व्यावसायिक शिक्षा को उच्च प्राथमिक स्तर से प्रारम्भ करने की सिफारिश की गई है, जिससे विद्यार्थियों को विभिन्न व्यावसायिक कार्यों से परिचित कराया जा सके। यह कदम विद्यार्थियों को माध्यमिक स्तर पर अपनी पसंद के व्यवसाय में विशेषज्ञता हासिल करने और भविष्य में लाभकारी रोजगार पाने में मदद करेगा।

इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT), नई दिल्ली ने राष्ट्रीय पाठ्यचर्या क्षेत्र समूहः व्यावसायिक शिक्षा का गठन किया। इस समूह का मुख्य कार्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की अनुशंसाओं के अनुसार कक्षा 6 से 12 तक के लिए व्यावसायिक शिक्षा का पाठ्यक्रम और शिक्षण अधिगम सामग्री जैसे पाठ्यपुस्तकें, गतिविधि, और अभ्यास पुस्तिकाओं का निर्माण करना था।

इस क्रम में, एनसीईआरटी ने 'कौशल बोध' नामक एक महत्वपूर्ण पाठ्यपुस्तक का लेखन किया है, जो व्यावसायिक शिक्षा के पाठ्यक्रम के तहत कक्षा 6 के लिए तैयार की गई है। गर्व की बात है कि उत्तराखंड के राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के संकाय सदस्य डा. मनोज कुमार शुक्ला ने इस पुस्तक के लेखन में सहलेखक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। डा. शुक्ला के पास पाठ्यपुस्तक लेखन, प्रशिक्षण साहित्य निर्माण, शोध कार्य और शिक्षक प्रशिक्षण का लंबा अनुभव है, और उन्होंने राष्ट्रीय स्तर की इस पुस्तक के निर्माण में उल्लेखनीय योगदान दिया है।


यहां से डाउनलोड कर सकते हैं पुस्तक-

'कौशल बोध' नामक यह पुस्तक एनसीईआरटी की आधिकारिक वेबसाइट पर डिजिटल रूप में उपलब्ध है। कक्षा 6 के लिए उपलब्ध इस पुस्तक को एनसीईआरटी की ऑफिशियल वेबसाइट के लिंक https://ncert.nic.in/textbook.php से डाउनलोड किया जा सकता है।

सभी शिक्षण संस्थानों में मनाया जायेगा तिरंगा अभियान:शिक्षा मंत्री डॉ. रावत ने विभागीय अधिकारियों को दिये निर्देश

 देहरादून, 09 अगस्त 2024

आजादी के महापर्व को विशेष बनाने के लिये प्रदेश के सभी राजकीय एवं निजी शिक्षण संस्थानों में ‘हर घर तिरंगा अभियान’ मनाया जायेगा। जिसमें  छात्र-छात्राएं, अध्यापक एवं विभागीय अधिकारी अनिवार्य रूप से प्रतिभाग करेंगे। इसके साथ ही तिरंगा अभियान में अभिभावकों एवं जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति भी सुनिश्चित की जायेगी। जिसके सफल आयोजन के लिये संबंधित विभागों के अधिकारियों को जरूरी निर्देश दे दिये गये हैं। 

सूबे के शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने आज अपने शासकीय आवास पर वर्चुअल माध्यम से विद्यालयी शिक्षा, संस्कृत शिक्षा, उच्च शिक्षा एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों की बैठक ली। जिसमें उन्होंने प्रदेशभर के शिक्षण संस्थानों में स्वाधीनता दिवस को बड़े महोत्सव के रूप में मनाने के निर्देश अधिकारियों को दिये। उन्होंने कहा कि प्रत्येक छात्र-छात्राओं में राष्ट्रभावना जागृत करने के उद्देश्य से प्रदेशभर के सभी राजकीय व निजी विद्यालयों, संस्कृत विद्यालयों,  महाविद्यालयों, मेडिकल कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों में ‘हर घर तिरंगा अभियान’ अनिवार्य रूप से मनाया जायेगा। विभागीय मंत्री ने कहा कि शिक्षण संस्थानों में 11 से 14 अगस्त के बीच किसी भी एक दिन तिरंगा अभियान आयोजित किया जायेगा। जिसमें हजारों छात्र-छात्राएं, शिक्षक एवं विभागीय अधिकारी प्रतिभाग करेंगे। इस अभियान में स्कॉउट एंड गाइड्स, रोवर्स रेंजर्स, एनएसएस, एवं एनसीसी के कैडेट्स की भागीदारी अनिवार्य रूप से रहेगी। इसके अलावा जनपद व ब्लॉक स्तर पर आयोजित तिरंगा अभियान में स्थानीय जनप्रतिनिधि व गणमान्य व्यक्ति की उपस्थिति भी सुनिश्चित की जायेगी। जिसके सफल आयोजन को लेकर संबंधित विभागों के अधिकारियों को जरूरी निर्देश दे दिये गये हैं। डा. रावत ने कहा कि हर घर तिरंगा अभियान के तहत शिक्षण संस्थानों में विभिन्न गतिविधियां भी संचालित की जायेगी। जिसमें तिरंगा दौड़, तिरंगा संगीत, चित्रकला, भाषण, गायन व नाटक प्रतियोगिताएं तथा गोष्ठियां आयोजित की जायेंगी। इस दौरान छात्र-छात्राओं को राष्ट्रीय ध्वज ‘तिरंगा’ व स्वाधीनता आंदोलन के इतिहास के बारे में छात्र-छात्राओं को बताया जायेगा ताकि उन्हें आजादी के लिये अपने प्राणों की बाजी लागाने वाले बलिदानियों एवं स्वतंत्रता सेनानियों की वीर गाथाओं के बारे में जानकारी मिल सके। 

वर्चुअल बैठक में निदेशक उच्च शिक्षा डॉ. अंजू अग्रवाल, निदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ. आशुतोष सयाना, निदेशक एससीईआरटी वंदना गर्ब्याल, निदेशक माध्यमिक शिक्षा अजय नौडियाल, निदेशक संस्कृत शिक्षा आनंद भारद्वाज, संयुक्त निदेशक बेसिक शिक्षा रघुनाथ लाल सहित अन्य विभागीय अधिकारियों ने प्रतिभाग किया। 

वी.पी. सिंह बिष्ट

जनसम्पर्क अधिकारी/मीडिया प्रभारी

माननीय शिक्षा मंत्री।

Friday, August 09, 2024

राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, उत्तराखंड द्वारा कक्षा 9 के छात्रों के लिए आपदा प्रबंधन विषय पर पुस्तक लेखन कार्यशाला का समापन

 देहरादून, 8 अगस्त 2024 - राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी), उत्तराखंड ने कक्षा 9 के छात्रों के लिए आपदा प्रबंधन पर पुस्तक लेखन कार्यशाला का सफल समापन किया। यह कार्यशाला पिछले पांच जुलाई से देहरादून स्थित अजीम प्रेमजी फाउंडेशन सभागार में चल रही थी, जिसमें उत्तराखंड राज्य की विशेष आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए विषय-वस्तु को तैयार किया गया।

विशेष विषय विशेषज्ञों का योगदान

इस कार्यशाला में उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों से चयनित विषय विशेषज्ञों ने पांच दिनों तक गहन विचार-विमर्श कर पुस्तक लेखन में योगदान दिया। कार्यशाला के दौरान विशेषज्ञों ने राज्य की आपदाओं के प्रति संवेदनशीलता को देखते हुए महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की। विशेषज्ञों में शामिल थे डॉ. उमेश चमोला, डॉ. दिनेश रतूड़ी, प्रदीप बहुगुणा, सुरेंद्र आर्यन, डॉ. दीपक मेहता, रविंद्र रौतेला, गिरीश सुंद्रियाल, डॉ. राकेश गैरोला, डॉ. बुद्धि प्रसाद भट्ट, डॉ. अवनीश उनियाल, अखिलेश डोभाल, सुशील गैरोला, अरुण थपलियाल, रवि दर्शन तोपाल और बलवंत सिंह नेगी। इसके अलावा, चित्रकार अवनीश सिंह, संजय रावत, और हेमलता बिष्ट ने चित्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। तकनीकी सहयोग सोहन रावत, राजकुमार और सिद्धार्थ द्वारा प्रदान किया गया।

निदेशकों की सहभागिता और योगदान

कार्यशाला के दौरान, निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, बंदना गर्ब्याल, निदेशक माध्यमिक शिक्षा,  अजय कुमार नौडियाल, संयुक्त निदेशक, आशा रानी पैन्यूली और सहायक निदेशक, डॉ. के. एन. बिजल्वाण ने मार्गदर्शक की भूमिका निभाई। उन्होंने विशेषज्ञों के साथ मिलकर सामग्री का विश्लेषण किया और महत्वपूर्ण सुझाव दिए।

निदेशक बंदना गर्ब्याल ने अपने संबोधन में कहा, "उत्तराखंड राज्य आपदा की दृष्टि से संवेदनशील है, इसलिए बच्चों को आपदाओं से बचाव के प्रति जागरूक करना अति आवश्यक है। एससीईआरटी द्वारा विकसित यह पुस्तक इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।"



निदेशक माध्यमिक,अजय कुमार नौडियाल ने कहा, "यह पुस्तक संपूर्ण उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व करेगी और इसमें मैदानी क्षेत्र तथा पहाड़ी क्षेत्रों में आने वाली आपदाओं के स्वरूप और उनके अंतर को समझाने का प्रयास किया गया है।"

संयुक्त निदेशक श्रीमती आशा रानी पैन्यूली ने बताया कि, "पुस्तक में विषय सामग्री के साथ-साथ बच्चों के कौशल विकास के लिए प्रोजेक्ट कार्य भी शामिल किए गए हैं। इससे उनके मूल्यांकन में भी सहायता मिलेगी।"

आपदा प्रबंधन के प्रमुख बिंदु

कार्यशाला के मुख्य समन्वयक सोहन सिंह नेगी और सह समन्वयक डॉ. शक्ति प्रसाद सेमल्टी ने बताया कि इस पुस्तक के प्रथम चरण में कक्षा 9 के लिए आपदा प्रबंधन की सामग्री तैयार की जा रही है। इसके बाद कक्षा 10 के छात्रों के लिए भी इसी विषय पर पुस्तक तैयार की जाएगी। इस पुस्तक में आपदा प्रबंधन के घटक, आपदाओं के प्रकार, आपदा न्यूनीकरण, सड़क सुरक्षा और आपदा प्रबंधन में समुदाय की भूमिका जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं को समाहित किया गया है।

समापन सत्र और भविष्य की योजनाएँ

समापन सत्र के दौरान सहायक निदेशक डॉ. कृष्णानंद बिजल्वाण ने सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया और आशा व्यक्त की कि यह पुस्तक उत्तराखंड की आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायक होगी। उन्होंने कहा, "इस पुस्तक के माध्यम से छात्र आपदाओं के प्रति जागरूक होंगे और इससे उनका ज्ञानवर्धन होगा।"

यह कार्यशाला न केवल शिक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह राज्य के बच्चों को भविष्य में आपदाओं से निपटने के लिए तैयार करने की दिशा में भी एक अहम प्रयास है। इस पुस्तक के प्रकाशन के बाद, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि छात्र इसके माध्यम से आपदा प्रबंधन की बारीकियों को समझें और अपनी सुरक्षा के प्रति जागरूक रहें।

एससीईआरटी उत्तराखंड का यह प्रयास निश्चय ही राज्य के शैक्षिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा और छात्रों को आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में सक्षम बनाने की दिशा में सहायक होगा।

Second-Level E-Office Training Held for SCERT Uttarakhand Officials and Faculty


8 August 2024: Dehradun, Uttarakhand — The State Council of Educational Research and Training (SCERT) Uttarakhand hosted a second-level E-Office training session today for its officials and faculty members. As per initiative by Director Academic Research and Training Ms Bandana Garbyal the session, aimed at enhancing e-filing and time-based office management skills. The session took place from 11:00 AM to 2:00 PM in SCERT Seminar Hall.

The training was chaired by Ms. Kanchan Devradi, Joint Director of SCERT, and was coordinated by the IT Department. Mr. S.P. Verma and Mr. R. Badoni played key roles in organizing the event, focusing on implementing the E-Office system. Additional Director SCERT, Mr Ajay Nauriyal,  approved the training Session for upcoming e file management in the institute.

The session was conducted by a team from the Information Technology Development Agency (ITDA), with Mr. Vivek Tomar and Mr. Subodh Thapliyal leading the training. Their expertise gave SCERT officials practical insights into the E-Office platform's functionalities.

During the session, login IDs were created for all participants, facilitating seamless access to the E-Office system. The local E-Office control nodal responsibility for SCERT Uttarakhand was assigned to Mr. Sachin Nautiyal, and the Administrative Assistant Mr. Sachin Nautiyal will oversee the integration and management of the E-Office operations within SCERT.


The training session was well-attended by SCERT faculty members and officials who engaged actively, gaining valuable skills in e-filing and efficient office management. This initiative marks a significant step towards digitizing administrative processes at SCERT Uttarakhand, ensuring greater efficiency and accountability in daily operations.

The success of this training underscores SCERT's commitment to adopting modern technological solutions to enhance educational administration across Uttarakhand.

Tuesday, August 06, 2024

एससीईआरटी उत्तराखंड मे 'जादुई पिटारा' का शुभारंभ: नयी पाठ्य सामग्री के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

 

शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार और रचनात्मकता को प्रोत्साहित करने की दिशा में, एससीईआरटी ने 'जादुई पिटारा उत्तराखंड' जिसे  एन सी ई आर टी की तर्ज पर एक अभिनव शैक्षिक संसाधन के रूप मे विकसित  किया है। यह पहल 3 से 8 वर्ष की उम्र के बच्चों के लिए खेल-खिलौना अधिगम किट के रूप मे  डिजाइन की गई है और इसका उद्देश्य प्रारंभिक बाल्यावस्था के विकास को बढ़ावा देने मे सहायक है।

'जादुई पिटारा उत्तराखंड' का विकास राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT), नई दिल्ली के दिशा-निर्देशों के अनुसार किया गया है, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप है। इसे एक ऐसे उपकरण के रूप में देखा जा रहा है जो बच्चों के शारीरिक, मानसिक, और सामाजिक विकास को प्रोत्साहित करेगा।

प्रमुख तत्व और उद्देश्य

एससीईआरटी उत्तराखंड द्वारा विकसित 'जादुई पिटारा उत्तराखंड' विभिन्न प्रकार की खेल सामग्री, क्राफ्ट सामग्री, और प्रिंटेड सामग्री से सुसज्जित है, जो बच्चों की सृजनात्मकता और चिंतन शक्ति को बढ़ावा देने में सहायक होंगे। इसका उद्देश्य बच्चों को उनके जीवन के प्रारंभिक आठ वर्षों में प्रभावी रूप से संलग्न करना है, जिससे उनके बहुआयामी विकास को समर्थन मिलता है।

इस पहल का मुख्य उद्देश्य है:

  • शारीरिक विकास: बच्चों के मोटर स्किल्स और फाइन मोटर स्किल्स को प्रोत्साहित करना।
  • सामाजिक और नैतिक विकास: समाज में अन्य लोगों के साथ संवाद और सहयोग के माध्यम से नैतिक मूल्यों का विकास।
  • संज्ञानात्मक विकास: बच्चों की सोचने की क्षमता और समस्या सुलझाने की क्षमता को बढ़ाना।
  • भाषाई और साक्षरता विकास: भाषा के माध्यम से विचारों को व्यक्त करने की क्षमता का विकास।
  • सांस्कृतिक और कलात्मक विकास: सांस्कृतिक गतिविधियों और कला के माध्यम से बच्चों में रचनात्मकता का विकास।

कार्यक्रम के महत्व पर वक्तव्य

कार्यक्रम के अवसर पर एससीईआरटी उत्तराखंड अकादमिक शोध एवं मूल्याकन, निदेशक, बंदना गर्ब्याल ने कहा, जादुई पिटारा उत्तराखंड बच्चों को उनके विकास के प्रारंभिक वर्षों में व्यापक शिक्षा प्रदान करने का एक अभिनव तरीका है। यह न केवल खेल के माध्यम से सीखने को प्रोत्साहित करेगा, बल्कि बच्चों की सृजनात्मकता और विचारशीलता को भी बढ़ावा देगा। हमारी आशा है कि यह संसाधन शिक्षकों और माता-पिता दोनों के लिए सहायक साबित होगा।”

संयुक्त निदेशक आशा रानी पैन्यूली ने भी इस पहल के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के निर्देशों के अनुसार, शिक्षा का लक्ष्य बच्चों के सर्वांगीण विकास को प्रोत्साहित करना है। सहायक निदेशक डॉ के एन बिजलवाण ने बताया कि इसका निर्माण राज्य के परिपेक्ष्य मे किया गया है। 'जादुई पिटारा उत्तराखंड' इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो बच्चों को खेल और गतिविधियों के माध्यम से सीखने के लिए प्रेरित करेगा।” समन्वयक गंगा घुघत्याल एवं सह समन्वयक शालिनी गुप्ता , सोहन नेगी  निरंतर अन्य संकाय सदस्यों एवं शिक्षकों  के साथ इसे विकसित कर रहे हैं । 

'जादुई पिटारा उत्तराखंड' में निम्नलिखित घटक शामिल हैं:

  • कहानी कार्ड: कहानियों के माध्यम से नैतिक शिक्षा।
  • संख्यात्मक खेल: संख्याओं के ज्ञान का विकास।
  • क्राफ्ट गतिविधियाँ: कला और रचनात्मकता का विकास।
  • वर्णमाला कार्ड: भाषाई कौशल को प्रोत्साहित करने के लिए।
  • संगीत और नृत्य गतिविधियाँ: शारीरिक और सांस्कृतिक विकास के लिए।

अपर निदेशक एस सी ई आर टी; अजय नौडियाल ने अपने वक्तव्य मे कहा कि इस पहल के सफल कार्यान्वयन के लिए, एससीईआरटी उत्तराखंड विभिन्न विद्यालयों में शिक्षकों को प्रशिक्षण प्रदान करेगा। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि 'जादुई पिटारा उत्तराखंड' का उपयोग बच्चों के विकास में प्रभावी ढंग से किया जाए।

एससीईआरटी उत्तराखंड का यह कदम बच्चों के लिए एक समग्र शैक्षिक अनुभव प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है, जो उन्हें सीखने और विकास के लिए प्रोत्साहित करेगा।

एससीईआरटी उत्तराखंड द्वारा आपदा प्रबंधन पर पुस्तक विकास हेतु कार्यशाला का आयोजन

 


उत्तराखंड, 6 अगस्त 2024

प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं की दृष्टि से उत्तराखंड एक अति संवेदनशील क्षेत्र है, जहां भूस्खलन, बादल फटना, और भूकंप जैसी आपदाओं से जन-धन की भारी क्षति होती है। इन आपदाओं के प्रति जागरूकता और निपटने की जानकारी देने के उद्देश्य से एससीईआरटी, उत्तराखंड ने कक्षा 9 के छात्रों के लिए एक विशेष पाठ्य पुस्तक तैयार करने का निर्णय लिया है। इसके लिए 5 जुलाई 2024 से अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के सभागार में पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है। इस कार्यशाला का संचालन एससीईआरटी के पाठ्यक्रम विकास और शोध विभाग द्वारा किया जा रहा है।

प्रमुख दिशानिर्देश और योगदान

कार्यशाला का नेतृत्व निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, उत्तराखंड, बंदना गर्ब्याल और निदेशक माध्यमिक शिक्षा एवं अपर निदेशक एससीईआरटी, अजय कुमार नौडियाल के निर्देशन में किया जा रहा है। इनके मार्गदर्शन में राज्य में आपदाओं के स्वरूप को ध्यान में रखते हुए पाठ्य पुस्तक का विकास किया जा रहा है।

संयुक्त निदेशक एससीईआरटी, आशा रानी पैन्यूली ने कार्यशाला के उद्घाटन पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, “वर्तमान समय में वैश्विक स्तर पर आपदा से बचाव के तरीकों पर व्यापक रूप से विचार-विमर्श किया जा रहा है। सहायक निदेशक, डॉ के एन बिजलवान ने इस पहल को व्यापक बनाने के लिए सभी लेखकों को एस महत्वपूर्ण कार्यशाला अपना योगदान देने की अपील की । इस दिशा में सर्वोच्च न्यायालय ने भी दिशा निर्देश जारी किए हैं। पाठ्य पुस्तक ऐसा माध्यम है, जिसके द्वारा बच्चे ज्ञान प्राप्त कर समाज में आपदा के प्रति जागरूकता का प्रसार कर सकते हैं।”

पाठ्य पुस्तक की रूपरेखा और सामग्री

कार्यशाला समन्वयक सोहन नेगी और सहसमन्वयक डॉ. शक्ति प्रसाद सेमल्टी ने कहा कि कक्षा 9 की पाठ्य पुस्तक में विभिन्न चयनित विषयों पर पावर पॉइंट के माध्यम से प्रस्तुति दी गई है। इसमें आपदा, आपदा प्रबंधन के घटक, इससे बचाव के तरीके, सड़क सुरक्षा, और आपदा प्रबंधन में समुदाय की भूमिका आदि को शामिल किया गया है।

विषय विशेषज्ञ डॉ. दिनेश रतूड़ी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिशों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पुस्तक की सामग्री को राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2023 में वर्णित निर्देशों के आधार पर संगठित किया जाना चाहिए। डॉ. उमेश चमोला ने कहा कि आपदा प्रबंधन के अंतर्गत प्राचीन काल से प्रचलित आपदा निवारण संबंधी उपायों को भी सम्मिलित किया जाएगा, और इसके मूल्यांकन में तार्किक चिंतन और सृजनात्मकता को महत्व दिया जाना चाहिए।


लेखक मंडल और सहयोगी

पाठ्य पुस्तक के लेखक मंडल में सुरेंद्र आर्यन, गिरीश सुंद्रियाल, डॉ. उमेश चमोला, अरुण थपलियाल, प्रदीप बहुगुणा, रविंद्र रौतेला, डॉ. राकेश गैरोला, डॉ. बुद्धि प्रसाद भट्ट, डॉ. अवनीश उनियाल, विनय थपलियाल, अखिलेश डोभाल, डॉ. दिनेश रतूड़ी, सुशील गैरोला, और रविदर्शन तोपाल शामिल हैं। चित्रांकन के लिए अवनीश सिंह, संजय रावत, और हेमलता बिष्ट का सहयोग लिया जा रहा है। प्रदीप बहुगुणा ने अपने विचार रखते हुए कहा, “पाठ की शुरुआत विविधतापूर्ण और रोचक तरीके से की जानी चाहिए, ताकि यह छात्रों को आकर्षित कर सके और उनकी जिज्ञासा को उत्तेजित कर सके।”

आने वाले कदम

इस कार्यशाला के अंतर्गत तैयार की गई सामग्री को छात्रों तक पहुंचाने के लिए एससीईआरटी द्वारा एक रोडमैप तैयार किया जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य छात्रों को आपदा प्रबंधन के बारे में जागरूक करना और उन्हें व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करना है, जिससे वे भविष्य में आपदाओं का सामना करने में सक्षम हो सकें।

इस कार्यशाला के सफल समापन के बाद, एससीईआरटी उत्तराखंड द्वारा आगामी महीनों में इस परियोजना के लिए आगे की योजनाएं बनाई जाएंगी, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि छात्र समाज के लिए एक जागरूक और जिम्मेदार नागरिक बन सकें।

National Population Education Project 2024-25: State-Level Core Committee Meeting Held at SCERT Uttarakhand

Dehradun, August 6, 2024: Neelam Panwar, Co-Ordinator NPEP

The State Level Core Committee Meeting for the National Population Education Project (NPEP) 2024-25 was convened today at the State Council of Educational Research and Training (SCERT) in Dehradun, Uttarakhand. The meeting was chaired by  Bandana Garbyal, Director of Academic Research and Training, Uttarakhand. The assembly focused on reviewing the previous year’s achievements and formulating strategic plans for the current academic year.


Key Participants

The meeting witnessed the participation of esteemed members from various educational and health institutions across the state. Notable attendees included:

  1. Smt. Bandana Garbyal - Director, Academic Research and Training, Uttarakhand
  2. Sh. Ajay Kumar Nauriyal - Director Sec Edu/Additional Director, SCERT, Uttarakhand
  3. Smt. Asha Rani Painyuli - Joint Director, SCERT, Uttarakhand
  4. Dr. K. N. Bijalwan - Assistant Director, SCERT, Uttarakhand
  5. Smt. Hemlata Bhatt - Principal, DIET Tehri Garhwal
  6. Dr. S. S. Kandari - Joint Director, Directorate of Health, Uttarakhand, Dehradun
  7. Dr. Arti Rauthan -  Sai Institute, Dehradun
  8. Sh. Pankaj Kumar - National Health Mission, Uttarakhand, Dehradun
  9. Sh. Jitendra Kumar - District Program Officer, ICDS
  10. Faculties from SCERT, Uttarakhand

Meeting Agenda

The meeting's agenda was centered on a comprehensive review of the previous year's initiatives and discussions to enhance the project’s scope and impact for the year 2024-25. The committee emphasized the need for dynamic and inclusive educational programs that align with contemporary socio-cultural challenges.

Key Suggestions and Discussions

During the meeting, several key suggestions and discussions took place:

  1. Introduction of New Co-Curricular Programs:
    It was proposed to integrate innovative topics and activities within the co-curricular framework to enrich students' learning experiences. Suggested themes include blood donation awareness, gender equality, and socio-cultural and family values.

  2. Collaboration with the National Health Mission (NHM):
    The committee recommended enhancing collaboration with the National Health Mission to leverage health education programs and resources effectively. This partnership aims to create synergistic opportunities for health education and awareness.

  3. Publication of Research and Analysis:
    Emphasis was placed on ensuring the publication and dissemination of all research findings and analyses conducted under the NPEP. This initiative aims to provide valuable insights and contribute to the educational and health discourse at both state and national levels.

  4. Follow-Up Programs Based on Research Outcomes:
    The committee underscored the importance of developing follow-up programs grounded in the research and analysis outcomes of previous years. These programs are intended to address identified gaps and reinforce successful strategies.


Future Outlook

The meeting concluded with a strong commitment to implement the outlined suggestions and plans, aiming to elevate the NPEP’s impact on educational institutions across Uttarakhand. The collaborative efforts between academic and health sectors are anticipated to foster a more holistic approach to population education, benefiting the state's students and communities.

The Director, Bandana Garbyal, expressed her gratitude to all participants for their valuable contributions and reiterated the importance of innovative educational practices in addressing the challenges of modern society. The next meeting is scheduled for later this year, where further progress and strategies will be discussed.

File shared: Neelam Panwar 

Monday, August 05, 2024

विद्यालयी शिक्षा हेतु राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा निर्माण का आयोजन

 Ravidarshan Topwal, NEP Cell, SCERT: 05 August 2024

विद्यालयी शिक्षा हेतु राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा निर्माण का आयोजन

Friday, August 02, 2024

एस सी ई आर टी , उत्तराखंड ने क्षेत्रीय सम्मेलन में बढ़ाया गौरव, नव भारत साक्षरता कार्यक्रम में किया सराहनीय योगदान


देहरादून , 3 अगस्त 2024:

एससीईआरटी उत्तराखंड ने 1 और 2 अगस्त 2024 को एससीईआरटी गुरुग्राम में CNCL द्वारा आयोजित उत्तरी राज्यों के क्षेत्रीय सम्मेलन में भाग लेकर अपनी शिक्षा की प्रतिबद्धता और नवाचारी प्रयासों को दर्शाया। इस महत्वपूर्ण सम्मेलन का आयोजन उत्तरी राज्यों के लिए किया गया था, जिसमें चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, और उत्तराखंड शामिल थे।

उल्लास - नव भारत साक्षरता कार्यक्रम की पृष्ठभूमि

इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य नव भारत साक्षरता कार्यक्रम (ULLAS) के प्रभाव और महत्व को उजागर करना था। यह केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित नवाचारी योजना है, जिसका लक्ष्य 15 वर्ष और उससे अधिक उम्र के वयस्कों को सशक्त बनाना है जो अपनी शिक्षा को अधूरा छोड़ चुके हैं। इस योजना के माध्यम से उन्हें समाज के लिए अधिक प्रभावी योगदान करने का अवसर प्रदान करना है। योजना का बजट रु. 1037.90 करोड़ है और इसे 2022-23 से 2026-27 तक लागू किया जा रहा है। इसका उद्देश्य वयस्क शिक्षा को नवाचारी उपायों के माध्यम से पुनः परिभाषित करना और जीवन भर सीखने के अवसर प्रदान करना है।

उत्तराखंड की सक्रिय भागीदारी

उत्तराखंड ने इस सम्मेलन में अपनी सक्रिय भागीदारी दिखाई। राज्य ने शिक्षा में अपने योगदान को प्रदर्शित करने के लिए विशेष स्टॉल लगाए, जिनमें उत्तराखंड के शिक्षा प्रणाली की विशिष्टताओं और सफलताओं का प्रदर्शन किया गया। यह स्टॉल न केवल जानकारीपूर्ण थे, बल्कि दर्शकों को प्रेरित करने वाले भी साबित हुए।

गुरुग्राम में दो दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन का उद्घाटन

CNCL द्वारा आयोजित इस क्षेत्रीय सम्मेलन का उद्घाटन 1 अगस्त 2024 को हुआ। इसमें उत्तरी राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार और साक्षरता में उन्नति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।

ग्रुप डिस्कशन और प्रस्तुतीकरण

उत्तराखंड के प्रतिनिधियों ने सम्मेलन के दौरान आयोजित ग्रुप डिस्कशन और प्रस्तुतीकरण में भाग लेकर राज्य के परिदृश्य को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया। इन सत्रों में राज्य के शिक्षा प्रणाली की विशिष्टताएँ और सफलताएँ सामने रखी गईं, जिनमें उत्तराखंड के विकास के दृष्टिकोण को दर्शाया गया।

सम्मेलन के प्रमुख आकर्षण

इस सम्मेलन का मुख्य आकर्षण ULLAS कार्यक्रम पर आधारित संवादात्मक सत्र और पैनल चर्चाएँ थीं। इन सत्रों में गैर-साक्षर शिक्षार्थियों, नव साक्षरों, स्वयंसेवी शिक्षकों, सामुदायिक सदस्यों और भागीदार राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के अधिकारियों ने भाग लिया। इन चर्चाओं का उद्देश्य नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के कार्यान्वयन से जुड़े विभिन्न दृष्टिकोणों और वर्तमान प्रथाओं का अन्वेषण करना था।

उत्तराखंड की प्रतिनिधि टीम

उत्तराखंड का नेतृत्व आशा पैन्यूली, संयुक्त निदेशक एससीईआरटी एवं समन्वयक डॉ. हरेंद्र अधिकारी द्वारा किया गया। उनके साथ राज्य के विभिन्न जनपदों से स्वयंसेवकों और शिक्षार्थियों ने भी इस सम्मेलन में भाग लिया। आशा पैन्यूली, संयुक्त निदेशक एससीईआरटी और राज्य नोडल अधिकारी के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए उत्तराखंड के प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत किया।


ULLAS कार्यक्रम के प्रमुख घटक

  1. मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता: वयस्क शिक्षा का आधारभूत हिस्सा।
  2. वित्तीय साक्षरता: बैंकिंग, भुगतान और वित्तीय सेवाओं का ज्ञान।
  3. डिजिटल साक्षरता: डिजिटल उपकरणों और ऑनलाइन सेवाओं का उपयोग।
  4. जीवन कौशल: व्यक्तिगत विकास और रोजगार के अवसर।

योजना के उद्देश्यों की प्राप्ति

ULLAS का मुख्य उद्देश्य है कि हर नागरिक एक बुनियादी स्तर की साक्षरता प्राप्त करे, जिससे वह समाज में सकारात्मक योगदान दे सके। इस योजना का प्रभाव 27 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में देखा गया है, जहां बड़ी संख्या में गैर-साक्षर शिक्षार्थी मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता मूल्यांकन परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं।

सम्मेलन के अपेक्षित परिणाम

  • ULLAS के कार्यान्वयन से जुड़े विभिन्न दृष्टिकोणों का अन्वेषण: गैर-साक्षर शिक्षार्थियों, नव साक्षरों और स्वयंसेवी शिक्षकों से संबंधित।
  • योजना के कार्यान्वयन के लिए कार्यरत संस्थानों के साथ समन्वय बनाना।
  • ULLAS के कार्यान्वयन को मजबूत बनाने के लिए आवश्यक परिवर्तनों की पहल।
  • सर्वोत्तम प्रथाओं की प्रासंगिकता की पहचान करना और उन्हें दोहराना।

उपलब्धियों का जश्न

उत्तराखंड के स्टॉल और प्रस्तुतियों ने राज्य की शिक्षा में किए गए योगदान को दर्शाया। इन प्रयासों को सम्मेलन में विशेष रूप से सराहा गया, जिससे राज्य की शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति और नवाचार की पहचान हुई। इस क्षेत्रीय सम्मेलन का समापन 2 अगस्त 2024 को हुआ, जिसमें सभी राज्यों ने अपनी प्रस्तुतियों और चर्चाओं के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में अपने योगदान को साझा किया। उत्तराखंड के प्रदर्शन और सहभागिता ने राज्य को एक नई पहचान दिलाई और सम्मेलन में भाग लेने वाले सभी प्रतिनिधियों ने इसकी सराहना की।

यह दो दिवसीय सम्मेलन उत्तरी राज्यों के बीच शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग और साझेदारी को बढ़ावा देने का एक सफल प्रयास रहा। उत्तराखंड ने अपनी शिक्षा की प्रतिबद्धता और नवाचारी प्रयासों के माध्यम से सम्मेलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अपने राज्य को गौरवान्वित किया।

Main Points Explained: Annual Works Plan (Financial) of ULLAS-Nav Bharat Saksharta Karyakram for FY 2024-25

एससीईआरटी उत्तराखंड के साथ क्लैप डिजिटल मोबाइल वैन ने खोले नए अवसर: देहरादून के स्कूलों में कक्षा 3-10वीं के छात्रों के लिए शिक्षण कार्य प्रगति पर

 दिनाक : 02 अगस्त 2024 देहरादून 

देहरादून, उत्तराखंड: प्रदेश के शैक्षिक परिदृश्य में एक अद्वितीय पहल के रूप में, HP- SARD द्वारा प्रदत्त 'DIGITAL Vehicle as CONTINUED LEARNING ACCESS PROJECT (CLAP)' एवं एससीईआरटी उत्तराखंड के लिए यह डिजिटल मोबाइल वैन 3-10वीं कक्षा के छात्रों को तकनीकी रूप से उन्नत शिक्षण के नए अवसर प्रदान कर रही है। इस पहल के अनुश्रवन के लिए  एससीईआरटी उत्तराखंड के संयुक्त निदेशक कंचन देवराड़ी, नोडल क्लैप वैन आरपी बडोनी, और प्रवक्ता आईटी विभाग के शिव प्रकाश वर्मा ने स्कूल मे भ्रमण किया। इस मोबाइल वैन का उद्देश्य ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में तकनीकी शिक्षा को सुलभ बनाना है, और इसे प्रदेश के टेहरी और देहरादून के रायपुर एवं डोईवाला ब्लॉक में सक्रिय रूप से संचालित किया जा रहा है।


120 क्रोमबुक के माध्यम से शिक्षण का अनुभव

यह डिजिटल मोबाइल वैन SARD और HP के सहयोग से संचालित की जा रही है और पिछले वर्ष जुलाई 2023 में माननीय राज्यपाल पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह और शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह द्वारा एनसीईआरटी न्यू दिल्ली के निदेशक डॉ. दिनेश सकलानी एवं संयुक्त निदेशक अमरेन्द्र बेहरा की उपस्थिति में इसका उद्घाटन किया गया था। इस पहल के अंतर्गत छात्रों को 120 क्रोमबुक के माध्यम से डिजिटल शिक्षण सामग्री तक पहुँच दी जा रही है, जिससे उनकी सीखने की प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी और रोचक बनाया जा रहा है।


DIGITAL Vehicle as CONTINUED LEARNING ACCESS PROJECT (CLAP)क्लैप वैन: एक इन्नोवेटिव पहल

आज देहरादून के सुन्दरवाला में स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय में कक्षा 3-5 के छात्रों के लिए क्लैप वैन में सुसज्जित कंप्यूटर के माध्यम से शिक्षण सत्र का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कंचन देवराड़ी ने छात्रों के साथ बातचीत की और पूरे कार्यक्रम का अवलोकन किया। उन्होंने बच्चों के बीच जाकर उनकी समस्याओं को समझा और शिक्षकों के साथ मिलकर उन्हें समाधान प्रदान किए। कार्यक्रम के दौरान बच्चों ने इंटरेक्टिव गतिविधियों के माध्यम से सीखने की प्रक्रिया का भरपूर आनंद लिया, जबकि शिक्षक भी अपना सक्रिय योगदान दे रहे थे।


तकनीकी संसाधनों की जानकारी

क्लैप वैन के तकनीकी रिसोर्स पर्सन अशोक कटैथ  ने वैन में उपलब्ध सभी संसाधनों की विस्तृत जानकारी प्रदान की और छात्रों को उनका उपयोग कैसे करना है, यह भी समझाया। इस पहल का मुख्य उद्देश्य वंचित वर्ग के छात्रों को तकनीकी शिक्षा के साथ जोड़ना है, जिससे उन्हें भी समान अवसर मिल सके।


निदेशक के दिशा-निर्देश और मोनिटरिंग

निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण बन्दना गर्ब्याल ने पहले से ही निर्देश दिए हैं कि इस कार्यक्रम की मौके पर मॉनिटरिंग और फीडबैक से अवगत करवाया जाए। इसके साथ ही, प्रवक्ता वर्मा ने सुझाव दिया कि एक कैंपस के सभी स्कूलों को इस डिजिटल पहल से जोड़ा जा सकता है, ताकि अधिक से अधिक छात्रों को इसका लाभ मिल सके।

संयुक्त निदेशक कंचन देवराड़ी का संदेश

संयुक्त निदेशक कंचन देवराड़ी ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा, "यह कार्यक्रम बेहद नवाचारी और समावेशी है, क्योंकि इससे वंचित वर्ग के बच्चों के लिए तकनीकी संसाधनों तक पहुंच संभव हो सकी है।" उन्होंने इस महत्वपूर्ण शुरुआत के लिए निदेशक एवं अपर निदेशक को विशेष धन्यवाद भी दिया।


इस प्रकार, उत्तराखंड में डिजिटल शिक्षा के क्षेत्र में यह पहल न केवल छात्रों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोल रही है, बल्कि शिक्षकों को भी तकनीकी रूप से समृद्ध बना रही है। यह प्रयास प्रदेश की शिक्षा प्रणाली को डिजिटल युग के अनुरूप ढालने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।