Monday, September 30, 2024

SCERT Faculty Sunil Bhatt Joins EOT Program at SIPARD, Agartala

Sunil Bhatt, a faculty member from SCERT Uttarakhand, has been selected as a trainer evaluator for the Evaluation of Training (EOT) course conducted at the Administrative Training Institute (ATI) - SIPARD in Agartala, Tripura. The course, designed by the Department of Personnel and Training (DoPT), Government of India, aims to assess the efficiency and effectiveness of various training programs.


The training is attended by 25 participants from diverse institutions, including deputy collectors, Nayab Tehsildars, assistant professors, SCERT faculty, and DIET lecturers. The course covers comprehensive evaluation stages such as needs assessment, objective setting, training design, and implementation. Participants will utilize evaluation methods like pre-tests, post-tests, and performance appraisals to assess outcomes and gather suggestions for improvement.

The evaluation framework includes well-known models like Kirkpatrick’s and Brinkerhoff’s, focusing on relevance, efficiency, effectiveness, impact, and sustainability. Upon completing the program, Sunil Bhatt will share the course insights and vision with other SCERT faculties and officers, ensuring the application of these evaluation techniques to improve the quality and impact of training programs in Uttarakhand.

This initiative is expected to enhance SCERT Uttarakhand’s training processes through systematic evaluation and continuous improvement.

Thursday, September 26, 2024

SCERT Uttarakhand organized three-Day Training on School Health and Wellness Program for DIET Faculty

A three-day training program on the School Health and Wellness Program (SHWP) for DIET faculty is being held from September 26 to 28, 2024, aiming to promote awareness on critical health issues among school students. The training is currently being implemented across six districts of Uttarakhand, focusing on adolescent challenges, HIV, puberty, AIDS, cultural differences, sanitary napkin usage, early marriage, balanced diet, respect for elders, and environmental threats.

During the program's inaugural session, Mrs. Bandana Garbyal, Director of Academic Research and Training, provided key suggestions on how to effectively implement the training at the school level. She emphasized the importance of integrating SHWP activities into the curriculum and ensuring the holistic development of students. Her remarks followed presentations by participants on the various SHWP activities they have been working on.


Dr. Pankaj, an expert from the Directorate General Health, Uttarakhand, delivered an insightful lecture in the morning session, explaining the SHWP modules and detailing the various activities covered under the program. Over the course of the three days, experts from the health department will engage the participants on a range of issues related to student health and wellness.


The SHWP is a significant initiative aimed at addressing the health challenges faced by adolescents, equipping them with the knowledge to navigate the complexities of puberty, maintaining a balanced diet, understanding the importance of hygiene, and promoting overall wellness in schools.

The program is being coordinated by Neelam Panwar, ensuring smooth execution and engagement with the DIET faculty, who will eventually carry this knowledge to schools across the state. Active participation from Groups lead DIET Dehradun faculty Rakhi Pandey , DIET faculty Uttarakashi Sunjay Bhatt and many more active representation observed by Director Bandana Garbyal.

एससीईआरटी और अगस्त्य -नवम फाउंडेशन का डिज़ाइन थिंकिंग पर संयुक्त अनुबंध: "आह एक्टिलर्न, आईसी" बुक सीरीज का ऑनलाइन प्रकाशन






हाल ही में अगस्त्य नवम फाउंडेशन और राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने डिज़ाइन थिंकिंग पर आधारित एक विशेष बुक सीरीज "आह! एक्टिलर्न, और आईसी हिन्दी और इंग्लिश वर्ज़न " को  ऑनलाइन पब्लिश  किया। यह बुक सीरीज छात्रों के लिए डिजाइन थिंकिंग को सरल और सुलभ बनाने के उद्देश्य से तैयार की गई है, जिसमें उन्हें अपने आइडियाज को नए और क्रिएटिव तरीकों से प्रस्तुत करने का अवसर मिलेगा।

अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण उत्तराखण्ड निदेशक, श्रीमती बन्दना गर्ब्याल, एवं अपर निदेशक एससीईआरटी, श्री अजय नौडियाल ने बताया कि यह बुक सीरीज और इसके साथ प्रकाशित 24 वीडियो एपिसोड्स छात्रों को प्रेरित करने और उनकी रचनात्मकता को निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। यह विशेष रूप से इन्सपाइर अवॉर्ड मानक, टेकनो मेला, विज्ञान प्रदर्शनी, और अन्य शैक्षिक कार्यक्रमों में भाग लेने वाले छात्रों के लिए उपयोगी होगी, जहाँ वे अपने विचारों को प्रभावशाली ढंग से डिजाइन कर सकते हैं।

नवम फाउंडेशन के सीईओ, श्री नितिन देसाई ने इस पुस्तक श्रृंखला की डिजिटल प्रतियाँ परिषद को सौंपते हुए कहा कि आने वाले समय में यह पहल छात्रों के नवाचार और उनकी क्षमता को नए स्तर पर ले जाएगी। 

डिज़ाइन थिंकिंग के माध्यम से छात्रों को न केवल उनके शैक्षिक विकास में मदद मिलेगी बल्कि वे सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिए भी नए दृष्टिकोण विकसित कर सकेंगे।

यह पुस्तक श्रृंखला छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए एक मूल्यवान संसाधन साबित होगी, जिसमें शिक्षा और रचनात्मकता का अनूठा संगम देखने को मिलेगा।

"आह! एक्टिलर्न, आईसी" बुक सीरीज के उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  1. डिज़ाइन थिंकिंग की समझ विकसित करना: इस बुक सीरीज का मुख्य उद्देश्य छात्रों में डिज़ाइन थिंकिंग की मूलभूत अवधारणाओं को सरल और सुलभ तरीके से समझाना है, ताकि वे समस्याओं को सृजनात्मक और नवाचारी दृष्टिकोण से हल कर सकें।

  2. रचनात्मकता और नवाचार को प्रोत्साहित करना: यह सीरीज छात्रों को उनके विचारों और परियोजनाओं में रचनात्मकता और नवाचार जोड़ने के लिए प्रेरित करती है, जिससे वे विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में नए और उपयोगी समाधान तैयार कर सकें।

  3. शैक्षिक प्रतियोगिताओं के लिए तैयारी: बुक सीरीज विशेष रूप से इन्सपाइर अवॉर्ड मानक, टेकनो मेला, विज्ञान प्रदर्शनी, और अन्य शैक्षिक प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले छात्रों को उनके आइडिया को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने में मदद करती है।

  4. सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिए प्रेरित करना: डिज़ाइन थिंकिंग के सिद्धांतों का प्रयोग कर यह बुक सीरीज छात्रों को सामाजिक और पर्यावरणीय समस्याओं के रचनात्मक समाधान खोजने के लिए प्रोत्साहित करती है।

  5. शिक्षकों और छात्रों के लिए मार्गदर्शन प्रदान करना: यह बुक सीरीज न केवल छात्रों के लिए उपयोगी है, बल्कि शिक्षकों के लिए भी एक मार्गदर्शक के रूप में काम करती है, जिससे वे अपने छात्रों को डिज़ाइन थिंकिंग और नवाचार की दिशा में सही मार्गदर्शन दे सकें।

  6. व्यावहारिक कौशल का विकास: इस बुक सीरीज के माध्यम से छात्रों में समस्याओं को हल करने के व्यावहारिक कौशल का विकास होता है, जो उनके शैक्षिक और व्यक्तिगत जीवन दोनों में लाभकारी होगा।

और अधिक जानकारी के लिए पढ़ें -

Call for Content Experts and Mentors: SCERT Uttarakhand Hackathon 2024-25


SCERT Uttarakhand is thrilled to announce the launch of Level-1 of our Hackathon series, which is focused on fostering innovative digital solutions. We are seeking AI, coding, programming, robotics (ML), and STEM experts to contribute their knowledge in creating story-based content and exemplar ideas. These resources will mentor teachers and students in developing cutting-edge solutions to real-world societal challenges.
  1. As a content expert and mentor, you will play a vital role in guiding participants toward leveraging technology-driven solutions, including AI, coding, robotics, and programming, to address key issues. We invite you to select 2-3 topics from the list below that align with your expertise.
  2. All content writers are expected to ethically use technology and content or any other information available on the Internet or anywhere.(citation, references, and copyright )

What you’ll do: (Idea Building to solution using AI and IoT or digital solutions)

  • Local to global solution for any existing problem in education like teaching and learning material, assessment, examination, office management, e-content material for student and teacher, environmental issues, or SDG listed by UNO
  • Write engaging, STEM-based content with a focus on AI, coding, robotics, or other emerging technologies.
  • Provide exemplary project ideas and real-world applications for innovative digital solutions. 
  • Mentor teachers and students during the Hackathon, helping them turn their concepts into impactful projects.
  • There will be an honorarium for the content writers and mentorship.

Fill out the form as a Content writer Here: 

Wednesday, September 25, 2024

एस सी ई आर टी : गृह विज्ञान पुस्तक लेखन की कार्यशाला

उत्तराखंड राज्य के विद्यालयों की कक्षा 9 के विद्यार्थियों के लिए गृह विज्ञान विषय की पुस्तक लेखन का कार्य शुरू हो गया है। पुस्तक लेखन का कार्य एस.सी.ई.आर.टी. के द्वारा किया जा रहा है। उत्तराखंड के विद्यालयों में एन.सी.ई.आर.टी. की पुस्तकें पढ़ाई जाती हैं, किंतु एन.सी.ई.आर.टी. के पाठ्यक्रम में कक्षा 9 एवं 10 में गृह विज्ञान विषय न होने के कारण राज्य द्वारा इस विषय की पुस्तक विकसित की जा रही है। प्रथम चरण में पुस्तकों का विकास करने के लिए एस.सी.ई.आर.टी. द्वारा 05 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। कार्यशाला में गृह विज्ञान की पुस्तक लेखन हेतु प्रदेश के विषय विशेषज्ञ शिक्षक प्रतिभा कर रहे हैं।

कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए निदेशक अकादमी शोध एवं प्रशिक्षण श्रीमती बन्दना गर्ब्याल ने कहा कि गृह विज्ञान एक महत्वपूर्ण विषय है जो स्वयं में एक विज्ञान है। आज के समय में यह बालक और बालिकाओं दोनों के लिए महत्वपूर्ण और कैरियर निर्माण का विषय है। अतः पाठ्य पुस्तक का निर्माण बच्चों के करियर के दृष्टिकोण से किया जाना चाहिए। पाठ्यपुस्तक में अद्यतन सामग्री को अनिवार्यता समाहित किया जाय।

अपर निदेशक एन.सी.ई.आर.टी. श्री अजय कुमार नौडियाल ने कहा कि गृह विज्ञान की पाठ्य पुस्तक का निर्माण राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 तथा राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा के दिशा-निर्देशों के क्रम में किया जाएगा। उन्होंने पाठ्य पुस्तक में विषय से संबंधित नवीनतम जानकारी समाहित करने के निर्देश दिए।

अपर निदेशक श्रीमती आशा रानी पैन्यूली ने कहा कि पुस्तक में प्राथमिक चिकित्सा, घरेलू दुर्घटनाएं, पर्यावरण मुद्दे आदि विषयों को शामिल किया जाना चाहिए। पाठ्यपुस्तक विकास में बच्चों की रुचियाँ और योग्यताओं को भी ध्यान में रखा जाना आवश्यक है।

सहायक निदेशक डॉ. के एन. बिजलवान ने कहा कि पुस्तक लेखन के समय भारतीय ज्ञान परंपरा और संस्कृति को आवश्यक रूप से समाहित किया जाना चाहिए। विषय समन्वयक श्रीमती शुभ्रा सिंघल ने गृह विज्ञान विषय की पाठ्यचर्या पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पाठ्यपुस्तक को बाल मनोविज्ञान के सिद्धांतों के आधार पर विकसित किया जाएगा।

कार्यक्रम सह समन्वयक (पाठ्यक्रम) श्री सोहन सिंह नेगी ने कहा कि पाठ्यपुस्तक विकास के लिए राज्य के इस विषय में लंबे समय से कार्य करने वाले शिक्षकों एवं विशेषज्ञों का सहयोग लिया जा रहा है।

डॉ. राकेश चन्द्र गैरोला ने पाठ्य पुस्तक लेखन की बारीकियों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। उन्होंने पाठ्य पुस्तक लेखन हेतु अपनाई जाने वाली सावधानियों पर चर्चा की।

विशेषज्ञ डॉ. उमेश चमोला ने पाठ्य पुस्तक के विषय में चर्चा की। उन्होंने कहा कि प्रकरण के लेखन के दौरान सतत् मूल्यांकन का भी ध्यान रखा जाना चाहिए।

विशेषज्ञ डॉ. दिनेश प्रसाद रतूड़ी ने कहा कि पाठ्यपुस्तक में गतिविधियाँ और अभ्यास प्रश्न इस प्रकार तैयार किये जाएँ कि वे सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में सहायक हों।

विषय समन्वयक शुभ्रा सिंघल ने कहा कि इस पाठ्य पुस्तक के परिशोधन के लिए आगे भी कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी। पाठ्य पुस्तक लेखन के द्वितीय चरण में कक्षा 10 की गृह विज्ञान की पाठ्यपुस्तक विकसित की जाएगी। कार्यशाला में पुस्तक लेखन के कार्य में शालिनी भैंसोड़ा, संतोष रावत, अंजनी डिमरी, अंजू कोठारी, मीना गैरोला, विजयलक्ष्मी रावत, मीनाक्षी पंत, सुमन भट्ट, रुचि श्रीवास्तव, डॉ. वंदना कोठारी, उज्मा प्रवीन, संध्या कठैत, एम.पी. उनियाल, नरेन्द्र सिंह, हेमलता बिष्ट, अवनीश सिंह, डॉ. उमेश चमोला, रिचा जयाल, शमा बानो, संजय रावत आदि प्रतिभाग कर रहे हैं। पुस्तक की टाइपिंग एवं सज्जा में श्रीमती रेणु कुकरेती तथा श्री सिद्धार्थ कुमार सहयोग कर रहे हैं।                      

हिंदी विषय की सहायक पुस्तक 'प्रबोधिनी' निर्माण के लिए लेखन कार्यशाला का आयोजन


महानिदेशक विद्यालय शिक्षा द्वारा प्रदत्त निर्देशों के तहत, कक्षा 11 के लिए अनिवार्य संस्कृत पाठ्यपुस्तक 'प्रबोधिनी' भाग 1 का विकास तेजी से हो रहा है। इस क्रम में, निदेशक अकादमिक  शोध एवं प्रशिक्षण द्वारा यह निर्देश दिए गए हैं कि इस पुस्तक को सत्र 2025-26 हेतु अनिवार्य रूप से पूर्ण किया जाए।

अब तक यह पुस्तक एक निजी प्रकाशक द्वारा प्रकाशित की जाती थी, लेकिन इस बार इसे विद्यालय शिक्षा परिषद रामनगर द्वारा विकसित किया जा रहा है। विशेष रूप से, संस्कृत प्रबोधिनी कक्षा 11 को 24 अंकों में निर्धारित किया गया है। इस पुस्तक के विकसित हो जाने के बाद, इसे निदेशक पाठ्यपुस्तक अनुभाग के निर्देशानुसार विद्यार्थियों को निशुल्क वितरित किया जाएगा।

गौरतलब है कि कई बार सूचना का अधिकार (RTI) के तहत शासन से यह जानकारी मांगी गई थी कि निशुल्क पाठ्यपुस्तकें अब तक क्यों उपलब्ध नहीं हो पाई हैं। इस बार, पाठ्यपुस्तक के विकसित हो जाने से इस समस्या का समाधान होने की उम्मीद है, और विद्यार्थियों को समय पर गुणवत्तापूर्ण सामग्री मिल सकेगी।

इस पहल का उद्देश्य छात्रों को बेहतर शैक्षिक सामग्री प्रदान करना और उन्हें निशुल्क पाठ्यपुस्तकों की सुविधा देना है, जिससे उनकी शैक्षणिक यात्रा में किसी भी प्रकार की कठिनाई न हो।

कक्षा 11 के लिए अनिवार्य संस्कृत पाठ्यपुस्तक 'प्रबोधिनी' के विकास हेतु आयोजित कार्यशाला का आज अंतिम सत्र अत्यंत सफल रहा। अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण निदेशक, बंदना गर्ब्याल ने इस सत्र का जायजा लिया और कार्य की प्रगति की सराहना की।


इस कार्यशाला में प्रमुख रूप से डॉ. एसपी सेमल्टी , मुख्य समन्वयक, और डॉ. आलोक प्रभा पांडे, कार्यशाला समन्वयक, ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लेखक मंडल के सदस्य, जिनमें डॉ. दीपक नवानी, विनोद कुमार डोबरियाल, डॉ. हेमचंद तिवारी, डॉ. महेश चंद्र मासीवाल, डॉ. हरिशंकर डिमरी, डॉ. देवेंद्र प्रसाद, सुनील अमोली, डॉ. अर्चना गुप्ता, डॉ. मधुसूदन सती, डॉ. अरुण किशोर भट्ट, डॉ. देशबंधु भट्ट, डॉ. कपिल देव सेमवाल, जितेंद्र नवानी, और  सोहन सिंह रावत उपस्थित रहे।

यह कार्यशाला राज्य में विद्यार्थियों के लिए संस्कृत शिक्षा के सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सभी प्रतिभागियों ने निष्ठापूर्वक काम किया और यह सुनिश्चित किया कि पुस्तक का निर्माण समयबद्ध तरीके से पूर्ण हो सके, जिससे सत्र 2025-26 में छात्रों को निशुल्क सामग्री प्रदान की जा सके।

संस्कृत-सम्बोधिनी: अनिवार्य पाठ्यपुस्तक विकास हेतु परिशोधन एवं सम्पादन कार्यशाला

माध्यमिक स्तर (कक्षा 9 और 10) पर हिन्दी विषय के अंतर्गत ‘अनिवार्य संस्कृत पाठ्यपुस्तक विकास’ कार्यक्रम राज्यस्तर पर तेजी से प्रगति कर रहा है। इस महत्त्वपूर्ण पहल के अंतर्गत, संस्कृत-सम्बोधिनी नामक पाठ्यपुस्तक शृंखला (प्रथम: भाग: और द्वितीय: भाग:) का निर्माण हो रहा है। इसी संदर्भ में, त्रिदिवसीय कार्यशाला का आयोजन 24 से 27 सितंबर, 2024 तक एस.सी.ई.आर.टी. उत्तराखण्ड में किया गया है।

इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य संस्कृत-सम्बोधिनी अनिवार्य पाठ्यपुस्तकों के अंतिम निर्माण हेतु परिशोधन और सम्पादन कार्य को पूर्ण करना है। यह चरण अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इसके तहत पाठ्यपुस्तकों की कक्षावार और पाठवार समीक्षा कर उन्हें पाठ्यक्रम और शैक्षिक मानकों के अनुरूप ढाला जा रहा है।


निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण बन्दना गर्ब्याल के अनुसार कार्यशाला में भाग ले रहे प्रतिभागियों को समीक्षक और पाठ्यपुस्तक विश्लेषक के रूप में प्रशिक्षित किया जा रहा है, ताकि वे नव-निर्मित पाठ्यपुस्तकों और ड्राफ्ट्स की गहन समीक्षा कर सकें। इस प्रक्रिया के दौरान यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ये पाठ्यपुस्तकें निम्नलिखित मानकों पर खरी उतरती हैं या नहीं:

  • हिन्दी विषय के निर्दिष्ट पाठ्यक्रम-संस्कृत व्याकरण का समुचित समावेश।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की अनुशंसाओं के अनुरूप सामग्री और व्याकरणिक संरचना।
  • पाठ्यपुस्तक प्रारूप और ग्रिड के मानकों का पालन।

इस कार्यशाला का मुख्य फोकस पाठ्यवस्तु के भाषिक-विस्तार और योग्यता-विस्तार पर रहेगा। डॉ. साधना डिमरी (विषय समन्वयक) ने बताया कि इन बिंदुओं पर ध्यान देकर पाठ्यपुस्तकों को अंतिम रूप दिया जाएगा।

संपादक मंडल में विशेषज्ञों की टीम शामिल है, जिनमें शामिल हैं:

  • डॉ. नवीन जसोला (असिस्टेंट प्रोफेसर, हिमालय आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज, माजरीग्रान्ट)
  • डॉ. प्रदीप सेमवाल (असिस्टेंट प्रोफेसर, उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, हर्रावाला)
  • डॉ. सुमन भट्ट (असिस्टेंट प्रोफेसर, उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार)
  • डॉ. साधना डिमरी (प्रवक्ता-संस्कृत)

अपर निदेशक एस सी ई आर टी, अजय नौडियाल ने कहा कि यह कार्यशाला पाठ्यपुस्तक विकास की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है, जिससे सुनिश्चित किया जा सकेगा कि माध्यमिक स्तर के विद्यार्थी संस्कृत के विषय में न केवल शैक्षणिक, बल्कि व्यावहारिक दृष्टिकोण से भी समृद्ध ज्ञान प्राप्त करें।

Tuesday, September 24, 2024

अजीम प्रेमजी फाउंडेशन परिसर में गृह विज्ञान पाठ्यपुस्तक निर्माण कार्यशाला का उद्घाटन


देहरादून: अजीम प्रेमजी फाउंडेशन परिसर में आयोजित गृह विज्ञान पाठ्यपुस्तक निर्माण कार्यशाला का शुभारंभ कादमिक शोध एवं प्रशिक्षण उत्तराखण्ड की निदेशक बन्दना गर्ब्याल द्वारा किया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला राज्य के छात्रों के लिए एक प्रभावी और उपयोगी पाठ्यपुस्तक निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। अपर निदेशक अजय नौडियाल ने अपने सम्बोधन मे, पुस्तक लेखन किसी भी प्रकार के कॉपीराइट एवं त्रुटियाँ से मुक्त रखने के निर्देश दिए। 

कार्यशाला में सहायक निदेशक डॉ. के. एन. बिजल्वाण ने मार्गदर्शन प्रदान किया, जो सभी लेखकों के लिए अत्यंत उपयोगी साबित हुआ। उन्होंने पुस्तक निर्माण के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला और आवश्यक सुझाव दिए।

डॉ. राकेश गैरोला और कार्यशाला समन्वयक सोहन सिंह नेगी ने सभी लेखकों को पुस्तक के लेखन के दौरान दिए गए सुझावों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया। सुझावों में विशेष रूप से निम्नलिखित बातों पर जोर दिया गया:

  1. पुस्तक की भाषा सरल और स्पष्ट होनी चाहिए ताकि छात्र आसानी से समझ सकें।
  2. चित्रों और चार्ट्स का उपयोग करते हुए पुस्तक को आकर्षक और छात्र-हितैषी बनाया जाए।
  3. अध्यायों का क्रम तार्किक हो और एक अध्याय से दूसरे अध्याय में आसानी से जुड़ाव हो।
  4. पाठ्य सामग्री को व्यावहारिक उदाहरणों के साथ प्रस्तुत किया जाए, ताकि छात्रों को विषय की गहरी समझ हो सके।
  5. मूल्यांकन के लिए प्रत्येक अध्याय के अंत में अभ्यास प्रश्न जोड़े जाएं, जिससे छात्रों का आत्म-मूल्यांकन संभव हो।

State-Wise Presentation on Action Plan for SDG 4.7 Policies and Practices at CIET-NCERT Workshop

On the second day of the workshop and meeting at CIET-NCERT, a state-wise presentation on the Action Plan for SDG 4.7 Policies and Practices in School Education took place. Dr. Ajay Chaurasiya, the nodal officer for this event, facilitated the session, where representatives from various states shared their progress and future strategies for implementing Sustainable Development Goal (SDG) 4.7, which focuses on education for sustainable development, global citizenship, and promoting cultural diversity.


Dr Ajay Chaurasiya Representing Uttarakhand, a faculty member from SCERT Uttarakhand presented the state's current status and action plan for integrating SDG 4.7 into school education. The presentation highlighted Uttarakhand’s initiatives in promoting sustainability, inclusive education, and socio-emotional learning, with a focus on rural and remote schools. 

Practices to Achieve SDG 4.7 in Schools:

  • Curriculum Integration: Schools need to incorporate content related to sustainable development, global citizenship, and cultural diversity into their curricula. This can be done through subjects like social sciences, environmental studies, and moral education.

  • Teacher Training: Educators should be provided with training on how to effectively integrate SDG 4.7 themes into their teaching. Professional development programs focused on sustainability and global citizenship can enhance the quality of education.

  • Community Engagement: Schools should partner with communities to promote sustainability practices, such as waste management, tree planting, and local environmental projects. Community involvement helps students understand the real-world applications of what they learn in school.

  • Collaborative Projects: Cross-cultural and cross-national collaborations between schools can foster global citizenship by allowing students to interact with peers from different parts of the world, share ideas, and work together on projects aimed at achieving global sustainability goals.

  • Use of Technology: ICT (Information and Communication Technology) can play a significant role in achieving SDG 4.7 by providing students with access to global learning platforms, tools for collaborative learning, and resources on sustainable development and global issues.

By implementing these policies and practices, schools can help students develop the necessary skills, knowledge, and values to contribute to a more just, peaceful, and sustainable world, aligning education with the broader aims of sustainable development.

The Uttarakhand delegation emphasized the need for continuous teacher training, curriculum development, and community engagement to meet the goals outlined in SDG 4.7. Their action plan includes key interventions in capacity building, innovative teaching practices, and ICT integration to foster sustainable educational outcomes across the state.

There is a pressing need to implement specific actions in the education sector for promoting Education for Sustainable Development (ESD) and Global Citizenship. These initiatives should be integrated into the curriculum through dedicated chapters that explore the conceptual framework of ESD and Global Citizenship.

The curriculum should cover sub-themes such as human rights, peace and non-violence, gender equality, and diversity, ensuring these critical areas are emphasized. Additionally, it is essential to introduce training programs for teachers, from the primary to secondary levels, to effectively deliver these concepts.

In terms of assessment, schools should adopt methods like project-based learning, hands-on practice, and focus group discussions (FGDs) for students at all levels. The assessment strategies should also include competency-based evaluation and peer assessment to foster a more holistic understanding and application of ESD and Global Citizenship principles.

Tool Development Workshop Launched Under National Population Education Programme 2024-25 at SCERT Uttarakhand


A three-day Tool Development Workshop under the National Population Education Programme 2024-25 began at SCERT Uttarakhand, Dehradun from 23rd September to 25th September 2024. The workshop focuses on the topic, "A Study of Dropout Rate of Girl Students and their Socio-Emotional Aspects at the Secondary Stage in Haridwar District."

SCERT, Additional Director Asha Rani Painuily open the workshop and the program is coordinated by Neelam Panwar, with participation from institutions such as DIET Uttarkashi, GGIC Sandhipur, Haridwar, and GIC Bangiyal, Tehri Garhwal. Faculty members from SCERT Uttarakhand are also part of this significant initiative.

Dr. K. N. Bijalwan, Assistant Director of SCERT, formally inaugurated the workshop, setting the tone for the discussions and activities. In her message, Bandana Garbyal, Director of Academic Research and Training, encouraged participants to ensure the program's success. The workshop also received well-wishes from Additional Director Ajay Naudiyal and Asha Rani Painuily , who expressed their hopes for fruitful outcomes.


This workshop aims to develop tools and methodologies to better understand the factors contributing to girl students' dropout rates and their socio-emotional challenges, in line with the broader goals of the National Population Education Programme.

Five-Day Capacity Building Programme on NEP 2020 Implementation Begins at NCERT, New Delhi

A five-day Capacity Building Programme on the implementation of the National Education Policy (NEP) 2020 is being conducted from 23rd September to 27th September 2024 at NCERT, New Delhi. This program aims to enhance the capacity of educators and institutional leaders in aligning with the objectives of NEP 2020.

NEP Cell Coordinator Manoj Bahuguna detailed as the NEP 2020 stresses the importance of transforming the SCERTs and DIETs into institutions of excellence. These bodies will play a key role in training both pre-service and in-service teachers, ensuring the highest quality at all stages of education, as no stage is deemed more important than another. The revamped SCERTs and DIETs will spearhead the implementation of the 5 + 3 + 3 + 4 schooling framework. The government plans to enhance these institutions through infrastructure upgrades, innovative research, continuous professional development, and the use of ICT.

According to Joint Director CIET-NCERT, Dr Amarendra Behra the prime focus is to make SCERTs and DIETs robust centers of professional development that can serve as models for private institutions at the state and district levels. Strengthening the relationship between state, district, block, and cluster levels is crucial. The Ministry of Education, Government of India has highlighted teacher training as a key priority in the Union Budget, with a focus on innovative pedagogy, continuous professional development, and ICT integration based on NEP 2020 guidelines.


Objectives of the Capacity Building Programme (CBP):

This Capacity Building Programme (CBP) aligns with the vision of NEP 2020 and addresses critical areas such as:

  • Universal Access and Retention
  • Foundational Literacy and Numeracy
  • Gender and Equity
  • Inclusive Education
  • Quality and Innovation
  • Digital Initiatives
  • RTE Entitlements (uniforms, textbooks, etc.)
  • Support for Early Childhood Care and Education (ECCE)
  • Sports and Physical Education
  • Capacity Building of Teachers and Teacher Educators
  • Monitoring and Programme Management

Additionally, the CBP aims to train educators on various themes like innovative pedagogy, experiential learning (through sports, arts, and toy-based pedagogy), 50-hour continuous professional development (CPD) programs for teachers and headteachers, and holistic assessment. The programme will also focus on integrating ICT, sharing resources, and providing academic support across school, vocational, and adult education as envisioned in NEP 2020, NCF-FS 2022, NCF-SE 2023, and NCF-TE (ITEP) 2023.


Participation from Uttarakhand:

Six representatives from Uttarakhand are actively participating in this significant program:

  • Manoj Bahuguna, Coordinator NEP, SCERT
  • Dr. Vijay Singh Rawat, DIET Dehradun
  • Dr. Kamal Gahtori, DIET Lohaghat Champawat
  • Rajesh Joshi, DIET Bheemtal Nainital
  • Dr. Mahaveer Singh Kaletha, DIET Chadigaon Pauri Garhwal
  • Neetu Sood, DIET Gouchar Chamoli

These participants will gain insights into NEP 2020’s implementation strategies, bringing their learning back to their respective institutions to foster educational transformation at all levels.

Monday, September 23, 2024

डॉ. अजय चौरसिया, नोडल अधिकारी एसडीजी उत्तराखंड ने एनसीईआरटी दिल्ली द्वारा आयोजित कार्यशाला में किया प्रतिभाग, एससीईआरटी उत्तराखंड का किया प्रतिनिधित्व

23-24 सितंबर 2024 को एनसीईआरटी दिल्ली के योजना और प्रबंधन विभाग द्वारा "एसडीजी 4.7 नीतियों और प्रथाओं पर रिपोर्ट साझा करने और समीक्षा" विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में उत्तराखंड से राज्य नोडल अधिकारी डॉ. अजय चौरसिया ने प्रतिभाग किया और एससीईआरटी उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व किया।

कार्यशाला के मुख्य उद्देश्य:

  1. राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों की वास्तविक स्थिति का आकलन: कार्यशाला का प्रमुख उद्देश्य यह जानना है कि राज्य और केंद्रशासित प्रदेश एसडीजी 4.7 के तहत नीतियों और प्रथाओं को कितनी प्रभावी ढंग से लागू कर रहे हैं। इसमें पाठ्यक्रम, शिक्षक शिक्षा, मूल्यांकन और नीतियों का अध्ययन मुख्य रूप से छह क्षेत्रों में किया जाएगा - सतत विकास, वैश्विक नागरिकता, मानवाधिकार, लैंगिक समानता, शांति और अहिंसा, तथा स्कूल शिक्षा में विविधता।

  2. एसडीजी 4.7 के लिए रोडमैप का विकास: कार्यशाला का एक अन्य महत्वपूर्ण उद्देश्य यह है कि एसडीजी 4.7 को व्यापक रूप से लागू करने के लिए सुधारात्मक कदम उठाए जाएं और रणनीतियों का विकास किया जाए।

  3. विशेष कार्य क्षेत्रों की पहचान: राज्य को किन क्षेत्रों में अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है, इसकी पहचान कर, उन पर व्यापक रूप से काम करने की दिशा में कदम उठाने की योजना तैयार की जाएगी । 

डॉ. अजय चौरसिया ने इस कार्यशाला में उत्तराखंड के शैक्षिक दृष्टिकोण को प्रस्तुत किया और राज्य में सतत विकास लक्ष्यों की प्रभावी कार्यान्वयन रणनीतियों पर चर्चा की।

महानिदेशक झरना कमठान ने शैक्षिक पहलों पर एससीईआरटी उत्तराखंड की समीक्षा बैठक ली :


विद्यालयी  शिक्षा उत्तराखंड की महानिदेशक झरना कमठान  ने आज एससीईआरटी (राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) और सीमेट द्वारा संचालित शैक्षिक कार्यक्रमों और पहलों की समीक्षा समग्र शिक्षा उत्तराखण्ड के सेमीनार हाल मे की। बैठक की शुरुआत में अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण निदेशक  बन्दना  गर्ब्याल ने महानिदेशक का स्वागत किया। एससीईआरटी अपर निदेशक अजय नौड़ियाल ने उन्हें पुष्पगुच्छ भेंट किया।इस महत्वपूर्ण बैठक में दोनों संस्थानों के अधिकारियों ने अपनी प्रगति और भविष्य की योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की।


सहायक निदेशक , डॉ. के. एन. बिजलवाण ने एससीईआरटी द्वारा किए जा रहे विभिन्न कार्यों की विस्तृत जानकारी दी, जिसमें निम्नलिखित मुख्य बिंदु शामिल थे:

  • पाठ्यक्रम विकास: राज्य के स्कूलों के लिए आधुनिक और उन्नत पाठ्यक्रम तैयार करना।
  • शिक्षक प्रशिक्षण: शिक्षकों के लिए नवीनतम शैक्षणिक तकनीकों पर आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना।
  • आई सी टी और इसके कक्षा शिक्षण एवं प्रबंधन ने उपयोगिता 
  • शैक्षिक शोध और मूल्यांकन: राज्य में शैक्षिक गुणवत्ता सुधारने के लिए अनुसंधान और परीक्षा सामग्री तैयार करना। 
 

निदेशक बन्दना  गर्ब्याल  ने उत्तराखंड में चल रही कुछ सफल पहलों के बारे में बताया, जिनमें:
  • प्रवेशोत्सव: सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ाने के उद्देश्य से जागरूकता अभियान।
  • प्रतिभा दिवस: छात्रों को उनके रचनात्मक और कलात्मक कौशल को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान करने वाला मासिक कार्यक्रम।
एससीईआरटी के सुनील भट्ट ने दो प्रमुख कार्यक्रमों पर विस्तार से जानकारी दी::
  • हमारी विरासत, हमारी विभूतियां: यह कार्यक्रम छात्रों को उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और उसके महापुरुषों के बारे में जागरूक करता है।
  • कौशलम कार्यक्रम: यह व्यावसायिक शिक्षा और उद्यमशीलता कौशल को बढ़ावा देने वाला कार्यक्रम है, जिसमें कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों को व्यावहारिक और तकनीकी ज्ञान प्रदान किया जाता है।
सुधीर नौटियाल ने पीएम ई-विद्या चैनलों के बारे में बताया, जो डिजिटल माध्यम से प्राथमिक से लेकर माध्यमिक स्तर तक के छात्रों के लिए शैक्षिक सामग्री प्रदान करते हैं।

डॉ. साधना डिमरी ने आनंदम कार्यक्रम की जानकारी दी, जो छात्रों के लिए आनंददायक और तनावमुक्त शिक्षा सुनिश्चित करने हेतु गतिविधि-आधारित शिक्षण पर केंद्रित है।

डॉ. के. एन. बिजलवाण ने आगामी शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए एससीईआरटी के बजट की प्रस्तुति दी, जिसमें उन्होंने विभिन्न शैक्षिक परियोजनाओं के लिए वित्तीय आवंटन का ब्यौरा दिया।


महानिदेशक झरना कमठान ने एससीईआरटी और एसआईईएमएटी के कार्यों की सराहना की, लेकिन उन्होंने प्रत्येक विभाग से एक विस्तृत कार्य योजना मांगी, जिसमें समय-सीमा और आवश्यक मानव संसाधन शामिल हों। उन्होंने सभी कार्यक्रमों को समय पर और प्रभावी ढंग से पूरा करने पर जोर दिया।

डॉ. मोहन बिष्ट ने SIEMAT की ओर से स्कूल प्रबंधन और शिक्षक प्रशिक्षण में सुधार के लिए किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी। बैठक का समापन अपर निदेशक आशा रानी पैन्यूली , एससीईआरटी के विभिन्न परियोजनाओं की प्रगति पर जानकारी देते हुए किया गया। महानिदेशक झरना कमठान  ने सभी विभागों से समन्वय और टीम वर्क के साथ राज्य के शैक्षिक लक्ष्यों को समयबद्ध तरीके से पूरा करने का आग्रह किया।

Saturday, September 21, 2024

समग्र शिक्षा उत्तराखंड द्वारा 52 प्राथमिक विद्यालयों को आदर्श पुस्तकालय पुरस्कार प्रदान

 

दिनांक: 21 सितंबर 2024

देहरादून: आज, समग्र शिक्षा उत्तराखंड ने रूम टू रीड के सहयोग से राज्य भर के 52 प्राथमिक विद्यालयों को आदर्श पुस्तकालय पुरस्कार से सम्मानित किया। देहरादून के राजपुर रोड स्थित होटल अकेता में आयोजित इस कार्यक्रम में विद्यालयी शिक्षा महानिदेशक  उत्तराखंड, झरना कमठान  ने पुरस्कार प्रदान किए।

समग्र शिक्षा उत्तराखंड निपुण भारत मिशन के तहत साक्षरता और संख्या ज्ञान में सुधार के लिए विभिन्न नवीन कार्यक्रमों को लागू कर रहा है। इस मिशन के तहत एक पुस्तकालय रेटिंग प्रणाली शुरू की गई थी और जिला और ब्लॉक स्तर पर समितियां बनाई गई थीं ताकि आदर्श पुस्तकालयों का चयन किया जा सके। इन समितियों की सिफारिश के आधार पर प्रत्येक जिले से चार स्कूलों का चयन किया गया और राज्य परियोजना कार्यालय को भेजा गया।

राज्य परियोजना निदेशक झरना कमठान के मार्गदर्शन में राज्य स्तर पर इन स्कूलों को मान्यता देने का निर्णय लिया गया ताकि अन्य विद्यालयों को अपने पुस्तकालयों में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया जा सके। आदर्श पुस्तकालय पुरस्कार समारोह का आयोजन समग्र शिक्षा द्वारा रूम टू रीड के सहयोग से किया गया।

पुरस्कार के लिए मापदंड लाइब्रेरी रेटिंग सिस्टम पर आधारित है जिसमें आठ सूचक निर्धारित किए गए हैं। सहायक निदेशक एस सी ई आर टी से डॉ के एन बिजलवाण ने बताया कि यदि किसी विद्यालय का पुस्तकालय इन सूचकों में से पांच या अधिक अंक प्राप्त करता है तो उसे "सुधार" स्थिति में माना जाता है, जिसका अर्थ है कि पुस्तकालय को सुधार की आवश्यकता है। सात अंक एक "कार्यात्मक" पुस्तकालय और आठ अंक एक "अत्यंत कार्यात्मक" पुस्तकालय को दर्शाता है। अत्यंत कार्यात्मक पुस्तकालय न केवल छात्रों बल्कि पूरे समुदाय को लाभ पहुंचाते हैं।

समारोह में विद्यालयों के प्राचार्यों और ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों को संबोधित करते हुए झरना कमठान ने पुस्तकालयों को किसी भी विद्यालय का अभिन्न अंग बताया और सभी विद्यालयों को अपने पुस्तकालयों को बेहतर बनाने का आग्रह किया।

कार्यक्रम में निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण उत्तराखंड श्रीमती बंदना गर्ब्याल  द्वारा कहा गया कि पुरस्कृत होने वाले विद्यालयों ने विषम परिस्थितियों में अपने विद्यालयों के पुस्तकालय को सुव्यवस्थित किया गया है इसी प्रकार अन्य छात्र भी इस प्रयास को अपना सकते हैं एवं प्रदेश स्तर पर व्यापक अभियान के तौर पर रीडिंग हैबिट को विकसित किया जा सकता है।
कार्यक्रम में अपर राज्य परियोजना निदेशक समग्र शिक्षा उत्तराखंड मुकुल कुमार सती द्वारा संबोधित किया गया कि निपुण भारत मिशन के अंतर्गत भाषा एवं संख्या ज्ञान के साथ साथ विद्यालय के पुस्तकालयों को भी व्यवस्थित करने का प्रयास निरंतर जारी है विद्यालयों को पुस्तकालय मद में प्रतिवर्ष धनराशि उपलब्ध करवाई जा रही है साथ ही इस वर्ष एफएलएन प्रशिक्षण के साथ पुस्तकालय हेतु मैनुअल भी जारी किया गया है जिससे विद्यालयों में पुस्तकालय को एकरूपता एवं व्यवस्थित स्वरूप प्रदान करने में मदद मिलेगी।

आदर्श पुस्तकालय पुरस्कार वितरण समारोह में महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा उत्तराखंड झरना कमठान सहित निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण उत्तराखंड बंदना गर्ध्याल, अपर राज्य परियोजना निदेशक समग्र शिक्षा मुकुल कुमार सती, अपर निदेशक एससीईआरटी अजय कुमार नौडियालय, रूम टू रीड के प्रोग्राम डायरेक्टर इंडिया शक्तिधर मिश्रा, अपर निदेशक एससीईआरटी आशारानी पैन्यूली, संयुक्त निदेशक पीएम पोषण कुलदीप गैरोला सहित चयनित विद्यालयों के प्रधानाध्यापक एवं उनके विकासखंडों के खंड शिक्षा अधिकारी उपस्थित रहे इस विशेष कार्यक्रम पर अपर निदेशक आशा रानी पैन्यूली ने पूरे समूह को बधाई दी । 

Webinar on History Teaching for D.El.Ed. Student-Teachers Organized by SCERT Uttarakhand and Sterlite EdIndia Foundation

 

Dehradun, 21 September 2024 – SCERT Uttarakhand, in collaboration with the Sterlite EdIndia Foundation, successfully organized an online webinar for D.El.Ed. student-teachers on the topic "History Teaching: Meaning, Importance, and Methods." The session aimed to enhance the teaching-learning experience of history, making it more engaging and fun for both teachers and students. Arun Thapliyal from SCERT coordinated the state level webinar.


The webinar, held from 11:00 a.m. to 12:00 p.m., emphasized the importance of history as a subject and discussed innovative and interactive teaching methods that can help make history lessons more enjoyable for students. The focus was on preparing future teachers by equipping them with advanced teaching skills, as recommended by NEP 2020.

The session was led by faculty from SCERT Uttarakhand, with Director Bandana Garbyal and Additional Director Asha Rani Panyuli emphasizing the importance of modernizing teaching methodologies in line with the recommendations of NEP 2020. They expressed confidence that the skills and techniques shared during the webinar would yield great results in classrooms across Uttarakhand. Narendra Joshi narrated the content online.

Additional Director Ajay Naudiyal also voiced optimism about the positive impact of this initiative, stating that the training would greatly enhance the teaching capabilities of future educators, making them more skilled and expert in their approach.

The event reflected SCERT Uttarakhand’s commitment to continuous teacher development and to ensuring that student-teachers are well-prepared to navigate the evolving landscape of education in the 21st century.