Saturday, September 14, 2024

हिन्दी हमारी पहचान, हमारी धरोहर : एससीईआरटी उत्तराखंड द्वारा हिन्दी दिवस का ऑनलाइन आयोजन


ससीईआरटी उत्तराखंड ने हिन्दी दिवस का ऑनलाइन आयोजन बड़े ही उत्साह और सम्मान के साथ मनाया। इस अवसर पर प्रदेश के शिक्षा जगत से जुड़े प्रमुख अधिकारी, संकाय सदस्य और प्रवक्ता उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन सुनील भट्ट ने अपनी प्रभावशाली शैली में किया, जिसने पूरे कार्यक्रम को रोचक बनाए रखा।

निदेशक बंदना गर्ब्याल:


कार्यक्रम की शुरुआत निदेशक, अकादमिक, शोध एवं प्रशिक्षण, बंदना गर्ब्याल ने की। उन्होंने हिन्दी भाषा के महत्व पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हिन्दी हमारी संस्कृति और सभ्यता की मूल धारा है। उन्होंने नारी के विभिन्न रूपों पर आधारित एक प्रेरणादायक कविता सुनाई, जिसने महिलाओं के योगदान और उनके सम्मान पर सभी को सोचने पर मजबूर किया। उन्होंने यह भी कहा कि हिन्दी भाषा को हमें अपने जीवन में और अधिक अपनाने की जरूरत है, ताकि यह और भी सशक्त बन सके।

अपर निदेशक आशा रानी पैन्यूली:


अपर निदेशक एस सी ई आर टी, आशा रानी पैन्यूली ने हिन्दी भाषा के एक-एक वर्ण के महत्व पर गहन विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि हिन्दी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि यह हमारी पहचान और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है। उन्होंने हिन्दी भाषा की संरचना और इसके व्याकरण की जटिलताओं को सरल तरीके से प्रस्तुत किया, जिससे श्रोताओं को भाषा के प्रति और भी गहरी समझ विकसित करने में मदद मिली।

संयुक्त निदेशक कंचन देवराड़ी:


संयुक्त निदेशक कंचन देवराड़ी ने ऑनलाइन माध्यम से विचार रखने के महत्व पर बात की। उन्होंने हिन्दी भाषा को एक छात्र की तरह सीखने और उसे समझने की आवश्यकता बताई। उनका कहना था कि हमें इस भाषा को सीखते रहना चाहिए, क्योंकि यह हमारी सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है। उन्होंने जय शंकर प्रसाद की 'कामायनी' से कविता का वाचन किया, जो बेहद प्रेरणादायक था।

सहायक निदेशक डॉ. के एन बिजलवाण:


डॉ. के एन बिजलवाण ने अपनी हास्य कविता से कार्यक्रम में एक विशेष रंगत जोड़ दी। उनकी कविता एक शिक्षक की पदोन्नति के लिए किए जाने वाले संघर्ष पर आधारित थी, जिसे सुनकर सभी हंसी और गंभीरता के बीच झूलते रहे। उनकी रचना ने शिक्षकों की व्यावहारिक समस्याओं को हल्के-फुल्के अंदाज में पेश किया, जिससे सभी श्रोताओं का मन मोह लिया।

सहायक निदेशक किरण बहुखंडी:


सहायक निदेशक बहुखंडी ने हिन्दी भाषा के औपचारिक और विधिक उपयोग पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि चिकित्सा, न्यायालय और कानून जैसे क्षेत्रों में हिन्दी भाषा का सही और सटीक उपयोग आवश्यक है, ताकि बड़े-बड़े विवादों को सुलझाया जा सके। उनका कहना था कि भाषा का सही ढंग से उपयोग ना करने से गलतफहमियां और समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, इसलिए हमें सतर्क रहना होगा।

प्रवक्ता सुधा पैन्यूली ने हिन्दी भाषा के महत्व और उसकी वर्तमान स्थिति पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने हिन्दी के व्यापक उपयोग और इसे एक सशक्त भाषा के रूप में स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उनका कहना था कि हिन्दी को न केवल शिक्षा, बल्कि व्यवसाय और विज्ञान के क्षेत्रों में भी प्रमुखता मिलनी चाहिए।






प्रवक्ता डॉ. राकेश गैरोला ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि जब हिन्दी सबकी भाषा बन जाएगी, तभी इसका वास्तविक महत्व समझा जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि हिन्दी की लिपि विदेशी भाषाओं से सरल और अलग है, जिसने इसे राजभाषा का गौरव दिलाया। उनका कहना था कि हमें हिन्दी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अधिक प्रसारित करने की आवश्यकता है।



डाइट,प्रवक्ता डॉ. संदीप कुमार जोशी ने हिन्दी को हमारी आत्मा की भाषा कहा। उन्होंने कहा कि विदेशियों ने हमें बांटकर अलग किया, लेकिन हिन्दी ने हमें फिर से जोड़ने का काम किया। उन्होंने कई प्रसिद्ध कवियों की पंक्तियों को उद्धृत करते हुए कहा कि क्षेत्रीय भाषाओं को भी हिन्दी से समृद्धि मिली है। इसके साथ ही उन्होंने 'परिवर्तन' नामक कविता भी प्रस्तुत की, जिसने सबका मन मोह लिया।



डॉ. उषा कटियार ने संत कबीर का एक भजन संगीत के साथ प्रस्तुत किया। उनकी प्रस्तुति ने हिन्दी भाषा की गहराई और आध्यात्मिकता को उभारा। उन्होंने यह भी कहा कि हिन्दी साहित्य में संगीत का विशेष स्थान है और इसे समझने के लिए भाषा के साथ-साथ उसकी ध्वनि और लय को भी महसूस करना जरूरी है।




प्रवक्ता डॉ. अवनीश ने हिन्दी भाषा की तुलना अन्य भाषाओं से करते हुए इसे 'हिन्दी के कारखाने' की तरह बताया, जहां विचारों को निखारा जाता है। उन्होंने कहा कि हिन्दी में इतनी क्षमता है कि यह किसी भी भाषा के साथ संवाद स्थापित कर सकती है। उन्होंने अपनी बात को एक मुक्तक के माध्यम से प्रस्तुत किया, जिसने सभी को प्रेरित किया।




डाइट प्रवक्ता डॉ. मनोज कुमार पांडे ने सुमित्रानंदन पंत की कविता सुनाई, जिसने कार्यक्रम को साहित्यिक ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उन्होंने कहा कि हिन्दी साहित्य की गहराई को समझने के लिए हमें इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाना होगा।




डाइट बागेश्वर प्रवक्ता के एस रावत ने अपने समुदाय के साथ भाषा के कार्य को साझा किया। उन्होंने पर्यायवाची शब्दों से भरी एक सुंदर कविता प्रस्तुत की, जिसने श्रोताओं को हिन्दी भाषा की समृद्धि और उसकी गहराई का एहसास कराया।

अंत में, अपर निदेशक आशा रानी पैन्यूली ने सोहन लाल द्विवेदी की प्रसिद्ध कविता 'कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती' का पाठ किया, जिसने सभी श्रोताओं को जोश और प्रेरणा से भर दिया। उनका कहना था कि हिन्दी भाषा के प्रति हमारे समर्पण और प्रयासों से ही इसे और सशक्त बनाया जा सकता है।
मीटिंग के अंतिम संदेश में निदेशक, बंदना गर्ब्याल ने हिन्दी दिवस के महत्व को रेखांकित करते हुए, आने वाले समय में हिन्दी पखवाड़ा मनाने पर जोर दिया। उन्होंने जीवन के हर क्षेत्र में योग्यता और सरलता के साथ कार्य करने की महत्ता पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता बताई।

इस प्रकार, हिन्दी दिवस का यह आयोजन हिन्दी भाषा की महिमा और उसकी महत्ता को और भी उजागर करने में सफल रहा। सभी सहभागियों ने हिन्दी के प्रति अपनी निष्ठा और प्रेम प्रकट किया, जिससे यह कार्यक्रम एक स्मरणीय अनुभव बन गया।

Thursday, September 12, 2024

बागेश्वर में राज्य स्तरीय विज्ञान संगोष्ठी का आयोजन: कृत्रिम बुद्धिमता के भविष्य पर चर्चा

 

बागेश्वर, 12 सितंबर: जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, बागेश्वर में 'कृत्रिम बुद्धिमता-संभाव्यता और सरोकार' विषय पर राज्य स्तरीय विज्ञान संगोष्ठी का आज भव्य उद्घाटन हुआ। इस संगोष्ठी का आयोजन राष्ट्रीय विज्ञान केन्द्र, नई दिल्ली के मार्गदर्शन में किया गया है, जिसमें राज्यभर से बाल वैज्ञानिकों ने भाग लिया।


कार्यक्रम का उद्घाटन प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना अनुश्रवण के उपाध्यक्ष शिव सिंह बिष्ट, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक कमल पाण्डे, आकाश सारस्वत, डायट प्राचार्य डॉ. मनोज कुमार पांडेय और मुख्य शिक्षा अधिकारी गजेन्द्र सिंह सौन ने संयुक्त रूप से किया। मुख्य अतिथि  राज्यमंत्री शिव सिंह बिष्ट ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि आने वाला समय कृत्रिम बुद्धिमता का है, और इसके सकारात्मक उपयोग से विद्यार्थी अपनी रचनात्मक एवं विश्लेषणात्मक क्षमताओं को सशक्त बना सकते हैं।


अपर निदेशक, एससीईआरटी, आशा रानी पैन्यूली ने राज्यभर से आये बाल वैज्ञानिकों को निरंतर प्रयास करने और अच्छी आदतों को विकसित करने की प्रेरणा दी। निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण बंदना गर्ब्याल ने अपने संदेश में विद्यार्थियों से अपनी रचनात्मक और विश्लेषणात्मक शक्तियों को बढ़ाने का आह्वान किया।

राज्य विज्ञान समन्वयक डॉ. देवराज सिंह राणा ने बताया कि इस संगोष्ठी में 13 जनपदों के 26 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। प्रत्येक प्रतिभागी 6 मिनट का प्रस्तुतीकरण और 2 मिनट का प्रश्नोत्तर सत्र प्रस्तुत करेंगे। राज्य स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागी को मुंबई में होने वाली राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेने का अवसर मिलेगा, जहाँ विजेता को एक साल तक प्रतिमाह 4000 रुपये की धनराशि प्रदान की जाएगी।

इस अवसर पर निर्णायक मंडल में डॉ. दीपक कुमार, डॉ. रेखा वर्थवाल और सहायक प्रोफेसर डॉ. हेमलता बिष्ट ने मूल्यांकन कार्य किया। कार्यक्रम का संचालन डायट प्रवक्ता डॉ. राजीव जोशी द्वारा किया गया, जिसमें डीएलएड प्रशिक्षुओं और निकटस्थ विद्यालयों के विद्यार्थियों ने भी दर्शक के रूप में हिस्सा लिया।

संगोष्ठी ने राज्य के युवा वैज्ञानिकों के लिए एक सशक्त मंच प्रदान किया है, जहाँ वे कृत्रिम बुद्धिमता के क्षेत्र में अपने विचार और शोध प्रस्तुत कर रहे हैं।

प्रथम तीन विजेता के नाम -

Wednesday, September 11, 2024

निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, उत्तराखंड द्वारा एससीईआरटी उत्तराखंड के वार्षिक कार्ययोजना- 2024-25 की प्रगति और वर्तमान स्थिति पर समीक्षा

 Dr AK

निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, उत्तराखंड, बंदना गर्ब्याल ने एससीईआरटी उत्तराखंड के साथ वार्षिक कार्ययोजना (एडब्ल्यूपी) 2024-25 की प्रगति और वर्तमान स्थिति पर फोकस करने पर जोर दिया। इस समीक्षा बैठक में भारत सरकार द्वारा स्वीकृत योजनाओं और कार्यक्रमों पर गहन चर्चा की गई। अपर निदेशक एससीईआरटी, आशा रानी पैन्यूली, और सभी अधिकारियों एवं संकाय सदस्यों के साथ विभागवार प्रगति और भविष्य की कार्ययोजना के लिए रोडमैप पर विस्तार से विचार-विमर्श हुआ।


सहायक निदेशक डॉ. के एन बिजलवाण  और संयुक्त निदेशक कंचन देवराड़ी ने एससीईआरटी और प्रोग्राम मॉनिटरिंग विभाग की ओर से विस्तृत योजना, बजट आवंटन, समयबद्ध कार्य प्रगति और अन्य विभागों के साथ परियोजनाओं के समन्वयन पर गहन चर्चा की। बैठक में प्रशिक्षण और विकास कार्यों के लिए आवश्यक संसाधनों की मांग भी प्रस्तुत की गई।


बैठक के दौरान, दीक्षा पोर्टल के लिए ई-कंटेंट निर्माण और पीएमई विद्या के लिए वीडियो कंटेंट की गुणवत्ता पर भी गहन चर्चा हुई। डॉ. बिजलवाण  ने सभी विभागों को निर्देश दिया कि वे एक-एक मॉडल टीचिंग प्लान और डिजिटल इंटरैक्टिव लेसन का वीडियो तैयार कर प्रोग्राम मॉनिटरिंग को सौंपें, ताकि एक दिन सदन में उस पर चर्चा की जा सके।

अपर निदेशक पैन्यूली ने सभी विभागों को गुणवत्ता शिक्षा और मजबूत प्रशिक्षण प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया। संयुक्त निदेशक कंचन देवराड़ी ने इंटरैक्टिव कंटेंट और वर्तमान समय के अनुसार डिजाइन और क्रिएटिविटी को प्रमुखता देने पर जोर दिया।

डॉ. दिनेश रतूडी  ने शोध और प्रशिक्षण मॉड्यूल में आधुनिक तकनीकी और शिक्षण विधियों के समावेश का सुझाव दिया। कई प्रवक्ताओं ने डिजिटल और तकनीकी शिक्षण को और अधिक आधुनिक बनाने पर जोर दिया। आईटी विभाग के प्रवक्ता ने तकनीकी और पारंपरिक शिक्षण में नवीनता लाने के लिए अपने कौशल और कंटेंट विकास में विशेषज्ञता प्राप्त करने की आवश्यकता पर बल दिया, जिसे निदेशक और अपर निदेशक ने सहमति दी और आईटी विभाग को एक ट्रैनिंग डिज़ाइन के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।


बैठक में डॉ. मनोज शुक्ला, डॉ. हरीश बडोनी, भुवनेश पंत, रमेश पंत, डॉ. रंजन भट्ट, डॉ. अजय चौरसिया, एस पी वर्मा, डॉ. साधना डिमरी, डॉ. दीपक प्रताप सहित अन्य संकाय सदस्यों ने भी अपने कार्य योजनाओं को विस्तार से प्रस्तुत किया। डी.एल.एड. प्रवक्ता चौहान द्वारा ब्लूप्रिंट तैयार करने पर भी चर्चा हुई।

अंत में, अपर निदेशक पैन्यूली ने निदेशक बंदना गर्ब्याल और सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए बैठक का समापन किया।

एससीईआरटी उत्तराखंड और नवम फाउंडेशन के द्वारा इनोवेशन और डिजाइन थिंकिंग पर वीडियो सीरीज लॉन्च

आज से एससीईआरटी उत्तराखंड और नवम फाउंडेशन के संयुक्त अनुबंध में इनोवेशन और डिजाइन थिंकिंग पर आधारित 24-एपिसोड की वीडियो सीरीज लॉन्च की गई। इस सीरीज का उद्देश्य छात्रों को नवाचारी विचारों को प्रोडक्ट में बदलने की क्षमता और सोच विकसित करने में मदद करना है। यह सीरीज स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, यूएसए के इनोवेशन और डिजाइन थिंकिंग कोर्स के आधार पर तैयार की गई है, जिसमें देश और दुनिया के अनुभवी वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और तकनीकी विशेषज्ञों का योगदान शामिल है।

निदेशक, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, बंदना गर्ब्याल ने इस कोर्स के प्रथम एपिसोड के छात्रों के लिए सार्वजनिक प्रसारण के अवसर पर अपने संदेश में कहा कि यह इनोवेशन और डिजाइन थिंकिंग वीडियो सीरीज छात्रों को नवाचारी प्रोडक्ट और विचार प्रस्तुति में विशेष मदद करेगी, ताकि उनके विचार और उत्पाद समाज के लिए उपयोगी बन सकें। उन्होंने कहा कि यह कोर्स, जो वीडियो सीरीज के रूप में दिया जा रहा है, निश्चित रूप से हमारे विद्यार्थियों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चयनित होने में मदद करेगा। इस पहल के लिए अपर निदेशक,आशा रानी पैन्यूली एस सी आर टी और अन्य अधिकारियों ने इस विडिओ सीरीज के शुरुवात किए जाने पर बधाई दी। 

उन्होंने नवम फाउंडेशन के सीईओ नितिन देसाई और उनकी टीम को इस महत्वपूर्ण पहल के लिए बधाई दी और इस कोर्स को समय पर पूरा करने की सलाह दी ताकि छात्रों को समय पर इसका लाभ मिल सके।

इस 24-एपिसोड वाली इनोवेशन और डिजाइन थिंकिंग वीडियो सीरीज को एससीईआरटी के आधिकारिक यूट्यूब चैनल, पीएमई विद्या उत्तराखंड के सभी चैनलों और एससीईआरटी की वेबसाइट पर लाइव प्रसारित किया जाएगा, साथ ही यह 24x7 आर्काइव पर भी उपलब्ध रहेगी।

यह सीरीज विद्यार्थियों को इन्सपाइर अवॉर्ड मानक, टेकनो मेला, हैकाथोन, विज्ञान प्रदर्शनी, आईटी क्लब, लोगो मेकिंग और अन्य डिजिटल, एसटीईएम (STEM) और रोबोटिक्स जैसी प्रतिस्पर्धाओं में सहायता करेगी। यह छात्रों में सृजनशीलता, क्रिटिकल थिंकिंग और नए समाधान खोजने की क्षमता को प्रोत्साहित करेगी।

पहला एपिसोड आज सार्वजनिक कर दिया गया है, और शिक्षा व समाज के सभी हितधारकों से आग्रह किया जा रहा है कि इस वीडियो सीरीज को प्रदेश के हर शिक्षक और छात्र-छात्रा तक पहुंचाएं। यह सीरीज छात्रों को प्रतियोगिताओं के लिए नेतृत्व और प्रबंधन कौशल विकसित करने में सहायक होगी, साथ ही वे अपने उत्पाद के स्वामित्व और पेटेंट की प्रक्रिया में भी सक्षम बनेंगे।

Tuesday, September 10, 2024

मासिक प्रदर्शन रिपोर्ट: DIGITAL Vehicle as CONTINUED LEARNING ACCESS PROJECT (CLAP)



 देहरादून, उत्तराखंड: प्रदेश के शैक्षिक परिदृश्य में एक नई और अनूठी पहल के रूप में HP-SARD द्वारा प्रदत्त 'DIGITAL Vehicle as CONTINUED LEARNING ACCESS PROJECT (CLAP)' एवं एससीईआरटी उत्तराखंड के संयुक्त प्रयास से एक डिजिटल मोबाइल वैन छात्रों के लिए तकनीकी रूप से उन्नत शिक्षण अवसर प्रदान कर रही है।

यह वैन वर्तमान में देहरादून के रायपुर और डोईवाला ब्लॉकों के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में 3-10वीं कक्षा के छात्रों को डिजिटल माध्यम से पाठ पढ़ा रही है। छात्रों को तकनीकी रूप से समृद्ध पाठ्य सामग्री और इंटरेक्टिव लेसन्स के माध्यम से शिक्षा दी जा रही है, जो उन्हें आधुनिक शिक्षण पद्धतियों से परिचित कराती है।

कार्यक्रम में तकनीकी सहायक अशोक कठैत, आईटी विभाग के राज्य समन्वयक रमेश बडोनी और सीपी वर्मा सक्रिय रूप से योगदान दे रहे हैं। इस पहल को देहरादून के सीईओ के माध्यम से चयनित सरकारी स्कूलों में लागू किया जा रहा है, जिसमें नियोजित शैक्षिक योजना के अनुसार कार्यक्रम संचालित हो रहा है।

यह पहल छात्रों को डिजिटल माध्यम से शिक्षा के प्रति आकर्षित करने के साथ ही उन्हें तकनीकी साक्षरता की दिशा में प्रेरित कर रही है, जिससे प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शैक्षिक गुणवत्ता को और बेहतर बनाया जा सके।

Orientation Workshop on NCF-SE 2023 at RIE Ajmer : 09 Sept to 13 Sept 2024

A five-day orientation workshop on the National Curriculum Framework for School Education 2023 (NCF-SE 2023) open today and organized at RIE Ajmer, with special focus on the National Education Policy 2020 (NEP 2020). This workshop aimed to equip State Resource Groups (SRGs) from Northern states and Union Territories (UTs) with the necessary knowledge, skills, and strategies for the successful implementation of NCF-SE 2023.

The NCF-SE 2023 represents a significant shift in India's educational landscape, aligning school education with the broader objectives of NEP 2020. The NEP emphasizes Sustainable Development Goal 4 (SDG 4), which seeks to ensure inclusive, equitable quality education and lifelong learning opportunities by 2030. Achieving these ambitious goals requires a complete transformation of the education system, focusing not just on knowledge acquisition, but also on learning how to learn.

In light of this, the workshop is aiming to achieve several key objectives. These included orienting SRGs on the importance of NCF-SE 2023, enabling them to implement the framework effectively, empowering them to utilize it within their institutions, and preparing them to engage with various stakeholders. The workshop included a blend of theoretical sessions, group discussions, and hands-on activities. Expert-led sessions offered in-depth knowledge of NCF-SE 2023, while interactive workshops encouraged active participation. Real-life success stories were also shared to provide practical insights into implementation strategies.

Representing Uttarakhand, Programme Co-ordinator NEP Cell Mr. Manoj Bahuguna and Mr. Ravi Darshan Topal, Mr. Sohan Singh Negi Lecturer Department of curriculum, and Dr Sumit Pandey from DIET Nainitalboth faculty members of SCERT working in the NEP cell, contributed significantly to the discussions. Their participation in today's sessions highlighted the state's commitment to ensuring the successful rollout of NCF-SE 2023.

This orientation program marks a critical step in ensuring the transformation of school education across India, empowering SRGs to lead the way in providing students with a well-rounded, future-ready education.(10th September 2024,Manoj Bahuguna:)

राष्ट्रीय संगोष्ठी:‘Make Room for Early Learning’ प्रारंभिक शिक्षा के लिए स्थान बनाएं

10 सितंबर, 2024 | नई दिल्ली 

निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण उत्तराखण्ड बंदना गर्ब्याल, सहायक निदेशक डॉ. के.एन. बिजलवाण, एससीईआरटी, गंगा घुगतियाल, एससीईआरटी, डॉ. विजय रावत, डाइट देहरादून, डॉ. सरोज त्रिपाठी, तरुणा चमोला (आईसीडीएस, उत्तराखण्ड), और पुष्प लता एवं प्रशांत बर्थवाल (रूम टू रीड) ने 10 सितंबर 2024 को नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘Make Room for Early Learning’ में सक्रिय भागीदारी की। इस कार्यशाला का आयोजन संयुक्त रूप से USAID और Room to Read India द्वारा किया गया था, जिसमें प्रारंभिक शिक्षा के महत्व पर चर्चा की गई।

कार्यक्रम में विभिन्न सत्रों में प्रमुख वक्ताओं ने बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा और उनके शैक्षणिक विकास की जरूरतों पर जोर दिया। उत्तराखंड से भाग लेने वाले विशेषज्ञों ने राज्य में प्रारंभिक शिक्षा के सुधार और नवाचारों पर अपने अनुभव साझा किए।


आधारपत्रक :

परिचय

बाल विकास समुदाय और आर्थिक विकास की नींव है, क्योंकि सक्षम बच्चे एक समृद्ध और स्थायी समाज की बुनियाद बनते हैं। शोध से पता चलता है कि औपचारिक स्कूलिंग शुरू होने से बहुत पहले बच्चे के मस्तिष्क के विकास के लिए एक पोषणकारी वातावरण की आवश्यकता होती है। प्रारंभिक शिक्षा में निवेश उनके संभावित विकास को साकार करने के लिए आवश्यक है। प्रारंभिक शिक्षा की एक मजबूत नींव उच्च स्कूल उपलब्धियों के लिए एक आधारशिला बनती है, जो कार्यस्थल में अधिक उत्पादकता और समुदाय में अच्छे नागरिकता की ओर ले जाती है। 3 से 8 वर्ष की आयु को प्रारंभिक शिक्षा के वर्ष के रूप में संदर्भित किया जाता है, और यही वह समय है जब हमें अपनी पूरी ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।

विश्व बैंक के नवीनतम प्रकाशन द स्टेट ऑफ ग्लोबल लर्निंग पॉवर्टी: 2022 अपडेट के अनुसार, सीखने की गरीबी निम्न और मध्यम आय वाले देशों में एक तिहाई बढ़ गई है, और अनुमानित 70% 10-वर्षीय बच्चे एक सरल लिखित पाठ को समझने में असमर्थ हैं — महामारी से पहले 57% की तुलना में। प्रारंभिक शिक्षा लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण प्रगति केवल तभी हो सकती है जब बच्चों को 3 वर्ष की उम्र से ही घर पर और सामुदायिक आधार वाले वातावरण में विकास-प्रोत्साहक अनुभव दिए जाएं। यह माता-पिता की शिक्षा के हस्तक्षेपों, प्रारंभिक शिक्षा कार्यक्रमों, पूर्व-विद्यालय, और अन्य सामुदायिक-आधारित पहलों के माध्यम से किया जा सकता है।


उद्देश्य

संयुक्त राज्य अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय विकास एजेंसी (USAID) और रूम टू रीड इंडिया द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रारंभिक शिक्षा के लिए स्थान बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया जाएगा और बच्चों के लिए सही शिक्षा वातावरण बनाने के तरीके खोजे जाएंगे। यह केवल भौतिक स्थान के बारे में नहीं है, बल्कि एक ऐसा शिक्षा वातावरण बनाने के बारे में है जहां बच्चे सुरक्षित महसूस करें, समझे जाएं, सशक्त हों और अपनी गति से अन्वेषण करने के लिए स्वतंत्र हों।

भागीदारी
यह संगोष्ठी सरकारी प्रतिनिधियों, नीति निर्माताओं, अधिवक्ताओं, शिक्षाविदों, समान विचारधारा वाले संगठनों और समर्थकों को एक मंच पर लाएगी ताकि वे प्रमुख चुनौतियों का समाधान करने और संभावित जोखिमों पर प्रभावी ढंग से चर्चा कर सकें।

Monday, September 09, 2024

महानिदेशक बंशीधर तिवारी को विदयाली शिक्षा परिवार ने दी भावभीनी विदाई, कई अधिकारी हुए भावुक

दिनांक 7 सितंबर 2024: देहरादून :  विद्यालयी शिक्षा परिवार ने उत्तराखंड के महानिदेशक, बंशीधर तिवारी, आईएएस को विदाई दी। यह विदाई समारोह देहरादून सहस्त्रधारा रोड मे एक प्रतिष्ठित होटल  में आयोजित किया गया, जहां शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारी, कर्मचारियों और अन्य गणमान्य लोगों ने बंशीधर तिवारी जी को सम्मानित किया और उनके योगदान को याद किया।

बंशीधर तिवारी एक कुशल प्रशासक और सरल स्वभाव के धनी व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई नवाचारों को बढ़ावा दिया और जटिल समस्याओं का समाधान किया। उनके नेतृत्व में विद्यालयी शिक्षा विभाग ने अनेक नई ऊँचाइयों को छुआ। तिवारी जी का सरल और सौम्य स्वभाव, सभी के प्रति आदर और सम्मान की भावना ने उन्हें न केवल अपने सहयोगियों के बीच बल्कि पूरे राज्य में लोकप्रिय बना दिया।

समारोह में मौजूद निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, बंदना गर्ब्याल ने कहा, "तिवारी जी का कुशल नेतृत्व और उनकी समस्या समाधान क्षमता ने हम सभी को प्रेरित किया है। उनके जाने से शिक्षा विभाग में एक बड़ी रिक्ति उत्पन्न होगी, लेकिन हम उनके द्वारा स्थापित की गई योजनाओं और मूल्यों का पालन करते रहेंगे।"

अपर परियोजना निदेशक, डॉ. मुकुल सती ने भी तिवारी जी के योगदान की सराहना करते हुए कहा, "वह एक सच्चे मार्गदर्शक थे, जिन्होंने हमेशा सही व्यक्ति को पहचानने और उचित अवसर देने में विश्वास किया। उनके नेतृत्व में हमने शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण मील के पत्थर हासिल किए हैं।"

तिवारी जी के प्रति कर्मचारियों का प्रेम और आदर इस समारोह में स्पष्ट दिखाई दिया। उनके सहयोगी और अन्य अधिकारी उन्हें विदाई देते समय भावुक हो गए। उनकी सादगी और करुणा ने सभी को छू लिया, और यह भावनात्मक माहौल समारोह को और भी विशेष बना गया। तिवारी जी की व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन की सादगी और उनके प्रति लोगों के आदर ने सभी को प्रभावित किया।

इस अवसर पर तिवारी जी ने भी अपने अनुभवों को साझा किया और कहा, "मैंने हमेशा टीम वर्क पर विश्वास किया है। मेरा मानना है कि एक कुशल टीम ही किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकती है। शिक्षा के क्षेत्र में काम करना मेरे लिए एक अनमोल अनुभव रहा है, और मैं इस विभाग और यहां के लोगों को हमेशा अपने दिल में संजोकर रखूंगा।"

तिवारी जी के परिवार के सदस्य भी इस विशेष अवसर पर उपस्थित थे, और उन्होंने सभी का धन्यवाद किया। समारोह के दौरान कई अधिकारी और कर्मचारी उनकी सादगी और विनम्रता से प्रभावित होकर भावुक हो गए।

समग्र शिक्षा में राज्य परियोजना निदेशक, सूचना आयोग के शीर्ष अधिकारी और एमडीडीए के चेयरमैन के रूप में कार्यरत बंशीधर तिवारी को महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा के पद से मुक्त कर दिया गया है, और उनकी जगह झरना कमठान आई ए एस को महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई है । 


यह विदाई समारोह सभी के लिए एक यादगार पल बन गया, जिसमें तिवारी जी के कार्यकाल को याद किया गया और उनके द्वारा दिए गए योगदान को सराहा गया। इस मौके पर निदेशक प्रारम्भिक रघुनाथ लाल आर्य , अपर निदेशक आशारानी पैन्यूली , संयुत निदेशक डॉ कुलदीप गैरोला, SIEMAT के विभागाध्यक्ष दिनेश चंद्र गौड़,  पदमेन्द्र सकलनी, भगवती मैदोली, मदन मोहन जोशी एवं अन्य अधिकारी भी रहे मौजूद । 

Sunday, September 08, 2024

NCERT से सभी विषयों में होगी पीएचडी एवं परास्नातक डिग्री कोर्स


एनसीईआरटी अब उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को बढ़ाने जा रही है। स्कूल छात्रों के लिए अध्ययन सामग्री तैयार करने और शिक्षकों के प्रशिक्षण के क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली यह संस्था अब मास्टर और पीएचडी कोर्स शुरू करने की योजना बना रही है। इसके लिए अगले शैक्षणिक सत्र से शुरुआत की जा सकती है। डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने के बाद एनसीईआरटी ने यह निर्णय लिया है। इसके अलावा, मातृभाषा में पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए भी एक विशेष कोर्स तैयार किया जा रहा है, जो नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत होगा।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: स्कूलों के छात्रों के लिए शोधकर्ता अध्ययन सामग्री तैयार करने और शिक्षकों के प्रशिक्षण से जुड़े कार्यक्रम की संचालन के साथ राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) अब उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराएगी। इसके तहत जल्द ही वह सभी विषयों से जुड़े मास्टर और पीएचडी शुरू करने की तैयारी में है। माना जा रहा है कि अगले शैक्षणिक सत्र से एनसीईआरटी अपने मुख्य कैंपस के साथ ही क्षेत्रीय केंद्रों के जरिए इन कोर्सों को शुरू कर देगी।

एनसीईआरटी ने यह पहल डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने के बाद शुरू की है, जोकि उसे पिछले साल ही 63वें स्थापना दिवस पर प्रदान किया गया था। इसके तहत भविष्य में अब दूसरे विश्वविद्यालयों की तरह बैचलर, मास्टर, व पीएचडी कोर्स शुरू किए जाएंगे। हालांकि, एनसीईआरटी की तैयारी अभी सिर्फ सभी विषयों में मास्टर व पीएचडी कोर्स शुरू करने की है।

इसके साथ ही वह स्कूलों में मातृभाषा में पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए भी एक नया कोर्स तैयार करने में जुटी है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत स्कूलों में बच्चों को आठवीं तक की शिक्षा मातृभाषा में ही देने की सिफारिश की गई है।

Saturday, September 07, 2024

महानिदेशक झरना कमठान ने ली उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक, विद्यालयी शिक्षा की नई योजनाओं पर हुआ विस्तार से विचार-विमर्श

आईएएस अधिकारी झरना कमठान ने उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा महानिदेशक और समग्र शिक्षा राज्य परियोजना निदेशक का पदभार संभालने के बाद उन्होंने समग्र शिक्षा, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, सीमैट, और शिक्षा विभाग के विभिन्न शाखाओं का निरीक्षण किया।बैठक मे निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण त्तराखंड ने महानिदेशक,झरना कमठान का सम्पूर्ण विद्यालयी परिवार की तरफ से स्वागत एवं अभिनंदन किया गया। सरकार द्वारा विद्यालयी शिक्षा के महानिदेशक पद पर नियुक्त की गईं झरना कमठान ने आज शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अपनी पहली उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की। बैठक में माध्यमिक शिक्षा निदेशक, अकादमिक शिक्षा निदेशक, प्रारंभिक शिक्षा निदेशक, और समग्र शिक्षा के अपर राज्य परियोजना निदेशक सहित अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों ने भाग लिया। इस महत्वपूर्ण बैठक का मुख्य उद्देश्य राज्य में समग्र शिक्षा के तहत चल रही विभिन्न परियोजनाओं और कार्यक्रमों की प्रगति की समीक्षा करना और भविष्य की योजनाओं पर विस्तार से चर्चा करना था।

बैठक की शुरुआत समग्र शिक्षा के अपर राज्य परियोजना निदेशक डॉ. मुकुल सती द्वारा की गई, जिन्होंने वर्तमान में चल रहे परियोजनाओं की प्रगति और आने वाले समय की योजनाओं पर प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में विद्यालयी शिक्षा के परिदृश्य को सुधारने के लिए अनेक योजनाओं पर काम किया जा रहा है। इस दौरान वर्तमान और भविष्य की योजनाओं पर विशेष ध्यान दिया गया। 

इसके पश्चात, प्रारंभिक शिक्षा निदेशक रघुनाथ आर्य ने दैनिक कार्यों, शिक्षकों और छात्रों के लिए चल रही योजनाओं, ट्रांसफर प्रक्रिया, और छात्र संख्या जैसे मुद्दों पर प्रस्तुतीकरण दिया। संयुक्त निदेशक डॉ. आनंद भारद्वाज ने लंबित कोर्ट केसों की समीक्षा की और इसके समाधान के लिए प्रस्ताव रखे।

इसी क्रम मे, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण निदेशक बन्दना गर्ब्याल ने एनसीईआरटी और सीमेट द्वारा किए जा रहे कार्यों की समीक्षा की और भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि राज्य में शैक्षिक गुणवत्ता को सुधारने के लिए नवीनतम तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे छात्रों और शिक्षकों को लाभ होगा।

इस क्रम में, डॉ. के.एन. बिजलवाण ने फाऊंडेशनल लिटरेसी न्यूमैरेसी कार्यक्रम, SCERT के फाऊंडेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क, और विभिन्न नवाचार कार्यक्रमों पर प्रस्तुतीकरण दिया। रमेश बडोनी द्वारा महानिदेशक का ध्यान SCERT की वेबसाइट और डिजिटल तकनीकी के उपयोग पर भी आकर्षित किया गया।


महानिदेशक झरना कमठान ने अपने संबोधन में सभी निदेशकों को निर्देशित किया कि वे अपने-अपने कार्यक्षेत्रों का विस्तार करते हुए प्रत्येक जिले के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करें। इन नोडल अधिकारियों का मुख्य कार्य जनपदों की स्कूलों में आवश्यक सुविधाओं और आवश्यकताओं के लिए विस्तृत योजनाएं बनाकर उन्हें प्रस्तुत करना होगा, ताकि तत्काल समाधान और संसाधन जुटाए जा सकें। उन्होंने यह भी कहा कि जो नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे, वे संयुक्त रूप से लंबित कार्यों की सूची बनाकर महानिदेशक को प्रस्तुत करें और तेजी से समाधान की दिशा में आगे बढ़ें।


महानिदेशक ने यह भी कहा कि शिक्षा विभाग में लंबित मामलों का निपटारा शीघ्रता से किया जाएगा। समीक्षा बैठक के दौरान उन्होंने NEP 2020, के आलोक में चल रहे सार्थक प्रयासों की भी सराहना की और कहा कि इन प्रयासों को और अधिक सुदृढ़ बनाने की आवश्यकता है।

बैठक में उपस्थित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों में अपर निदेशक SCERT आशा रानी पैन्यूली, संयुक्त निदेशक कंचन देवरानी, संयुक्त निदेशक पी एम पोषण, डॉ कुलदीप गैरोला, संयुक्त निदेशक पद्मेंद्र सकलानी, अपर निदेशक दिनेश चंद्र गौड़, और सीमेट से प्रोफेशनल मोहन बिष्ट,समग्र शिक्षा से उप परियोजना निदेशक एम.एम. जोशी, आदि शामिल थे। सभी अधिकारियों ने महानिदेशक को आश्वासन दिया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में जिम्मेदारीपूर्वक कार्य करेंगे और विभागीय लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में प्रतिबद्ध रहेंगे।

महानिदेशक ने सभी अधिकारियों को उनके प्रयासों के लिए सराहा और आने वाले समय में शिक्षा विभाग को और अधिक प्रभावी और परिणामोन्मुखी बनाने के लिए सुझाव दिए। बैठक के अंत में उन्होंने सभी अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे आगामी योजनाओं पर तेजी से काम करें और छात्रों व शिक्षकों के हित में हर संभव कदम उठाएं।

Friday, September 06, 2024

उत्तराखंड के स्कूलों में जल्द लॉन्च होगी इनोवेटिव डिजाइन थिंकिंग पर वीडियो सीरीज: INSPIRE अवॉर्ड मानक और हैकाथॉन पर फोकस


देहरादून, उत्तराखंड के सरकारी और अर्धसरकारी विद्यालयों के छात्रों और शिक्षकों के लिए एक महत्वपूर्ण पहल के तहत, जल्द ही INSPIRE अवॉर्ड मानक और हैकाथॉन पर आधारित अभिमुखिकरण और डिजाइन थिंकिंग वीडियो सीरीज लॉन्च की जाएगी। इस परियोजना को एससीईआरटी ने नवम इंटरनेशनल फाउंडेशन के साथ मिलकर तैयार किया है, जिसका उद्देश्य राज्य के छात्रों में वैज्ञानिक सोच और नवाचार को बढ़ावा देना है।

आलोक द्विवेदी, प्रोग्राम मैनेजर नवम फाउंडेशन, रमेश बडोनी आई टी विभाग और डॉ अवनीश उनियाल राज्य समन्वयक इन्सपाइर अवॉर्ड मानक द्वारा आज इन्सपाइर अवॉर्ड मानक मे प्रतिभागी छात्र छात्राओं के लिए अभिमुखिकरण विडिओ सीरीज के प्रथम एपिसोड के रिकॉर्डिंग सेट पर रहे जहाँ डिजाइन थिंकिंग और इनोवैशन के कोर्स एवं टीवी सीरीज के लिए शुरुवात कर दी गई है। 


स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रसिद्ध डिजाइन थिंकिंग कोर्स के अनुरूप, यह वीडियो सीरीज उत्तराखंड के बाल वैज्ञानिकों और नवाचरियों के लिए एक उत्कृष्ट संसाधन होगी। इस कोर्स का उद्देश्य न केवल छात्रों को नवाचारी विचारों की दिशा में प्रोत्साहित करना है, बल्कि शिक्षकों को भी इन नवाचारों को सही दिशा में मार्गदर्शन देने के लिए प्रशिक्षित करना है।

यह वीडियो सीरीज जल्द ही उत्तराखंड के सभी विद्यालयों में उपलब्ध होगी और अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तथा टीवी चैनलों के माध्यम से भी इसे व्यापक रूप से प्रसारित किया जाएगा। इस पहल से राज्य के छात्रों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण को और सशक्त बनाने का अवसर मिलेगा और उन्हें अपनी प्रतिभा को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर प्रदर्शित करने का मंच मिलेगा।

निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण ,बन्दना गर्ब्याल, एवं अपर निदेशक आशा रानी पैन्यूली ने अपने संदेश मे कहा कि इस पहल को एससीईआरटी और नवम इंटरनेशनल फाउंडेशन का यह कदम राज्य में नवाचार और विज्ञान की संस्कृति को बढ़ावा देने में मील का पत्थर साबित हो सकता है।

Thursday, September 05, 2024

उत्तराखण्ड राजभवन में शिक्षक दिवस पर "शैलेश मटियानी राज्य शैक्षिक पुरस्कार" वितरण समारोह का आयोजन

 

शिक्षक दिवस के अवसर पर राजभवन में आयोजित "शैलेश मटियानी राज्य शैक्षिक पुरस्कार" वितरण समारोह में माननीय राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) ने सम्मानित शिक्षकों और शिक्षिकाओं को सम्मानित किया। इस कार्यक्रम में शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले उत्तराखंड के विभिन्न शिक्षकों को उनके योगदान के लिए विशेष पुरस्कार प्रदान किए गए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत, सचिव शिक्षा, महानिदेशक बंशीधर तिवारी, निदेशक बन्दना गर्ब्याल के अलावा अन्य अधिकारी भी समारोह मे अपनी गरिमामयी उपस्थिति के साथ मौजूद रहे। 

राज्यपाल ने शिक्षकों की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि हमारे समाज और देश के भविष्य को संवारने में शिक्षकों का योगदान अमूल्य है। उन्होंने कहा कि राज्य में शिक्षा को सुदृढ़ बनाने के लिए हम शिक्षकों को बेहतर प्रशिक्षण प्रदान करने और शिक्षा के क्षेत्र में तकनीकी समावेश पर जोर दे रहे हैं, ताकि विद्यार्थियों का समग्र विकास सुनिश्चित किया जा सके।

उन्होंने इस अवसर पर सरकार की उन योजनाओं का भी उल्लेख किया, जो न केवल विद्यार्थियों बल्कि शिक्षकों के उत्थान के लिए भी चलाई जा रही हैं। राज्यपाल ने शैलेश मटियानी राज्य शैक्षिक पुरस्कार प्राप्त करने वाले सभी शिक्षकों और शिक्षिकाओं को हार्दिक शुभकामनाएं दीं और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। इस सम्मान समारोह ने शिक्षकों को प्रोत्साहित करने और उन्हें अपने कार्यों में नई ऊर्जा और प्रेरणा देने का कार्य किया है।

शैलेश मटियानी राज्य शैक्षिक पुरस्कार प्राप्त करने वाले शिक्षकों की सूची निम्नलिखित है:

प्राथमिक शिक्षा के शिक्षक:

  1. नफीस अहमद - राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय कोटद्वार, पौड़ी
  2. कुसुम लता गढ़िया - चमोली
  3. कुसुम चौहान - उत्तरकाशी
  4. सुमन चमोली - देहरादून
  5. कंचन बाला - टिहरी गढ़वाल
  6. अरुणा नौटियाल - रुद्रप्रयाग
  7. खड़क सिंह बोरा - चंपावत
  8. नरेंद्र गिरी - बागेश्वर
  9. भावना पलडिया - नैनीताल
  10. चंद्रशेखर जोशी - पिथौरागढ़
  11. राम सिंह - अल्मोड़ा

माध्यमिक शिक्षा के शिक्षक:

  1. दौलत सिंह गोसाई - पौड़ी
  2. राजेंद्र कुमार - हरिद्वार
  3. प्रदीप कुमार उपाध्याय - नैनीताल
  4. श्याम दत्त चौबे - चंपावत
  5. मधुसूदन मिश्र - उधम सिंह नगर
  6. निर्पेश कुमार जोशी - अल्मोड़ा
  7. डॉ. देवेन्द्र प्रसाद हरबोला - नैनीताल

विशेष सम्मान:

  1. डॉ. नारायण प्रसाद उनियाल - जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान चड़ीगांव

एससीईआरटी कॉन्फ्रेंस हॉल में मनाया गया शिक्षक दिवस समारोह


05-09-2024: देहरादून; एससीईआरटी के कॉन्फ्रेंस हॉल में शिक्षक दिवस समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें अपर निदेशक आशा रानी पैन्यूली ने डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जन्म जयंती पर पुष्प माल्यपर्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर अपर निदेशक आशा रानी पैन्यूली ने  संयुक्त निदेशक कंचन देवराड़ी और सहायक निदेशक डॉ. के. एन. बिजलवाण ने भी डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।


प्रवक्ता सुधा पैन्यूली ने शिक्षक दिवस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए हर एक व्यक्ति में शिक्षक के गुणों को गर्व का विषय बताया।

समारोह में अपर निदेशक आशा रानी पैन्यूली ने विभिन्न विभागों में अनुकरणीय सेवाएं देने वाले संकाय सदस्यों आईटी विभाग से पुष्पा असवाल,पाठ्यक्रम विभाग से गंगा घुघत्याल, प्रशासनिक अधिकारी रावत, और सहायक निदेशक डॉ. के. एन. बिजलवाण को मोमेंटो देकर सम्मानित किया।  जबकि प्रोग्राम मॉनिटरिंग से डॉ. रंजन भट्ट, शोध मूल्यांकन से दीपक प्रताप, स्कॉलरशिप से डॉ. हरीश बडोनी, प्रशासन विभाग से हरेन्द्र बर्तवाल,  को मौके पर नहीं होने के कारण मोमेंटों नहीं दिए जा सके। इसके अलावा, अपर निदेशक ने अन्य कई संकाय सदस्यों और अधिकारियों के सेवा योगदान की सराहना की।

हालांकि, कार्यक्रम के दौरान शिक्षक संघ ने पदोन्नति जैसे मुद्दों पर अपनी नाराजगी भी व्यक्त की। इसी बीच, माध्यमिक शिक्षा निदेशक अजय नौडियाल के पिता के आकस्मिक निधन की खबर से कार्यक्रम की ऊर्जा और उल्लास में कमी आ गई। स्वर्गीय पिता की आत्मा की शांति के लिए मौन धारण कर सभी ने अपनी श्रद्धांजलि दी।


    अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण उत्तराखंड निदेशक, बंदना गर्ब्याल ने भी शिक्षक दिवस पर सभी को         शुभकामनाएं दीं और निदेशक माध्यमिक अजय नौडियाल के पिता के निधन पर गहरा दुख व्यक्त             किया। इस अवसर पर एससीईआरटी के सभी कर्मचारी भी उपस्थित रहे।